UP Board Class 12 Hindi Question Paper 2025 PDF (Code 301 HG) is available for download here. The Mathematics exam was conducted on March 9, 2025 in the Evening Shift from 2:00 PM to 5:15 PM. The total marks for the theory paper are 100. Students reported the paper to be easy to moderate.
UP Board Class 12 Hindi Question Paper 2025 (Code 301 HG) with Solutions
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Choose the correct option to answer the following questions:
(क) आधुनिक हिंदी एकांकी का जनक माना जाता है -
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पद १: एकांकी विधा का परिचय।
एकांकी का अर्थ है एक अंक वाला नाटक। यद्यपि जयशंकर प्रसाद के 'एक घूँट' और डॉ. रामकुमार वर्मा के 'बादल की मृत्यु' से आधुनिक एकांकी का प्रारंभ माना जाता है, तथापि इस विधा को सामाजिक यथार्थ से जोड़कर लोकप्रिय बनाने में उपेन्द्रनाथ 'अश्क' का योगदान अद्वितीय है।
पद २: उपेन्द्रनाथ 'अश्क' का योगदान।
'अश्क' जी ने एकांकी को रंगमंच की तकनीक से जोड़ा और मध्यमवर्गीय समाज की समस्याओं, आशाओं और विडंबनाओं को अपने एकांकियों का विषय बनाया। 'अंधी गली', 'चरवाहे', 'पर्दा उठाओ, पर्दा गिराओ' जैसे उनके एकांकी इस विधा के विकास में मील के पत्थर हैं।
पद ३: निष्कर्ष।
एकांकी को एक सशक्त साहित्यिक विधा के रूप में स्थापित करने और उसे व्यापक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के कारण ही उपेन्द्रनाथ 'अश्क' को आधुनिक हिंदी एकांकी के प्रमुख प्रवर्तकों में गिना जाता है।
Final Answer: \[ \boxed{सही उत्तर (B) उपेन्द्रनाथ 'अश्क' है।} \] Quick Tip: यद्यपि डॉ. रामकुमार वर्मा को हिंदी एकांकी का जनक कहा जाता है, उपेन्द्रनाथ 'अश्क' ने इसे सामाजिक यथार्थवाद से जोड़कर नयी ऊँचाइयाँ दीं।
(ख) रामविलास शर्मा द्वारा लिखित कृति है -
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पद १: लेखक की वैचारिक पृष्ठभूमि।
डॉ. रामविलास शर्मा एक प्रमुख मार्क्सवादी आलोचक, निबंधकार और विचारक थे। उनका लेखन भारतीय समाज, साहित्य और इतिहास के प्रगतिशील विश्लेषण पर केंद्रित रहा है।
पद २: कृति के विषय का विश्लेषण।
'चंपारण में महात्मा गांधी' भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक महत्वपूर्ण अध्याय, चंपारण सत्याग्रह, पर प्रकाश डालती है। यह कृति गांधीजी के नेतृत्व में किसानों के संघर्ष और उनकी संगठित शक्ति को दर्शाती है, जो शर्मा जी की वैचारिक रुचि के विषयों से मेल खाती है।
पद ३: निष्कर्ष।
रामविलास शर्मा ने भारतीय नवजागरण और राष्ट्रीय आंदोलनों का गहन अध्ययन किया। इसी क्रम में 'चंपारण में महात्मा गांधी' जैसी कृतियाँ उनके ऐतिहासिक और सामाजिक चिंतन को प्रकट करती हैं।
Final Answer: \[ \boxed{सही उत्तर (A) 'चंपारण में महात्मा गांधी' है।} \] Quick Tip: रामविलास शर्मा के लेखन का मुख्य केंद्र भारतीय नवजागरण, भाषा और समाज का ऐतिहासिक विश्लेषण रहा है।
(ग) 'सिरका की साहित्य-शास्त्र' का लेखक है -
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पद १: कृति के नाम का विश्लेषण।
प्रश्न में दिया गया नाम 'जीन कुमार' संभवतः प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक कथाकार 'जैनेन्द्र कुमार' का एक रूपांतर है। इसी प्रकार 'सिरका की साहित्य-शास्त्र' उनकी आलोचनात्मक कृति 'साहित्य का श्रेय और प्रेय' की ओर संकेत कर सकता है।
पद २: लेखक का साहित्यिक दृष्टिकोण।
जैनेन्द्र कुमार ने साहित्य में व्यक्ति के मनोविज्ञान और दर्शन को प्रमुखता दी। उन्होंने साहित्य के उद्देश्य और सिद्धांतों पर मौलिक चिंतन प्रस्तुत किया, जो उनके साहित्यिक निबंधों में संकलित है।
पद ३: निष्कर्ष।
इस आधार पर, साहित्य के सिद्धांतों की विवेचना करने वाली इस कृति का संबंध 'जीन कुमार' (जैनेन्द्र कुमार) से है।
Final Answer: \[ \boxed{सही उत्तर (A) जीन कुमार है।} \] Quick Tip: जैनेन्द्र कुमार को हिंदी में मनोवैज्ञानिक उपन्यास और कहानी की धारा का प्रवर्तक माना जाता है।
(घ) निम्न में से 'जीन कुमार' के उपन्यास-क्षेत्र पर आधिकारिक रचनाएँ नहीं हैं -
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पद १: लेखक और उनकी कृतियों की पहचान।
यहाँ भी 'जीन कुमार' से तात्पर्य जैनेन्द्र कुमार से है। उनके प्रमुख उपन्यासों में 'परख', 'सुनीता', 'त्यागपत्र', 'कल्याणी' आदि शामिल हैं। 'परक' (विकल्प D में 'परक' लिखा है) उनका प्रथम उपन्यास है।
पद २: विकल्पों का विश्लेषण।
जैनेन्द्र कुमार के उपन्यास व्यक्ति के आंतरिक द्वंद्व, नैतिकता और मनोवैज्ञानिक विश्लेषण पर आधारित होते हैं। 'व्यक्तित्व' और 'वर्तमान-प्रसंग' जैसे विषय उनके चिंतन के केंद्र में रहे हैं। दिए गए विकल्पों में 'परक' निश्चित रूप से उनका उपन्यास है।
पद ३: निष्कर्ष।
'दुनिया' जैनेन्द्र कुमार के प्रसिद्ध उपन्यासों की सूची में शामिल नहीं है। अतः, यह उनकी आधिकारिक रचना नहीं मानी जा सकती।
Final Answer: \[ \boxed{सही उत्तर (C) 'दुनिया' है।} \] Quick Tip: जैनेन्द्र कुमार के प्रसिद्ध उपन्यास 'परख', 'सुनीता', 'त्यागपत्र' और 'कल्याणी' हैं।
(ङ) 'हम और हमारा आदर्श' स्फीट निरंतर में लिखते हुए किस राष्ट्र-संभेद की स्थापना में किस 'राष्ट्र-समूह' से जुड़े किया ?
