UP Board Class 12 Hindi Question Paper with Answer Key (February 16, Code 301 ZG)

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Shivam Yadav

Educational Content Expert | Updated on - Oct 3, 2025

UP Board Class 12 Hindi Question Paper with Answer Key Code 301 ZG is available for download. The exam was conducted by the Uttar Pradesh Madhyamik Shiksha Parishad (UPMSP) on February 16, 2023 in Afternoon Session 2 PM to 5:15 PM. The medium of paper was Hindi. In terms of difficulty level, UP Board Class 12 Hindi paper was Easy. The question paper comprised a total of 14 questions.

UP Board Class 12 Hindi (Code 301 ZG) Question Paper with Answer Key (February 16)

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Question 1:

'चंद छतन बरनन की महिमा' के रचनाकार हैं -

  • (A) रामप्रसाद निरंजन
  • (B) जटमल
  • (C) गंग
  • (D) दौलतराम
Correct Answer: (A) रामप्रसाद निरंजन
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Step 1: Understanding the work.

'चंद छतन बरनन की महिमा' एक प्रसिद्ध हिंदी कविता है, जो रामप्रसाद निरंजन द्वारा रचित है। रामप्रसाद निरंजन हिंदी साहित्य में एक महत्वपूर्ण कवि के रूप में जाने जाते हैं।


Step 2: Author Identification.

रामप्रसाद निरंजन ने इस रचना में भारतीय संस्कृति और धार्मिकता को उजागर किया है। वे भक्ति काव्य के प्रमुख कवि थे।


Step 3: Option Analysis.

- (A) रामप्रसाद निरंजन → सही उत्तर, रचनाकार।

- (B) जटमल → इस काव्य के रचनाकार नहीं।

- (C) गंग → अन्य कवि।

- (D) दौलतराम → गलत उत्तर।


इसलिए सही उत्तर है (A) रामप्रसाद निरंजन।
Quick Tip: रामप्रसाद निरंजन भक्ति काव्य के प्रमुख कवि रहे हैं और 'चंद छतन बरनन की महिमा' उनकी प्रमुख रचनाओं में से एक है।


Question 2:

हिंदी गद्य के प्रवर्तक कहे जाते हैं -

  • (A) भारतेंदु हरिश्चन्द्र
  • (B) प्रतापनारायण मिश्र
  • (C) महावीर प्रसाद द्विवेदी
  • (D) देवकीनंदन खत्री
Correct Answer: (A) भारतेंदु हरिश्चन्द्र
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Step 1: Understanding the question.

भारतेंदु हरिश्चन्द्र को हिंदी गद्य के प्रवर्तक के रूप में जाना जाता है। उन्होंने हिंदी साहित्य में गद्य लेखन को नई दिशा दी और हिंदी के साहित्यिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।


Step 2: Explanation.

भारतेंदु हरिश्चन्द्र ने हिंदी में निबंध, नाटक और उपन्यास जैसे गद्य रूपों का प्रचार किया। उनका योगदान गद्य साहित्य में अद्वितीय था।


Step 3: Option Analysis.

- (A) भारतेंदु हरिश्चन्द्र → सही उत्तर, हिंदी गद्य के प्रवर्तक।

- (B) प्रतापनारायण मिश्र → हिंदी साहित्य में योगदान, लेकिन प्रवर्तक नहीं।

- (C) महावीर प्रसाद द्विवेदी → महत्वपूर्ण साहित्यकार, लेकिन प्रवर्तक नहीं।

- (D) देवकीनंदन खत्री → उपन्यासकार थे, पर गद्य प्रवर्तक नहीं।


इसलिए सही उत्तर है (A) भारतेंदु हरिश्चन्द्र।
Quick Tip: भारतेंदु हरिश्चन्द्र को हिंदी गद्य साहित्य का प्रवर्तक माना जाता है, और उन्होंने गद्य लेखन में अनेक नई विधाओं की शुरुआत की।


Question 3:

छायावाद युग की समय सीमा मानी जाती है -

  • (A) सन 1900 से 1940 तक
  • (B) सन 1919 से 1938 तक
  • (C) सन 1920 से 1938 तक
  • (D) सन 1920 से 1940 तक
Correct Answer: (C) सन 1920 से 1938 तक
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Step 1: Understanding the time frame of Chhayavad.

छायावाद हिंदी साहित्य का एक महत्वपूर्ण काव्य-युग है, जिसमें व्यक्तिगत भावनाओं, आत्मानुभूति, और रहस्यवाद का बोलबाला था। इस युग की शुरुआत 1920 में मानी जाती है, और यह 1938 में समाप्त हुआ।


Step 2: Option Analysis.

- (A) सन 1900 से 1940 तक → गलत। यह समय सीमा प्रायः अन्य युगों के लिए मानी जाती है।

- (B) सन 1919 से 1938 तक → गलत। यह समय सीमा भी सही नहीं है।

- (C) सन 1920 से 1938 तक → सही उत्तर, छायावाद युग की समय सीमा यही मानी जाती है।

- (D) सन 1920 से 1940 तक → गलत। छायावाद युग का अंत 1938 में माना जाता है।


इसलिए सही उत्तर है (C) सन 1920 से 1938 तक।
Quick Tip: छायावाद युग का समय सीमा 1920 से 1938 तक माना जाता है।


Question 4:

सन 1903 में सरस्वती पत्रिका के संपादन का कार्य प्रारंभ किया -

  • (A) हज़ारी प्रसाद द्विवेदी ने
  • (B) प्रतापनारायण मिश्र ने
  • (C) महावीर प्रसाद द्विवेदी ने
  • (D) भारतेंदु हरिश्चन्द्र ने
Correct Answer: (A) हज़ारी प्रसाद द्विवेदी ने
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Step 1: Understanding the role of Hazari Prasad Dwivedi.

हज़ारी प्रसाद द्विवेदी ने 1903 में 'सरस्वती' पत्रिका का संपादन कार्य प्रारंभ किया था। यह पत्रिका हिंदी साहित्य के प्रचार-प्रसार में एक महत्वपूर्ण कड़ी साबित हुई।


Step 2: Option Analysis.

- (A) हज़ारी प्रसाद द्विवेदी → सही उत्तर, उन्होंने ही 'सरस्वती' पत्रिका का संपादन प्रारंभ किया।

- (B) प्रतापनारायण मिश्र → गलत। वह अन्य कार्यों के लिए प्रसिद्ध थे।

- (C) महावीर प्रसाद द्विवेदी → गलत। वह साहित्य के महत्वपूर्ण आलोचक थे, लेकिन संपादन कार्य नहीं किया।

- (D) भारतेंदु हरिश्चन्द्र → गलत। भारतेंदु जी का समय 19वीं सदी का था।


इसलिए सही उत्तर है (A) हज़ारी प्रसाद द्विवेदी ने।
Quick Tip: 'सरस्वती' पत्रिका हिंदी साहित्य की महत्वपूर्ण पत्रिका रही है, जिसका संपादन कार्य हज़ारी प्रसाद द्विवेदी ने किया।


Question 5:

'पैरों में पंख बाँधकर' रचना की विधा है :

  • (A) रिपोर्ताज विधा
  • (B) संस्मरण विधा
  • (C) जीवनी विधा
  • (D) यात्रा-वृत्त
Correct Answer: (A) रिपोर्ताज विधा
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Step 1: Understanding the work 'पैरों में पंख बाँधकर'.

'पैरों में पंख बाँधकर' एक रिपोर्ताज (Reportage) है जिसमें लेखक ने अपने अनुभवों और विचारों को काव्यात्मक रूप में प्रस्तुत किया है। यह एक पत्रकारिता शैली है जिसमें लेखक विशेष घटनाओं, स्थानों या अनुभवों का संक्षेप में और रोचक तरीके से वर्णन करता है।


Step 2: Identifying the literary form.

रिपोर्ताज विधा में वास्तविक घटनाओं और स्थितियों का वर्णन काव्यात्मक या शैलीगत रूप में किया जाता है, जो इस रचना में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।


Step 3: Option Analysis.

- (A) रिपोर्ताज विधा → सही उत्तर, यह रचना रिपोर्ताज शैली में है।

- (B) संस्मरण विधा → यह सही नहीं है क्योंकि संस्मरण में व्यक्ति अपनी बीती हुई यादों का विवरण देता है।

- (C) जीवनी विधा → यह भी सही नहीं है क्योंकि यह किसी व्यक्ति के जीवन की गाथा नहीं है।

- (D) यात्रा-वृत्त → यात्रा-वृत्त में यात्रा के अनुभवों का विवरण होता है, जो इस रचना के संदर्भ में नहीं आता।


इसलिए सही उत्तर है (A) रिपोर्ताज विधा।
Quick Tip: रिपोर्ताज विधा में वास्तविक घटनाओं का रोचक और सटीक वर्णन किया जाता है, जिससे पाठक को घटना का गहन अनुभव होता है।


Question 6:

'यशोधरा' काव्य के रचनिता हैं :

  • (A) जयशंकर प्रसाद
  • (B) मैथिलीशरण गुप्त
  • (C) रामनरेश त्रिपाठी
  • (D) सुमित्रानंदन पंत
Correct Answer: (A) जयशंकर प्रसाद
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Step 1: Understanding 'यशोधरा'.

'यशोधरा' जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित एक प्रमुख काव्य रचना है। यह रचना भारतीय मिथक और नारी के कर्तव्यों को प्रस्तुत करती है।


Step 2: Option Analysis.

- (A) जयशंकर प्रसाद → सही उत्तर, क्योंकि 'यशोधरा' उनके द्वारा रचित काव्य है।

- (B) मैथिलीशरण गुप्त → यह काव्य उनके द्वारा नहीं लिखा गया।

- (C) रामनरेश त्रिपाठी → गलत उत्तर।

- (D) सुमित्रानंदन पंत → यह भी सही उत्तर नहीं है।


इसलिए सही उत्तर है (A) जयशंकर प्रसाद।
Quick Tip: 'यशोधरा' काव्य जयशंकर प्रसाद के काव्यशास्त्र में एक महत्वपूर्ण कड़ी है, जो भारतीय समाज और संस्कृति को दर्शाता है।


Question 7:

छायावाद काल से संबंधित नहीं हैं -

  • (A) सुमित्रानंदन पंत
  • (B) महादेवी वर्मा
  • (C) सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'
  • (D) गिरिधर शर्मा 'नवरत्न'
Correct Answer: (D) गिरिधर शर्मा 'नवरत्न'
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Step 1: Understanding the context of Chhayavad.

छायावाद युग में महादेवी वर्मा, सुमित्रानंदन पंत और सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' जैसे कवि प्रमुख रूप से शामिल थे। यह युग मुख्यतः काव्यात्मक और भावनात्मक दृष्टिकोण से जुड़ा हुआ था।


Step 2: Explanation for 'गिरिधर शर्मा' being unrelated.

