UP Board Class 12 Hindi Question Paper with Answer Key (February 16, Code 301 ZF)

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Shivam Yadav

Updated on - Nov 24, 2025

UP Board Class 12 Hindi Question Paper with Answer Key Code 301 ZF is available for download. The exam was conducted by the Uttar Pradesh Madhyamik Shiksha Parishad (UPMSP) on February 16, 2023 in Afternoon Session 2 PM to 5:15 PM. The medium of paper was Hindi. In terms of difficulty level, UP Board Class 12 Hindi paper was Easy. The question paper comprised a total of 14 questions.

UP Board Class 12 Hindi (Code 301 ZF) Question Paper with Answer Key (February 16)

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UP Board Class 12 Hindi (Code 301 ZF) Question Paper with Answer Key (February 16

 

Question 1:

'शेखर : एक जीवनी' कृति के रचयिता हैं :

  • (A) धर्मवीर भारती
  • (B) अज्ञेय
  • (C) हरिवंश राय 'बच्चन'
  • (D) जयप्रकाश
Correct Answer: (B) अज्ञेय
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Step 1: About the work.

'शेखर : एक जीवनी' हिंदी साहित्य की एक प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक उपन्यास कृति है। इसमें शेखर नामक पात्र के जीवन और उसके अंतर्द्वंद्व का चित्रण है।


Step 2: Identifying the author.

यह रचना अज्ञेय (सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन) की है। अज्ञेय हिंदी साहित्य में प्रयोगवाद और नई कविता के प्रमुख प्रवर्तक माने जाते हैं।


Step 3: Option Analysis.

- (A) धर्मवीर भारती → इनकी प्रमुख कृति 'गुनाहों का देवता' है।

- (B) अज्ञेय → सही उत्तर, 'शेखर : एक जीवनी' के रचयिता।

- (C) हरिवंश राय 'बच्चन' → इनकी प्रमुख कृति 'मधुशाला' है।

- (D) जयप्रकाश → लेखक के रूप में इनका नाम इस कृति से नहीं जुड़ा।


इसलिए सही उत्तर है (B) अज्ञेय।
Quick Tip: 'शेखर : एक जीवनी' अज्ञेय की प्रसिद्ध उपन्यास कृति है, जो मनोवैज्ञानिक विश्लेषण के लिए जानी जाती है।


Question 2:

'अथवा झुमकड़ जिज्ञासा' के लेखक हैं :

  • (A) मोहन राकेश
  • (B) अज्ञेय
  • (C) राहुल सांकृत्यायन
  • (D) धर्मवीर भारती
Correct Answer: (A) मोहन राकेश
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Step 1: About the work.

'अथवा झुमकड़ जिज्ञासा' हिंदी साहित्य की एक चर्चित नाटक कृति है, जिसमें सामाजिक और मानवीय प्रश्नों का प्रस्तुतीकरण किया गया है।


Step 2: Identifying the author.

इस रचना के लेखक मोहन राकेश हैं। वे हिंदी के नाटककार, उपन्यासकार और कहानिकार थे।


Step 3: Option Analysis.

- (A) मोहन राकेश → सही उत्तर, इस कृति के लेखक।

- (B) अज्ञेय → प्रयोगवाद और नई कविता के प्रमुख कवि, परंतु इस कृति के लेखक नहीं।

- (C) राहुल सांकृत्यायन → यात्रा साहित्य और इतिहास के लिए प्रसिद्ध।

- (D) धर्मवीर भारती → इनके उपन्यासों में 'गुनाहों का देवता' और 'सूरज का सातवाँ घोड़ा' प्रसिद्ध हैं।


इसलिए सही उत्तर है (A) मोहन राकेश।
Quick Tip: 'अथवा झुमकड़ जिज्ञासा' मोहन राकेश की रचना है, जो हिंदी नाटक जगत में विशेष स्थान रखती है।


Question 3:

'आख़िरी चट्टान' के लेखक हैं :

  • (A) अज्ञेय
  • (B) हरिशंकर परसाई
  • (C) प्रो. जी. सुन्दर रेड्डी
  • (D) मोहन राकेश
Correct Answer: (B) हरिशंकर परसाई
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Step 1: About the work.

'आख़िरी चट्टान' एक चर्चित व्यंग्य-रचना है जिसमें सामाजिक विसंगतियों, मानवीय कमज़ोरियों और राजनीति की स्थिति पर तीखा प्रहार किया गया है।


Step 2: Identifying the author.

इस कृति के लेखक हरिशंकर परसाई हैं, जो हिंदी के सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार माने जाते हैं।


Step 3: Option Analysis.

- (A) अज्ञेय → प्रयोगवाद और नई कविता के प्रवर्तक, पर इस रचना के लेखक नहीं।

- (B) हरिशंकर परसाई → सही उत्तर, 'आख़िरी चट्टान' के लेखक।

- (C) प्रो. जी. सुन्दर रेड्डी → हिंदी साहित्य में योगदान, परंतु इस कृति के लेखक नहीं।

- (D) मोहन राकेश → नाटककार और कथाकार, पर इस कृति से संबंधित नहीं।


इसलिए सही उत्तर है (B) हरिशंकर परसाई।
Quick Tip: 'आख़िरी चट्टान' हरिशंकर परसाई की व्यंग्य रचना है, जो सामाजिक यथार्थ को उजागर करती है।


Question 4:

खड़ी बोली गद्य की प्रथम रचना है :

  • (A) कृष्णावतार स्वरूप निर्णय
  • (B) गोरा बादल की कथा
  • (C) वर्ण रत्नाकर
  • (D) भाषा योग वासिष्ठ
Correct Answer: (C) वर्ण रत्नाकर
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Step 1: Understanding the context.

हिंदी साहित्य के इतिहास में खड़ी बोली का प्रयोग आरंभिक रूप से गद्य में हुआ। इसकी पहली रचना 'वर्ण रत्नाकर' मानी जाती है।


Step 2: About the work 'वर्ण रत्नाकर'.

'वर्ण रत्नाकर' हिंदी गद्य की पहली रचना है, जिसमें खड़ी बोली का प्रयोग किया गया। यह रचना 18वीं शताब्दी की मानी जाती है।


Step 3: Option Analysis.

- (A) कृष्णावतार स्वरूप निर्णय → धार्मिक विषयक रचना।

- (B) गोरा बादल की कथा → वीरगाथा काव्य परंपरा से जुड़ी है।

- (C) वर्ण रत्नाकर → सही उत्तर, खड़ी बोली गद्य की प्रथम रचना।

- (D) भाषा योग वासिष्ठ → यह दार्शनिक ग्रंथ है।


इसलिए सही उत्तर है (C) वर्ण रत्नाकर।
Quick Tip: 'वर्ण रत्नाकर' खड़ी बोली गद्य की प्रथम रचना मानी जाती है, जो हिंदी गद्य के इतिहास में अत्यंत महत्वपूर्ण है।


Question 5:

'राजा भोज का सपना' के लेखक हैं :

  • (A) शिवप्रसाद सितारे हिन्द
  • (B) किशोरी लाल गोस्वामी
  • (C) इंशा अल्ला खां
  • (D) राधाचरण गोस्वामी
Correct Answer: (B) किशोरी लाल गोस्वामी
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Step 1: About the work.

'राजा भोज का सपना' हिंदी की आरंभिक उपन्यासिक रचनाओं में से एक है। यह हिंदी साहित्य में उपन्यास विधा के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।


Step 2: Identifying the author.

इस कृति के रचनाकार किशोरी लाल गोस्वामी हैं। उन्हें हिंदी का प्रथम उपन्यासकार माना जाता है। उनकी अन्य प्रसिद्ध कृति 'परीक्षागुरु' भी जानी जाती है।


Step 3: Option Analysis.

- (A) शिवप्रसाद सितारे हिन्द → इन्होंने हिंदी गद्य के विकास में योगदान दिया, लेकिन इस कृति के लेखक नहीं।

- (B) किशोरी लाल गोस्वामी → सही उत्तर, 'राजा भोज का सपना' के लेखक।

- (C) इंशा अल्ला खां → उर्दू साहित्य से जुड़े हुए।

- (D) राधाचरण गोस्वामी → लेखक थे, लेकिन इस कृति के रचनाकार नहीं।


इसलिए सही उत्तर है (B) किशोरी लाल गोस्वामी।
Quick Tip: किशोरी लाल गोस्वामी को हिंदी का प्रथम उपन्यासकार माना जाता है। 'राजा भोज का सपना' और 'परीक्षागुरु' उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं।


Question 6:

'प्रिय प्रवास' महाकाव्य किस भाषा में लिखा गया है ?

  • (A) अवधी
  • (B) ब्रजभाषा
  • (C) खड़ी बोली
  • (D) फारसी
Correct Answer: (B) ब्रजभाषा
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Step 1: About the work 'प्रिय प्रवास'.

'प्रिय प्रवास' आयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' द्वारा रचित महाकाव्य है। यह हिंदी साहित्य में महाकाव्य परंपरा की एक उत्कृष्ट कृति मानी जाती है।


Step 2: Language identification.

यह महाकाव्य ब्रजभाषा में रचा गया है। उस समय ब्रजभाषा काव्य रचनाओं की मुख्य भाषा हुआ करती थी।


Step 3: Option Analysis.

- (A) अवधी → तुलसीदास आदि की प्रमुख भाषा।

- (B) ब्रजभाषा → सही उत्तर, 'प्रिय प्रवास' इसी में लिखा गया।

- (C) खड़ी बोली → बाद में आधुनिक कविता की भाषा बनी।

- (D) फारसी → यह कृति हिंदी में है, फारसी में नहीं।


इसलिए सही उत्तर है (B) ब्रजभाषा।
Quick Tip: आयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' का 'प्रिय प्रवास' ब्रजभाषा में रचा गया महाकाव्य है।


Question 7:

'एक भारतीय आत्मा' कहे जाते हैं :

  • (A) भूषण
  • (B) सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'
  • (C) माखनलाल चतुर्वेदी
  • (D) केशवदास
Correct Answer: (C) माखनलाल चतुर्वेदी
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Step 1: About the title.

'एक भारतीय आत्मा' की उपाधि हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध कवि माखनलाल चतुर्वेदी को दी गई है।


Step 2: Contribution of Makhnaalal Chaturvedi.

उन्होंने राष्ट्रीयता, स्वतंत्रता और मानवता पर आधारित काव्य रचनाएँ लिखीं। उनकी कविताओं में मातृभूमि के प्रति गहरा प्रेम दिखाई देता है।


Step 3: Option Analysis.

- (A) भूषण → वीरगाथा कालीन कवि।

- (B) सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' → छायावादी कवि, परंतु 'एक भारतीय आत्मा' उपाधि नहीं।

- (C) माखनलाल चतुर्वेदी → सही उत्तर।

- (D) केशवदास → रीति कालीन कवि।


इसलिए सही उत्तर है (C) माखनलाल चतुर्वेदी।
Quick Tip: माखनलाल चतुर्वेदी को 'एक भारतीय आत्मा' कहा जाता है, क्योंकि उनकी रचनाओं में भारतीयता और राष्ट्रप्रेम की गहरी अभिव्यक्ति है।


Question 8:

प्रगतिवाद के प्रमुख कवि हैं :

  • (A) भारतेंदु हरिश्चन्द्र
  • (B) गिरिजाकुमार माथुर
  • (C) धर्मवीर भारती
  • (D) नागार्जुन
Correct Answer: (D) नागार्जुन
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Step 1: Understanding Progressivism.