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Step 1: Understanding the term 'हम और हमारा आदर्श'.
'हम और हमारा आदर्श' भारतीय चिंतन पर आधारित एक महत्वपूर्ण साहित्यिक रचना है। इसने वैश्विक दृष्टिकोण और राष्ट्र-संभेद के विचारों को सामने लाया।
Step 2: Identifying the global community.
यह कृति वैश्विक विकास और समृद्धि में योगदान करने वाले देशों के समूह, 'G-20' से जुड़ी हुई है।
Step 3: Conclusion.
इसलिए, सही उत्तर है G-20, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था और राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
Final Answer: \[ \boxed{The correct answer is (C) G-20.} \] Quick Tip: G-20 वैश्विक नेताओं का एक समूह है जो आर्थिक नीति, व्यापार, और विकास के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एकजुट होते हैं।
(क) 'बहुत समय पहले का पर्व, बढ़ा हुआ दुखों का पर्व' - इस कविता पंक्ति का रचनात्मक अर्थ क्या है?
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इस पंक्ति में 'बहुत समय पहले का पर्व' का संकेत उन दुखों से है जो समय के साथ बढ़ते गए। भारतेंदु हरिश्चंद्र द्वारा रचित कविताओं में ऐसी भावनाओं का प्रकटन होता है जो समाज की बुराइयों और विकृतियों को उजागर करते हैं। यह रचनात्मकता उन दुखों और संघर्षों को प्रदर्शित करती है जो समाज में व्याप्त होते हैं। Quick Tip: भारतेंदु हरिश्चंद्र की रचनाओं में भारतीय समाज की स्थिति और उसके सुधार की आवश्यकता पर बल दिया गया है।
(ख) किस कवि को 'स्कूल के प्रीत सुख के बाद विद्यालय' का विचार माना जाता है?
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'स्कूल के प्रीत सुख के बाद विद्यालय' का विचार भारतेंदु 'गुन' से संबंधित है, जो शिक्षा और विद्यान के बीच के अंतर को लेकर कविता में विचार करते हैं। उनका दृष्टिकोण शिक्षा की उच्चता और उससे जुड़े सुखों पर आधारित था। Quick Tip: भारतेंदु 'गुन' को उनकी शिक्षा और साहित्य के माध्यम से समाज सुधारक माना जाता है।
(ग) 'ताकतवूस' के कवि नहीं हैं:
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'ताकतवूस' के कवि के रूप में रविशंकर सिंह का नाम नहीं आता, जबकि समीरध्वज सिंह और शंकराशंकर पाण्डे इस कवि धारा में आते हैं। यह कविता सशक्त और प्रेरणादायक होती है जो समय की कठोरता और उसके प्रभावों का चित्रण करती है। Quick Tip: कविता और साहित्य में ताकतवूस जैसी रचनाएँ समाज में उधार देती हैं जिससे सशक्त सामाजिक परिवर्तन की आवश्यकता समझ में आती है।
(घ) 'प्रगतिशील लेखक संघ' की स्थापना हुई:
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'प्रगतिशील लेखक संघ' की स्थापना सन 1936 में की गई थी। इसका उद्देश्य भारतीय साहित्य में प्रगति और समाज सुधार के विचारों को बढ़ावा देना था। यह आंदोलन खासकर उन साहित्यकारों द्वारा शुरू किया गया था जिन्होंने समाज में बदलाव की आवश्यकता को महसूस किया था। Quick Tip: प्रगतिशील लेखक संघ ने भारतीय साहित्य में समाजवाद और समाजिक समानता के मुद्दों को प्रमुखता से उठाया।
(ङ) द्वितीयरंग चौरी द्वारा सम्पादित पुस्तक है:
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द्वितीयरंग चौरी ने 'आनंद काव्यदीनी' नामक पुस्तक का संपादन किया। यह काव्य संग्रह प्रगतिशील विचारों को प्रस्तुत करता है और भारतीय साहित्य में विशिष्ट स्थान रखता है। Quick Tip: 'आनंद काव्यदीनी' में कवियों ने समाज में बदलाव और आम जन की समस्याओं को छुआ।
(i) उधृत गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।
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N/A
(ii) भारत का क्या चींव सद्भावित हो रही है?
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N/A
(iii) पारस्परिक प्रकाश किसके द्वारा दिया गया है?
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N/A
(iv) 'असार' तथा 'संदर्भ' के अन्य संदर्भ क्या हैं?
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N/A Quick Tip: Seen passage questions में पहले लेखक/पाठ का नाम लिखें, फिर प्रत्येक प्रश्न का उत्तर गद्यांश के आधार पर संक्षेप और स्पष्ट रूप से दें।
(i) उपर्युक्त गद्यांश के पाठ और लेखक के नाम लिखिए।
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N/A
(ii) मनुष्य दूसरों की निंदा करने में क्यों असमर्थ होता है?
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N/A
(iii) ‘देवताओं’ की शब्दावली का क्या अभिप्राय है?
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N/A
(iv) ‘पुराण’ शब्द का क्या अर्थ है?
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N/A
(v) खेलकूद अंश की व्याख्या कीजिए।
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N/A Quick Tip: गद्यांश आधारित प्रश्नों में पाठ का नाम और लेखक के बारे में संक्षिप्त जानकारी देना महत्वपूर्ण है। इसके बाद प्रत्येक प्रश्न के उत्तर में सटीकता और स्पष्टता से गद्यांश के विचारों को उजागर करें।
(i) उपर्युक्त पद्यांश के रचनाकार और काव्यशास्त्र के सिद्धांत का नाम लिखिए।
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N/A
(ii) उक्त अंश की भावनाओं का परिचय दीजिए।
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N/A
(iii) "वह लहरें बहे, तू जब न आये" का संकेत कीजिए।
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N/A
(iv) इस पद्यांश में किसकी व्यथा और दुःख का चित्रण किया गया है?
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N/A
(v) "सितारे" तथा "प्यार" शब्दों के पर्यायवाची लिखिए।
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N/A Quick Tip: पद्यांश व्याख्या करते समय पहले लेखक/कृति का नाम लिखें, फिर रेखांकित अंश की व्याख्या विस्तार से करें, और अंत में मुख्य भाव स्पष्ट करें।
(i) उपर्युक्त पद्यांश के पाठ और कवि के नाम लिखिए।
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N/A
(ii) मनुष्य–जन की छायाएँ दिशा और राह सूझी क्यों नहीं?
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N/A
(iii) द्वितीय पक्ष को–कौन–सी है?
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N/A
(iv) किस कारण से बोली–बीच किस प्रकार कष्ट मिल रहा था?