गिरिधर शर्मा 'नवरत्न' को छायावाद से संबंधित नहीं किया जाता। वे अन्य साहित्यिक काव्य प्रवृत्तियों से जुड़े थे, और छायावाद के प्रमुख कवियों में उनका नाम शामिल नहीं है।


Step 3: Option Analysis.

- (A) सुमित्रानंदन पंत → छायावाद से संबंधित।

- (B) महादेवी वर्मा → छायावाद से संबंधित।

- (C) सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' → छायावाद से संबंधित।

- (D) गिरिधर शर्मा 'नवरत्न' → यह छायावाद से संबंधित नहीं है।


इसलिए सही उत्तर है (D) गिरिधर शर्मा 'नवरत्न'।
Quick Tip: छायावाद युग में प्रमुख कवि थे - महादेवी वर्मा, सुमित्रानंदन पंत और सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला', लेकिन गिरिधर शर्मा 'नवरत्न' छायावाद से संबंधित नहीं थे।


Question 8:

'हरी घास पर क्षणभर' के रचनाकार हैं -

  • (A) सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
  • (B) त्रिलोचन
  • (C) सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'असॆय'
  • (D) गिरिजाकुमार माथुर
Correct Answer: (A) सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
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Step 1: Understanding 'हरी घास पर क्षणभर'.

'हरी घास पर क्षणभर' कविता सर्वेश्वर दयाल सक्सेना द्वारा रचित है। यह कविता आधुनिक हिंदी काव्य में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है।


Step 2: Option Analysis.

- (A) सर्वेश्वर दयाल सक्सेना → सही उत्तर, इस कविता के रचनाकार।

- (B) त्रिलोचन → त्रिलोचन जी भी महत्वपूर्ण कवि थे, लेकिन इस रचना के रचनाकार नहीं।

- (C) सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'असॆय' → यह भी सही नहीं है।

- (D) गिरिजाकुमार माथुर → यह भी गलत उत्तर है।


इसलिए सही उत्तर है (A) सर्वेश्वर दयाल सक्सेना।
Quick Tip: 'हरी घास पर क्षणभर' कविता सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की प्रमुख रचनाओं में से एक है, जो उनके काव्य-संग्रह का हिस्सा है।


Question 9:

'तीसरा सप्तक' का प्रकाशन वर्ष है -

  • (A) सन 1959 ई.
  • (B) सन 1960 ई.
  • (C) सन 1957 ई.
  • (D) सन 1965 ई.
Correct Answer: (B) सन 1960 ई.
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Step 1: Understanding 'तीसरा सप्तक'.

'तीसरा सप्तक' छायावाद युग के बाद के कवियों का एक महत्वपूर्ण काव्य-संग्रह था। यह संग्रह 1960 में प्रकाशित हुआ था।


Step 2: Option Analysis.

- (A) सन 1959 ई. → गलत उत्तर, 'तीसरा सप्तक' 1960 में प्रकाशित हुआ।

- (B) सन 1960 ई. → सही उत्तर, यह वर्ष 'तीसरा सप्तक' के प्रकाशन का वर्ष है।

- (C) सन 1957 ई. → गलत उत्तर।

- (D) सन 1965 ई. → गलत उत्तर।


इसलिए सही उत्तर है (B) सन 1960 ई.।
Quick Tip: 'तीसरा सप्तक' में मुख्यतः छायावाद से संबंधित कवि थे, और यह संग्रह हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण माना जाता है।


निम्नलिखित गद्यांश का संदर्भ देते हुए किसी एक के दिये गए प्रश्न का उत्तर लिखिए

मुझे मानव-जाति की दुर्दम-निर्मम धारा के हजारों वर्षों का रूप साफ दिखाई दे रहा है। मनुष्य की जीवन-शक्ति बड़ी निर्मम है, वह सभ्यता और संस्कृति के वृथा मोहों को रौंदती चली आ रही है। न जाने कितने धर्माचारों, विश्वासों, उत्सवों और व्रतों को धोती-बहाती यह जीवन-धारा आगे बढ़ी है। संघर्षों से मनुष्य ने नई शक्ति पाई है। हमारे सामने समाज का आज जो रूप है, वह न जाने कितने ग्रहण और त्याग का रूप है। देश और जाति की विशुद्ध संस्कृति केवल बाद की बात है। सब कुछ अविशुद्ध है, शुद्ध है मनुष्य की दुर्दम जिजीविषा (जीने की इच्छा)। वह गंगा की अवाधित-अनाहत धारा के समान सब कुछ को हज़्म करने के बाद भी पवित्र है। 

Question 10:

प्रस्तुत गद्यांश के पाठ तथा लेखक का नाम लिखिए।

Correct Answer:
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पाठ का वर्णन:

प्रस्तुत गद्यांश में मानवता और समाज की मानसिकता की गहरी समझ दी गई है। यह गद्यांश हमें सोचने के लिए प्रेरित करता है कि हम अपने समाज में कितने परिवर्तन ला सकते हैं। लेखक ने समाज के पहलुओं को बखूबी चित्रित किया है।


लेखक का नाम:

यह गद्यांश प्रसिद्ध लेखक द्वारा लिखा गया है, जिनका उद्देश्य समाज के हर पहलू को सही तरीके से दर्शाना था। Quick Tip: लेखक के नाम का उल्लेख करते समय उसके योगदान और लेखन शैली पर भी विचार करें।


Question 11:

रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।

Correct Answer:
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व्याख्या:

रेखांकित अंश में लेखक ने समाज के विभिन्न पहलुओं और उनके प्रभाव को गहराई से समझाया है। यह अंश हमें यह बताता है कि समाज में बदलाव कैसे संभव है और किस प्रकार हम अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं। लेखक ने इस अंश के माध्यम से समाज के कुरीतियों पर भी सवाल उठाए हैं।


इस व्याख्या से हमें समाज की मानसिकता और उस पर प्रभाव डालने वाली बातों को समझने में मदद मिलती है। Quick Tip: रेखांकित अंश की व्याख्या करते समय उसके प्रमुख बिंदुओं पर विशेष ध्यान दें और उनके सामाजिक संदर्भ को स्पष्ट करें।


Question 12:

मनुष्य श्रद्धा एवं संस्कृति को किस प्रकार रौंद रहा है?

Correct Answer:
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मनुष्य की श्रद्धा और संस्कृति:

प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने यह दिखाया है कि मनुष्य अपनी नासमझी, लालच और अज्ञानता के कारण अपनी श्रद्धा और संस्कृति को रौंद रहा है। वह बाहरी आडंबरों के प्रभाव में आकर अपनी परंपराओं और संस्कृति को भूलता जा रहा है। लेखक ने समाज की घटती संस्कृति और श्रद्धा को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है।


मनुष्य को अपनी जड़ों को समझना और बचाए रखना चाहिए, क्योंकि संस्कृति ही उसकी पहचान है। Quick Tip: किसी भी समाज में संस्कृति का स्थान बहुत महत्वपूर्ण होता है। इसका संरक्षण और समझना आवश्यक है।


Question 13:

‘मनुष्य की जीवन-शक्ति बड़ी निर्मिम है’ का आशय स्पष्ट कीजिए।

Correct Answer:
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मनुष्य की जीवन-शक्ति:

इस वाक्य का आशय है कि मनुष्य के पास अपार जीवन-शक्ति है, जो उसे कठिनाइयों और चुनौतियों के बावजूद आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। मनुष्य के अंदर अपार शक्ति और क्षमता होती है, जो उसे जीवन के विभिन्न संघर्षों से पार पाने में मदद करती है।


लेखक ने इसे इस प्रकार प्रस्तुत किया है कि मनुष्य अपनी शक्ति को पहचाने और उसका सही उपयोग करे, क्योंकि यही शक्ति उसे आगे बढ़ने की दिशा दिखाती है। Quick Tip: मनुष्य को अपनी अंदर की शक्ति का एहसास होना चाहिए, ताकि वह जीवन के संघर्षों से लड़ सके और सफलता प्राप्त कर सके।


Question 14:

मनुष्य ने किसके द्वारा नई शक्ति पाई है?

Correct Answer:
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नई शक्ति प्राप्ति:

मनुष्य ने अपनी कठिनाइयों और संघर्षों से उबरने के लिए समाज और संस्कृति के माध्यम से नई शक्ति प्राप्त की है। यह शक्ति उसे उसकी जड़ों, धर्म और संस्कृति से मिली है, जिससे वह जीवन में कठिनाइयों का सामना करने में सक्षम हुआ है।


लेखक के अनुसार, मनुष्य ने इस नई शक्ति को अपने पूर्वजों के अनुभवों और सांस्कृतिक धरोहर के माध्यम से पाया है, जो उसे जीवन में नये मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं। Quick Tip: मनुष्य की शक्ति केवल शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक और सांस्कृतिक शक्ति भी है, जो उसे सामाजिक और व्यक्तिगत संघर्षों से उबरने में मदद करती है।


Question 15:

प्रस्तुत गद्यांश के पाठ तथा लेखक का नाम लिखिए।

यह प्रणाम-भाव ही भूमि और जन का दुख-बंधन है। इसी दुख भित्ति पर राष्ट्र का भवन तैयार किया जाता है। इसी दुख चक्रटान पर राष्ट्र का चिंतन आभृत रहता है। इसी मायदा को मानकर राष्ट्र के प्रति मनुष्यों के कर्तव्य और अधिकारों का उदय होता है। जो जन पृथ्वी के साथ माता और पुत्र के संबंध को स्वीकार करता है, उसे ही पृथ्वी के वरदानों में भाग पाने का अधिकार है। माता के प्रति अनुराग और सेवा भाव पुत्र का स्वाभाविक कर्तव्य है। वह एक निष्करण धर्म है। स्वार्थ के लिए पुत्र का माता के प्रति प्रेम, पुत्र के अभ:पतन को सूचित करता है। जो जन मातृभूमि के साथ अपना संबंध जोड़ना चाहता है उसे अपने कर्तव्यों के प्रति पहले ध्यान देना चाहिए।

Correct Answer:
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गद्यांश का पाठ:

यह प्राणम-भाव ही भूमि और जन का दुःख-वनन है। इसी दुःख भक्ति पर राष्ट्र का भवन तैयार किया जाता है। इसी दुख चट्टान पर राष्ट्र का चरित जीवन आभृत रहता है। इसी मर्यादा को मानकर राष्ट्र के प्रति मनुष्यों के कर्तव्य और अधिकारों का उदय होता है। जो जन पृथ्वी के साथ माता और पुत्र के संबंध को स्वीकार करता है, उसे ही पृथ्वी के बड़ाने में भाग पाने का अधिकार है। माता के प्रति अनुराग और सेवाभाव पुत्र का स्वाभाविक कर्तव्य है। वह एक निष्करण धर्म है। स्वार्थ के लिए पुत्र का माता के प्रति प्रेम, और पुत्र के अधिकार पत्तन को सूचित करता है। जो जन मातृभूमि के साथ अपना संबंध जोड़ना चाहता है, उसे अपने कर्तव्यों के प्रति पहले ध्यान देना चाहिए।


लेखक का नाम:

यह गद्यांश महात्मा गांधी द्वारा लिखा गया है। Quick Tip: गद्यांश का विश्लेषण करते समय लेखक के विचार, दृष्टिकोण और भाषा का विशेष ध्यान रखें।


Question 16:

रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।

Correct Answer:
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व्याख्या:

गद्यांश में लेखक ने यह दर्शाया है कि समाज और राष्ट्र की प्रगति के लिए एक व्यक्ति का कर्तव्य, माता और पिता के प्रति उसका संबंध, और अपनी मातृभूमि के प्रति उसकी जिम्मेदारी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। जब एक व्यक्ति अपनी भूमि, संस्कृति और परंपराओं के प्रति उत्तरदायित्व समझता है, तभी वह समाज और राष्ट्र की बेहतरी के लिए कार्य कर सकता है।
Quick Tip: गद्यांश की व्याख्या करते समय उस पर लेखक का दृष्टिकोण और सामाजिक संदर्भ पर ध्यान दें।


Question 17:

पृथ्वी के साथ किस प्रकार का संबंध रखना चाहिए?

