UP Board Class 12 Hindi Question Paper 2025 PDF (Code 301 HF) is available for download here. The Mathematics exam was conducted on March 9, 2025 in the Evening Shift from 2:00 PM to 5:15 PM. The total marks for the theory paper are 100. Students reported the paper to be easy to moderate.
UP Board Class 12 Hindi Question Paper 2025 (Code 301 HF) with Solutions
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Choose the correct option to answer the following questions:
(क) 'नासिकेतोपाख्यान' के लेखक हैं –
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Step 1: Understanding 'नासिकेतोपाख्यान'.
'नासिकेतोपाख्यान' हिंदी गद्य साहित्य का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है। इसके लेखक लल्लू लाल हैं, जिन्हें आधुनिक हिंदी गद्य का प्रवर्तक भी माना जाता है।
Step 2: Conclusion.
इस रचना ने हिंदी भाषा और साहित्य को गद्य शैली में नई दिशा प्रदान की। इसलिए सही उत्तर है लल्लू लाल।
Final Answer: \[ \boxed{The correct answer is (A) लल्लू लाल.} \] Quick Tip: लल्लू लाल को "आधुनिक हिंदी गद्य का जनक" कहा जाता है। उनकी प्रसिद्ध कृति 'प्रेमसागर' भी विशेष रूप से जानी जाती है।
(ख) 'ब्राह्मण' पत्रिका के सम्पादक हैं –
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Step 1: Understanding 'ब्राह्मण' पत्रिका.
'ब्राह्मण' पत्रिका 19वीं शताब्दी की एक प्रमुख हिंदी पत्रिका थी, जिसका सम्पादन हिंदी साहित्यकार बाल कृष्ण भट्ट ने किया था।
Step 2: Conclusion.
बाल कृष्ण भट्ट ने पत्रिका के माध्यम से समाज सुधार, साहित्य और राष्ट्रीय चेतना का प्रचार किया।
Final Answer: \[ \boxed{The correct answer is (A) बाल कृष्ण भट्ट.} \] Quick Tip: हिंदी की कई प्रसिद्ध पत्रिकाएँ जैसे सरस्वती, ब्राह्मण, भारतेंदु की हरिश्चंद्र मैगज़ीन ने आधुनिक हिंदी साहित्य को दिशा दी।
(ग) 'चन्द्रधर शर्मा गुलेरी' की कहानी है –
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Step 1: About Chandra Dhar Sharma Guleri.
चन्द्रधर शर्मा गुलेरी हिंदी कथा साहित्य के प्रसिद्ध लेखक थे। उनकी सर्वाधिक प्रसिद्ध कहानी 'उसने कहा था' है।
Step 2: Importance.
'उसने कहा था' को हिंदी की पहली आधुनिक कहानी माना जाता है, जिसमें भावुकता और बलिदान की गहरी झलक है।
Final Answer: \[ \boxed{The correct answer is (B) उसने कहा था.} \] Quick Tip: याद रखें — 'उसने कहा था' = चन्द्रधर शर्मा गुलेरी (First Modern Hindi Story).
(घ) 'साहित्य और संस्कृति' के लेखक हैं –
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Step 1: About 'साहित्य और संस्कृति'.
यह ग्रंथ हिंदी के प्रसिद्ध आलोचक नामवर सिंह ने लिखा है।
Step 2: Importance.
नामवर सिंह हिंदी आलोचना के महत्वपूर्ण व्यक्तित्व रहे हैं। 'साहित्य और संस्कृति' में साहित्य और समाज के गहरे संबंधों पर प्रकाश डाला गया है।
Final Answer: \[ \boxed{The correct answer is (C) नामवर सिंह.} \] Quick Tip: नामवर सिंह — हिंदी आलोचना के प्रमुख व्यक्तित्व, 'छायावाद' और 'नयी कविता' पर गहरी पकड़ रखते थे।
(ङ) 'भूमिका की रेखाएं' किस विधा की रचना है?
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Step 1: About 'भूमिका की रेखाएं'.
यह एक संस्मरणात्मक रचना है जिसमें लेखक ने अपने अनुभवों और स्मृतियों का चित्रण किया है।
Step 2: Importance.
संस्मरण साहित्य जीवन के अनुभवों और समाज की झलक को प्रस्तुत करता है। 'भूमिका की रेखाएं' इसका एक अच्छा उदाहरण है।
Final Answer: \[ \boxed{The correct answer is (D) संस्मरण.} \] Quick Tip: संस्मरण = व्यक्तिगत अनुभव और स्मृतियों का साहित्यिक रूप।
(क) हिंदी साहित्य के आदिकाल के कवि हैं –
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Step 1: About आदिकाल.