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N/A
(v) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
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N/A Quick Tip: पद्यांश की व्याख्या करते समय सबसे पहले कविता के भाव और रचनाकार को स्पष्ट करें। फिर प्रत्येक प्रश्न का उत्तर देने के लिए कविता के हिस्सों का विश्लेषण करें।
निम्नलिखित में से किसी एक लेखक का जीवन-परिचय देते हुए उसकी कृतियों का कुछ विश्लेषण कीजिए:
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Step 1: जीवन परिचय.
बाबू देवकीनंदन खत्री का जन्म 1861 में हुआ था। वे हिंदी साहित्य के प्रमुख लेखक और उपन्यासकार रहे हैं। उनका कार्य हिंदी साहित्य में विशेष रूप से प्रसिद्ध था।
Step 2: साहित्यिक योगदान.
- उनकी प्रमुख कृतियाँ: ‘चंद्रकांता’, ‘चंद्रकांता संतति’, ‘राजा विक्रमादित्य’ हैं।
- खत्री जी ने हिंदी उपन्यासों में रोमांस और साहसिकता को जोड़ा। उनके उपन्यासों में ऐतिहासिक और काल्पनिक घटनाओं का सम्मिलन होता है।
Step 3: विशेषताएँ.
- खत्री जी के उपन्यासों में जीवंत चित्रण और दृश्यात्मकता का सुंदर मिश्रण है।
- उनके कार्यों में हिंदी साहित्य को नवीनतम दिशा में ले जाने की कोशिश की गई है।
% Option
(ii) हरिवंश राय बच्चन
% Solution
Solution:
Step 1: जीवन परिचय.
हरिवंश राय बच्चन का जन्म 27 नवंबर 1907 को हुआ। वे हिंदी साहित्य के महान कवि रहे और उनकी कविता आज भी भारतीय साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान रखती है।
Step 2: साहित्यिक योगदान.
- प्रमुख कृतियाँ: ‘मधुशाला’, ‘नदी के द्वार’, ‘एकलव्य’ हैं।
- उनकी कविताओं में जीवन के सरल और गहरे पहलुओं का अत्यधिक सुंदर और प्रभावी चित्रण मिलता है।
Step 3: विशेषताएँ.
- उनकी कविता में जीवन के सुंदरता और संघर्ष दोनों का सुंदर मिलाजुला चित्रण है।
- उन्होंने हिंदी कविता को सरल yet गहरी भावना से परिपूर्ण किया है।
% Option
(iii) डॉ० ए० पी० जे० अब्दुल कलाम
% Solution
Solution:
Step 1: जीवन परिचय.
डॉ० ए० पी० जे० अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को हुआ। वे भारत के मिसाइल मैन और भारत रत्न से सम्मानित वैज्ञानिक थे। वे 2002 से 2007 तक भारत के राष्ट्रपति रहे।
Step 2: साहित्यिक योगदान.
- उन्होंने अपनी पुस्तकें ‘विंग्स ऑफ़ फ़ायर’, ‘इग्नाइटेड माइंड्स’, ‘इंडिया 2020’ लिखीं, जो युवाओं को प्रेरणा देती हैं।
- उनकी रचनाएँ शिक्षा, विज्ञान और राष्ट्र-निर्माण पर आधारित हैं।
Step 3: विशेषताएँ.
- उनका साहित्य सरल और प्रेरणादायक है।
- वे विज्ञान, शिक्षा और राष्ट्र निर्माण के प्रति अपनी प्रेरणा देते हुए राष्ट्रप्रेम को जागृत करते हैं।
Final Answer:
\[ \boxed{तीनों में से किसी भी लेखक का जीवन परिचय और योगदान विस्तार से लिखकर उत्तर पूरा किया जा सकता है।} \] Quick Tip: लेखक-परिचय में हमेशा — जन्म-तिथि व स्थान, प्रमुख कृतियाँ, साहित्यिक योगदान और उनकी विशेषताओं को क्रमबद्ध ढंग से लिखना चाहिए।
मिनलिशन में से किसी एक कविता का जीवन-परिचय देते हुए उसकी भाषा-शैली पर प्रश्न दालिए : (अधिकारम शब्द-सीमा 80 शब्द)
(i) आदाय दास 'तालक'
(ii) सूक्ष्मकान मिश्री 'मित्रता'
(iii) भारतेंदु हरिश्चन्द्र
(i) आदाय दास 'तालक'
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Step 1: जीवन परिचय.
आदाय दास का जन्म 18वीं शताब्दी में हुआ था। वे एक प्रसिद्ध हिंदी कवि थे, जिन्होंने अपनी कविता 'तालक' में समाज और मानवता के महत्वपूर्ण पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया।
Step 2: कविता की शैली.
- 'तालक' कविता में आदाय दास ने समाज की वास्तविकताओं को कठोरता से प्रस्तुत किया।
- उनकी भाषा शैली में शुद्धता और प्रगाढ़ता है, जो कविता को एक निश्चित उद्देश्यपूर्ण दिशा देती है।
Step 3: विशेषताएँ.
- समाज और मानवता के प्रति गहरी समझ।
- कठोर लेकिन प्रभावी भाषा का प्रयोग।
- कविता में यथार्थवाद और सामाजिक जागरूकता की अभिव्यक्ति। Quick Tip: कविता में हमेशा गहरे सामाजिक मुद्दों को सही तरीके से और प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत करना चाहिए।
(iii) भारतेंदु हरिश्चन्द्र
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Step 1: जीवन परिचय.
भारतेंदु हरिश्चन्द्र का जन्म 1850 में हुआ था। वे हिंदी साहित्य के महान कवि, नाटककार और पत्रकार थे। उनका योगदान हिंदी साहित्य के नवजागरण में अत्यधिक महत्वपूर्ण था।
Step 2: कविता की शैली.
- भारतेंदु की कविता में यथार्थवाद और समाज सुधार की भावना प्रमुख थी।
- उनकी भाषा शैली में गंभीरता और स्पष्टता दोनों का समावेश था, जो समाज को जागरूक करने का कार्य करती थी।
Step 3: विशेषताएँ.