Correct Answer:
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संबंध का प्रकार:

पृथ्वी के साथ हमारा संबंध एक माता और पुत्र जैसा होना चाहिए। हमें पृथ्वी को अपनी माता के समान समझना चाहिए और उसका सम्मान करना चाहिए। जो व्यक्ति अपनी मातृभूमि के साथ अपने संबंध को सजीव रखता है, वही समाज और राष्ट्र के उत्थान के लिए कार्य कर सकता है। Quick Tip: पृथ्वी के साथ हमारे संबंध को हमेशा सम्मान और कृतज्ञता से देखना चाहिए।


पदांश पर आधारित निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

निकसित कमंडलें उम्मिद नम-रपण्डल-खण्डित। 
धाई धारा-अपार बग सौ बायू बिहंसीत। 

भयी घोर अति शब्द धमक सों त्रिभुवन तरजे। 
महामेह मिल मनु एक संगी सब गरजे। 

निज दरें सों पौं-पटल कराती फहरावती। 
सुर-पुर के अति सधन घोर घन घसी घहरावती। 

चली धारा धूधकारी धरा-दिशि काटती कावा। 
सागर-सुति के पाप-ताप पर बोलती धावा। 

Question 18:

प्रस्तुत पद्यांश का सन्दर्भ लिखिए ।

Correct Answer:
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प्रस्तुत पदांश का संदर्भ :

यह पदांश जीवन के विभिन्न पहलुओं की ओर इंगीत करता है। इसमें जीवन की कठिनाइयों, संघर्षों और भय के साथ साथ मानवीय संघर्षों की झलक दिखाई देती है। इस पदांश में एक नायक की यात्रा, उसकी चुनौतियाँ, और उन पर पड़ने वाले प्रभाव को बड़े स्पष्ट रूप से दिखाया गया है। जीवन में डर और भय के बावजूद हमें आगे बढ़ते रहना चाहिए, और यह भी कि हमें हर संघर्ष में अपने कर्तव्यों को समझते हुए समाज के कल्याण के लिए कार्य करना चाहिए। Quick Tip: पदांश का संदर्भ देते हुए हमें उसके अर्थ, भाव और संदर्भ को ध्यान से समझकर जवाब देना चाहिए।


Question 19:

रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।

Correct Answer:
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रेखांकित अंश में लेखक ने यह बताया है कि मनुष्य की जीवन-शक्ति बड़ी निर्मल और निरंतर है, जो सैकड़ों वर्षों से चलती आ रही है। यह जीवन-धारा पृथ्वी के साथ निरंतर बहती जा रही है, और इस धारा का आदान-प्रदान सभी प्राणियों के अस्तित्व के लिए आवश्यक है। लेख में यह भी बताया गया है कि मनुष्य की शक्ति समाज के उत्थान के लिए होती है और यह शक्तियाँ निरंतर परिष्कृत होती रहती हैं। Quick Tip: किसी भी अंश की व्याख्या करते समय मुख्य बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करें और लेखक की दृष्टि को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करें।


Question 20:

गंगा के कमंडल से निकलने के स्वरूप का वर्णन कीजिए।

Correct Answer:
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गंगा के कमंडल से निकलने का स्वरूप अत्यधिक पवित्र और दिव्य है। कमंडल में जल का प्रवाह स्वच्छता और शांति का प्रतीक है, जो मनुष्य के जीवन के लिए शुद्धता और जीवन की निरंतरता को दर्शाता है। गंगा का जल ब्रह्मा और अन्य देवी-देवताओं के साथ जुड़ा हुआ है, जो जीवन की अपार शक्ति और परमात्मा से संबंध को प्रस्तुत करता है। Quick Tip: गंगा के जल और उसकी महिमा को समझते समय धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को ध्यान में रखें।


Question 21:

गंगा ने काव्य काटते हुए कहां पर धावा बोला?

Correct Answer:
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काव्य का विवरण:

इस अंश में गंगा के काव्य के माध्यम से उसकी ताकत और निर्बाध गति को व्यक्त किया गया है। गंगा का जल किसी भी बाधा को पार करने के लिए 'धावा' बोलता है। यह धावा उस स्थान पर बोला गया है जहाँ गंगा की गति में कोई अवरोध उत्पन्न किया गया हो, जैसे पहाड़, बांध या कोई अन्य प्राकृतिक रुकावट। इस धावे के माध्यम से गंगा की अविरलता और निरंतर प्रवाह को दिखाया गया है।


लेखक ने गंगा के जल को जीवन के प्रवाह और उसकी अपरिवर्तनीय गति का प्रतीक के रूप में चित्रित किया है। Quick Tip: काव्य में व्यक्त की गई शक्तियों और गुणों का ध्यान रखते हुए पात्रों की कार्यप्रणाली और वातावरण का सही चित्रण करें।


Question 22:

पदांश में प्रयुक्त अलंकार का उल्लेख कीजिए।

Correct Answer:
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अलंकार का विवरण:

इस पदांश में विभिन्न अलंकारों का प्रयोग किया गया है। मुख्य रूप से निम्नलिखित अलंकारों का उपयोग किया गया है:


1. रूपक अलंकार (Metaphor): गंगा के जल को जीवन और प्रगति का प्रतीक के रूप में दर्शाया गया है। यह अलंकार गंगा के जल की एक प्रतीकात्मक व्याख्या करता है।
2. विपर्यय अलंकार (Inversion): "गंगा ने काव्य काटते हुए" इस वाक्य में गंगा की गति और शक्ति को चित्रित किया गया है, जो काव्यात्मक रूप में अप्रतिबंधित दिखता है। Quick Tip: अलंकार का प्रयोग करते समय यह ध्यान रखें कि वे काव्य को और भी सुंदर, गहरे और प्रभावशाली बनाने में मदद करते हैं।


OR

कहते आते थे यही अभी नर देही, 
माता न कुमार, पुत्र कुण्मृण भले ही ! 

अब कहें सभी यह हाय! विक्षिप्त विघन्ता - 
है पुत्र पुत्र ही रहे कुमारता माता। 

बस मैंने इसका बाहु-मात्र ही देखा, 
दुःख ह्रदय न देखा, मुळ गात ही देखा। 

परमर्थ न देखा, पूर्ण स्वार्थ ही साधा, 
इस कारण ही तो हाय आज यह बध्धा। 

युग-युग तक चलती रहे कथोर कहानी; 
रखुल में भी थी एक अभिमानी रानी। 

Question 23:

प्रस्तुत पदांश के पाठ का स्रोत तथा कवि का नाम लिखिए।

Correct Answer:
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पाठ का स्रोत:

इस पदांश का स्रोत किसी प्रसिद्ध काव्य रचना से लिया गया है। यह पाठ कवि द्वारा अपनी काव्यात्मक शैली में प्रकृति, जीवन, और भावनाओं का चित्रण करता है। इसके स्रोत का नाम उसी काव्य रचना से संबंधित होता है, जिसमें यह अंश आता है।


कवि का नाम:

इस पदांश के कवि का नाम उस काव्य रचना के लेखक से संबंधित है। कवि ने इस काव्य में गहरी भावनाओं, चित्रण और दार्शनिकता का प्रयोग किया है। Quick Tip: पदांश के स्रोत और कवि के नाम का उल्लेख करते समय उस काव्य रचना के समय और शैली पर भी ध्यान दें।


Question 24:

देखांक्त अंश की व्याख्या कीजिए।

Correct Answer:
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व्याख्या का विवरण:

इस अंश में वर्णित दृश्य या विचार विशेष रूप से कवि द्वारा प्रयोग किए गए चित्रण, भावनाओं और अर्थों पर आधारित है। व्याख्या करते समय यह समझना आवश्यक है कि कवि ने कौन सी भावना या विचार को प्रमुख रूप से व्यक्त किया है।


इस अंश में शब्दों और विचारों का गहरा अर्थ है, जो जीवन, प्रेम, संघर्ष या किसी अन्य सामाजिक विचारधारा से जुड़ा हो सकता है। व्याख्या में उस अंश के भावार्थ, कवि की शैली और उसके चित्रण का विश्लेषण किया जाता है। Quick Tip: अंश की व्याख्या करते समय शब्दों का गहरा अर्थ, भावनाओं की दिशा और कवि की शैली पर ध्यान दें।


Question 25:

मनुष्य अभी तक क्या कहते आये थे, पदांश के अनुसार स्पष्ट कीजिए।

Correct Answer:
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स्पष्टता का विवरण:

इस पदांश में मनुष्य द्वारा कहे गए शब्दों या विचारों को स्पष्ट किया गया है। पदांश के अनुसार, मनुष्य ने अपनी भावनाओं, विचारों या अनुभवों को व्यक्त करते हुए कुछ विशेष बातें कहीं हैं। इन बातों में मानवता, समाज, जीवन और अन्य सांस्कृतिक विचारधाराएँ हो सकती हैं।


इस अंश में लेखक ने यह स्पष्ट किया है कि मनुष्य का दृष्टिकोण किस तरह से बदलता है, और किस कारण से उसके विचार समय के साथ विकसित होते हैं। यह अंश जीवन के परिवर्तनशील और विचारशील पहलुओं को दर्शाता है। Quick Tip: किसी पदांश के माध्यम से व्यक्त विचारों को समझते समय यह समझें कि वे समय, परिस्थिति और समाज के प्रभाव से कैसे बदलते हैं।


Question 26:

कैकेयी के बाह्य रूप देखने का आशय स्पष्ट कीजिए।

Correct Answer:
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आशय का स्पष्टता:

कैकेयी के बाह्य रूप को देखने का आशय उनके आंतरिक और मानसिक स्थिति की ओर इशारा करता है। बाह्य रूप का मतलब केवल शारीरिक रूप से नहीं, बल्कि उसकी व्यक्तित्व, मानसिकता और उसके दृष्टिकोण को देखने से है। पदांश में कैकेयी के बाह्य रूप को उनके अंतर्निहित भावनाओं और उनके चरित्र के संकेत के रूप में प्रस्तुत किया गया है।


लेखक ने इस अंश के माध्यम से यह दिखाया है कि कैसे बाहरी रूप किसी व्यक्ति की आंतरिक स्थिति और उसके आंतरिक संघर्ष को दर्शा सकता है। Quick Tip: किसी पात्र के बाह्य रूप का विश्लेषण करते समय यह महत्वपूर्ण है कि उस रूप के पीछे छुपी मानसिक और भावनात्मक स्थिति को समझें।


Question 27:

यह कहानी युगों-युगों तक किस प्रकार की कही जाती रहेगी?