प्रगतिवाद हिंदी साहित्य की वह धारा है जिसमें सामाजिक यथार्थ, वर्ग-संघर्ष, किसान-श्रमिक जीवन और राजनीतिक चेतना की झलक मिलती है।


Step 2: Key poets.

प्रगतिवाद के प्रमुख कवि नागार्जुन, त्रिलोचन, रामवृक्ष बेनीपुरी और केदारनाथ अग्रवाल रहे हैं। इन्होंने समाज और राजनीति को अपनी कविता का केंद्र बनाया।


Step 3: Option Analysis.

- (A) भारतेंदु हरिश्चन्द्र → आधुनिक हिंदी गद्य के जनक, प्रगतिवाद से नहीं जुड़े।

- (B) गिरिजाकुमार माथुर → नयी कविता के कवि।

- (C) धर्मवीर भारती → प्रयोगवाद और नयी कविता से जुड़े।

- (D) नागार्जुन → सही उत्तर, प्रगतिवाद के प्रमुख कवि।


इसलिए सही उत्तर है (D) नागार्जुन।
Quick Tip: प्रगतिवाद का मूल आधार सामाजिक यथार्थ और जनजीवन का चित्रण है, जिसके प्रमुख कवि नागार्जुन रहे।


Question 9:

छायावाद की प्रमुख प्रवृत्ति है :

  • (A) वीरता और श्रृंगार का सम्मिश्रण
  • (B) वर्तमान राजनीति का वर्णन
  • (C) स्थूल के प्रति सूक्ष्म का विरोध
  • (D) युद्ध का सजीव वर्णन
Correct Answer: (C) स्थूल के प्रति सूक्ष्म का विरोध
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Step 1: About Chhayavad.

छायावाद हिंदी काव्य का एक महत्वपूर्ण युग है, जिसमें व्यक्तिगत भावनाओं, आत्मानुभूति, रहस्यवाद और सौंदर्यबोध को केंद्र में रखा गया।


Step 2: Key tendency.

इस युग की प्रमुख प्रवृत्ति है — स्थूल के प्रति सूक्ष्म का विरोध। छायावादी कवि स्थूल यथार्थ से हटकर आत्मा, प्रेम, प्रकृति और सौंदर्य की ओर उन्मुख हुए।


Step 3: Option Analysis.

- (A) वीरता और श्रृंगार का सम्मिश्रण → यह रीति काल की प्रवृत्ति है।

- (B) वर्तमान राजनीति का वर्णन → यह प्रगतिवाद की प्रवृत्ति है।

- (C) स्थूल के प्रति सूक्ष्म का विरोध → सही उत्तर, छायावाद की प्रमुख प्रवृत्ति।

- (D) युद्ध का सजीव वर्णन → यह वीरगाथा काव्य की विशेषता है।


इसलिए सही उत्तर है (C) स्थूल के प्रति सूक्ष्म का विरोध।
Quick Tip: छायावाद में कवि बाह्य यथार्थ की अपेक्षा आंतरिक अनुभूतियों और सूक्ष्म भावनाओं का चित्रण करते हैं।


Question 10:

सुमित्रानंदन पंत को ज्ञानपीठ पुरस्कार किस रचना पर प्राप्त हुआ ?

  • (A) 'लोकायतन'
  • (B) 'थामा'
  • (C) 'चिदम्बरा'
  • (D) 'उर्वशी'
Correct Answer: (C) 'चिदम्बरा'
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Step 1: About Sumitranandan Pant.

सुमित्रानंदन पंत हिंदी साहित्य के छायावादी युग के प्रसिद्ध कवि थे। उनकी कविताओं में प्रकृति, सौंदर्य और मानवता का अद्भुत समन्वय दिखाई देता है।


Step 2: Award information.

उन्हें 'चिदम्बरा' काव्य-संग्रह पर ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ था। यह कृति दार्शनिकता और आध्यात्मिकता के अद्भुत समन्वय के कारण साहित्य में मील का पत्थर मानी जाती है।


Step 3: Option Analysis.

- (A) 'लोकायतन' → उनकी रचना है, पर इस पर ज्ञानपीठ नहीं।

- (B) 'थामा' → यह कृति भी उनकी है, पर ज्ञानपीठ इस पर नहीं मिला।

- (C) 'चिदम्बरा' → सही उत्तर, इसी पर ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला।

- (D) 'उर्वशी' → छायावादी कृति है, पर इस पर ज्ञानपीठ नहीं।


इसलिए सही उत्तर है (C) 'चिदम्बरा'।
Quick Tip: सुमित्रानंदन पंत को 'चिदम्बरा' काव्य-संग्रह पर ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ था।


निम्नलिखित गद्यांशों पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

भूमि, भूमि पर बसनेवाला जन और जन की संस्कृति, इन तीनों के सम्मिलन से राष्ट्र का स्वरूप बनता है। भूमि का निर्माण देवों ने किया है, वह अनंत काल से है। उसके भौतिक रूप, सौन्दर्य और समृद्धि के प्रति सचेत होना हमारा आवश्यक कर्तव्य है। भूमि के पार्थिव स्वरूप के प्रति हम जितने अधिक जागरूक होंगे उतनी ही हमारी राष्ट्रीयता बलवती हो सकेगी। यह पृथ्वी सच्चे अर्थों में समस्त राष्ट्रीय विचारधाराओं की जननी है। जो राष्ट्रीयता पृथ्वी के साथ नहीं जुड़ी, वह निर्मूल होती है। राष्ट्रीयता की जड़ें पृथ्वी में जितनी गहरी होंगी, उतना ही राष्ट्रीय भावों का अंकुर पल्लवित होगा। 

Question 11:

उपयुक्त गद्यांश के पाठ तथा उसके लेखक का नाम लिखिए।

Correct Answer:
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Step 1: गद्यांश की पहचान।

प्रस्तुत गद्यांश में राष्ट्र की परिभाषा भूमि, जन और संस्कृति के समन्वय से की गई है। इसमें भूमि के महत्व, उसकी शक्ति और राष्ट्र की जड़ों से उसके गहरे संबंध का उल्लेख किया गया है। यह विचार राष्ट्रवाद और राष्ट्रीय चेतना की पुष्टि करता है।


Step 2: पाठ का नाम।

यह गद्यांश ‘राष्ट्र’ नामक पाठ से लिया गया है। इसमें राष्ट्र और राष्ट्रीयता की मूल भावना को स्पष्ट किया गया है।


Step 3: लेखक का नाम।

इस पाठ के लेखक ‘रामधारी सिंह दिनकर’ हैं, जो राष्ट्रकवि के नाम से प्रसिद्ध हैं। उन्होंने अपने साहित्य में राष्ट्रीय चेतना, मानवता और समाज सुधार का संदेश दिया।


Step 4: निष्कर्ष।

अतः इस गद्यांश का पाठ ‘राष्ट्र’ है और इसके लेखक रामधारी सिंह दिनकर हैं।
Quick Tip: गद्यांश से पाठ और लेखक की पहचान करने के लिए उसमें निहित मुख्य विषय और विचारधारा को ध्यान से समझना चाहिए।


Question 12:

किसके सम्मिलन से राष्ट्र का स्वरूप बनता है ?

Correct Answer:
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Step 1: प्रश्न का विश्लेषण।

गद्यांश में स्पष्ट किया गया है कि राष्ट्र का स्वरूप तीन मुख्य तत्वों के सम्मिलन से बनता है।


Step 2: उत्तर।

भूमि, भूमि पर बसने वाला जन और जन की संस्कृति — इन तीनों के सम्मिलन से राष्ट्र का स्वरूप बनता है।


Step 3: निष्कर्ष।

अतः राष्ट्र का रूप भूमि, जन और संस्कृति के मेल से निर्मित होता है।
Quick Tip: राष्ट्र के स्वरूप की पहचान उसके भौगोलिक क्षेत्र, जनजीवन और संस्कृति के आधार पर की जाती है।


Question 13:

भूमि का निर्माण किसने किया है और वह कब से है ?

Correct Answer:
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Step 1: प्रश्न का विश्लेषण।

गद्यांश में भूमि के निर्माण और उसके अस्तित्व के विषय में स्पष्ट उल्लेख किया गया है।


Step 2: उत्तर।

भूमि का निर्माण देवों ने किया है और यह अनंत काल से है।


Step 3: निष्कर्ष।

अतः भूमि देवों की कृति है और इसका अस्तित्व सनातन, अर्थात् अनादि काल से है।
Quick Tip: गद्यांश में दिए गए उत्तरों को यथावत् लिखते समय उनके स्रोत (जैसे देव, अनंत काल) अवश्य उल्लेख करें।


Question 14:

हमारा आवश्यक कर्तव्य क्या है ?

Correct Answer:
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Step 1: प्रश्न का विश्लेषण।

गद्यांश में हमारे कर्तव्यों का उल्लेख भूमि के प्रति संवेदनशीलता के संदर्भ में किया गया है।


Step 2: उत्तर।

हमारा आवश्यक कर्तव्य है— भूमि के पार्थिव स्वरूप, उसके सौंदर्य और समृद्धि के प्रति सचेत रहना और उसकी रक्षा करना।


Step 3: निष्कर्ष।

अतः भूमि की सुरक्षा और उसकी उन्नति के लिए सजग रहना हमारा सबसे आवश्यक कर्तव्य है।
Quick Tip: कर्तव्य से संबंधित प्रश्नों का उत्तर संक्षेप में और स्पष्ट रूप से लिखें।


Question 15:

रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।

Correct Answer:
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Step 1: रेखांकित अंश।

“जो राष्ट्रीयता पृथ्वी के साथ नहीं जुड़ी, वह निर्मूल होती है। राष्ट्रीयता की जड़ें पृथ्वी में जितनी गहरी होंगी, उतना ही राष्ट्रीय भावों का अंकुर पल्लवित होगा।”


Step 2: व्याख्या।

इसका अर्थ है कि वास्तविक राष्ट्रवाद और राष्ट्रीयता केवल विचारों में नहीं, बल्कि भूमि और उससे जुड़े जीवन में होती है। जब तक राष्ट्रीयता अपनी मातृभूमि से जुड़ी रहती है, तब तक वह सशक्त और स्थायी रहती है। यदि राष्ट्रीयता भूमि से अलग हो जाए, तो उसका अस्तित्व मिट जाता है।


Step 3: निष्कर्ष।

अतः राष्ट्रीयता की जड़ें भूमि में होती हैं और जितनी गहरी ये जड़ें होंगी, उतना ही राष्ट्रीय भाव स्थायी और सशक्त होगा।
Quick Tip: रेखांकित अंश की व्याख्या करते समय पहले उसे उद्धृत करें, फिर उसका सरल भावार्थ और शिक्षा लिखें।


अथवा

मुझे मानव-जाति की दुर्दम-निर्मम धारा के हजारों वर्षों का रूप साफ दिखाई दे रहा है। मनुष्य की जीवन-शक्ति बड़ी निर्मम है, वह सभ्यता और संस्कृति के वृथा मोहों को रौंदती चली आ रही है। न जाने कितने धर्माचारों, विश्वासों, उत्सवों और व्रतों को धोती-बहाती यह जीवन-धारा आगे बढ़ी है। संघर्षों से मनुष्य ने नयी शक्ति पायी है। हमारे सामने समाज का आज जो रूप है, वह न जाने कितने ग्रहण और त्याग का रूप है। देश और जाति की विशुद्ध संस्कृति केवल बाद की बात है। सब कुछ में मिलावट है, सब कुछ अविशुद्ध है। शुद्ध है केवल मनुष्य की दुर्दम जिजीविषा (जीने की इच्छा)। वह गंगा की अवाधित-अनाद्रित धारा के समान सब कुछ को हज़्म करने के बाद भी पवित्र है। 