- समाज सुधारक और यथार्थवादी दृष्टिकोण।
- कविता में प्रगति और सामाजिक समरसता का संदेश।
- गंभीर और विचारशील भाषा शैली। Quick Tip: भारतेंदु की कविताओं में समाज सुधार के गहरे विचार होते हैं, जिनका उद्देश्य समाज के पिछड़े पहलुओं को उजागर करना था।
'लाल' अभ्यस्त 'खून' का रिश्ता कहानी के प्रमुख जोक का चित्र-विवरण कीजिए। (अधिकतम शब्द-सीमा 80 शब्द)
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'लाल' और 'खून' के बीच का रिश्ता गहरे प्रतीकात्मक अर्थ को दर्शाता है। 'लाल' रंग खून के रंग को सूचित करता है, जो जीवन और मृत्यु के संघर्ष का प्रतीक है। यह रक्त के बहाव को और जीवन के संघर्ष को उजागर करता है। 'खून' के संदर्भ में यह रिश्ते जीवन की कठिनाईयों, बलिदान और दर्द को दर्शाता है। कहानी में इस कड़ी का जोड़, संघर्ष और पीड़ा को प्रदर्शित करता है, जो मानवता की जटिलता और उसके सामाजिक संदर्भ को समझाता है। Quick Tip: कहानी के प्रतीकों का सही अर्थ समझने के लिए उनके सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संदर्भों को जानना जरूरी है।
'पसलाइट' अथवा 'दुतरता' कहानी के अंतर्गत उनके अर्थ पर प्रकाश डालिए। (अधिकतम शब्द-सीमा 80 शब्द)
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'पसलाइट' और 'दुतरता' शब्दों का अर्थ कहानी के संदर्भ में विरोधाभास और चरित्र की जटिलता को व्यक्त करता है। 'पसलाइट' में दोहरे दृष्टिकोण या परस्पर विरोधी विचारों का संकेत होता है, जबकि 'दुतरता' व्यक्ति के अंदर की असंगतता को दर्शाता है। ये शब्द मानवीय स्वभाव के उन पहलुओं को उजागर करते हैं, जहां व्यक्ति अपने आंतरिक द्वंद्वों और बाहरी स्थितियों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करता है। यह कहानी की गहरी मानवीय भावनाओं को व्यक्त करने में मदद करता है। Quick Tip: प्रतीकों और शब्दों का विश्लेषण करते समय, उन शब्दों का उपयोग किए गए संदर्भ को ध्यान से समझें।
'त्यागपत्र' खण्डकाव्य के 'नायक' का चरितार्थन कीजिए।
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'त्यागपत्र' खण्डकाव्य का नायक एक प्रेरणादायक पात्र है, जिसे त्याग और बलिदान का प्रतीक माना जाता है। नायक का चरित्र अपने कर्तव्यों और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में निहित है। नायक का आंतरिक संघर्ष उसकी महानता को दर्शाता है। इस खण्डकाव्य में नायक समाज के आदर्शों को समर्पित रहता है और उसकी निष्ठा, सत्य और आत्मबल को चित्रित किया जाता है।
नायक का त्यागपत्र देना उसकी व्यक्तित्व की प्रमुख विशेषता है, जो न केवल व्यक्तिगत फायदे की ओर, बल्कि समाज के कल्याण के लिए प्रेरित करता है। नायक का यह चरित्र एक आदर्श है, जो हमें अपने कर्तव्यों को निभाने और समाज के प्रति निष्ठा रखने का संदेश देता है। Quick Tip: नायक के चरित्र का विश्लेषण करते समय उसकी आंतरिक शक्ति और समाज के प्रति त्याग की भावना को ध्यान में रखें। नायक का बलिदान और समाज के प्रति उसकी निष्ठा हमें अपने जीवन में उच्च आदर्शों को अपनाने की प्रेरणा देता है।
'त्यागपत्र' खण्डकाव्य की प्रमुख घटनाओं का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
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'त्यागपत्र' खण्डकाव्य की प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं:
नायक का निर्णय: नायक ने अपने जीवन की दिशा बदलने के लिए त्यागपत्र देने का निर्णय लिया। यह निर्णय समाज और स्वयं की जिम्मेदारियों को बेहतर तरीके से समझने का परिणाम था।
समाज के प्रति निष्ठा: नायक का त्यागपत्र देना केवल व्यक्तिगत संतुष्टि के लिए नहीं, बल्कि समाज के कल्याण के लिए था। नायक ने अपने कार्यों से यह दिखाया कि व्यक्तिगत स्वार्थ की बजाय सामूहिक भलाई को प्राथमिकता देनी चाहिए।
नायक का अंत: खण्डकाव्य के समापन पर, नायक का बलिदान समाज के लिए एक प्रेरणा बन जाता है। उसकी मृत्यु के बाद, समाज में नैतिकता और कर्तव्य की पुनः स्थापना होती है। Quick Tip: प्रमुख घटनाओं का विश्लेषण करते समय नायक के निर्णयों को समाज की बेहतरी और अपने कर्तव्यों के प्रति उसकी प्रतिबद्धता से जोड़कर समझें। नायक का त्यागपत्र और उसके कर्तव्यबद्ध निर्णय हमें समाज के लिए आत्मबलिदान की महत्ता को समझाते हैं।
'श्रवणकुमार' छंदकाव्य के आधार पर 'द्रव्य' की साहित्यिक विशेषताओं का विश्लेषण कीजिए।
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% Step 1: Introduction
'श्रवणकुमार' छंदकाव्य का मुख्य उद्देश्य द्रव्य या सामग्री का विश्लेषण करना है। यह कविता पारंपरिक रूप से 'काव्य' की श्रेणी में आती है, लेकिन इसका साहित्यिक विश्लेषण बहुत महत्वपूर्ण है। द्रव्य की विशेषताएँ कविता के मुख्य विषय और उसके तत्वों में समाहित होती हैं।
% Step 2: साहित्यिक विशेषताओं का विश्लेषण
'श्रवणकुमार' छंदकाव्य में सबसे महत्वपूर्ण विशेषता उसकी 'रचना शैली' है, जो कि प्राचीन संस्कृत छंदों पर आधारित है। इसकी कथा में ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संदर्भ होते हुए, भावनात्मक संवाद की भी विशेषता देखी जाती है।
वहीं, 'श्रवणकुमार' में व्यक्ति की आंतरिक और बाह्य भावनाओं का चित्रण होता है, जो कविता को जीवन्त और गतिशील बनाता है।
% Step 3: विशेषताओं की व्याख्या
इस काव्य के द्रव्य में मुख्य रूप से नायक और नायिका की भूमिका की व्याख्या की जाती है। इस कविता के माध्यम से हम देखते हैं कि छंदकाव्य में प्रेम, नैतिकता और सामाजिक मूल्यों की प्रस्तुति होती है। इसके पात्र उच्च नैतिकता का पालन करते हुए, जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता की ओर अग्रसर होते हैं।