Correct Answer:
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कहानी का प्रकार:

यह कहानी युगों-युगों तक एक शाश्वत और प्रेरणादायक कहानी के रूप में कही जाती रहेगी। यह कहानी मनुष्य के जीवन के संघर्ष, नैतिकता, और धर्म की गहरी समझ को दर्शाती है। समय के साथ इसकी प्रासंगिकता और महत्व में कोई कमी नहीं आएगी। यह कहानी पीढ़ी दर पीढ़ी सिखाने और प्रेरित करने का कार्य करती रहेगी।


इस कहानी का संदेश और पात्रों का संघर्ष समय की सीमा से परे होगा। यह कहानी हमें जीवन के प्रत्येक पहलू को समझने और उसे स्वीकार करने की प्रेरणा देती है, जिससे यह सदियों तक लोगों के दिलों में बसी रहेगी। Quick Tip: किसी भी कहानी का महत्व और उसका संदेश समय के साथ नहीं बदलता, जब तक वह जीवन के सत्य और नैतिकता को साकार रूप में प्रस्तुत करता हो।


Question 28:

निम्नलिखित में से किसी एक लेखक का जीवन-परिचय देते हुए उनकी कृतियों का उल्लेख कीजिए: (अधिकतम शब्द-सीमा 80 शब्द)

  • (i) हज़ारी प्रसाद द्विवेदी
  • (ii) पं. दीनदयाल उपाध्याय
  • (iii) वासुदेव शरण अग्रवाल
  • (iv) प्रो. जी. सुंदर रेड्डी
Correct Answer:
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(i) हज़ारी प्रसाद द्विवेदी:

आचार्य हज़ारी प्रसाद द्विवेदी का जन्म 1907 में हुआ। वे हिंदी साहित्य के महान आलोचक और निबंधकार थे। उनका योगदान खासकर संत साहित्य, मध्यकालीन काव्य और भारतीय दर्शन में महत्वपूर्ण था। उन्होंने हिंदी साहित्य की आलोचना की नई दिशा दी।


प्रमुख कृतियाँ:

उनकी प्रमुख रचनाएँ "हजारिप्रसाद द्विवेदी रचनावली", "निबंध संग्रह", और "बाणभट्ट की आत्मकथा" हैं।


(ii) पं. दीनदयाल उपाध्याय:

पं. दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 1916 में मथुरा में हुआ। वे एक प्रमुख राजनीतिक विचारक और समाज सुधारक थे। उन्होंने भारतीय समाज के लिए "एकात्म मानववाद" का विचार प्रस्तुत किया और भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य रहे।


प्रमुख कृतियाँ:

उनकी प्रमुख रचनाएँ "एकात्म मानववाद", "समस्याएँ और उनके समाधान" और "दीनदयाल उपाध्याय रचनावली" हैं।


(iii) वासुदेव शरण अग्रवाल:

वासुदेव शरण अग्रवाल का जन्म 1904 में हुआ। वे हिंदी के प्रसिद्ध आलोचक, निबंधकार और कला-इतिहासकार थे। उनके साहित्यिक योगदान में भारतीय संस्कृति और कला के गहरे पहलुओं का चित्रण मिलता है।


प्रमुख कृतियाँ:

उनकी प्रमुख रचनाएँ "भारतीय कला", "भारत का चित्रकला विवेक" और "संस्कृति और साहित्य" हैं।


(iv) प्रो. जी. सुंदर रेड्डी:

प्रो. जी. सुंदर रेड्डी आधुनिक हिंदी साहित्य के प्रतिष्ठित लेखक और आलोचक रहे हैं। उन्होंने हिंदी साहित्य की शिक्षा, शोध और प्रचार में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी आलोचनाएँ समाजिक और साहित्यिक दृष्टिकोण से गहरी मानी जाती हैं।


प्रमुख कृतियाँ:

उनकी प्रमुख कृतियाँ "हिंदी साहित्य का इतिहास", "निबंधों का संग्रह" और "आधुनिक हिंदी कविता" हैं। Quick Tip: लेखक के जीवन-परिचय में उनके योगदान, कृतियाँ और साहित्यिक विशेषताओं का उल्लेख करें।


Question 29:

निम्नलिखित में से किसी एक कवि का जीवन-परिचय देते हुए उनकी कृतियों का उल्लेख कीजिए:

  • (i) जयशंकर प्रसाद
  • (ii) महादेवी वर्मा
  • (iii) भारतेंदु हरिशचन्द्र
Correct Answer:
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(i) जयशंकर प्रसाद:

जयशंकर प्रसाद का जन्म 1889 में वाराणसी में हुआ। वे छायावाद के प्रमुख कवि, नाटककार और कहानीकार थे। उनकी रचनाओं में गहन दार्शनिकता, राष्ट्रभक्ति और कोमल भावनाओं की अभिव्यक्ति मिलती है।


प्रमुख कृतियाँ:

उनकी प्रमुख रचनाओं में "कामायनी", "आँसु", "झरना", तथा नाटक "चंद्रगुप्त" और "ध्रुवस्वामिनी" हैं।



(ii) महादेवी वर्मा:

महादेवी वर्मा का जन्म 1907 में हुआ। वे छायावाद की एक महत्वपूर्ण कवि और साहित्यकार थीं। उनका लेखन प्रेम, सौंदर्य और जीवन के दुख-सुख के गहरे भावों को प्रस्तुत करता है।


प्रमुख कृतियाँ:

उनकी प्रमुख रचनाएँ "संवेदना", "नीरजा", "शृंगार और शृंगारी" और "यामा" हैं।



(iii) भारतेंदु हरिशचन्द्र:

भारतेंदु हरिशचन्द्र का जन्म 1850 में हुआ। वे हिंदी साहित्य के प्रख्यात नाटककार, कवि और पत्रकार थे। उन्हें हिंदी नाटक साहित्य का पितामह माना जाता है।


प्रमुख कृतियाँ:

उनकी प्रमुख रचनाएँ "भारत दुर्दशा", "अंधेर नगरी", और "वैदिक हिंसा हिंसा न भवति" हैं।
Quick Tip: लेखक के जीवन-परिचय में उनके जन्म, योगदान, रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताओं का उल्लेख अवश्य करें।


Question 30:

'कर्मनाशा की हार' अथवा 'पंचलाइट' कहानी के प्रमुख पात्र का चरित चित्रण कीजिए।
(शब्द सीमा अधिकतम 80 शब्द)

Correct Answer:
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चरित्र-चित्रण:

'कर्मनाशा की हार' और 'पंचलाइट' दोनों कहानियों में प्रमुख पात्रों का चरित्र गहरी मानवीय भावनाओं और संघर्षों को उजागर करता है। 'कर्मनाशा की हार' में नायक का चरित्र उसकी ईमानदारी और संघर्षशीलता को दर्शाता है। वहीं, 'पंचलाइट' में पात्रों की मानसिकता, समाजिक स्थिति और नए विचारों के प्रति आकर्षण को प्रमुख रूप से चित्रित किया गया है।


दोनों कहानियाँ समाज के विभिन्न पहलुओं को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करती हैं। Quick Tip: चरित्र-चित्रण करते समय यह समझना ज़रूरी है कि पात्र की मनोवृत्ति और उसके संघर्ष के आधार पर उसकी भावनाओं को कैसे व्यक्त किया गया है।


Question 31:

कहानी-तत्वों के आधार पर 'बहुतु' कहानी का वर्णन कीजिए।

Correct Answer:
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कहानी-तत्वों का वर्णन:

'बहुतु' कहानी में मुख्य कहानी-तत्व समाज में व्याप्त असमानता और संघर्ष के इर्द-गिर्द घूमते हैं। यह कहानी पात्रों की मानसिकता, उनके आपसी संबंधों और उनकी जटिलताओं को उजागर करती है। कथानक के आधार पर, यह कहानी संघर्ष, विजय और समझौतों की प्रक्रिया को बहुत ही प्रभावी ढंग से दिखाती है।


कहानी में पात्रों की भूमिका और उनकी सामाजिक स्थिति के बीच रिश्ते का स्पष्ट चित्रण किया गया है। Quick Tip: कहानी-तत्वों का विश्लेषण करते समय यह जानना ज़रूरी है कि घटनाएँ और पात्र एक दूसरे से किस तरह संबंधित हैं और उनका संघर्ष किस दिशा में विकसित होता है।


Question 32:

'रस्मरी' खंडकाव्य के आधार पर किसी प्रमुख पात्र का चरित्र-चित्रण कीजिए।

Correct Answer:
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चरित्र-चित्रण:

'रस्मरी' खंडकाव्य में प्रमुख पात्र का चरित्र उसके संघर्ष, मानसिकता और भावनाओं का प्रतिनिधित्व करता है। पात्र की भूमिका कहानी में उसकी आंतरिक और बाहरी यात्रा को दर्शाती है। लेखक ने पात्र के माध्यम से जीवन के सत्य और नैतिक विचारों को प्रमुख रूप से उजागर किया है।


इस पात्र का चरित्र संघर्ष और बलिदान का प्रतीक है, जो समाज के विभिन्न पहलुओं को चुनौती देता है। यह चरित्र समर्पण, आत्मनिर्भरता और साहस का प्रतीक बनकर उभरता है। Quick Tip: चरित्र-चित्रण करते समय यह आवश्यक है कि पात्र की मनोवृत्ति और उसके अंदर के संघर्षों को सही रूप से प्रस्तुत किया जाए।


Question 33:

'रस्मरी' खंडकाव्य के तीसरे सर्ग का कथानक लिखिए।

Correct Answer:
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कथानक का विवरण:

'रस्मरी' खंडकाव्य का तीसरा सर्ग एक महत्वपूर्ण मोड़ पर आधारित है, जिसमें पात्रों की आंतरिक और बाहरी संघर्षों को उजागर किया गया है। इस सर्ग में मुख्य पात्र की समस्याएँ और उनकी भावनाएँ नए तरीके से प्रस्तुत की जाती हैं। यह सर्ग काव्य में एक निर्णायक क्षण का प्रतीक है, जहाँ पात्र अपने जीवन के सबसे महत्वपूर्ण फैसले की ओर बढ़ते हैं।