Question 16:

उपयुक्त गद्यांश के पाठ का शीर्षक और लेखक का नाम लिखिए।

Correct Answer:
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Step 1: गद्यांश की पहचान।

प्रस्तुत गद्यांश में मानव-जीवन की जीवन-धारा और उसकी अजेय जीवन-शक्ति का उल्लेख किया गया है। इसमें कहा गया है कि मनुष्य की जीवनशक्ति इतनी निर्मम और अदम्य है कि वह सब कुछ झेलते हुए भी आगे बढ़ती रहती है। गद्यांश में धर्माचार, विश्वास, उत्सव और व्रतों का उल्लेख करते हुए यह बताया गया है कि मानव समाज का स्वरूप निरंतर परिवर्तनशील और प्रवाहमान है।


Step 2: पाठ का शीर्षक।

यह गद्यांश ‘मानव-जीवन की जीवन-धारा’ पाठ से लिया गया है। इसमें जीवन की अदम्य शक्ति और उसकी प्रवाहमान परंपरा का चित्रण किया गया है।


Step 3: लेखक का नाम।

इस गद्यांश के लेखक ‘रामधारी सिंह दिनकर’ हैं। दिनकर जी राष्ट्रकवि के रूप में विख्यात हैं और उनके साहित्य में राष्ट्रीयता, मानवता और जीवन-दर्शन का गहन चित्रण मिलता है।


Step 4: निष्कर्ष।

अतः इस गद्यांश का शीर्षक ‘मानव-जीवन की जीवन-धारा’ है और इसके लेखक ‘रामधारी सिंह दिनकर’ हैं।
Quick Tip: गद्यांश से शीर्षक और लेखक की पहचान करने के लिए उसके विषय-वस्तु और शैली पर ध्यान दें।


Question 17:

रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।

Correct Answer:
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Step 1: रेखांकित अंश।

"मनुष्य की जीवन-शक्ति बड़ी निर्मम है, वह सभ्यता और संस्कृति के वृद्ध मोहों को रौंदती चली आ रही है।"


Step 2: व्याख्या।

इस अंश में लेखक ने मनुष्य की अदम्य जीवन-शक्ति का चित्रण किया है। जीवन की यह धारा निरंतर गतिशील है और किसी भी बंधन, परंपरा या अंधविश्वास को तोड़ते हुए आगे बढ़ती रहती है। पुरानी सभ्यताओं और संस्कृतियों के जड़ मोह इसके सामने टिक नहीं पाते।


Step 3: निष्कर्ष।

अतः रेखांकित अंश यह स्पष्ट करता है कि मनुष्य की जिजीविषा और जीवन-शक्ति सबको पार करती हुई सदा प्रवाहमान रहती है।
Quick Tip: रेखांकित अंश की व्याख्या करते समय पहले उसे उद्धृत करें, फिर उसके भाव स्पष्ट करें और अंत में निष्कर्ष लिखें।


Question 18:

लेखक ने मनुष्य की जिजीविषा को किस रूप में प्रस्तुत किया है?

Correct Answer:
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Step 1: जिजीविषा का अर्थ।

जिजीविषा का अर्थ है जीने की प्रबल इच्छा। यह मनुष्य के भीतर की वह शक्ति है जो कठिन परिस्थितियों में भी उसे जीवन की ओर प्रेरित करती है।


Step 2: लेखक का दृष्टिकोण।

लेखक ने मनुष्य की जिजीविषा को "दुर्दम" और "निर्मम" शक्ति के रूप में प्रस्तुत किया है। यह जीवनधारा गंगा की अनवरत धारा के समान है, जो सब कुछ बहाकर भी पवित्र बनी रहती है।


Step 3: निष्कर्ष।

अतः लेखक ने मनुष्य की जिजीविषा को अदम्य, अविरल और अजेय शक्ति के रूप में प्रस्तुत किया है, जो हर परिस्थिति में जीवन को आगे बढ़ाती है।
Quick Tip: "जिजीविषा" संबंधी प्रश्नों में हमेशा उसका अर्थ, लेखक का दृष्टिकोण और प्रतीकों का विश्लेषण अवश्य करें।


Question 19:

हमारे सामने आज समाज का स्वरूप कैसा है ?

Correct Answer:
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Step 1: वर्तमान समाज का स्वरूप।

लेखक के अनुसार आज का समाज अनेक धर्माचारों, विश्वासों, उत्सवों और संप्रदायों से मिश्रित होकर जटिल रूप ले चुका है।


Step 2: समाज की विशेषता।

आज का समाज शुद्ध और निष्कलंक नहीं है, उसमें अनेक प्रकार की मिलावट और अपवित्रता समाई हुई है। शुद्ध संस्कृति केवल आदर्श रूप में ही दिखाई देती है।


Step 3: निष्कर्ष।

अतः हमारे सामने का समाज अपवित्रताओं और मिश्रणों से युक्त है, परंतु उसकी मूल जीवन-शक्ति अभी भी प्रवाहित है।
Quick Tip: समाज के स्वरूप संबंधी प्रश्नों में पुराने और वर्तमान समाज की तुलना अवश्य करें।


Question 20:

‘दुर्दम’ तथा ‘अनाहत’ शब्दों का अर्थ लिखिए।

Correct Answer:
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Step 1: दुर्दम शब्द का अर्थ।

‘दुर्दम’ का अर्थ है — जिसे दबाया न जा सके, जिसे वश में न किया जा सके, अर्थात् अजेय।


Step 2: अनाहत शब्द का अर्थ।

‘अनाहत’ का अर्थ है — जो आहत न हुआ हो, जो क्षतिग्रस्त न हुआ हो, अर्थात् अक्षत और सुरक्षित।


Step 3: निष्कर्ष।

दोनों शब्द मनुष्य की अदम्य जिजीविषा और जीवनधारा की अविच्छिन्नता को दर्शाते हैं।
Quick Tip: शब्दार्थ लिखते समय पहले उसका सरल अर्थ दें और फिर प्रसंग के अनुसार उसका भाव स्पष्ट करें।


निम्नलिखित पद्यांशों पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

व्यापक ब्रह्म सबै थल पूरन है हमहूँ पहिचानति हैं। 
पै बिना नन्दलाल बिहाल सदा ‘हीरचंद’ न जानहीं ठानति हैं॥ 

तुम उधो यहे कहियो उनसों हम और कछु नहीं जानति हैं। 
पिय प्यारे तिहारे निहारो बिना आँखियाँ दुखियाँ नहीं मानति हैं॥

Question 21:

उपर्युक्त पद्यांश के पाठ का शीर्षक व कवि का नाम लिखिए।

Correct Answer:
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Step 1: पाठ का शीर्षक।

उपर्युक्त पद्यांश "पद" (भक्तिकाव्य) से लिया गया है। इसका विषय भक्ति और भगवान के प्रति गहन प्रेम है।


Step 2: कवि का नाम।

इस पद्यांश के रचयिता भक्त कवि सूरदास हैं। उन्होंने श्रीकृष्ण की भक्ति को अपनी काव्य रचनाओं का आधार बनाया।


Step 3: निष्कर्ष।

अतः उपर्युक्त पद्यांश का शीर्षक "पद" है और इसके रचयिता कवि सूरदास हैं।
Quick Tip: किसी भी पद्यांश से संबंधित प्रश्नों में पाठ का शीर्षक और कवि का नाम अवश्य लिखना चाहिए।


Question 22:

रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।

Correct Answer:
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Step 1: रेखांकित अंश।

"पिय प्यारे तिहारे निहोरे बिना आँखियाँ दुरखियाँ नहीं मानती हैं।"


Step 2: व्याख्या।

इस अंश में गोपियाँ श्रीकृष्ण के प्रति अपनी गहन प्रेम भावना को प्रकट करती हैं। वे कहती हैं कि हे प्रियतम! तुम्हारे दर्शन किए बिना हमारी आँखें किसी भी वस्तु को देखने से इंकार कर देती हैं। उनकी दृष्टि केवल कृष्णमय हो चुकी है।


Step 3: भावार्थ।

इसका भाव यह है कि गोपियों के जीवन का संपूर्ण आधार केवल श्रीकृष्ण ही हैं। उनके बिना उनका जीवन शून्य है।
Quick Tip: रेखांकित अंश की व्याख्या करते समय पहले उसे उद्धृत करें, फिर उसका भाव स्पष्ट करें और अंत में उसका आध्यात्मिक या नैतिक महत्व लिखें।


Question 23:

गोपियाँ ब्रह्म के बारे में उद्धव से क्या कहती हैं ?

Correct Answer:
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Step 1: उद्धव से संवाद।

गोपियाँ उद्धव से कहती हैं कि व्यापक ब्रह्म तो सर्वत्र व्याप्त है, हम इसे पहचानते भी हैं।


Step 2: भाव स्पष्टिकरण।

गोपियाँ मानती हैं कि सच्चा सुख और वास्तविकता तो केवल श्रीकृष्ण के सान्निध्य में है। वे कहती हैं कि बिना नंदलाल के, ब्रह्म का ज्ञान भी हमें असार और निरर्थक प्रतीत होता है।


Step 3: निष्कर्ष।

अतः गोपियाँ उद्धव को स्पष्ट करती हैं कि ब्रह्म का स्वरूप उन्हें तभी स्वीकार है जब उसमें उनके प्रियतम श्रीकृष्ण का साक्षात्कार हो।
Quick Tip: उत्तर लिखते समय यह स्पष्ट करें कि गोपियों के लिए ब्रह्म का कोई अलग अस्तित्व नहीं है, उनका ब्रह्म ही श्रीकृष्ण हैं।


Question 24:

इस पद्यांश में कौन-सा रस है ?

Correct Answer:
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Step 1: रस का प्रकार।

इस पद्यांश में "श्रृंगार रस" की प्रधानता है।


Step 2: कारण।

गोपियों ने अपने प्रिय श्रीकृष्ण के वियोग में जो प्रेमपूर्ण भाव प्रकट किए हैं, वे श्रृंगार रस के वियोग शृंगार अंग को दर्शाते हैं।


Step 3: निष्कर्ष।

अतः इस पद्यांश का प्रमुख रस श्रृंगार रस (वियोग) है।
Quick Tip: रस संबंधी प्रश्नों में रस का नाम लिखने के साथ यह भी बताना चाहिए कि वह किस कारण से प्रकट हो रहा है।


Question 25:

गोपियाँ उद्धव से श्रीकृष्ण को क्या सन्देश देने को कहती हैं ?

Correct Answer:
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Step 1: उद्धव से प्रार्थना।

गोपियाँ उद्धव से कहती हैं कि वे श्रीकृष्ण को जाकर उनका संदेश सुनाएँ।


Step 2: संदेश का भाव।

गोपियाँ कहती हैं कि उनके नेत्र केवल श्रीकृष्ण के दर्शन के लिए तरसते हैं। उनके बिना न तो आँखें किसी और को देख सकती हैं और न ही हृदय किसी और को स्वीकार करता है।


Step 3: निष्कर्ष।

अतः गोपियों का संदेश यही है कि उनके जीवन का आधार केवल श्रीकृष्ण हैं और वे उन्हें देखने के लिए व्याकुल हैं।
Quick Tip: संदेश-संबंधी प्रश्नों में स्पष्ट लिखें कि संदेश किसे दिया गया और उसका भाव क्या है।


अथवा

झूम-झूम मृदु गरज-गरज घन घोर ! 
राग-अमर ! अम्बर में भर निज रोर !