% Step 4: निष्कर्ष
निष्कर्षतः, 'श्रवणकुमार' छंदकाव्य की साहित्यिक विशेषताएँ उसकी कथानक की गहराई, पात्रों के चरित्र चित्रण, और साहित्यिक छंदों के प्रयोग के माध्यम से व्यक्त होती हैं। इस काव्य का प्रत्येक भाग एक अलग विचारधारा, जीवन दर्शन और संस्कृति की ओर संकेत करता है। Quick Tip: छंदकाव्य के द्रव्य का विश्लेषण करते समय, कविता के प्रत्येक हिस्से का गहरे से अध्ययन करें, जिससे कविता के भाव और उद्देश्य स्पष्ट हों।
'श्रवणकुमार' छंदकाव्य की विशेषताओं का विश्लेषण कीजिए।
View Solution
% Step 1: Introduction
'श्रवणकुमार' छंदकाव्य में विशेषताएँ मुख्य रूप से उसके रचनात्मक तत्वों में समाहित हैं। इस कविता की छंद संरचना, शैली, और विषय को समझने के लिए उसकी पारंपरिकता और भावनात्मक प्रभाव पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है।
% Step 2: छंदकाव्य की विशेषताएँ
श्रवणकुमार छंदकाव्य में कथानक को छंद के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है, जिसमें एक स्थिर लय और एकरूपता है। छंदकाव्य की रचनाएँ एक स्पष्टता और प्रगल्भता के साथ जीवन और उद्देश्य का चित्रण करती हैं।
% Step 3: महत्वपूर्ण विशेषताएँ
'श्रवणकुमार' की विशेषताओं में उसके पात्रों का नैतिक मूल्य, उच्च आदर्श और सामाजिक प्रतिबद्धता का चित्रण प्रमुख हैं। इसका उद्देश्य पाठकों में नैतिकता और कर्तव्य की भावना का जागरण करना है।
% Step 4: निष्कर्ष
श्रवणकुमार छंदकाव्य का विश्लेषण करते समय, यह समझना आवश्यक है कि इसमें भावनाओं, नैतिकता और संस्कृति का मिश्रण होता है, जो उसकी विशेषताओं को उजागर करता है। Quick Tip: छंदकाव्य की विशेषताओं का विश्लेषण करते समय उसके रचनात्मक तत्वों को ध्यान में रखें। इससे कविता के संदेश और उद्देश्य को स्पष्ट समझा जा सकता है।
'मुक्ति' खड़काव का नायक का चरित्र-विश्लेषण कीजिए।
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'मुक्ति' नाटक में खड़काव एक केंद्रीय पात्र है, जिसका चरित्र विभिन्न दृष्टिकोणों से विश्लेषित किया जा सकता है। खड़काव का चरित्र एक संघर्षशील और नायक के रूप में प्रस्तुत होता है, जो न केवल सामाजिक व्यवस्थाओं से बल्कि अपने व्यक्तिगत आस्थाओं और आदर्शों से भी संघर्ष करता है।
1. खड़काव का संघर्ष:
खड़काव का जीवन एक संघर्ष से भरा हुआ है। वह एक ऐसे व्यक्ति के रूप में सामने आता है जो न केवल बाहरी दुनिया से, बल्कि अपनी आंतरिक बुराईयों से भी लड़ रहा है। उसकी संघर्षशील प्रवृत्तियाँ उसे एक प्रेरणास्त्रोत बनाती हैं।
2. समाज से विद्रोह:
नाटक में खड़काव का समाज के नियमों और रीतियों के प्रति विद्रोह स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। वह अपने जीवन के लिए नई दिशा खोजता है और समाज के प्रति अपने विचारों में बदलाव लाने की कोशिश करता है।
3. नायकत्व का बोध:
खड़काव के नायकत्व को उसकी मानसिकता और कार्यों में देखा जा सकता है। वह किसी भी कठिन परिस्थिति से घबराता नहीं है और अपने आदर्शों के अनुसार कार्य करता है, जिससे उसकी नायकत्व का बोध और भी स्पष्ट होता है। Quick Tip: खड़काव का चरित्र एक प्रेरणास्त्रोत है, जो हमें अपने संघर्षों का सामना साहस और दृढ़ता से करने की प्रेरणा देता है।
'मुक्ति' खड़काव की प्रमुख घटनाओं पर प्रकाश डालिए।
View Solution
खड़काव की घटनाएँ नाटक के प्रमुख बिंदु हैं, जो न केवल उसके चरित्र के विकास को दर्शाती हैं, बल्कि नाटक के केंद्रीय संदेश को भी स्पष्ट करती हैं।
1. प्रारंभिक संघर्ष:
खड़काव की कहानी का आरंभ ही संघर्ष से होता है, जब वह अपने जीवन की असहनीय परिस्थितियों से जूझता है। समाज से विद्रोह और खुद को बदलने की प्रक्रिया की शुरुआत यही होती है।
2. स्वतंत्रता की ओर कदम:
खड़काव की प्रमुख घटना तब घटित होती है, जब वह स्वतंत्रता के लिए अपने संघर्ष को तेज करता है। यह घटना न केवल उसके जीवन को नया मोड़ देती है, बल्कि नाटक में उसकी नायकत्व की शुरुआत भी होती है।
3. समाज और अपने आप से संघर्ष:
खड़काव का समाज से लगातार संघर्ष उसकी प्रमुख घटनाओं का हिस्सा है। वह समाज के नियमों और रीति-रिवाजों को चुनौती देता है और अपनी आदर्शों के अनुसार जीवन जीने की कोशिश करता है। Quick Tip: खड़काव की प्रमुख घटनाएँ नाटक में उसके संघर्ष और परिवर्तन को दर्शाती हैं, जो न केवल उसे, बल्कि समाज को भी प्रभावित करती हैं।
'सत्य की जीत' खंडकाव्य की विशेषताएँ लिखिए।
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N/A Quick Tip: 'सत्य की जीत' खंडकाव्य में नायक और खलनायक के बीच संघर्ष के माध्यम से जीवन के महत्वपूर्ण सत्य और धर्म को उजागर किया जाता है।
‘आत्मकाव्य’ छंदकाव्य के आधार पर ‘महात्मा गांधी’ का चित्र-चित्रण कीजिए।
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महात्मा गांधी का चित्र-चित्रण आत्मकाव्य और छंदकाव्य के आधार पर इस प्रकार किया जा सकता है:
महात्मा गांधी का व्यक्तित्व भारतीय समाज और राजनीति में एक अद्वितीय स्थान रखता है। उनका जीवन संघर्ष और सत्य की खोज का प्रतीक था। गांधी जी के आत्मकाव्य में उनके व्यक्तिगत अनुभव और संघर्षों का विस्तृत वर्णन मिलता है। यह आत्मकाव्य उनके विचारों, उनके आदर्शों और उनके निजी जीवन के कठिनाइयों का समग्र चित्र प्रस्तुत करता है।
छंदकाव्य में गांधी जी का चित्र-चित्रण उनके विचारों के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है, जो उनके संघर्षों, सत्य, और अहिंसा की नींव पर आधारित थे। उनके छंदों में उनकी मानवीय संवेदनाओं और संघर्षों को गहरे तरीके से चित्रित किया गया है। Quick Tip: महात्मा गांधी के जीवन का चित्रण करते समय उनके व्यक्तिगत संघर्ष और समाजिक बदलावों पर ध्यान केंद्रित करना महत्वपूर्ण है।