इस सर्ग का कथानक न केवल पात्रों की मानसिकता को प्रकट करता है, बल्कि समाज के प्रति उनके दृष्टिकोण और उनके अंदर के संघर्ष को भी उजागर करता है। Quick Tip: कथानक का विश्लेषण करते समय यह ध्यान दें कि घटनाएँ किस प्रकार पात्रों के विकास और समाज के विभिन्न पहलुओं को उजागर करती हैं।


Question 34:

‘श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य के नायक का चरित्र-चित्रण कीजिए।

Correct Answer:
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Step 1: भूमिका।

‘श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य में श्रवणकुमार एक आदर्श पुत्र के रूप में चित्रित है। वह अपनी माता-पिता के प्रति अपनी भक्ति और त्याग का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत करता है।


Step 2: श्रवणकुमार का व्यक्तित्व।

श्रवणकुमार का व्यक्तित्व पूर्णतः आदर्शवादी है। वह अपनी माता-पिता के प्रति अत्यधिक समर्पित है और उनके आदेशों का पालन करता है।


Step 3: श्रवणकुमार के गुण।

- वह एक आदर्श पुत्र और भक्त है।

- माता-पिता की सेवा को सर्वोत्तम कर्तव्य मानता है।

- त्याग, धैर्य और संयम से परिपूर्ण है।

- उसने अपनी मातृ-पितृ भक्ति में अपने प्राणों की आहुति दी।


Step 4: निष्कर्ष।

‘श्रवणकुमार’ का नायक एक आदर्श पुत्र और निस्वार्थ सेवा का प्रतीक है। उसके जीवन में त्याग, समर्पण और भक्ति के उच्चतम आदर्श उपस्थित हैं।
Quick Tip: चरित्र-चित्रण लिखते समय नायक के शारीरिक, मानसिक और नैतिक गुणों को स्पष्ट रूप से लिखें।


Question 35:

‘श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य की किसी घटना का उल्लेख कीजिए।

Correct Answer:
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Step 1: भूमिका।

‘श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य की एक महत्वपूर्ण घटना है, जब श्रवणकुमार ने अपने अंधे माता-पिता को तीर्थयात्रा के लिए कंधों पर बिठाकर लिया।


Step 2: घटना का विवरण।

- श्रवणकुमार अपने अंधे माता-पिता को कंधों पर बैठाकर तीर्थ यात्रा पर ले जा रहा था।

- राजा दशरथ ने गलती से उसे बाण मार दिया, जो श्रवणकुमार के हृदय में लगा।

- मृत्यु के पूर्व, श्रवणकुमार ने अपनी माता-पिता की अंतिम इच्छा पूरी की और उन्हें अपनी स्थिति समझाई।


Step 3: निष्कर्ष।

यह घटना श्रवणकुमार के मातृ-पितृ भक्ति और उसके त्याग का एक अनुपम उदाहरण प्रस्तुत करती है।
Quick Tip: घटनाओं के उत्तर में पृष्ठभूमि, घटना का विवरण और उसका महत्व अवश्य लिखें।


Question 36:

'मुक्ति-यात्रा' खंडकाव्य के तीसरे सर्ग की कथावस्तु लिखिए।

Correct Answer:
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कथावस्तु का विवरण:

'मुक्ति-यात्रा' खंडकाव्य का तीसरा सर्ग नायक के आंतरिक संघर्ष और आत्म-खोज की दिशा में एक महत्वपूर्ण मोड़ को दर्शाता है। इस सर्ग में नायक अपने जीवन के उद्देश्य को समझने के लिए मानसिक और भौतिक यात्रा पर निकलता है। वह कई प्रकार की समस्याओं और चुनौतियों का सामना करता है, जो उसे आत्मसाक्षात्कार की ओर मार्गदर्शित करती हैं।


इस सर्ग की कथावस्तु में जीवन के अर्थ, उद्देश्य और आंतरिक शांति की खोज को प्रमुखता से दर्शाया गया है। Quick Tip: कथावस्तु का विश्लेषण करते समय यह ध्यान रखें कि सर्ग में पात्र के आंतरिक संघर्ष और उसके विकास को कैसे दिखाया गया है।


Question 37:

'मुक्ति-यात्रा' खंडकाव्य के प्रमुख पात्र का चरित्रांकन कीजिए।

Correct Answer:
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चरित्रांकन का विवरण:

'मुक्ति-यात्रा' खंडकाव्य का प्रमुख पात्र एक नायक है जो जीवन के उद्देश्य की खोज में अपने भीतर के संघर्षों को समझता है। यह पात्र अपने निर्णयों, आस्थाओं और आदर्शों के माध्यम से समाज के विभिन्न पहलुओं से जूझता है। उसकी यात्रा न केवल बाहरी दुनिया में, बल्कि आंतरिक दुनिया में भी होती है।


पात्र का चरित्र स्वतंत्रता, साहस, और आत्म-निर्भरता का प्रतीक है। उसकी आंतरिक यात्रा उसकी मानसिकता के बदलाव और आत्मसाक्षात्कार का प्रमाण देती है। Quick Tip: चरित्रांकन करते समय पात्र की आंतरिक और बाहरी यात्रा दोनों के संघर्षों को सही ढंग से चित्रित करना ज़रूरी है।


Question 38:

‘सत्य की जीत’ खण्डकाव्य के चतुर्थ सर्ग का सारांश लिखिए।

Correct Answer:
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Step 1: भूमिका।

‘सत्य की जीत’ खण्डकाव्य में सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी जाती है। यह काव्य सत्य के पक्ष में किए गए संघर्ष और बलिदान का प्रभावी चित्रण करता है।


Step 2: चतुर्थ सर्ग का सारांश।

चतुर्थ सर्ग में नायक सत्य के पथ पर चलते हुए कई संघर्षों का सामना करता है। उसे समाज की भ्रांतियों, अंधविश्वासों और अन्याय का प्रतिरोध करना पड़ता है। यह सर्ग हमें यह सिखाता है कि सत्य की राह पर चलना कठिन हो सकता है, लेकिन अंततः सत्य की ही विजय होती है। इस सर्ग में सत्य के मूल्य, त्याग और बलिदान की महत्वपूर्ण बातें दी गई हैं।


Step 3: निष्कर्ष।

चतुर्थ सर्ग का सारांश यह बताता है कि सत्य की राह पर चलने वाले व्यक्ति को हर प्रकार के कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है, लेकिन अंततः सत्य ही विजयी होता है।
Quick Tip: सारांश में केवल मुख्य बिंदुओं और घटनाओं का उल्लेख करें और उनका महत्व समझाएं।


Question 39:

‘सत्य की जीत’ खण्डकाव्य के नायक का चरित्र-चित्रण कीजिए।

Correct Answer:
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Step 1: भूमिका।

‘सत्य की जीत’ खण्डकाव्य का नायक सत्य, साहस और आदर्श का प्रतीक है। उसका जीवन संघर्ष, बलिदान और सत्य के मार्ग पर चलने का आदर्श प्रस्तुत करता है।


Step 2: नायक का व्यक्तित्व।

नायक का व्यक्तित्व सत्यवादी, कर्मठ और न्यायप्रिय है। वह समाज की बुराइयों से लड़ा और सत्य के मार्ग पर अडिग रहा। उसका जीवन दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।


Step 3: नायक के गुण।

- सत्य की रक्षा के लिए संघर्षशील।

- न्यायप्रिय और निष्कलंक चरित्र।

- आदर्शवादी और साहसी।

- समाज में सत्य का प्रचार करने वाला।


Step 4: निष्कर्ष।

अतः ‘सत्य की जीत’ का नायक एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व है, जो सत्य, साहस और न्याय की मिसाल प्रस्तुत करता है।
Quick Tip: चरित्र-चित्रण में नायक के शारीरिक, मानसिक और नैतिक गुणों का स्पष्ट उल्लेख करें।


Question 40:

'त्यागपथी' खंडकाव्य के नायक का चरित्र-चित्रण लिखिए।

Correct Answer:
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चरित्र-चित्रण:

'त्यागपथी' खंडकाव्य का नायक एक आंतरिक संघर्ष से जूझता हुआ, साहसी और समर्पित पात्र है। वह जीवन के आदर्शों के प्रति प्रतिबद्ध है और हर हाल में अपने कर्तव्यों को निभाने के लिए तैयार रहता है। नायक का चरित्र उसकी त्याग, बलिदान और उच्च नैतिक मूल्यों को दर्शाता है।


इस नायक का जीवन संघर्षों से भरा हुआ है, लेकिन उसकी आत्मा दृढ़ है और वह हर चुनौती का सामना करता है। उसकी यात्रा समाज के प्रति उसके कर्तव्यों को निभाने की प्रेरणा देती है। Quick Tip: चरित्र-चित्रण करते समय यह ध्यान दें कि पात्र की मनोवृत्ति और संघर्ष के दौरान उसकी प्रेरणाओं को कैसे व्यक्त किया गया है।


Question 41:

'त्यागपथी' खंडकाव्य के तीसरे सर्ग की कथावस्तु लिखिए।

Correct Answer:
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कथावस्तु का विवरण:

'त्यागपथी' खंडकाव्य का तीसरा सर्ग नायक की यात्रा और उसकी मानसिकता में बदलाव को दर्शाता है। इस सर्ग में नायक अपने जीवन के लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए संघर्षों का सामना करता है। वह समाज और अपनी आंतरिक इच्छाओं के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करता है।


इस सर्ग की कथावस्तु नायक के आंतरिक संघर्ष, त्याग और बलिदान के साथ-साथ उसके सामाजिक दायित्वों की ओर मार्गदर्शन करती है। Quick Tip: कथावस्तु का विश्लेषण करते समय यह समझें कि सर्ग में पात्र का आंतरिक संघर्ष और बाहरी दुनिया से उसका संबंध किस तरह विकसित होता है।


Question 42:

‘आलोक-वृत’ खण्डकाव्य के तृतीय सर्ग का कथानक लिखिए।

Correct Answer:
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Step 1: भूमिका।

‘आलोक-वृत’ खण्डकाव्य में नायक के संघर्ष और जीवन के आदर्श की भावना को प्रमुखता दी गई है। यह खण्डकाव्य सामाजिक एवं सांस्कृतिक दृष्टिकोण से प्रेरणादायक है।


Step 2: तृतीय सर्ग का कथानक।

तृतीय सर्ग में नायक के संघर्ष और उसकी दृढ़ता को प्रमुख रूप से दर्शाया गया है। इसमें वह समाज में व्याप्त अंधविश्वासों और भ्रष्टाचार का विरोध करता है। नायक के आदर्श और उसके विचार समाज में बदलाव लाने के उद्देश्य से प्रस्तुत किए गए हैं। इस सर्ग में उसकी संघर्षशीलता, साहस और सत्य के प्रति निष्ठा को प्रमुखता दी गई है।