झर झर झर निर्झर-गिरि-सर में, 
धर, मर तरु-मर्मर, सागर में, 

सिरितु-तडितु-गति-चकित पवन में 
मन में, विजन-गहन-कानन में, 

आनन-आनन में, रव घोर कटोरे — 
राग-अमर ! अम्बर में भर निज रोर !

Question 26:

उपर्युक्त पद्यांश के शीर्षक और कवि का नाम लिखिए।

Correct Answer:
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Step 1: पाठ का शीर्षक।

यह पद्यांश "मेघनाद वध काव्य" से लिया गया है। इसमें प्रकृति के घनघोर वर्षा दृश्य का सजीव चित्रण किया गया है।


Step 2: कवि का नाम।

इस पद्यांश के रचयिता प्रसिद्ध कवि "महाकवि राधाकृष्ण दास" (राघव) हैं। उन्होंने प्रकृति चित्रण में अद्वितीय निपुणता दिखाई है।


Step 3: निष्कर्ष।

अतः इस पद्यांश का शीर्षक "मेघनाद वध काव्य" है और इसके कवि राघव (राधाकृष्ण दास) हैं।
Quick Tip: जब भी प्रश्न में शीर्षक और कवि का नाम पूछा जाए, उत्तर संक्षेप में और सटीक लिखें।


Question 27:

रेखांकित पंक्तियों की व्याख्या कीजिए।

Correct Answer:
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Step 1: रेखांकित पंक्ति।

"राग-अमर! अम्बर में भर निज रोर!"


Step 2: व्याख्या।

कवि ने बादलों को संबोधित करते हुए कहा है कि वे अपने प्रचंड गर्जन-गर्जन से आकाश को गुंजायमान करें। इस गर्जन से संपूर्ण वातावरण में गंभीरता और शक्ति का संचार होता है। कवि इसे अमर राग के रूप में प्रस्तुत करता है।


Step 3: भावार्थ।

यह पंक्ति प्रकृति के भीषण रूप और बादलों की गड़गड़ाहट को दर्शाती है, जिसे कवि ने संगीतमय और प्रेरणादायक शक्ति माना है।
Quick Tip: व्याख्या लिखते समय पंक्ति को उद्धृत करके उसका सीधा अर्थ और फिर भावार्थ अवश्य लिखें।


Question 28:

कवि बादलों से किस सन्देश को सर्वत्र पहुँचाने का अनुरोध करता है ?

Correct Answer:
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Step 1: कवि का निवेदन।

कवि बादलों से निवेदन करता है कि वे अपने प्रचंड स्वर और गर्जना से अमर राग को संपूर्ण संसार में फैला दें।


Step 2: संदेश का अर्थ।

कवि चाहता है कि यह संदेश वीरता, उत्साह और जीवन के संबल का प्रतीक बनकर प्रत्येक प्राणी तक पहुँचे।


Step 3: निष्कर्ष।

अतः कवि बादलों से अनुरोध करता है कि वे अपने गर्जन द्वारा उत्साह और शक्ति का संदेश सर्वत्र फैलाएँ।
Quick Tip: संदेश-संबंधी प्रश्नों में पहले कवि का अनुरोध, फिर उसका भावार्थ और अंत में उसका महत्व स्पष्ट करना चाहिए।


Question 29:

‘झर झर झर निर्झर-गिरि-सर में’ पंक्ति में कौन-सा अलंकार है ?

Correct Answer:
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Step 1: पंक्ति का अवलोकन।

"झर झर झर निर्झर-गिरि-सर में" पंक्ति में शब्दों की ध्वनि द्वारा जलप्रवाह का आभास कराया गया है।


Step 2: अलंकार की पहचान।

इस पंक्ति में ध्वनि-वैचित्र्य उत्पन्न करने वाला अनुप्रास अलंकार है, क्योंकि "झर झर झर" शब्दों की पुनरावृत्ति से ध्वनि-सौंदर्य उत्पन्न हुआ है।


Step 3: निष्कर्ष।

अतः इस पंक्ति में अनुप्रास अलंकार का प्रयोग हुआ है।
Quick Tip: अलंकार संबंधी प्रश्नों में पहले पंक्ति का विश्लेषण करें और फिर अलंकार का नाम और कारण स्पष्ट करें।


Question 30:

‘विजन’ और ‘अम्बर’ शब्दों का अर्थ लिखिए।

Correct Answer:
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Step 1: ‘विजन’ शब्द का अर्थ।

‘विजन’ का अर्थ है — सुनसान, निर्जन, जहाँ कोई न हो।


Step 2: ‘अम्बर’ शब्द का अर्थ।

‘अम्बर’ का अर्थ है — आकाश।


Step 3: निष्कर्ष।

अतः ‘विजन’ का अर्थ है निर्जन स्थान और ‘अम्बर’ का अर्थ है आकाश।
Quick Tip: शब्दार्थ प्रश्नों में सरल और स्पष्ट अर्थ लिखना चाहिए, ताकि प्रसंग का भाव भी समझ में आए।


Question 31:

निम्नलिखित में से किसी एक लेखक का जीवन-परिचय देते हुए उनकी रचनाओं का उल्लेख कीजिए: (अधिकतम शब्द-सीमा 80 शब्द)

  • (i) कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’
  • (ii) पं. दीनदयाल उपाध्याय
  • (iii) प्रो. जी. सुंदर रेड्डी
Correct Answer:
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(i) कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’:

कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ का जन्म 1906 में उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में हुआ। वे हिंदी के प्रसिद्ध निबंधकार, पत्रकार और साहित्यकार थे। उन्होंने जीवन की समस्याओं को सरल भाषा में प्रस्तुत किया। उनके निबंधों में सामाजिक चेतना, नैतिक शिक्षा और व्यावहारिक जीवन का दर्शन मिलता है। वे स्वाधीनता संग्राम से भी जुड़े रहे और साहित्य को सामाजिक uplift का साधन माना।


प्रमुख रचनाएँ:

उनकी प्रमुख कृतियाँ "आत्मा की प्यास", "बोलते स्तंभ", "पंछी और पिंजरा" तथा "धुंध के दीप" हैं। उनकी रचनाओं से पाठकों को नैतिक मार्गदर्शन और जीवन की सच्चाइयों की पहचान मिलती है।


निष्कर्ष:

प्रभाकर जी का साहित्य हिंदी निबंध परंपरा में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है और यह आज भी मार्गदर्शन देता है।


(ii) पं. दीनदयाल उपाध्याय:

पं. दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 1916 में मथुरा जिले के नगला चंद्रभान गाँव में हुआ। वे स्वतंत्रता संग्राम के बाद भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण विचारक और लेखक के रूप में उभरे। वे भारतीय जनसंघ के संस्थापकों में से एक थे और उनका उद्देश्य भारतीय संस्कृति पर आधारित राजनीति को बढ़ावा देना था। उन्होंने जीवन भर राष्ट्रहित को सर्वोपरि माना।


प्रमुख रचनाएँ:

उनकी प्रमुख कृतियों में "एकात्म मानववाद" सबसे प्रसिद्ध है, जिसमें उन्होंने भारतीय समाज और संस्कृति के अनुरूप आर्थिक और राजनीतिक दर्शन प्रस्तुत किया। इसके अलावा "समस्याएँ और उनके समाधान" तथा अनेक विचारात्मक निबंधों में उनके सामाजिक और राजनीतिक चिंतन का स्पष्ट परिचय मिलता है।


निष्कर्ष:

दीनदयाल उपाध्याय के विचार आज भी भारतीय राजनीति और समाज के लिए प्रेरणादायक हैं।


(iii) प्रो. जी. सुंदर रेड्डी:

प्रो. जी. सुंदर रेड्डी आधुनिक हिंदी साहित्य के प्रतिष्ठित लेखक, शिक्षाविद् और आलोचक रहे हैं। वे लंबे समय तक शिक्षण कार्य से जुड़े रहे और हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित रहे। उनके लेखन में साहित्यिक गाम्भीर्य, सामाजिक यथार्थ और भाषा की सरलता देखने को मिलती है। उन्होंने हिंदी आलोचना और निबंध साहित्य को नई दिशा दी।


प्रमुख रचनाएँ:

उनकी प्रमुख रचनाओं में आलोचना और निबंध-संग्रह सम्मिलित हैं, जिनमें हिंदी साहित्य, भाषा और संस्कृति से जुड़े विविध विषयों पर गहन विवेचना है। उन्होंने हिंदी जगत में शोध और शिक्षा के क्षेत्र में भी महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।


निष्कर्ष:

प्रो. जी. सुंदर रेड्डी का साहित्य हिंदी के वैश्विक प्रसार में सहायक सिद्ध हुआ और उन्होंने हिंदी अध्यापन को एक नई पहचान दी। Quick Tip: लेखक-परिचय लिखते समय जन्म, योगदान, रचनाएँ और निष्कर्ष अवश्य लिखें। इससे उत्तर अधिक प्रभावशाली और परीक्षा में अंकदायक बनता है।


Question 32:

निम्नलिखित में से किसी एक कवि का जीवन-परिचय देते हुए उनकी साहित्यिक विशेषताओं को लिखिए: (अधिकतम शब्द-सीमा 80 शब्द)

  • (i) जगन्नाथदास ‘रत्नाकर’
  • (ii) मैथिलीशरण गुप्त
  • (iii) सुमित्रानंदन पन्त
Correct Answer:
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(i) जगन्नाथदास ‘रत्नाकर’:

जगन्नाथदास ‘रत्नाकर’ का जन्म 1856 में हुआ। वे रीति-काल के प्रसिद्ध कवि थे। उनकी काव्य-शैली में श्रृंगार रस की प्रधानता थी और अलंकारिकता का विशेष प्रभाव देखा जाता है। उन्होंने परंपरा के अनुरूप भाव और भाषा का संयोजन किया।


साहित्यिक विशेषताएँ:

उनकी रचनाओं में अलंकार, श्रृंगारिकता और संस्कृतनिष्ठ भाषा की छटा मिलती है। वे अलंकारवाद के प्रमुख कवि माने जाते हैं।


(ii) मैथिलीशरण गुप्त:

मैथिलीशरण गुप्त का जन्म 1886 में चिरगाँव (झाँसी) में हुआ। वे राष्ट्रीय चेतना के कवि थे और उन्हें “राष्ट्रकवि” की उपाधि दी गई। उनकी रचनाओं में देशभक्ति, सामाजिक सुधार और स्त्री-शिक्षा के स्वर प्रकट होते हैं।


साहित्यिक विशेषताएँ:

उनकी भाषा खड़ीबोली सरल और सहज है। काव्य में नीति, धर्म और राष्ट्रीय जागरण की भावना प्रकट होती है। उनकी प्रमुख कृति "भारत-भारती" स्वतंत्रता आंदोलन की प्रेरणा बनी।


(iii) सुमित्रानंदन पन्त:

सुमित्रानंदन पन्त का जन्म 1900 में कौसानी (उत्तराखंड) में हुआ। वे छायावाद के प्रमुख स्तंभों में से एक थे। उनकी रचनाओं में प्रकृति-सौंदर्य, मानवीय करुणा और आदर्श जीवन की अभिव्यक्ति होती है।


साहित्यिक विशेषताएँ:

उनकी भाषा कोमल, काव्यात्मक और संगीतमय है। काव्य में प्रकृति और सौंदर्य का अद्वितीय चित्रण मिलता है। "पल्लव" और "युगान्तर" उनकी प्रसिद्ध रचनाएँ हैं। Quick Tip: कवि-परिचय लिखते समय जन्म, साहित्यिक योगदान और उनकी रचनाओं की विशेषताओं को अवश्य जोड़ें।


Question 33:

‘बहादुर’ कहानी के प्रमुख पात्र का चरित्र-चित्रण कीजिए। (अधिकतम शब्द-सीमा 80 शब्द)