हिंदी साहित्य का पहला काल ‘आदिकाल’ कहलाता है, जिसे वीरगाथा काल भी कहते हैं। इसमें अधिकतर कवियों ने वीर रस और भक्ति काव्य लिखा।
Step 2: Correct Author.
नागदास आदिकाल के प्रमुख कवियों में से एक थे। वे भक्तिकाल के कवियों से पहले के माने जाते हैं।
Final Answer: \[ \boxed{The correct answer is (A) नागदास.} \] Quick Tip: आदिकाल = 1050 ई. से 1375 ई., इसे वीरगाथा काल कहा जाता है।
(ख) कबीरदास के गुरु का नाम था –
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Step 1: Kabir and his Guru.
कबीरदास को भारतीय संत साहित्य का महान कवि माना जाता है। उन्होंने निर्गुण भक्ति का प्रचार किया।
Step 2: Correct Guru.
कबीरदास के गुरु स्वामी रामानंद थे, जिन्होंने उन्हें भक्ति मार्ग की शिक्षा दी।
Final Answer: \[ \boxed{The correct answer is (C) रामानंद.} \] Quick Tip: रामानंद → कबीरदास के गुरु, निर्गुण संत परंपरा के मार्गदर्शक।
(ग) कौन-सी रचना भक्तिकाल से सम्बंधित नहीं है?
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Step 1: About Bhaktikal Literature.
भक्तिकाल की प्रमुख रचनाएँ हैं — सूरसागर (सूरदास), कवितावली (तुलसीदास), कृष्णायण (नंददास)।
Step 2: Identify the Exception.
पद्मावत मलिक मुहम्मद जायसी की रचना है, जो वीरगाथा और प्रेमाख्यान पर आधारित है। यह सीधे भक्तिकाल से संबंधित नहीं है।
Final Answer: \[ \boxed{The correct answer is (A) पद्मावत.} \] Quick Tip: याद रखें – सूरदास = सूरसागर, तुलसीदास = कवितावली, जायसी = पद्मावत।
(घ) ‘उद्बोधन शतक’ के रचनाकार हैं –
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Step 1: About the Work.
‘उद्बोधन शतक’ आधुनिक हिंदी काव्य का एक महत्वपूर्ण काव्य है।
Step 2: Identify Author.
इसका रचनाकार अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ हैं। वे द्विवेदी युग के प्रसिद्ध कवि थे।
Final Answer: \[ \boxed{The correct answer is (B) अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’.} \] Quick Tip: हरिऔध = ‘प्रिय प्रवास’, ‘उद्बोधन शतक’।
(ङ) महावीर प्रसाद द्विवेदी सम्पादक थे –
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Step 1: About Mahavir Prasad Dwivedi.
महावीर प्रसाद द्विवेदी हिंदी साहित्य के ‘द्विवेदी युग’ के जनक माने जाते हैं।
Step 2: Editorial Role.
वे ‘सरस्वती पत्रिका’ के संपादक रहे। इस पत्रिका के माध्यम से उन्होंने अनेक कवियों और लेखकों को मंच दिया।
Final Answer: \[ \boxed{The correct answer is (A) सरस्वती पत्रिका के.} \] Quick Tip: द्विवेदी जी = सरस्वती पत्रिका + आधुनिक हिंदी गद्य और काव्य को दिशा देने वाले।
(A) प्रस्तुत गद्यांश का पाठ एवं लेखक का नाम लिखिए।
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N/A
(B) राष्ट्र का अभ्युदय किस समय है?
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N/A
(C) राष्ट्र का लोऽक किसके अभाव में खो जाता है?
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N/A
(D) किसके पारस्परिक प्रकाश की संज्ञा संस्कृति है?
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N/A Quick Tip: Seen passage questions में पहले लेखक/पाठ का नाम लिखें, फिर प्रत्येक प्रश्न का उत्तर गद्यांश के आधार पर संक्षेप और स्पष्ट रूप से दें।
(A) प्रस्तुत गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।
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N/A
(B) समस्त युग चेतना की अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम क्या है?
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N/A
(C) भाषा किस भाव का प्रकटिकरण करने हेतु प्रयत्न करती है?
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N/A
(D) भाषा में नये शब्दों का प्रवेश कब होता है?