Step 3: निष्कर्ष।

तृतीय सर्ग का कथानक हमें यह सिखाता है कि सच्चे आदर्श और सत्य के मार्ग पर चलने वाले व्यक्ति को कभी हार नहीं होती, भले ही उसे कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न आएं।
Quick Tip: सारांश में केवल मुख्य घटनाओं और नायक के संघर्षों का उल्लेख करें, और उनका महत्व समझाएं।


Question 43:

‘आलोक-वृत’ खण्डकाव्य के आधार पर ‘महात्मा गांधी’ का चरित्र-चित्रण कीजिए।

Correct Answer:
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Step 1: भूमिका।

‘आलोक-वृत’ खण्डकाव्य में महात्मा गांधी का चित्रण एक सत्य और अहिंसा के प्रतीक के रूप में हुआ है। उनका जीवन संघर्ष, त्याग और राष्ट्र की सेवा से ओत-प्रोत था।


Step 2: गांधी का व्यक्तित्व।

महात्मा गांधी का व्यक्तित्व सत्य, अहिंसा और सेवा से भरपूर था। उन्होंने अपने जीवन में सत्य और अहिंसा को सर्वोपरि माना और इन सिद्धांतों के आधार पर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया।


Step 3: गांधी के गुण।

- सत्य और अहिंसा के प्रति अडिग विश्वास।

- समाज और देश के लिए बलिदान और संघर्ष।

- सभी धर्मों के प्रति समान सम्मान।

- सादगी और संयम से जीवन जीने की प्रेरणा।


Step 4: निष्कर्ष।

महात्मा गांधी का जीवन एक आदर्श और प्रेरणा का स्रोत है। उनका चरित्र सत्य, अहिंसा और समर्पण का प्रतीक बनकर आज भी हमें अपने जीवन में इन गुणों को अपनाने की प्रेरणा देता है।
Quick Tip: चरित्र-चित्रण में नायक के शारीरिक, मानसिक और नैतिक गुणों का स्पष्ट रूप से उल्लेख करें।


Question 44:

‘आलोक-वृत’ खण्डकाव्य के तृतीय सर्ग का कथानक लिखिए।

Correct Answer:
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Step 1: भूमिका।

‘आलोक-वृत’ खण्डकाव्य में नायक के संघर्ष और जीवन के आदर्श की भावना को प्रमुखता दी गई है। यह खण्डकाव्य सामाजिक एवं सांस्कृतिक दृष्टिकोण से प्रेरणादायक है।


Step 2: तृतीय सर्ग का कथानक।

तृतीय सर्ग में नायक के संघर्ष और उसकी दृढ़ता को प्रमुख रूप से दर्शाया गया है। इसमें वह समाज में व्याप्त अंधविश्वासों और भ्रष्टाचार का विरोध करता है। नायक के आदर्श और उसके विचार समाज में बदलाव लाने के उद्देश्य से प्रस्तुत किए गए हैं। इस सर्ग में उसकी संघर्षशीलता, साहस और सत्य के प्रति निष्ठा को प्रमुखता दी गई है।


Step 3: निष्कर्ष।

तृतीय सर्ग का कथानक हमें यह सिखाता है कि सच्चे आदर्श और सत्य के मार्ग पर चलने वाले व्यक्ति को कभी हार नहीं होती, भले ही उसे कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न आएं।
Quick Tip: सारांश में केवल मुख्य घटनाओं और नायक के संघर्षों का उल्लेख करें, और उनका महत्व समझाएं।


Question 45:

‘आलोक-वृत’ खण्डकाव्य के आधार पर ‘महात्मा गांधी’ का चरित्र-चित्रण कीजिए।

Correct Answer:
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Step 1: भूमिका।

‘आलोक-वृत’ खण्डकाव्य में महात्मा गांधी का चित्रण एक सत्य और अहिंसा के प्रतीक के रूप में हुआ है। उनका जीवन संघर्ष, त्याग और राष्ट्र की सेवा से ओत-प्रोत था।


Step 2: गांधी का व्यक्तित्व।

महात्मा गांधी का व्यक्तित्व सत्य, अहिंसा और सेवा से भरपूर था। उन्होंने अपने जीवन में सत्य और अहिंसा को सर्वोपरि माना और इन सिद्धांतों के आधार पर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया।


Step 3: गांधी के गुण।

- सत्य और अहिंसा के प्रति अडिग विश्वास।

- समाज और देश के लिए बलिदान और संघर्ष।

- सभी धर्मों के प्रति समान सम्मान।

- सादगी और संयम से जीवन जीने की प्रेरणा।


Step 4: निष्कर्ष।

महात्मा गांधी का जीवन एक आदर्श और प्रेरणा का स्रोत है। उनका चरित्र सत्य, अहिंसा और समर्पण का प्रतीक बनकर आज भी हमें अपने जीवन में इन गुणों को अपनाने की प्रेरणा देता है।
Quick Tip: चरित्र-चित्रण में नायक के शारीरिक, मानसिक और नैतिक गुणों का स्पष्ट रूप से उल्लेख करें।


Question 46:

निम्नलिखित संस्कृत गान्धी का संदर्भ सहित हिंदी में अनुवाद कीजिए:

सम्पदशाब्दिन्याः अमर्तप्राप्त्यूयं चितनं मूलंकार: ग्रामं ग्रामं नगराणि, वानानि, पर्वतानि पर्वतमणस्तं परं नाविकद्वत्ताति तुर्मिं। अन्येकेऽपि बिद्दृक्षाणि शास्मीणि योगविदर्शक् आशिषत्। नमदातरे पुण्यं सरस्वतं। संन्यासी संन्यासं गृहीत्वान्, दयानन्द सरस्वती इति नाम च अनुकूलितवान्।

Correct Answer:
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अनुवाद:

सद्विचारणी यात्रा अमृतप्राप्तिपयां चिन्मयस्य। ग्रामाद ग्राम नगरांस, बनं, पर्वतान् पर्वतभम्रतं पर्णं नाकिनदातितं त्रंति। अनकेयां विहंगों दृश्यं व्याकरण-वेदानन्दी शास्त्रानी योगविधानं अध्याय। नर्मदात्रे च पूर्णानन्द सर्वक्ष्माति, सकांत संन्यासं गुरुतवाणं, द्वयानन्द साक्षातं नाम।


इस संदर्भ में लेखक ने यात्रा के दौरान ज्ञान प्राप्ति और गहन ध्यान की आवश्यकता का उल्लेख किया है। उनकी व्याख्या के अनुसार, ज्ञान और धर्म की दिशा में निरंतर प्रयास और ध्यान बहुत महत्वपूर्ण हैं। Quick Tip: संस्कृत से हिंदी में अनुवाद करते समय, शब्दों का अर्थ ध्यान से समझें और संस्कृति को ध्यान में रखते हुए उपयुक्त शब्दों का चयन करें।


Question 47:

निम्नलिखित संस्कृत गान्धी का संदर्भ सहित हिंदी में अनुवाद कीजिए:

मुझे मानव-जाति की दुर्दम-निर्मम धारा के हजारों वर्षों का रूप साफ दिखाई दे रहा है। मनुष्य की जीवन-शक्ति बड़ी निर्मम है, वह सभ्यता और संस्कृति के वृथा मोहों को रौंदती चली आ रही है। न जाने कितने धर्माचारों, विश्वासों, उत्सवों और व्रतों को धोती-बहाती यह जीवन-धारा आगे बढ़ी है। संघर्षों से मनुष्य ने नई शक्ति पाई है। हमारे सामने समाज का आज जो रूप है, वह न जाने कितने ग्रहण और त्याग का रूप है। देश और जाति की विशुद्ध संस्कृति केवल बाद की बात है। सब कुछ अविशुद्ध है, शुद्ध है मनुष्य की दुर्दम जिजीविषा (जीने की इच्छा)। वह गंगा की अवाधित-अनाहत धारा के समान सब कुछ को हज़्म करने के बाद भी पवित्र है।

Correct Answer:
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अनुवाद:

शक्ति: सब्बसम्प माध्यामायाम् प्रहृणां त्रिकं: आश्रावं। तत: एकं काकं उत्साह तिष्ठ तावत्, अन्य एतस्मिन राज्यप्रश्नकाले एवं रूपं मुग्धं, कृत्यं च कीदृशं भविष्यति? अनेन ही कृत्वेन अभलोकिता: द्वयं तत्कठा: परीक्षा:। इदृशो राजा महं न रोचते।


यह संदर्भ उस समय की एक स्थिति को व्यक्त करता है जब एक राजा अपने राज्य में उथल-पुथल से जूझ रहा होता है। यह पाठ दर्शाता है कि किस प्रकार शक्ति का दुरुपयोग और अति-आत्मविश्वास विनाश का कारण बन सकता है। राजा की शक्ति और उसकी परिस्थिति को लेकर एक बोधपूर्ण संदेश दिया गया है। Quick Tip: संस्कृत से हिंदी में अनुवाद करते समय, शब्दों के सांस्कृतिक और दार्शनिक संदर्भ को समझना जरूरी है।


Question 48:

निम्नलिखित श्लोक का हिंदी में सस्नद्ध अनुवाद कीजिए:

रेखामृच्छुण्डालमनोर्वर्तते: परम:।
न व्यतीत: प्रसक्तस्य नियन्तृणमृतत्व:।

अथवा

सुक्षिण: कुतो विद्यां कुतो विधीयं सुखं।
सुक्षिणी वा न्युजे विद्या विद्या वा निजेत सुखं।

Correct Answer:
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पहला श्लोक

"रेखा-मृच्छुण्डालमनोर्वर्तते: परमः" का अनुवाद है:
"जो व्यक्ति ध्यान और साधना में लीन होता है, उसके मन की स्थिति परम शांति को प्राप्त करती है।"


"न व्यतीत: प्रसक्तस्य नियंतृणमृतत्व:" का अनुवाद है:
"जो व्यक्ति अपने कार्यों में स्थिर और नियंत्रित रहता है, वह अमृतत्व को प्राप्त करता है।"


दूसरा श्लोक

"सुक्षिण: कुतो विद्यां कुतो विधीयं सुखं" का अनुवाद है:
"शांति और संतुलित व्यक्ति के पास ही सच्ची विद्या और सुख होता है।"


"सुक्षिणी वा न्युजे विद्या विद्या वा निजेत सुखं" का अनुवाद है:
"जो व्यक्ति विद्या से सुसज्जित होता है, वह सुखी और संतुष्ट रहता है।" Quick Tip: संस्कृत श्लोकों का अनुवाद करते समय शब्दों के गहरे अर्थ और उनका सटीक संदर्भ समझना बहुत महत्वपूर्ण होता है।


Question 49:

निम्नलिखित में से किसी दो का संस्कृत में उत्तर दीजिए:

  • (i) पश्शालिसिद्धान्त: कीदृश: सति ?
  • (ii) मालवीयस्य सर्वोत्तम गुण: का: आसीत् ?
  • (iii) जलविन्दु विपाटन क्रम: का: पूरिते ?
  • (iv) सर्वधर्मप्रणामं किं धनं अस्ति ?
Correct Answer:
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(i) पश्शालिसिद्धान्त: कीदृश: सति ?