Correct Answer:
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Step 1: परिचय।

‘बहादुर’ कहानी का प्रमुख पात्र बहादुर नामक एक नेपाली चौकीदार है। उसका जीवन सादगी, निष्ठा और कर्तव्यपरायणता से परिपूर्ण है।


Step 2: स्वभाव और गुण।

वह ईमानदार, परिश्रमी और आत्मसम्मान से युक्त है। उसका व्यवहार सरल किन्तु दृढ़ है। बहादुर कठिन परिस्थितियों में भी अपने कर्तव्य से विमुख नहीं होता।


Step 3: निष्कर्ष।

बहादुर का चरित्र श्रमिक जीवन की गरिमा और मानवता की सच्ची तस्वीर प्रस्तुत करता है।
Quick Tip: चरित्र-चित्रण लिखते समय पात्र के व्यक्तित्व, स्वभाव और विशेषताओं का संक्षिप्त किन्तु स्पष्ट वर्णन करें।


Question 34:

कहानी तत्त्वों के आधार पर ‘कर्मनाशा की हार’ अथवा ‘पंचलाइट’ कहानी की समीक्षा कीजिए।

Correct Answer:
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Step 1: परिचय।

‘पंचलाइट’ कहानी ग्रामीण जीवन की मानसिकता, तकनीकी परिवर्तन और सामूहिकता की भावना को दर्शाती है। यह ग्रामीण समाज के रूढ़िगत सोच और नए युग की चुनौतियों को उजागर करती है।


Step 2: कहानी तत्त्व।

- कथा-संरचना सरल और यथार्थपरक है।

- पात्र ग्रामीण जीवन के सहज और सजीव चित्र प्रस्तुत करते हैं।

- भाषा लोक-रंग से परिपूर्ण और संवादात्मक है।

- कहानी का उद्देश्य सामाजिक परिवर्तन और आधुनिक चेतना को उभारना है।


Step 3: निष्कर्ष।

‘पंचलाइट’ एक उत्कृष्ट ग्रामीण कहानी है, जिसमें आधुनिकता और परंपरा के संघर्ष का सजीव चित्रण हुआ है।
Quick Tip: कहानी की समीक्षा लिखते समय उसके कथानक, पात्र, भाषा और उद्देश्य पर विशेष ध्यान दें।


Question 35:

‘रश्मिरथी’ खंडकाव्य की प्रमुख घटनाओं का वर्णन कीजिए।

Correct Answer:
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Step 1: पृष्ठभूमि।

‘रश्मिरथी’ रामधारी सिंह ‘दिनकर’ द्वारा रचित खंडकाव्य है, जिसमें महाभारत के प्रमुख पात्र कर्ण के जीवन, संघर्ष और महानता का वर्णन है।


Step 2: प्रमुख घटनाएँ।

- कर्ण का जन्म अविवाहित कुंती से हुआ और उसे गंगातट पर छोड़ दिया गया।

- उसका पालन-पोषण अधिरथ और राधा ने किया।

- वह एक महान धनुर्धर बना और द्रोणाचार्य व भीष्म ने उसे सम्मान नहीं दिया।

- दुर्योधन ने उसे मित्र बनाया और अंगदेश का राजा घोषित किया।

- महाभारत युद्ध में उसने कौरवों की ओर से भाग लिया।

- पंचम सर्ग में उसका अर्जुन से युद्ध और अंत में वध का मार्मिक प्रसंग है।


Step 3: निष्कर्ष।

अतः ‘रश्मिरथी’ की प्रमुख घटनाएँ कर्ण के जीवन के संघर्ष, उसकी निष्ठा और युद्धभूमि में उसके शौर्य को उजागर करती हैं।
Quick Tip: घटनाओं का वर्णन करते समय उन्हें क्रमबद्ध और संक्षिप्त रूप में लिखना चाहिए।


Question 36:

‘रश्मिरथी’ खंडकाव्य के प्रमुख पात्र की चारित्रिक विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

Correct Answer:
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Step 1: प्रमुख पात्र।

‘रश्मिरथी’ का प्रमुख पात्र कर्ण है, जो दानवीर, पराक्रमी और धर्मनिष्ठ व्यक्तित्व का धनी था।


Step 2: चारित्रिक विशेषताएँ।

- दानवीरता: कर्ण दान करने में अद्वितीय था, वह कभी किसी याचक को खाली हाथ नहीं लौटाता था।

- मित्रता: दुर्योधन का सच्चा और आजीवन मित्र रहा।

- वीरता: वह महान योद्धा और धनुर्धर था, जिसने अर्जुन का सामना किया।

- त्याग और धैर्य: कठिन परिस्थितियों और अपमानों के बावजूद उसने अपने जीवन मूल्यों को नहीं छोड़ा।


Step 3: निष्कर्ष।

अतः कर्ण का चरित्र दानवीरता, वीरता, निष्ठा और महानता का अनुपम उदाहरण है।
Quick Tip: चारित्रिक विशेषताओं के उत्तर में सदैव 3–4 गुणों का उल्लेख करना चाहिए और अंत में निष्कर्ष अवश्य लिखना चाहिए।


Question 37:

‘श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य की किसी एक घटना का उल्लेख कीजिए।

Correct Answer:
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Step 1: भूमिका।

‘श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य में श्रवणकुमार के आदर्श जीवन, मातृ-पितृ भक्ति और त्याग की भावना का चित्रण हुआ है। उनकी घटनाएँ भावनात्मक और शिक्षाप्रद हैं।


Step 2: घटना का विवरण।

- श्रवणकुमार अपने अंधे माता-पिता को तीर्थयात्रा के लिए कंधों पर बिठाकर ले जा रहे थे।

- वन में जल भरने गए श्रवणकुमार को राजा दशरथ ने अनजाने में बाण मार दिया।

- घायल श्रवणकुमार ने अपने माता-पिता की सेवा की अंतिम इच्छा प्रकट की।

- उनकी मृत्यु अत्यंत मार्मिक और हृदयस्पर्शी है।


Step 3: निष्कर्ष।

यह घटना श्रवणकुमार की भक्ति, सेवा और त्याग की भावना को प्रकट करती है।
Quick Tip: घटनाओं के उत्तर में पृष्ठभूमि, घटना का विवरण और उसका महत्व अवश्य लिखें।


Question 38:

‘श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य के आधार पर ‘श्रवणकुमार’ का चरित्र-चित्रण कीजिए।

Correct Answer:
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Step 1: भूमिका।

‘श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य का नायक श्रवणकुमार मातृ-पितृ भक्ति और सेवा का प्रतीक है। उसका जीवन त्याग और समर्पण से भरा हुआ है।


Step 2: श्रवणकुमार का व्यक्तित्व।

श्रवणकुमार का व्यक्तित्व सरल, भावुक और आदर्शवादी है। वह माता-पिता की सेवा को ही अपना परम कर्तव्य मानता है।


Step 3: श्रवणकुमार के गुण।

- मातृ-पितृ भक्ति का अनुपम उदाहरण।

- त्यागमयी और समर्पित पुत्र।

- विनम्र, आज्ञाकारी और आदर्शवादी।

- करुणामयी और सेवा-भाव से पूर्ण।


Step 4: निष्कर्ष।

अतः ‘श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य का नायक एक आदर्श पुत्र है, जिसकी भक्ति और त्याग सदैव प्रेरणादायक हैं।
Quick Tip: चरित्रांकन में नायक के व्यक्तित्व, गुण और समाज के लिए संदेश को अवश्य लिखें।


Question 39:

‘आलोककृत’ खंडकाव्य की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।

Correct Answer:
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Step 1: काव्य का परिचय।

‘आलोककृत’ खंडकाव्य आधुनिक हिंदी साहित्य का महत्वपूर्ण खंडकाव्य है जिसमें जीवन, समाज और संस्कृति के विविध पक्षों का मार्मिक चित्रण किया गया है।


Step 2: विशेषताएँ।

- इसमें आदर्श और यथार्थ का सुंदर समन्वय है।

- काव्य में जीवन के संघर्ष, पीड़ा और आशा का चित्रण हुआ है।

- भाषा सरल, प्रवाहपूर्ण और भावपूर्ण है।

- इसमें राष्ट्रीय चेतना, मानवतावाद और नैतिक मूल्यों की अभिव्यक्ति है।


Step 3: निष्कर्ष।

अतः ‘आलोककृत’ खंडकाव्य की प्रमुख विशेषता इसका आदर्शवादी स्वर और मानवतावादी दृष्टिकोण है।
Quick Tip: काव्य की विशेषताओं पर प्रश्न आने पर भाषा, शैली, भाव और उद्देश्य का उल्लेख अवश्य करें।


Question 40:

‘आलोककृत’ खंडकाव्य के नायक की चारित्रिक विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

Correct Answer:
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Step 1: नायक का परिचय।

‘आलोककृत’ खंडकाव्य का नायक आदर्श मानव का प्रतिनिधि है। वह संघर्षशील, आशावादी और कर्तव्यनिष्ठ चरित्र है।


Step 2: चारित्रिक विशेषताएँ।

- कर्तव्यनिष्ठा: नायक अपने कर्तव्यों के प्रति सदैव सजग है।

- संघर्षशीलता: कठिन परिस्थितियों में भी हार नहीं मानता।

- आदर्शवादिता: उसका चरित्र समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

- मानवतावाद: वह समाज की भलाई और दूसरों के हित को सर्वोपरि मानता है।


Step 3: निष्कर्ष।

अतः नायक की चारित्रिक विशेषताएँ उसे एक आदर्श, संघर्षशील और प्रेरणादायी व्यक्तित्व के रूप में प्रस्तुत करती हैं।
Quick Tip: चरित्र संबंधी प्रश्नों में पात्र की 3–4 प्रमुख विशेषताएँ अवश्य लिखें और अंत में निष्कर्ष दें।


Question 41:

‘मुक्तियज्ञ’ खंडकाव्य की किसी घटना का वर्णन कीजिए।

Correct Answer:
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Step 1: काव्य का परिचय।

‘मुक्तियज्ञ’ खंडकाव्य स्वतंत्रता संग्राम पर आधारित एक महत्वपूर्ण रचना है जिसमें आज़ादी के लिए दिए गए बलिदानों और संघर्षों का चित्रण हुआ है।


Step 2: घटना का चयन।

इस खंडकाव्य में अनेक घटनाएँ वर्णित हैं। उदाहरण के लिए—विद्यार्थियों का आज़ादी के आंदोलन में भाग लेना और जेल जाना।


Step 3: घटना का विवरण।

- विद्यार्थी निडर होकर स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े।

- उन्होंने सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर अंग्रेजों का विरोध किया।

- अनेक युवाओं को कारावास भुगतना पड़ा, किन्तु उनके उत्साह में कोई कमी नहीं आई।


Step 4: निष्कर्ष।

यह घटना भारतीय युवाओं की देशभक्ति, त्याग और बलिदान की अद्भुत मिसाल प्रस्तुत करती है।
Quick Tip: घटना-आधारित प्रश्नों में पृष्ठभूमि, मुख्य घटना और उसका महत्व स्पष्ट रूप से लिखें।


Question 42:

‘मुक्तियज्ञ’ खंडकाव्य के नायक का चरित्र-चित्रण कीजिए।

Correct Answer:
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Step 1: नायक का परिचय।

‘मुक्तियज्ञ’ खंडकाव्य का नायक एक ऐसा व्यक्ति है जो स्वतंत्रता संग्राम का प्रतिनिधि है। उसमें त्याग, साहस और बलिदान की भावना विद्यमान है।