‘आत्मकाव्य’ छंदकाव्य की प्रमुख घटनाओं पर प्रकाश डालिए।
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‘आत्मकाव्य’ छंदकाव्य की प्रमुख घटनाएँ उनके जीवन के महत्वपूर्ण मोड़ हैं। ये घटनाएँ उनके मानसिक और आध्यात्मिक विकास के साथ-साथ समाज के लिए उनके योगदान को भी दर्शाती हैं।
1. **स्वराज का आंदोलन:** गांधी जी ने भारतीय समाज के राजनीतिक और सामाजिक बदलाव के लिए ‘स्वराज’ का आदर्श प्रस्तुत किया, जो आत्मकाव्य में एक महत्वपूर्ण घटना के रूप में उभरता है।
2. **नमक सत्याग्रह:** यह छंदकाव्य की एक प्रमुख घटना है, जिसमें गांधी जी ने अंग्रेजी शासन के खिलाफ अहिंसात्मक तरीके से विरोध किया था।
3. **दांडी मार्च:** यह घटना गांधी जी के आत्मकाव्य की दिशा को बदलने वाली महत्वपूर्ण घटना थी।
इन घटनाओं के माध्यम से गांधी जी ने समाज में परिवर्तन लाने के लिए सत्य, अहिंसा, और आत्मनिर्भरता का संदेश दिया। उनके जीवन के ये मुख्य पल भारतीय समाज की स्वतंत्रता की दिशा को तय करने वाले मील के पत्थर बने। Quick Tip: ‘आत्मकाव्य’ छंदकाव्य की घटनाओं का विश्लेषण करते समय उनके विचारों और आदर्शों के सामाजिक प्रभाव को समझना महत्वपूर्ण है।
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निम्नलिखित संस्कृत गाथाओं में से किसी एक का हिंदी में अनुवाद करें।
Passage:
"यादवस्मर उवाच: - न वा और बैरी।
कंपान पति: प्रिय पत्नी। आत्मनं द्वी का पति।
प्रिय पति। आत्मनं। साथी कंभागया प्रिय पत्नी।
प्रिय पति। उत्तर। प्रिय बहवी श्री कंभागा पत्नी।
प्रिय पति। तीन। पूरा विस्तार। समाप्त पुरानी दोनों।
प्रिय बहवी। निरंतर साथी। किसी भी संपत्ति की स्थिति।
प्रिय बहवी सभी। प्रिय पति।
आमंत्रण और बैरी। समाप्त। समाप्त करने का अंतिम सुख।"
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यह गाथा संस्कृत में एक व्यक्ति द्वारा अपनी पत्नी के प्रति समर्पण और प्रेम का वर्णन करती है। इसका हिंदी में अनुवाद इस प्रकार होगा:
"यादवस्मर ने कहा: - नहीं, और कोई बैरी नहीं।
वह पति जो अपनी प्रिय पत्नी को अपना सर्वस्व समर्पित करता है।
प्रिय पत्नी के साथ आत्मा की एकता, प्रियतम का समर्पण।
प्रिय पति की प्रतिक्रिया। उसकी प्रिय पत्नी के प्रति निष्ठा।
प्रिय बहु, अपने जीवन साथी के साथ जीवन का विस्तार करती है।
प्रिय पति के साथ जीवन की सम्पूर्णता का अनुभव करती है।
प्रिय पत्नी के साथ, सभी कर्म में उसकी संलग्नता।
प्रिय पति, अंततः जीवन का अंतिम सुख।" Quick Tip: प्रिय का अनुसरण करें: शब्द की दिशा और ध्यान केंद्रित करें। किसी भी गाथा का अनुवाद करते समय मूल भावना को संरक्षित रखना महत्वपूर्ण होता है।
महापुरुष: लोककल्याण-प्रेरितं बदा निरंतरासकं कर्तव्यं प्रभृति। देशसंसारको वशं करोति। युवा उद्घटनायातरदोषपरिश्रेष्ठं स्थायू राष्ट्रायं च प्रेरणार्थं प्रकटं हितं सर्वान्गसम्पूर्णं राष्ट्रायं। दैवसम्पन्नं महात्यागकर्ता देशप्रतिबद्धं कर्मठसंप्रदाय।
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1. महापुरुष:
महापुरुष का कार्य हमेशा लोककल्याण के लिए होता है। उनका जीवन निरंतर संघर्ष से भरा रहता है, जिसमें वे अपने कर्तव्यों को पूर्ण करते हुए समाज के लिए एक आदर्श प्रस्तुत करते हैं।
2. देशसंसारको वशं करोति:
देश की स्वतंत्रता और सांस्कृतिक जागरण के लिए वे अपना सर्वस्व समर्पित करते हैं। उनका लक्ष्य देश को एकजुट करना और उसे आत्मनिर्भर बनाना होता है।
3. युवा उद्घटनायातरदोषपरिश्रेष्ठं स्थायू राष्ट्रायं च प्रेरणार्थं प्रकटं हितं सर्वान्गसम्पूर्णं राष्ट्रायं:
युवाओं को प्रेरित करने और उन्हें एक सकारात्मक दिशा में मार्गदर्शन देने के लिए महापुरुषों ने हमेशा प्रेरणादायक कार्य किए हैं।
4. दैवसम्पन्नं महात्यागकर्ता देशप्रतिबद्धं कर्मठसंप्रदाय:
महापुरुष अपने जीवन में विशेष रूप से देश की सेवा में संलग्न रहते हुए उसे शक्ति और सम्मान प्रदान करते हैं। Quick Tip: महापुरुष हमेशा अपने देश और समाज के कल्याण के लिए निरंतर कार्य करते हैं, उनका जीवन हमें संघर्ष और त्याग की प्रेरणा देता है।
निम्नलिखित संस्कृत पंक्तियों में से किसी एक का संस्कृत-हिंदी में अनुवाद कीजिए :
(अ) काव्यशास्त्र-निनदोदित कला गूढ़ी धीमता।
(आ) व्यवसने च सुगुणां मिष्टा कहलते वा।
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काव्यशास्त्र-निनदोदित कला गूढ़ी धीमता का अर्थ है कि काव्यशास्त्र के माध्यम से कला की जो सूक्ष्मता या गहराई व्यक्त होती है, वह एक प्रकार की समझ और गहरी सोच का प्रतीक है। यह पंक्ति साहित्यिक गहराई और कला की उच्चता को दर्शाती है। Quick Tip: साहित्य और कला में गूढ़ी अर्थ की प्रस्तुति कला के प्रति गहरी समझ और उन्नत विचारधारा को प्रकट करती है।
प्रस्त्रेतु च संस्तुतिं विविधा: कान्तृद्रुमा:
वायुनेन प्रविलिता: पुण्यविकृति नाम्।
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प्रस्त्रेतु च संस्तुतिं विविधा: कान्तृद्रुमा: का अर्थ है, 'विभिन्न प्रकार के प्रेम और काव्य से पूरित वृक्षों को प्रशंसा की गई है'। यह कविता प्रकृति की विविधता और उसकी प्रशंसा को दर्शाती है। वायु द्वारा प्रविलिता पुण्यविकृति नाम का मतलब है, 'वायु के द्वारा चलाए गए वृक्षों का पुण्यविकृति नाम'। यहाँ पर वायु के माध्यम से परिवर्तन को प्रतीकित किया गया है। Quick Tip: प्राकृतिक शक्ति और परिवर्तन को कविता में दर्शाने से प्राकृतिक तत्वों का सांस्कृतिक महत्व बढ़ता है।
निम्नलिखित में से किसी दो प्रश्नों के उत्तर संस्कृत में दीजिए।
(a) चत्वारि देवाः: कस्यां भाषायां लिखितं स्त्रीति?