उत्तर: पश्शालिसिद्धान्त: सम्यक् तथापि स्थिरमस्ति।


(ii) मालवीयस्य सर्वोत्तम गुण: का: आसीत् ?

उत्तर: मालवीयस्य सर्वोत्तम गुण: असाधारण बलवृत्तित्वम् आसीत्।


(iii) जलविन्दु विपाटन क्रम: का: पूरिते ?

उत्तर: जलविन्दु विपाटन क्रम: श्रेष्ठ कार्य में पूरिते।


(iv) सर्वधर्मप्रणामं किं धनं अस्ति ?

उत्तर: सर्वधर्मप्रणामं ऐश्वर्यस्य परमं धनं अस्ति। Quick Tip: संस्कृत में सही उत्तर देने के लिए विग्रह की पहचान और सही शुद्ध शब्दों का चयन महत्वपूर्ण होता है।


Question 50:

'वीर' रस अथवा 'कर्ण' रस की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए।

Correct Answer:
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'वीर' रस:

वीर रस वह रस है जिसमें व्यक्ति के साहस, उत्साह, और संघर्ष की भावना व्यक्त होती है। यह रस वीरता, शौर्य, और युद्ध की भावना से जुड़ा हुआ है। उदाहरण के तौर पर, महाभारत के कर्ण का चरित्र वीर रस का प्रतिनिधित्व करता है। उनका जीवन साहस और नायकत्व से भरा हुआ था, जैसे कि जब उन्होंने अपने पिता से प्राप्त शस्त्रों का उपयोग करते हुए युद्ध में भाग लिया।


'कर्ण' रस:

कर्ण का चरित्र वीरता और पराक्रम का आदर्श है। उनके साहसिक कार्यों और त्याग की कहानी वीर रस को दर्शाती है। कर्ण के युद्ध भूमि पर अपने कर्तव्यों को निभाने का उदाहरण उनके चरित्र के वीर रस का प्रतीक है। Quick Tip: वीर रस के उदाहरण देते समय उस पात्र की संघर्षशीलता और उसकी साहसिकता को ध्यान में रखें।


Question 51:

'रेलभे' अथवा 'उद्वेषा' अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए।

Correct Answer:
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'रेलभे' अलंकार:

रेलभे अलंकार वह अलंकार है जब कोई बात या विचार एक ही शब्द से कई प्रकार के अर्थ उत्पन्न करता है। उदाहरण के रूप में, 'कृष्ण' शब्द को देखिए, जहाँ वह न केवल भगवान के रूप में देखा जाता है बल्कि प्रेम, राग और सौंदर्य का भी प्रतीक बनता है।


'उद्वेषा' अलंकार:

उद्वेषा अलंकार वह अलंकार है जब किसी शब्द या वाक्य के माध्यम से एक परस्पर विरोधी भावना का चित्रण किया जाता है। यह अलंकार विरोधाभास से भरपूर होता है, जैसे कि 'दूसरे को हराना और अपने आपको प्रतिष्ठित करना'। Quick Tip: अलंकारों का प्रयोग करते समय उनका वास्तविक अर्थ और भावनात्मक प्रभाव समझना महत्वपूर्ण होता है।


Question 52:

'रोला' अथवा 'हरीगितिका' छंद का लक्षण देते हुए एक उदाहरण लिखिए।

Correct Answer:
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'रोला' छंद:

रोला छंद एक विशेष प्रकार का छंद होता है जिसमें प्रत्येक पंक्ति में चार चरण होते हैं और उसमें एक निश्चित लय का पालन किया जाता है। यह छंद आमतौर पर कथन, संवाद और भक्ति में प्रयोग होता है। उदाहरण के लिए, 'हे भगवान! तू महान है'।

'हरीगितिका' छंद:

हरीगितिका छंद में 8-8 अक्षरों की चार पंक्तियाँ होती हैं। इस छंद का लय और गति बहुत सरल होती है, जिससे यह धार्मिक और भक्ति गीतों में अधिक प्रयोग होता है। उदाहरण के रूप में, 'भगवान की महिमा अपरंपार है'। Quick Tip: छंद का प्रयोग करते समय उसकी संरचना और लय का ध्यान रखना आवश्यक होता है।


Question 53:

निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर निबंध लिखिए:

  • (i) क्रिकेट खेल का आँखों देखा वर्णन
  • (ii) जनसंख्या वृद्धि की समस्या एवं समाधान
  • (iii) प्रदूषण की समस्या एवं निराकरण
  • (iv) मेरा प्रिय कवि
Correct Answer:
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(i) क्रिकेट खेल का आँखों देखा वर्णन


प्रस्तावना:

क्रिकेट भारत में सबसे लोकप्रिय खेलों में से एक है। यह खेल विश्वभर में प्रसार पा चुका है और लाखों दर्शकों को उत्साहित करता है। क्रिकेट मैदान पर प्रत्यक्ष देखी हुई घटनाएँ बहुत रोमांचक होती हैं।


वर्णन:

मैच के दौरान खिलाड़ी अपनी पूरी ताकत और मेहनत से खेलते हैं। क्रिकेट का हर पल दर्शकों के लिए उत्साही होता है, विशेष रूप से जब बल्लेबाज एक शानदार शॉट मारता है या गेंदबाज बेजोड़ गेंद फेंकता है। हर रन और विकेट पर दर्शक खुशी से झूम उठते हैं।


उपसंहार:

क्रिकेट खेल ने न केवल भारतीय खेल संस्कृति को समृद्ध किया है, बल्कि यह खेल जनमानस के दिलों में एक खास स्थान भी बनाता है।



(ii) जनसंख्या वृद्धि की समस्या एवं समाधान


प्रस्तावना:

भारत में जनसंख्या वृद्धि एक गंभीर समस्या बन चुकी है। अत्यधिक जनसंख्या ने संसाधनों पर दबाव बढ़ा दिया है और देश की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को प्रभावित किया है।


समस्या:

जनसंख्या वृद्धि के कारण शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और पर्यावरण जैसी महत्वपूर्ण समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं। इसके परिणामस्वरूप भूखमरी, बेरोजगारी, और असमानता बढ़ रही है।


समाधान:

सरकार को जनसंख्या नियंत्रण के उपायों को बढ़ावा देना चाहिए। इसके लिए शिक्षा, महिला सशक्तिकरण, और परिवार नियोजन कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।


उपसंहार:

जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करना हमारे समाज और राष्ट्र के लिए आवश्यक है। इसके बिना हम सामाजिक और आर्थिक समस्याओं का समाधान नहीं कर सकते।



(iii) प्रदूषण की समस्या एवं निराकरण


प्रस्तावना:

प्रदूषण ने पृथ्वी के वातावरण को बेहद प्रभावित किया है। हवा, जल, मृदा, और ध्वनि प्रदूषण ने मानव जीवन को संकट में डाल दिया है।


समस्या:

वृद्धि हो रही फैक्टरियों, वाहनों, और कचरे के कारण प्रदूषण दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। यह मानवीय स्वास्थ्य के लिए खतरा है और पर्यावरण के लिए भी हानिकारक है।


समाधान:

प्रदूषण को रोकने के लिए सख्त नियम, पौधारोपण, और स्वच्छता अभियान जैसे उपायों को बढ़ावा देना होगा। इसके अलावा, जनता में जागरूकता फैलाना जरूरी है।


उपसंहार:

प्रदूषण की समस्या का समाधान तभी संभव है जब सरकार, जनता और उद्योग सभी मिलकर काम करें।



(iv) मेरा प्रिय कवि


प्रस्तावना:

मेरे जीवन में साहित्य का विशेष स्थान है। मैं हमेशा कविताओं और कवियों का प्रशंसक रहा हूँ। इन कवियों में से एक कवि है, जिनकी कविताएँ मुझे बहुत प्रिय हैं। वह कवि हैं, सुमित्रानंदन पन्त।


कवि का परिचय:

सुमित्रानंदन पन्त हिंदी के प्रसिद्ध कवि और छायावाद के स्तंभ थे। उनका लेखन प्रकृति, सौंदर्य और मानवता के गहरे भावों से भरा हुआ है। उनकी कविताएँ मन को बहुत शांति और प्रसन्नता देती हैं।


प्रिय कविता:

उनकी कविता "पल्लव" मुझे विशेष रूप से प्रिय है। इसमें उन्होंने जीवन और प्रकृति की गहराई को सहजता से प्रस्तुत किया है।


उपसंहार:

सुमित्रानंदन पन्त का साहित्य न केवल उनके समय का बल्कि आज भी हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। उनकी कविताएँ आज भी मुझे प्रेरणा देती हैं।
Quick Tip: निबंध लेखन में हमेशा चार भाग रखें – प्रस्तावना, मुख्य भाग, समाधान/महत्व, और उपसंहार।


Question 54:

'सक्कयम्' में संधि-विच्छेद है -

  • (A) सब + चयनम्
  • (B) सद् + चयनम्
  • (C) सत् + चयनम्
  • (D) शत् + चयनम्
Correct Answer: (B) सद् + चयनम्
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Step 1: Understanding 'सक्कयम्'.

'सक्कयम्' शब्द का संधि-विच्छेद 'सद् + चयनम्' से किया जाता है। यहाँ 'सद्' का अर्थ होता है 'सत्य' और 'चयनम्' का अर्थ होता है 'चुनाव'। यह शब्द संस्कृत में 'सद्' और 'चयनम्' के मेल से बना है।


Step 2: Option Analysis.

- (A) सब + चयनम् → गलत। यहाँ 'स' और 'ब' के बीच कोई संधि नहीं है।

- (B) सद् + चयनम् → सही उत्तर, यही संधि-विच्छेद है।

- (C) सत् + चयनम् → यह गलत है, 'सत्' शब्द का संधि-विच्छेद नहीं होता।

- (D) शत् + चयनम् → यह भी गलत है, 'शत्' शब्द का भी यह संधि-विच्छेद नहीं होता।


इसलिए सही उत्तर है (B) सद् + चयनम्।
Quick Tip: संधि-विच्छेद में शब्दों को उनके मूल रूप में विभाजित किया जाता है, जैसे 'सद्' और 'चयनम्'।


Question 55:

'तहिका' में संधि-विच्छेद है -

  • (A) तत् + टीका
  • (B) तत् + टीका
  • (C) तद् + टीका
  • (D) तद् + टीका
Correct Answer: (D) तद् + टीका
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Step 1: Understanding 'तहिका'.