Step 2: नायक के गुण।

- देशभक्ति: नायक मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति देने को तत्पर है।

- साहस: वह कठिन परिस्थितियों से जूझने में कभी पीछे नहीं हटता।

- त्याग: उसने व्यक्तिगत सुख-सुविधाओं का त्याग कर राष्ट्र को प्राथमिकता दी।

- प्रेरणादायक व्यक्तित्व: उसके कार्यों से अन्य लोग भी स्वतंत्रता आंदोलन में सम्मिलित हुए।


Step 3: निष्कर्ष।

अतः नायक का चरित्र एक आदर्श स्वतंत्रता सेनानी के रूप में सामने आता है, जो त्याग और बलिदान की प्रतिमूर्ति है।
Quick Tip: चरित्र-चित्रण करते समय शारीरिक, मानसिक और नैतिक गुणों का उल्लेख करना चाहिए।


Question 43:

‘सत्य की जीत’ खंडकाव्य की प्रमुख घटनाओं का संक्षेप में वर्णन कीजिए।

Correct Answer:
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Step 1: काव्य का परिचय।

‘सत्य की जीत’ खंडकाव्य में सत्य, नैतिकता और ईमानदारी की विजय को जीवन का परम सत्य बताया गया है। इसमें विभिन्न घटनाओं के माध्यम से यह सिद्ध किया गया है कि असत्य का अंत निश्चित है और अंततः सत्य ही विजयी होता है।


Step 2: प्रमुख घटनाओं का उल्लेख।

- अन्याय और अत्याचार का विरोध।

- कठिन परिस्थितियों में भी सत्य का पालन।

- असत्य और छल का अस्थायी प्रभाव।

- अंत में सत्य और धर्म की जीत।


Step 3: निष्कर्ष।

इन घटनाओं के माध्यम से यह स्पष्ट होता है कि जीवन में चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ आएँ, परंतु सत्य का मार्ग अपनाने वाला ही वास्तविक विजेता होता है।
Quick Tip: घटनाओं का संक्षेप करते समय मुख्य बिंदुओं को क्रमबद्ध ढंग से प्रस्तुत करना चाहिए।


Question 44:

‘सत्य की जीत’ खंडकाव्य के आधार पर उसकी नायिका के चरित्र की विशेषताएँ लिखिए।

Correct Answer:
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Step 1: नायिका का परिचय।

‘सत्य की जीत’ की नायिका सत्य, त्याग और दृढ़ निश्चय की प्रतिमूर्ति है। उसके माध्यम से कवि ने सत्य की शक्ति को जीवन में प्रस्तुत किया है।


Step 2: नायिका के गुण।

- सत्यनिष्ठा: नायिका सदैव सत्य का पालन करती है।

- धैर्यशीलता: कठिनाइयों और संकटों में भी उसका धैर्य नहीं डगमगाता।

- त्यागभावना: उसने अपने स्वार्थों का त्याग कर सत्य को अपनाया।

- प्रेरणादायिनी: उसका जीवन दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।


Step 3: निष्कर्ष।

अतः नायिका का चरित्र हमें यह संदेश देता है कि सच्चा जीवन वही है जो सत्य और नैतिकता पर आधारित हो।
Quick Tip: चरित्र-चित्रण में व्यक्ति के नैतिक, मानसिक और सामाजिक गुणों का संतुलित विवरण देना चाहिए।


Question 45:

‘त्यागपथी’ खंडकाव्य के ‘द्वितीय सर्ग’ की घटना अपने शब्दों में लिखिए।

Correct Answer:
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Step 1: परिचय।

‘त्यागपथी’ खंडकाव्य में कवि ने त्याग, सेवा और त्यागी जीवन की महानता को वर्णित किया है। द्वितीय सर्ग की घटना इसमें विशेष महत्व रखती है।


Step 2: द्वितीय सर्ग की घटना।

- द्वितीय सर्ग में त्यागी नायक का त्यागमय जीवन सामने आता है।

- वह सांसारिक सुख-सुविधाओं का परित्याग कर मानव सेवा को ही अपना लक्ष्य बनाता है।

- नायक अपने जीवन में कठोर तप, त्याग और धैर्य का परिचय देता है।

- समाज में फैली अन्याय और असमानताओं के विरुद्ध वह लोगों को प्रेरित करता है।


Step 3: निष्कर्ष।

इस प्रकार द्वितीय सर्ग नायक के त्याग और समाज के लिए उसके आदर्शपूर्ण जीवन का स्पष्ट चित्र प्रस्तुत करता है।
Quick Tip: घटनाओं के प्रश्न लिखते समय क्रमबद्धता और सारगर्भित भाषा का प्रयोग करना चाहिए।


Question 46:

‘त्यागपथी’ खंडकाव्य के नायक का चरित्र-चित्रण कीजिए।

Correct Answer:
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Step 1: नायक का परिचय।

‘त्यागपथी’ का नायक त्याग, सेवा और आत्मबल का प्रतीक है। वह सांसारिक मोह-माया से परे रहकर लोककल्याण में समर्पित रहता है।


Step 2: नायक के गुण।

- त्यागशीलता: नायक ने भोग-विलास और सुख-सुविधाओं का त्याग कर दिया।

- सेवा-भावना: उसका सम्पूर्ण जीवन समाज और मानवता की सेवा में समर्पित है।

- धैर्यशीलता: कठिनाइयों में भी उसका मनोबल नहीं डगमगाता।

- प्रेरणादायित्व: वह समाज के लिए एक आदर्श और प्रेरणा का स्रोत बनता है।


Step 3: निष्कर्ष।

अतः ‘त्यागपथी’ खंडकाव्य का नायक त्याग और आदर्शों का उपासक है, जो हमें सेवा और समर्पण का मार्ग दिखाता है।
Quick Tip: चरित्र-चित्रण में नायक के शारीरिक, मानसिक और नैतिक गुणों का सम्यक् विवेचन करना चाहिए।


Question 47:

निम्नलिखित संस्कृत गद्यांशों में से किसी एक का सन्दर्भ-सहित हिन्दी में अनुवाद कीजिए :

हंसराजः आत्मानं चिरन्तनं स्वामिकम् आगत्य वृणुयात् इति दुहितरामादिशत्। सा शकुनिनस्सङ्गेऽवलोकयन्ती मणिपर्वतीयं चित्रवेषणं मयूरं दृष्ट्वा ‘अयं मे स्वामिको भवतु’ इत्यभाषत। मयूरः ‘अस्मिन्तावने बलं न पर्याप्तम्’ इति अतिवर्णण लज्जमानः त्यक्तवानस्सः। शकुनिनस्सङ्गस्य मध्ये पक्षी प्रसार्य नृत्यं प्रदर्शयन्। तृणं चात्रिच्छदोपभुक्। सुवर्णहंसः लज्जमानः – ‘अस्म्येव हि: अस्ति न बर्हिणः समुपायः लज्जा। नाम्ने गतव्या स्वदुःखितं दायमिति’ इत्यदधात्। हंसराजः तद्वचः पठितमध्य आत्मानं भागिनं हंसपोतकाय दुहितरमददात्। मयूरः हंसपोतिकामुपाश्रित्य लज्जितः तस्मात् स्थानात् पलायितः। हंसराजोपि हृष्टमानसः स्वामिनमाश्लिष्यत्।

Correct Answer:
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सन्दर्भ :

यह गद्यांश हमारे पाठ्यपुस्तक में दिए गए संस्कृत गद्य-भाग से लिया गया है, जिसमें पक्षियों के मध्य संवाद का वर्णन है। इसमें हंसराज अपनी पुत्री के विवाह के लिए उचित वर चुनने का आदेश देता है।

अनुवाद :

हंसराज ने अपनी पुत्री से कहा — "तुम अपने योग्य वर का चयन करो।" तब वह कन्या पक्षियों के समूह को देखने लगी। उसने जब मणि की भाँति चमकदार ग्रीवा और रंग-बिरंगे पंखों वाले मोर को देखा, तो उसने कहा — "यही मेरा स्वामी हो।"

Final Answer:
\[ \boxed{यह गद्यांश एक नीतिकथा है जिसमें हंसराज की पुत्री ने मोर को अपना पति चुना।} \] Quick Tip: अनुवाद करते समय पहले सन्दर्भ बताना चाहिए और फिर संस्कृत वाक्यों का सरल एवं स्पष्ट हिन्दी अनुवाद करना चाहिए।


Question 48:

निम्नलिखित संस्कृत गद्यांशों में से किसी एक का सन्दर्भ-सहित हिन्दी में अनुवाद कीजिए :

गुरुः विजानन्दोऽपि कुशाग्रबुद्धिमान् दयानन्दः। त्रीणि वर्षाणि पाठम् अपिनेष्यः अध्यायायामास च शास्त्राणि अध्यापयामास। समागताः दयानन्दः परमया श्रद्धया गुरुमभवत्। पावनः, अस्मिन् अक्रियत्वात् तन्मनोभवः सः केवलं लक्ष्मणजातकः समानिवानस्स्मि। अनुगुणाणां भवता अभिमुक्तस्य मदीयापि गुरुकृपाभावः। प्रीति: गुरुस्तसम्भावात्। सौम्यः, विततिवर्त्त्योषिः, नास्ति किमपि अविद्या तव। अथचेदस्माकं देशः अज्ञानान्धकारो निमग्नं वर्त्तते, यद्यपि अनन्यत्रित्वेन, यथादृष्टं तिष्ठन्त्यने, अजानीनः पाण्डित्यं च पुण्यं च। वेद सूर्यात् तमसः अज्ञानान्धकारात् न गमिष्यति। स्वस्मिन्स्थे ते, उपमय पतित्वान्, समुद्र स्त्रीजातिः, छन्दः पाण्डित्यं, इत्येव मङ्गलम्। इष्यते च मे गुरुकृपा॥

Correct Answer:
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सन्दर्भ :

यह गद्यांश संस्कृत गद्य-भाग से लिया गया है। इसमें स्वामी दयानन्द सरस्वती और उनके गुरु विरजानन्द जी का संवाद प्रस्तुत किया गया है।

अनुवाद :

विरजानन्द जी ने कुशाग्रबुद्धि वाले दयानन्द को तीन वर्षों तक पाणिनि की अष्टाध्यायी और शास्त्र पढ़ाए। शिक्षा पूरी होने पर दयानन्द ने श्रद्धा और भक्ति के साथ गुरु से कहा – “भगवन्! अब मैं आपसे विदा लेना चाहता हूँ। मुझे बताइए कि मैं आपको क्या गुरुदक्षिणा दूँ?”
गुरु विरजानन्द ने उत्तर दिया – “पुत्र! मुझे तुमसे धन आदि कुछ भी नहीं चाहिए। तुम विद्यान्वित हो, तुम्हारे भीतर श्रद्धा और प्रीति है। हमारी गुरुदक्षिणा यही होगी कि तुम अपने देश में जाकर अज्ञान का नाश करोगे। लोगों को शास्त्रों का ज्ञान दोगे, उन्हें अन्धविश्वास और कुप्रथाओं से मुक्त करोगे।”
उन्होंने यह भी कहा – “यदि तुमने यह कार्य नहीं किया तो तुम्हारा सारा ज्ञान निरर्थक होगा। अतः मेरा आदेश है कि तुम अपने ज्ञान से समाज को जाग्रत करो और अज्ञान के अंधकार को दूर करो।”

Final Answer:
\[ \boxed{इस गद्यांश में गुरु विरजानन्द ने दयानन्द से गुरुदक्षिणा स्वरूप अज्ञान के नाश और समाज में ज्ञान के प्रचार का वचन लिया।} \] Quick Tip: संस्कृत गद्यांश का अनुवाद करते समय पहले सन्दर्भ बताना आवश्यक है, फिर क्रमवार अर्थ लिखना चाहिए।