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N/A
(v) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
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N/A Quick Tip: Seen passage questions में सबसे पहले लेखक/पाठ का नाम लिखें, फिर हर प्रश्न का उत्तर गद्यांश के अनुसार संक्षेप में दें। व्याख्या वाले प्रश्न में विस्तार से समझाएँ।
(A) उक्त पद्यांश के पाठ और रचयिता के नाम लिखिए।
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N/A
(B) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
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N/A
(C) ‘मेघ–वन बीच गुलाबी रंग’ में अंतर्निहित संकेत कीजिए।
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N/A
(D) इस अवसर में किसके सौंदर्य का वर्णन किया गया है?
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N/A
(v) ‘परीधन’ तथा ‘अरुण’ के एक–एक पर्यायवाची लिखिए।
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N/A Quick Tip: पद्यांश व्याख्या करते समय पहले लेखक/कृति का नाम लिखें, फिर रेखांकित अंश की व्याख्या विस्तार से करें, और अंत में मुख्य भाव स्पष्ट करें।
(A) प्रस्तुत पद्यांश की कविता का शीर्षक एवं कवि के नाम का उल्लेख कीजिए।
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N/A
(B) चराचर किसे भक्ति पूर्वक प्रणाम करते हैं?
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N/A
(C) ज्ञान-विज्ञान के आलोक का अंगार कौन है?
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N/A
(D) व्योम से पाताल तक का ज्ञान किसे कहते हैं?
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N/A
(v) सृष्टि का गुंजार कौन है?
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N/A Quick Tip: पद्यांश आधारित प्रश्न हल करते समय पहले कवि और कृति का नाम अवश्य लिखें, फिर हर प्रश्न का उत्तर सीधे पद्यांश के भाव से जोड़कर दें।
(A) डॉ० हजारी प्रसाद द्विवेदी
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N/A
(B) प्रो० जी० सुन्दर रेड्डी
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N/A
(C) डॉ० ए० पी० जे० अब्दुल कलाम
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Step 1: जीवन परिचय.
डॉ० अबुल पाकिर जैनुलआबिदीन अब्दुल कलाम (1931–2015) का जन्म रामेश्वरम, तमिलनाडु में हुआ। वे भारत के मिसाइल मैन और भारत रत्न सम्मानित वैज्ञानिक थे। 2002 से 2007 तक वे भारत के राष्ट्रपति रहे।
Step 2: साहित्यिक योगदान.
- यद्यपि वे वैज्ञानिक थे, परंतु उन्होंने कई प्रेरणादायक पुस्तकें लिखीं जैसे: ‘विंग्स ऑफ़ फ़ायर’, ‘इग्नाइटेड माइंड्स’, ‘इंडिया 2020’।
- उनकी रचनाएँ युवाओं को विज्ञान, शिक्षा और राष्ट्र-निर्माण की दिशा में प्रेरित करती हैं।
Step 3: विशेषताएँ.
- भाषा सरल और प्रेरणादायक।
- दृष्टि वैज्ञानिक, परंतु भाव राष्ट्रप्रेम से परिपूर्ण।
- शिक्षा और शोध को राष्ट्रीय प्रगति का आधार मानने वाले महान चिंतक।
Final Answer:
\[ \boxed{तीनों में से किसी भी लेखक का जीवन परिचय और योगदान विस्तार से लिखकर उत्तर पूरा किया जा सकता है।} \] Quick Tip: लेखक-परिचय में हमेशा — जन्म-तिथि व स्थान, प्रमुख कृतियाँ, साहित्यिक योगदान और उनकी विशेषताओं को क्रमबद्ध ढंग से लिखना चाहिए।
(A) जगनाथ दास ‘रत्नाकर’
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N/A
(B) जयशंकर प्रसाद
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N/A
(C) सुमित्रानंदन पंत
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Step 1: जीवन-परिचय.
सुमित्रानंदन पंत का जन्म 1899 ई० में कौसानी (उत्तराखंड) में हुआ। वे छायावाद युग के प्रकृति-कवि के रूप में प्रसिद्ध हैं।
Step 2: प्रमुख कृतियाँ.
- पल्लव
- वीणा
- गुञ्जन
- ग्राम्या
- युगांत
Step 3: विशेषताएँ.