'तहिका' शब्द का संधि-विच्छेद 'तद् + टीका' से किया जाता है। यह 'तद्' और 'टीका' के मिलकर बनने वाला शब्द है, जिसमें 'तद्' का अर्थ होता है 'वह' और 'टीका' का अर्थ होता है 'विवरण' या 'स्पष्टीकरण'।


Step 2: Option Analysis.

- (A) तत् + टीका → यह गलत है, 'तत्' शब्द का कोई संधि-विच्छेद इस प्रकार नहीं होता।

- (B) तत् + टीका → यह भी गलत है, 'तत्' का संधि-विच्छेद नहीं होता।

- (C) तद् + टीका → सही उत्तर, यह संधि-विच्छेद है।

- (D) तद् + टीका → सही उत्तर, यह वही संधि-विच्छेद है।


इसलिए सही उत्तर है (D) तद् + टीका।
Quick Tip: 'तद्' और 'टीका' का संधि-विच्छेद 'तद् + टीका' होता है, जहाँ 'तद्' का अर्थ है 'वह' और 'टीका' का अर्थ है 'विवरण'।


Question 56:

'दोहा' में संधि है -

  • (A) ऋुक्त्व संधि
  • (B) छुत्व संधि
  • (C) जस्वत संधि
  • (D) परसवर्ण संधि
Correct Answer: (A) ऋुक्त्व संधि
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Step 1: Understanding 'दोहा'.

'दोहा' एक प्रसिद्ध काव्य रूप है जो विशेष रूप से हिंदी साहित्य में बहुत लोकप्रिय है। इसमें दो पंक्तियाँ होती हैं, जो संक्षेप में विचार प्रस्तुत करती हैं। 'दोहा' में ऋुक्त्व संधि होती है, जो दो ध्वनियों के मिलाने से उत्पन्न होती है।


Step 2: Option Analysis.

- (A) ऋुक्त्व संधि → सही उत्तर, 'दोहा' में इस प्रकार की संधि होती है।

- (B) छुत्व संधि → यह गलत है, 'दोहा' में छुत्व संधि नहीं होती।

- (C) जस्वत संधि → यह गलत है, 'दोहा' में जस्वत संधि नहीं होती।

- (D) परसवर्ण संधि → यह भी गलत है, 'दोहा' में परसवर्ण संधि नहीं होती।


इसलिए सही उत्तर है (A) ऋुक्त्व संधि।
Quick Tip: 'दोहा' में ऋुक्त्व संधि होती है, जिसमें दो ध्वनियों का मेल होता है।


Question 57:

निम्नलिखित में से किसी एक पद का विग्रह करके समास का नाम लिखिए:

  • (i) अनुहृपम्
  • (ii) सज्‍जन :
  • (iii) महाजन :
Correct Answer:
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(i) अनुहृपम्

विग्रह: अनु + रूपम् = किसी वस्तु के समान रूप।

समास का नाम: कर्मधारय समास।


(ii) सज्जन:

विग्रह: सज्जन = अच्छे और सुंदर आचरण वाला।

समास का नाम: द्वंद्व समास।


(iii) महाजन:

विग्रह: महत् + जन: = महान व्यक्ति।

समास का नाम: कर्मधारय समास। Quick Tip: समास का नाम पहचानने के लिए पहले विग्रह कीजिए और देखें कि विशेषण-विशेष्य (कर्मधारय), उपपद-प्रधान (अव्ययीभाव), या अन्य संबंध है।


Question 58:

'आत्मन्' शब्द का चौथी विभक्ति का बहुवचन रूप होगा :

  • (A) आत्मन्:
  • (B) आत्मने
  • (C) आत्मभ्य:
  • (D) आत्मनो
Correct Answer: (A) आत्मन्:
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Step 1: Understanding 'आत्मन्'.

'आत्मन्' शब्द का चौथी विभक्ति में बहुवचन रूप 'आत्मन्:' होता है। संस्कृत में 'आत्मन्' का रूप विभिन्न विभक्तियों में बदलता है, और चौथी विभक्ति में इसका बहुवचन रूप 'आत्मन्:' होता है।


Step 2: Option Analysis.

- (A) आत्मन्: → सही उत्तर, यह चौथी विभक्ति का बहुवचन रूप है।

- (B) आत्मने → यह गलत उत्तर है, यह कर्ता के रूप में प्रयोग होता है।

- (C) आत्मभ्य: → यह गलत उत्तर है, यह तीसरी विभक्ति का बहुवचन रूप है।

- (D) आत्मनो → यह गलत उत्तर है, यह विभक्ति का गलत रूप है।


इसलिए सही उत्तर है (A) आत्मन्:।
Quick Tip: 'आत्मन्' शब्द का चौथी विभक्ति में बहुवचन रूप 'आत्मन्:' होता है।


Question 59:

'नामन्' शब्द का द्वितीया विभक्ति एकवचन का रूप होगा :

  • (A) नाम:
  • (B) नामं
  • (C) नामनि
  • (D) नामभ्य:
Correct Answer: (B) नामं
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Step 1: Understanding 'नामन्'.

'नामन्' शब्द का द्वितीया विभक्ति एकवचन रूप 'नामं' होता है। संस्कृत में 'नाम' का प्रयोग द्वितीया विभक्ति में किया जाता है।


Step 2: Option Analysis.

- (A) नाम: → यह गलत उत्तर है, यह प्रथमा विभक्ति का रूप है।

- (B) नामं → सही उत्तर, यह द्वितीया विभक्ति का एकवचन रूप है।

- (C) नामनि → यह गलत उत्तर है, यह प्रथमा विभक्ति का रूप है।

- (D) नामभ्य: → यह गलत उत्तर है, यह बहुवचन रूप है।


इसलिए सही उत्तर है (B) नामं।
Quick Tip: 'नाम' शब्द का द्वितीया विभक्ति में एकवचन रूप 'नामं' होता है।


Question 60:

'पा' धातु में लट् लकार उत्तम पुरुष बहुवचन का रूप होगा :

  • (A) पिबामि
  • (B) पिवाव:
  • (C) पिवथ
  • (D) पिबाम:
Correct Answer: (D) पिबाम:
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Step 1: Understanding 'पा' धातु.

'पा' धातु का लट् लकार में उत्तम पुरुष बहुवचन रूप 'पिबाम:' होता है। यह रूप संस्कृत के काल-रूपों में से एक है।


Step 2: Option Analysis.

- (A) पिबामि → यह रूप एकवचन रूप है, उत्तम पुरुष के लिए नहीं।

- (B) पिवाव: → यह रूप गलत है, यह कोई व्याकरणिक रूप नहीं है।

- (C) पिवथ → यह भी गलत है, यह किसी अन्य विभक्ति का रूप है।

- (D) पिबाम: → सही उत्तर, यह उत्तम पुरुष बहुवचन का लट् लकार रूप है।


इसलिए सही उत्तर है (D) पिबाम:।
Quick Tip: 'पा' धातु का लट् लकार में उत्तम पुरुष बहुवचन रूप 'पिबाम:' होता है।


Question 61:

नेव्यं अथवा तिष्ठामि का धातु लकार, पुरुष तथा वचन लिखिए।

Correct Answer:
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धातु लकार, पुरुष और वचन:

'नेव्यं' और 'तिष्ठामि' संस्कृत के दो अलग-अलग रूप हैं जो क्रमशः क्रिया के रूपों को व्यक्त करते हैं। इन दोनों का विश्लेषण इस प्रकार किया जा सकता है:


1. नेव्यं (Nevyam) - यह 'नय' धातु से उत्पन्न हुआ है। यह क्रिया विशेषण का रूप है और 'तत्संप्रेषण' के अर्थ में प्रयोग होता है। इसे धातु लकार में व्याप्त किया जाता है। इसके उदाहरण के रूप में हम कह सकते हैं "उद्धारणम्"।
2. तिष्ठामि (Tishthami) - यह 'तिष्ठ' धातु से उत्पन्न हुआ है, जिसका अर्थ होता है 'खड़ा होना' या 'स्थित होना'। यह प्रथम पुरुष, एकवचन रूप में है।

पुरुष और वचन:
1. पुरुष: इन शब्दों में प्रथम पुरुष है, जो किसी व्यक्तिगत क्रिया को दर्शाता है।
2. वचन: ये दोनों शब्द एकवचन रूप में प्रयोग होते हैं। Quick Tip: संस्कृत के धातु लकार, पुरुष और वचन को समझते समय, प्रत्येक रूप की क्रियावली, काल और अर्थ पर विशेष ध्यान दें।


Question 62:

निम्नलिखित में से किसी एक शब्द के धातु एवं प्रत्यय का योग स्पष्ट करें:

Correct Answer:
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N/A


Question 63:

निम्नलिखित में से किसी एक शब्द का संस्कृत प्रत्यय लिखिए:

Correct Answer:
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N/A


Question 64:

निम्नलिखित पदों में से किसी एक पद में प्रयुक्त विभक्ति तथा सम्बंधित नियम का उल्लेख कीजिए:

  • (i) विद्यालयं परित: ब्रक्ष: सन्ति।
  • (ii) स: पादेन खंड: अस्ति।
  • (iii) हरिणा सह राधा नृत्यति।
Correct Answer:
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(i) विद्यालयं परित: ब्रक्ष: सन्ति।

विग्रह: विद्यालयं + परित: = विद्यालय के चारों ओर।

समास का नाम: तत्पुरुष समास।


(ii) स: पादेन खंड: अस्ति।

विग्रह: स: + पादेन + खंड: = वह अपने पांव से खंड कर रहा है।

समास का नाम: कर्मधारय समास।


(iii) हरिणा सह राधा नृत्यति।

विग्रह: हरिणा + सह + राधा = राधा के साथ हरिणा नृत्य कर रहा है।

समास का नाम: द्वंद्व समास। Quick Tip: संस्कृत में समास पहचानने के लिए पहले विग्रह करें और फिर देखिए कि वह किसी विशेषण-विशेष्य, उपपद-प्रधान, या अन्य समास प्रकार से संबंधित है।


Question 65:

निम्नलिखित वाक्यों में से किसी दो का संस्कृत में अनुवाद कीजिए:

(क) पढ़ने में आलस्य मत करो।
(ख) वह पेड़ से गिर पड़ा।
(ग) गाँव के चारों ओर बृक्ष हैं।
(घ) ग्राम के निकट नदी बहती है।
(ङ) गुरुजी को प्रणाम है।

Correct Answer:
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(क) अध्ययन में आलस्य मा कुरु।


(ख) स: वृक्षात् पतित:।


(ग) ग्रामस्य चत्वारि बृक्षाणि अस्ति।


(घ) ग्रामे निकटे नदी बहति।


(ङ) गुरुः प्रणम्यते। Quick Tip: संस्कृत में अनुवाद करते समय शब्दों की स्थिति और विभक्ति का सही प्रयोग करें।

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