Question 49:

निम्नलिखित संस्कृत श्लोकों में से किसी एक का सन्दर्भ-सहित हिन्दी में अनुवाद कीजिए :

श्लोक - 1 :
काव्यशास्त्रविनोदेन कालेन गच्छति धीमताम्।
व्यसनेन च मूर्खाणां निद्रया कलहेन वा।।

श्लोक - 2 :
परोक्षे कार्यहन्तारं प्रत्यक्षे प्रियवादिनम्।
वर्जयेत्तादृशं मित्रं विषकुम्भं पयोमुखम्।।

Correct Answer:
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(i) सन्दर्भ :

यह श्लोक संस्कृत नीतिशास्त्र का अंश है। इसमें बुद्धिमान और मूर्ख व्यक्तियों के समय व्यतीत करने के ढंग का वर्णन किया गया है।

अनुवाद :

बुद्धिमान लोग अपना समय काव्य और शास्त्रों के अध्ययन तथा विनोद में व्यतीत करते हैं। इसके विपरीत मूर्ख लोग अपना समय दुःख, आलस्य, निद्रा और कलह में नष्ट करते हैं।

(ii) सन्दर्भ :

यह श्लोक भी संस्कृत नीतिशास्त्र से लिया गया है। इसमें कपटी और धोखेबाज मित्रों से सावधान रहने की शिक्षा दी गई है।

अनुवाद :

जो मित्र सामने मधुर वचन बोलता है, किन्तु पीठ पीछे हमारे कार्यों को नष्ट करता है, ऐसे मित्र का त्याग कर देना चाहिए। ऐसा मित्र विष से भरे हुए उस घड़े के समान है, जिसके ऊपर दूध रखा हो। बाहर से मीठा लगे पर भीतर से प्राणघातक हो। Quick Tip: श्लोक का अनुवाद करते समय पहले सन्दर्भ और फिर उसका व्यावहारिक अर्थ स्पष्ट करना चाहिए।


Question 50:

निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर संस्कृत में दीजिए:

(क) संस्कृत साहित्यस्य का विशेषता अस्ति ?
(ख) दिलीपः कस्मिन् प्रदेशस्य राजा आसीत् ?
(ग) कः सर्वज्ञः भवति ?
(घ) धीमतां कालः कथं गच्छति ?

Correct Answer:
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(क) संस्कृतसाहित्यस्य विशेषता धर्मज्ञानं, नीतिशिक्षा च अस्ति।


(ख) दिलीपः अयोध्यायाः प्रदेशस्य राजा आसीत्।


(ग) ग्रन्थपाठकः सर्वज्ञः भवति।


(घ) धीमतां कालः अध्ययनकथनादिना शीघ्रं गच्छति। Quick Tip: संस्कृत प्रश्नों के उत्तर देते समय सरल और शुद्ध वाक्य प्रयोग करें तथा कर्ता, क्रिया और कारक का ध्यान रखें।


Question 51:

‘वीर’ रस अथवा ‘रौद्र’ रस की परिभाषा लिखकर उसका उदाहरण दीजिए।

Correct Answer:
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वीर रस की परिभाषा :

जब कर्तव्य पालन अथवा धर्म की रक्षा के लिए मन में उत्साह और पराक्रम उत्पन्न होता है, तब वीर रस की अनुभूति होती है।

उदाहरण :

“रण में जो शत्रु पर प्रहार करता है, वह वीर रस का परिचायक है।”


अथवा


रौद्र रस की परिभाषा :

क्रोध अथवा प्रतिशोध की भावना से उत्पन्न रस को रौद्र रस कहते हैं। इसमें युद्ध और हिंसा की भावनाएँ प्रमुख होती हैं।

उदाहरण :

“हिरण्यकशिपु को देखकर नृसिंह भगवान का क्रोध से भरा हुआ रूप रौद्र रस प्रकट करता है।” Quick Tip: रस की परिभाषा में भाव और उसका उदाहरण अवश्य लिखना चाहिए।


Question 52:

‘श्लेष’ अलंकार अथवा ‘अतिशयोक्ति’ अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए।

Correct Answer:
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श्लेष अलंकार की परिभाषा :

जब एक ही शब्द से अनेक अर्थ निकलते हैं, वहाँ श्लेष अलंकार होता है।

उदाहरण :

“राम जाने राम को, राम जाने जान।”
(यहाँ ‘राम’ शब्द से कई अर्थ निकलते हैं।)


अथवा


अतिशयोक्ति अलंकार की परिभाषा :

जब किसी वस्तु या व्यक्ति का वर्णन उसकी वास्तविकता से बढ़ा-चढ़ाकर किया जाए, तो वहाँ अतिशयोक्ति अलंकार होता है।

उदाहरण :

“तुम्हारी चाल में तो सारी दुनिया समा सकती है।” Quick Tip: अलंकार पहचानते समय ध्यान दें कि विशेषता किस रूप में बढ़ाई गई है।


Question 53:

‘सोट्ठा’ छन्द अथवा ‘हरिगीतिका’ छन्द की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए।

Correct Answer:
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सोट्ठा छन्द की परिभाषा :

इस छन्द में 12-12 मात्राओं के चार चरण होते हैं।

उदाहरण :

“राम सिया रघुबीर की, जय बोलो हनुमान।
संकट काटे मिटे, सब दुख-दुखों का नाम।। ”


अथवा


हरिगीतिका छन्द की परिभाषा :

इस छन्द के प्रत्येक चरण में 17-17 मात्राएँ होती हैं और कुल चार चरण होते हैं।

उदाहरण :

“सच्चिदानन्द घनानन्द, मंगल करण सुजान।
दीन दुख दूर कर, कृपा करो भगवान।। ” Quick Tip: छन्द की परिभाषा लिखते समय उसकी मात्राओं और चरणों की संख्या अवश्य बतानी चाहिए।


Question 54:

निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर निबंध लिखिए:

(क) भारत में आतंकवाद की समस्या और समाधान
(ख) स्वस्थ समाज के निर्माण में नारी की भूमिका
(ग) पर्यावरण प्रदूषण की समस्या और समाधान
(घ) साहित्य और समाज

Correct Answer:
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(क) भारत में आतंकवाद की समस्या और समाधान


प्रस्तावना:

आतंकवाद आज विश्व की सबसे गंभीर समस्या है। भारत जैसे विशाल लोकतांत्रिक देश को आतंकवाद ने बार-बार चोट पहुँचाई है।


समस्या:

आतंकवाद से निर्दोष लोगों की जान जाती है, विकास रुकता है और समाज में भय का वातावरण पैदा होता है। विदेशी शक्तियाँ भी इसे बढ़ावा देती हैं।


समाधान:

कड़े सुरक्षा उपाय, खुफिया तंत्र को मजबूत करना और जनता को जागरूक करना आवश्यक है। साथ ही शिक्षा और विकास द्वारा युवाओं को सही दिशा देना भी जरूरी है।


उपसंहार:

यदि जनता और सरकार मिलकर कार्य करें तो आतंकवाद पर काबू पाया जा सकता है और भारत शांतिपूर्ण भविष्य की ओर बढ़ सकता है।


(ख) स्वस्थ समाज के निर्माण में नारी की भूमिका


प्रस्तावना:

नारी समाज की आधारशिला है। बिना नारी के समाज की कल्पना अधूरी है।


भूमिका:

नारी माँ, बहन, पत्नी और शिक्षिका के रूप में परिवार और समाज को सही दिशा देती है। वह बच्चों में संस्कार और शिक्षा का संचार करती है।


महत्व:

नारी केवल परिवार की देखभाल ही नहीं करती बल्कि आज हर क्षेत्र में अपनी दक्षता सिद्ध कर रही है। उसके योगदान से समाज स्वस्थ और प्रगतिशील बनता है।


उपसंहार:

नारी के सम्मान और सहयोग के बिना समाज का संतुलित विकास संभव नहीं है।


(ग) पर्यावरण प्रदूषण की समस्या और समाधान


प्रस्तावना:

प्रकृति मानव जीवन का आधार है। लेकिन आधुनिक विकास की दौड़ में पर्यावरण गंभीर रूप से प्रदूषित हो रहा है।


समस्या:

वाहनों का धुआँ, औद्योगिक अपशिष्ट, वृक्षों की अंधाधुंध कटाई और प्लास्टिक का प्रयोग प्रदूषण के मुख्य कारण हैं। इससे जलवायु परिवर्तन और बीमारियाँ बढ़ रही हैं।


समाधान:

वृक्षारोपण, नवीकरणीय ऊर्जा का प्रयोग, प्लास्टिक पर रोक और जन-जागरूकता जरूरी है। सरकार और नागरिक दोनों को मिलकर कदम उठाने होंगे।


उपसंहार:

पर्यावरण संरक्षण ही आने वाली पीढ़ियों का सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित कर सकता है।


(घ) साहित्य और समाज


प्रस्तावना:

साहित्य समाज का दर्पण है। यह समाज की स्थिति और मानसिकता को शब्दों में व्यक्त करता है।


संबंध:

साहित्य में जो लिखा जाता है, वह समाज की परिस्थितियों से प्रेरित होता है। भक्ति साहित्य ने समाज में भक्ति-भाव जगाया और आधुनिक साहित्य ने सामाजिक सुधारों को दिशा दी।


महत्व:

साहित्य समाज को विचार देता है, मार्गदर्शन करता है और संस्कृति को संरक्षित करता है। साहित्य के बिना समाज नीरस और असंतुलित हो जाएगा।


उपसंहार:

साहित्य और समाज दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। साहित्य समाज का निर्माण करता है और समाज साहित्य को ऊर्जा देता है। Quick Tip: निबंध लिखते समय प्रस्तावना, मुख्य भाग और उपसंहार अवश्य रखें, ताकि उत्तर संतुलित और प्रभावशाली बने।


Question 55:

'हरिश्चरति' का सन्धि-विच्छेद है :

  • (A) हरी + चरति
  • (B) हर + चरति
  • (C) हरिः + चरति
  • (D) हरः + चरति
Correct Answer: (C) हरिः + चरति
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Step 1: Understanding the word.

'हरिश्चरति' शब्द 'हरिः' (भगवान विष्णु) और 'चरति' (चलता है) से बना है।


Step 2: Sandhi process.

यहाँ 'ः' विसर्ग के बाद 'च' आने से विसर्ग लुप्त हो जाता है और 'हरिः + चरति' = 'हरिश्चरति' बनता है।


Step 3: Option Analysis.

- (A) हरी + चरति → गलत।

- (B) हर + चरति → गलत।

- (C) हरिः + चरति → सही उत्तर।

- (D) हरः + चरति → गलत रूप।


इसलिए सही उत्तर है (C) हरिः + चरति।
Quick Tip: विसर्ग के बाद व्यंजन आने पर प्रायः विसर्ग लुप्त हो जाता है।


Question 56:

'विष्णोऽव' का सन्धि-विच्छेद है :

  • (A) विष्णो + व
  • (B) विष्णो + एव
  • (C) विष्णो + अव
  • (D) विष्णु + अव
Correct Answer: (C) विष्णो + अव
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Step 1: Understanding the word.

'विष्णोऽव' में 'विष्णो' और 'अव' का मेल है।


Step 2: Sandhi process.

यहाँ 'ओ' (दीर्घ स्वर) के बाद 'अ' आता है। इस स्थिति में 'ओ + अ' के बीच अवग्रह (ऽ) का प्रयोग किया जाता है। अतः 'विष्णो + अव' = 'विष्णोऽव'।


Step 3: Option Analysis.