(b) हंसपोतिका पतिषेण कम् अनुप्राप्त?
(c) द्यानन्द्य गुरु: का आस्ति?
(d) बुद्रव पक्षिलिदन्ता: के सति?
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(a) चत्वारि देवाः संस्कृत भाषायां लिखितं स्त्रीति। संस्कृत में वर्णित देवता, चत्वारि का अर्थ यथास्थित देवता के समूह से होता है, यह स्थिरपद्धतियों का अस्तित्व है।
(b) हंसपोतिका पतिषेण कम् अनुप्राप्त: हंसपोतिका पतिषेण का अनुप्राप्त संबन्धी किसी भी पक्ष का समाधान क्या होता है।
(c) द्यानन्द्य गुरु का न्यायात्मक कार्य अज्ञान की शिकार हुआ है।
(d) बुद्रव पक्षिलिदन्ता के माध्यम से कई पूर्वज्ञापित तत्वों से ही सिद्ध हुआ है। Quick Tip: यह सुनिश्चित करें कि आप संस्कृत में सही शब्दों का चयन करें, जिससे प्रश्नों का उत्तर सटीक हो।
'संवगं मंगर' एवं 'कण्टक स्तन' की परिभाषा लिखकर एक उदाहरण दीजिए।
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'कण्टक स्तन' शब्द का अर्थ होता है, किसी व्यक्ति या वस्तु की ऐसी स्थिति जो असुविधाजनक, दर्दनाक या कष्टप्रद हो। यह मुख्य रूप से बाण, काँटा, या किसी तीव्र बिंदु द्वारा उत्पन्न पीड़ा से संबंधित होता है। एक उदाहरण के तौर पर, जब किसी के शरीर में काँटा चुभ जाता है, तो वह 'कण्टक स्तन' की स्थिति का अनुभव करता है। Quick Tip: 'कण्टक स्तन' किसी भी चोट, घाव या कष्टप्रद स्थिति को व्यक्त करने के लिए प्रयुक्त होता है।
(b) 'अंतरंग अथवा 'प्रिती अंतरंग' की परिभाषा लिखकर एक उदाहरण दीजिए।
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'अंतरंग' का अर्थ है, एक अत्यंत निकट एवं व्यक्तिगत संबंध। जब दो व्यक्तियों के बीच विश्वास, समझ और पारस्परिक रिश्ते का गहरा स्तर होता है, तो इसे 'अंतरंग' कहा जाता है। उदाहरण के तौर पर, दोस्तों के बीच का संबंध जब अत्यधिक व्यक्तिगत और समझदारी से भरा होता है, तो वह 'अंतरंग' होता है। Quick Tip: 'अंतरंग' शब्द का प्रयोग दो व्यक्तियों के बीच गहरे और निजी संबंधों को व्यक्त करने के लिए किया जाता है।
(c) 'सोरठा' शब्द का अर्थ लिखकर एक उदाहरण दीजिए।
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'सोरठा' एक विशेष प्रकार की कविता या गीत की शैली होती है, जो आमतौर पर हिंदी साहित्य में प्रयुक्त होती है। इसमें एक विशेष प्रकार की ध्वनि और लय होती है, जो भावनाओं और अर्थ को प्रभावी तरीके से व्यक्त करती है। उदाहरण स्वरूप, 'सोरठा' में कई स्थानों पर प्रेम, दुख, या भक्ति की भावनाएँ व्यक्त की जाती हैं। Quick Tip: 'सोरठा' का अर्थ होता है एक विशेष प्रकार की काव्य शैली, जो लयबद्ध एवं भावनाओं से परिपूर्ण होती है।
(a) भारत से आतंकवाद: कारण और समाधान
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भारत में आतंकवाद एक गंभीर समस्या है, जिसके कारण देश में कई सालों से अस्थिरता बनी हुई है। आतंकवाद के मुख्य कारणों में राजनीतिक असंतोष, धार्मिक उन्माद, सीमा विवाद, और सामाजिक असमानता शामिल हैं। समाधान के रूप में, सरकार को आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए, साथ ही आम जनता के बीच जागरूकता बढ़ानी चाहिए। इसके अतिरिक्त, आतंकवादियों को मुख्यधारा में लाने के लिए समाजिक और आर्थिक विकास कार्यक्रमों की आवश्यकता है। Quick Tip: आतंकवाद को समाप्त करने के लिए समाज में समानता, शिक्षा और जागरूकता की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
(b) छात्र और अनुशासन
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छात्रों के जीवन में अनुशासन का महत्वपूर्ण स्थान है। अनुशासन न केवल पढ़ाई में मदद करता है, बल्कि यह उनकी जीवनशैली को भी व्यवस्थित करता है। अनुशासन के अभाव में छात्र जीवन में संघर्ष और विफलता का सामना करते हैं। इसके लिए विद्यालयों और कॉलेजों को छात्र-शिक्षक समन्वय को बढ़ावा देना चाहिए और छात्रों को समय प्रबंधन, सही आचरण, और जिम्मेदारी की शिक्षा देनी चाहिए। Quick Tip: छात्रों को अनुशासन सिखाने से उनके व्यक्तित्व का निर्माण होता है और वे समाज में अच्छे नागरिक बनते हैं।
(c) पर्यावरण-प्रदूषण की समस्या और समाधान
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पर्यावरण-प्रदूषण आज के समय में एक गंभीर समस्या बन चुकी है। वायु, जल, और मृदा प्रदूषण के कारण प्राकृतिक संसाधनों का नुकसान हो रहा है। इसके कारण विभिन्न स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं। समाधान के रूप में, हमें स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों को अपनाना चाहिए, प्रदूषण नियंत्रण विधियों को लागू करना चाहिए, और वृक्षारोपण को बढ़ावा देना चाहिए। Quick Tip: प्रदूषण नियंत्रण के लिए सरकार और समाज दोनों को मिलकर कार्य करना चाहिए।
(d) मध्य-निषेध की आवश्यकता
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मध्य-निषेध का अर्थ है, शराब और मादक पदार्थों के सेवन को नियंत्रित करना। भारत में बढ़ते शराब और मादक पदार्थों के सेवन से समाज में कई समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं। इसके समाधान के लिए सरकार को इस पर कड़े प्रतिबंध लगाने चाहिए और लोगों को इसके हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूक करना चाहिए। Quick Tip: मध्य-निषेध से समाज में सुधार होगा और स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा मिलेगा।
(e) 'नवी शिक्षा नीति' की प्रासंगिकता