- (A) विष्णो + व → गलत।

- (B) विष्णो + एव → गलत।

- (C) विष्णो + अव → सही उत्तर।

- (D) विष्णु + अव → रूप बदल जाता है, अतः गलत।


इसलिए सही उत्तर है (C) विष्णो + अव।
Quick Tip: स्वर के मेल में 'अवग्रह' (ऽ) का प्रयोग किया जाता है, जैसे — विष्णोऽव।


Question 57:

'गायकः' का सन्धि-विच्छेद है :

  • (A) गै + ईकः
  • (B) गै + इकः
  • (C) गै + एकः
  • (D) गै + अकः
Correct Answer: (C) गै + एकः
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Step 1: Understanding the word.

'गायकः' शब्द 'गै' (धातु — गान करना) और 'एकः' (अर्थात् करने वाला व्यक्ति) से बना है।


Step 2: Sandhi process.

जब 'गै' और 'एकः' का मेल होता है, तो 'गै + एकः' में 'ए' स्वर के कारण 'गायकः' रूप बनता है।


Step 3: Option Analysis.

- (A) गै + ईकः → गलत।

- (B) गै + इकः → गलत।

- (C) गै + एकः → सही उत्तर।

- (D) गै + अकः → गलत।


इसलिए सही उत्तर है (C) गै + एकः।
Quick Tip: 'गायकः' शब्द में 'गै' धातु और 'एकः' शब्द के संयोग से 'गै + एकः' → 'गायकः' रूप बनता है।


Question 58:

निम्नलिखित में से किसी एक पद का विग्रह करके समास का नाम लिखिए:

  • (i) कृष्णाश्वः
  • (ii) प्रत्यक्षम्
  • (iii) महाधनम्
Correct Answer:
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(i) कृष्णाश्वः

विग्रह: कृष्णः अश्वः = कृष्णवर्ण वाला अश्व।

समास का नाम: कर्मधारय समास।


(ii) प्रत्यक्षम्

विग्रह: प्रति अक्षम् = आँखों के सामने।

समास का नाम: अव्ययीभाव समास।


(iii) महाधनम्

विग्रह: महत् धनम् = बहुत अधिक धन।

समास का नाम: कर्मधारय समास। Quick Tip: समास का नाम पहचानने के लिए पहले विग्रह कीजिए और देखें कि विशेषण-विशेष्य (कर्मधारय), उपपद-प्रधान (अव्ययीभाव), या अन्य संबंध है।


Question 59:

'आत्मन्' शब्द का सप्तमी विभक्ति, द्विवचन रूप होगा :

  • (A) आत्मनः
  • (B) आत्मनोः
  • (C) आत्मने
  • (D) आत्मनो
Correct Answer: (B) आत्मनोः
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Step 1: Declension of 'आत्मन्'.

'आत्मन्' शब्द पुल्लिंग, नपुंसकलिंग 'न्' अंत शब्द है। इसका सप्तमी विभक्ति द्विवचन रूप 'आत्मनोः' होता है।


Step 2: Explanation.

सप्तमी विभक्ति में स्थान या अधिकरण सूचित होता है। द्विवचन के लिए 'नोः' प्रत्यय जुड़ता है।


Step 3: Option Analysis.

- (A) आत्मनः → यह प्रथमा बहुवचन रूप है।

- (B) आत्मनोः → सही उत्तर, सप्तमी द्विवचन।

- (C) आत्मने → यह चतुर्थी एकवचन है।

- (D) आत्मनो → यह रूप शुद्ध नहीं है।


इसलिए सही उत्तर है (B) आत्मनोः।
Quick Tip: 'न्' अंत शब्दों का सप्तमी द्विवचन रूप प्रायः 'नोः' पर समाप्त होता है।


Question 60:

'नामन्' शब्द का षष्ठी विभक्ति, द्विवचन रूप होगा :

  • (A) नामभ्याम्
  • (B) नाम्नाम्
  • (C) नाम्नोः
  • (D) नाम्ने
Correct Answer: (C) नाम्नोः
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Step 1: Declension of 'नामन्'.

'नामन्' शब्द पुल्लिंग 'न्' अंत शब्द है। इसका षष्ठी विभक्ति द्विवचन रूप 'नाम्नोः' होता है।


Step 2: Explanation.

षष्ठी विभक्ति का प्रयोग अधिकार या संबंध दर्शाने हेतु होता है। द्विवचन के लिए 'नोः' प्रत्यय जुड़ता है।


Step 3: Option Analysis.

- (A) नामभ्याम् → यह तृतीया/चतुर्थी/पंचमी द्विवचन है।

- (B) नाम्नाम् → यह षष्ठी बहुवचन है।

- (C) नाम्नोः → सही उत्तर, षष्ठी द्विवचन।

- (D) नाम्ने → यह चतुर्थी एकवचन है।


इसलिए सही उत्तर है (C) नाम्नोः।
Quick Tip: 'न्' अंत शब्दों के षष्ठी और सप्तमी द्विवचन रूप समान होते हैं — 'नोः'।


Question 61:

'स्था' धातु में विधिलिङ् लकार, मध्यम पुरुष, बहुवचन का रूप होगा :

  • (A) तिष्ठ
  • (B) तिष्ठः
  • (C) तिष्ठत
  • (D) तिष्ठन्त
Correct Answer: (C) तिष्ठत
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Step 1: Base form of verb.

'स्था' धातु का अर्थ है — खड़ा होना या स्थित होना।


Step 2: Applying विधिलिङ् लकार (Potential mood).

विधिलिङ् लकार में मध्यम पुरुष, बहुवचन के लिए सामान्यतः प्रत्यय 'त' लगता है।


Step 3: Constructing the form.

'स्था' धातु का मूल रूप 'तिष्ठ' है। इसमें विधिलिङ् लकार का मध्यम पुरुष, बहुवचन प्रत्यय 'त' जुड़ने पर 'तिष्ठत' रूप बनता है।


Step 4: Option Analysis.

- (A) तिष्ठ → यह अधूरा रूप है।

- (B) तिष्ठः → यह द्विवचन रूप है।

- (C) तिष्ठत → सही उत्तर, मध्यम पुरुष बहुवचन विधिलिङ्।

- (D) तिष्ठन्त → यह रूप उचित नहीं है।


इसलिए सही उत्तर है (C) तिष्ठत।
Quick Tip: विधिलिङ् लकार (Potential mood) में मध्यम पुरुष, बहुवचन रूप प्रायः 'त' प्रत्यय से बनता है, जैसे — तिष्ठत।


Question 62:

‘अभिवाद’ अथवा ‘नय्यू’ शब्द की धातु, लकार तथा पुरुष और वचन लिखिए।

Correct Answer:
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अभिवाद शब्द की धातु :

अभिवाद शब्द की धातु 'वद' है।

लकार :

वर्तमानी काल : अभिवादति

भूतकाल : अभिवादितम्

आगामी काल : अभिवादयिष्यति

पुरुष :

प्रथम पुरुष : अभिवादामि (I speak)

द्वितीय पुरुष : अभिवादसि (You speak)

तृतीय पुरुष : अभिवादति (He speaks)

वचन :

एकवचन : अभिवादति (He speaks)

बहुवचन : अभिवादन्ति (They speak) Quick Tip: शब्द की धातु, लकार, पुरुष और वचन की पहचान करना महत्वपूर्ण है।


Question 63:

निम्नलिखित में से किसी एक शब्द के धातु एवं प्रत्यय का योग स्पष्ट कीजिए :

  • (A) पीतम्
  • (B) दुर्बुद्धि
  • (C) दूर्वा
Correct Answer: (A) पीतम्
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Step 1: Word Construction for 'पीतम्'.

'पीत' शब्द (धातु — पीत) से 'पीतम्' रूप बनता है। यह 'त' प्रत्यय का उपयोग करके तैयार किया जाता है।


Step 2: Explanation for 'दुर्बुद्धि' and 'दूर्वा'.

- 'दुर्बुद्धि' में 'बुद्धि' (धातु — बुद्ध) और 'दु' (अविकारी प्रत्यय) जुड़ा है।
- 'दूर्वा' में 'दूर्व' (धातु) और 'आ' प्रत्यय जुड़ा है।


इसलिए सही उत्तर है (A) पीतम्।
Quick Tip: धातु शब्दों से प्रत्यय जोड़ने का तरीका समझने से हम शब्दों के निर्माण की प्रक्रिया को अच्छे से समझ सकते हैं।


Question 64:

निम्नलिखित में से किसी एक शब्द का संस्कृत प्रत्यय लिखिए :

  • (A) पुरुषत्वम्
  • (B) श्रीमती
  • (C) हत्वा
Correct Answer: (A) पुरुषत्वम्
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Step 1: Sanskrit Prefix/Suffix Construction.

'पुरुषत्वम्' में 'पुरुष' (अर्थ — पुरुष) और 'त्वम्' (संज्ञा रूप, अवस्था सूचक प्रत्यय) जुड़ा हुआ है।


Step 2: Explanation for other options.

- 'श्रीमती' में 'श्री' और 'मति' (संज्ञा रूप) जुड़ा है, जो एक सम्मानजनक उपनाम होता है।
- 'हत्वा' में 'ह' (धातु) और 'वा' प्रत्यय का प्रयोग हुआ है।


इसलिए सही उत्तर है (A) पुरुषत्वम्।
Quick Tip: 'त्वम्' प्रत्यय व्यक्तियों या गुणों का सूचक होता है, जैसे — 'पुरुषत्वम्'।


Question 65:

रेखांकित पदों में से किसी एक पद में प्रयुक्त विभक्ति तथा सम्बन्धित नियम का उल्लेख कीजिए:

  • (i) नमता विद्यालयं प्रति याती।
  • (ii) श्रीभुते नमः।
  • (iii) हरिणा सह राधा नृत्यति।
Correct Answer:
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(i) नमता

विग्रह: नमः + ता = नम्रता।

समास का नाम: द्वंद्व समास।


(ii) श्रीभुते

विग्रह: श्रीं + भूत = श्रीभूत।

समास का नाम: कर्मधारय समास।


(iii) हरिणा

विग्रह: हरिण + आ = हरिणा।

समास का नाम: तद्धित समास। Quick Tip: समास का नाम पहचानने के लिए पहले विग्रह कीजिए और यह देखें कि विशेषण-विशेष्य, उपपद-प्रधान, या अन्य संबंध है।


Question 66:

निम्नलिखित में से किन्हीं दो वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद कीजिए:

(क) सत्यं धर्मेण रक्षां करोति।
(ख) तालाबे कमलानि खिलन्ति।
(ग) रामः रावणं कुम्भं बाणेन मारा।
(घ) फूलेषु अरविन्दं श्रेष्ठं अस्ति।
(ङ) शिष्यः गुरुं दक्षिणां दत्त।

Correct Answer:
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(क) सत्यं धर्मेण रक्षां करोति।
सत्यं धर्मेण रक्षां करोति।


(ख) तालाबे कमलानि खिलन्ति।
तालाबे कमलानि खिलन्ति।


(ग) रामः रावणं कुम्भं बाणेन मारा।
रामः रावणं कुम्भं बाणेन मारा।


(घ) फूलेषु अरविन्दं श्रेष्ठं अस्ति।
फूलेषु अरविन्दं श्रेष्ठं अस्ति।


(ङ) शिष्यः गुरुं दक्षिणां दत्त।
शिष्यः गुरुं दक्षिणां दत्त। Quick Tip: संस्कृत अनुवाद करते समय वाक्य को स्पष्ट रूप से और उचित विभक्तियों का प्रयोग करके लिखें।

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