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'नवी शिक्षा नीति' भारतीय शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इस नीति के तहत, शिक्षा को अधिक सुलभ, समावेशी और गुणवत्ता-पूर्ण बनाने का प्रयास किया गया है। यह नीति विद्यार्थियों के समग्र विकास, तकनीकी शिक्षा और कौशल आधारित शिक्षा को बढ़ावा देती है। इसके अलावा, यह नीति शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार और सुधार को प्रोत्साहित करती है। Quick Tip: नवी शिक्षा नीति भारत को एक सशक्त और प्रौद्योगिकी-प्रेरित राष्ट्र बनाने में सहायक होगी।
(i) 'मति' शब्द का सही-संयोजन-विभाजन है।
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'मति' शब्द का सही विभाजन 'भो + अति' होगा, क्योंकि 'भो' और 'अति' दोनों ही सही संयोजन के रूप में 'मति' शब्द से जुड़ते हैं। 'मति' शब्द का अर्थ बुद्धि या ज्ञान होता है, जो इन दोनों रूपों में सही जुड़ता है। Quick Tip: जब भी किसी शब्द का संयोजन पूछा जाता है, तो शब्द के अर्थ और ध्वनि को ध्यान में रखते हुए विभाजन किया जाता है।
(ii) 'करिष्मा' शब्द का सही-संयोजन-विभाजन होगा।
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'करिष्मा' शब्द का विभाजन 'कृ + शि' के रूप में किया जाएगा। यह विभाजन शब्द की उत्पत्ति और ध्वनि के अनुसार सबसे उपयुक्त है। 'कर' और 'शि' दोनों ही संस्कृत रूपों से संबंधित हैं, जो 'करिष्मा' शब्द को सही रूप में दर्शाते हैं। Quick Tip: शब्दों के विभाजन में उनके संस्कृत रूपों को ध्यान में रखें, ताकि विभाजन सही हो।
(iii) 'मित्रारंण' शब्द का सही-संयोजन-विभाजन है।
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'मित्रारंण' शब्द का विभाजन 'मिस + आरणम्' होगा। यह संस्कृत में उपयोग होने वाले शब्दों के आधार पर सही विभाजन है। 'मित्रारंण' में 'मिस' और 'आरणम्' के साथ संयोजन से सही अर्थ और व्याकरणिक संरचना मिलती है। Quick Tip: संस्कृत शब्दों का विभाजन करते समय उनका व्याकरणिक और ध्वन्यात्मक महत्व सुनिश्चित करें।
(i) 'महत्वद:' शब्द में समात है।
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'महत्वद:' शब्द में 'कर्मधारय' समात है, क्योंकि यह शब्द एक प्रकार के संयोग का रूप है जिसमें दोनों शब्दों का मेल होता है। 'महत्व' और 'द:' के बीच संबंध कर्मधारय संयोग को दर्शाता है। Quick Tip: कर्मधारय संयोग में दोनों शब्दों के बीच में कोई संबंध होता है जो एक दूसरे के गुण या अवस्था को दर्शाता है।
(ii) 'प्रसंग:' शब्द में समात है।
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'प्रसंग:' शब्द में 'अव्ययभाव' समात है, क्योंकि यह शब्द बिना किसी परिवर्तन के स्थिर रहता है, जो अव्यय शब्दों की विशेषता है। Quick Tip: अव्यय शब्द वे होते हैं जो किसी विशेष रूप में बदलते नहीं हैं और हमेशा अपनी मूल अवस्था में रहते हैं।
(i) 'गृ:' शब्द में प्रयोग है।
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'गृ:' शब्द में 'तत्सम' प्रयोग है, क्योंकि यह संस्कृत का एक शब्द है जो भारतीय भाषाओं में बिना किसी परिवर्तन के उपयोग में आता है। Quick Tip: तत्सम शब्द संस्कृत के शब्द होते हैं जिनका रूप और अर्थ किसी परिवर्तन के बिना भाषा में उपयोग होता है।
(ii) 'भारत' शब्द में प्रयोग है।
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'भारत' शब्द में 'तत्व' प्रयोग है, क्योंकि यह किसी विशेष ज्ञान या सिद्धांत से जुड़ा हुआ है, जिससे इसका अर्थ और प्रयोग बदलता है। Quick Tip: तत्व शब्द उन शब्दों के लिए उपयोग किया जाता है जो किसी विशेष स्थिति या गुण का संकेत करते हैं।
(i) 'वियोगात्मक' सूचक शब्द के अनुस्मारक विभक्ति लाती है।
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'वियोगात्मक' सूचक शब्द तृतीय विभक्ति के साथ जुड़ा होता है, क्योंकि वियोग या विभाजन को व्यक्त करने के लिए तृतीय विभक्ति का प्रयोग किया जाता है। Quick Tip: वियोगात्मक विभक्ति के लिए तृतीय विभक्ति का प्रयोग उपयुक्त होता है, क्योंकि यह संबंध की स्थिति को व्यक्त करता है।
(ii) 'भृगि' का निंदा में से उद्धारण है।
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'भृगि' का निंदा में से उद्धारण 'कृष्णालं विनय आनति' के रूप में मिलता है, जो एक आदर्श दिखाता है, जिससे समाज में मानवीय गुण को बढ़ावा मिलता है। Quick Tip: निंदा में उद्धारण को ध्यान में रखते हुए, संस्कृत साहित्य में संबंधित शब्दों का सही उपयोग आवश्यक होता है।
दिल्ली विश्वविद्यालय कॉलेज के आवेदन पत्र को 'लिखित' पर आधारित करने के लिए आवेदन-पत्र लिखिए।
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प्रिय महोब,
सादर प्रणाम।
आपका कॉलेज के लिए आवेदन पत्र प्राप्त हुआ। मुझे इस पत्र के माध्यम से यह सूचित करना है कि दिल्ली विश्वविद्यालय कॉलेज में प्रवेश के लिए मुझे 'लिखित' परीक्षा में शामिल होने का अवसर दिया जाए। मैं योग्य उम्मीदवार हूं और मेरी शैक्षिक योग्यता के अनुसार इस परीक्षा के लिए आवेदन करने की इच्छा रखता हूं।
आपसे निवेदन है कि मेरी इस आवेदन को स्वीकार कर मुझे जल्द से जल्द परीक्षा के लिए एक अवसर प्रदान करें।
आपकी कृपा की प्रतीक्षा करता हूं।
सादर,
[आपका नाम]
Quick Tip: आवेदन पत्र में शिष्टाचार, सम्मान और सटीक जानकारी का होना आवश्यक है।



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