- उनकी कविताओं में प्रकृति-सौंदर्य, मानवीय संवेदना और दार्शनिक चिंतन की झलक मिलती है।
- वे प्रगतिवादी और मार्क्सवादी विचारधारा से भी प्रभावित रहे।
Final Answer:
\[ \boxed{इनमें से किसी एक कवि का जीवन-परिचय और कृतियाँ लिखकर उत्तर पूरा किया जा सकता है।} \] Quick Tip: कवि-परिचय लिखते समय — जन्म, साहित्यिक योगदान, प्रमुख कृतियाँ और उनकी विशेषताओं को क्रमबद्ध ढंग से लिखना चाहिए।
‘बहादुर’ अथवा ‘खून का रिश्ता’ कहानी की कहानी कला के आधार पर समीक्षा कीजिए।
(अधिकतम शब्द-सीमा 80 शब्द)
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N/A Quick Tip: कहानी की समीक्षा में भाषा, पात्र-चित्रण और यथार्थ को विशेष महत्व देना चाहिए।
‘लाठी’ के प्रमुख पात्र की चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
(अधिकतम शब्द-सीमा 80 शब्द)
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N/A Quick Tip: चरित्र की विशेषताएँ लिखते समय उसके व्यवहार, स्वभाव और सामाजिक दृष्टिकोण पर ध्यान दें।
‘रिसर्ची’ खंडकाव्य के आधार पर निम्नलिखित में से किसी एक प्रश्न का उत्तर दीजिए (80 शब्द सीमा में):
(क) ‘रिसर्ची’ खंडकाव्य के कथानक की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
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N/A Quick Tip: कथानक की विशेषताओं में हमेशा \textbf{घटनाओं का क्रम, भाषा और जीवन-चित्रण} पर ध्यान दें।
‘रिसर्ची’ खंडकाव्य के आधार पर चाचा की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
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N/A Quick Tip: चरित्र की विशेषताओं में \textbf{स्वभाव, आचरण और समाज/परिवार में भूमिका} पर अवश्य प्रकाश डालें।
‘सत्य की जीत’ खंडकाव्य की प्रमुख घटनाओं का उल्लेख कीजिए।
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N/A Quick Tip: घटनाओं के उत्तर में हमेशा क्रम, कारण और परिणाम अवश्य लिखें।
‘सत्य की जीत’ खंडकाव्य के आधार पर द्रौपदी की चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
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N/A Quick Tip: चरित्र की विशेषताओं में \textbf{स्वभाव, आचरण और परिस्थितियों में भूमिका} अवश्य लिखें।
'खंडकाव्य' के लक्षणों के आधार पर 'मुक्ति' खंडकाव्य की समिक्षा कीजिए।
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Step 1: 'मुक्ति' खंडकाव्य का परिचय.
‘मुक्ति’ खंडकाव्य एक उत्कृष्ट साहित्यिक कृति है, जो एक व्यक्ति की आत्मा की मुक्ति और जीवन की कठिनाइयों से संघर्ष को चित्रित करता है। इस खंडकाव्य के माध्यम से समाज में व्याप्त समस्याओं को उजागर किया गया है।
Step 2: लक्षणों के आधार पर समिक्षा.
- भावुकता और संघर्ष: खंडकाव्य में संघर्ष और व्यक्ति की भावनाओं को बड़ी सुंदरता से व्यक्त किया गया है।
- संवेदनशील चित्रण: इसमें पात्रों की आंतरिक स्थिति, जैसे भय, आशा और आत्मनिर्भरता का चित्रण किया गया है।
- काव्य का उद्देश्य: इसका उद्देश्य जीवन की कठिनाइयों से मुक्ति और आत्मज्ञान की दिशा में प्रेरित करना है।
- अधिकार और मुक्ति: खंडकाव्य में मुक्ति की परिभाषा और अधिकार के लिए संघर्ष को दर्शाया गया है।
Step 3: निष्कर्ष.
'मुक्ति' खंडकाव्य ने समाज के कठिन परिपेक्ष्यों और आत्ममूल्य को उजागर करते हुए यह संदेश दिया है कि मुक्ति केवल बाहरी परिस्थितियों से नहीं, बल्कि आंतरिक संघर्ष से प्राप्त की जा सकती है।
Final Answer: \[ \boxed{'मुक्ति' खंडकाव्य में संघर्ष और आंतरिक मुक्ति का सुंदर चित्रण किया गया है। यह काव्य जीवन की कठिनाइयों से उबरने और आत्मज्ञान के लिए प्रेरित करता है।} \] Quick Tip: ‘मुक्ति’ खंडकाव्य की समिक्षा करते समय काव्य के लक्षणों को ध्यान से पढ़कर पात्रों के भावों और संघर्षों का विश्लेषण करें।
'मुक्ति' खंडकाव्य की राष्ट्रीयता और सशक्तिकरण की भावना पर प्रकाश डालिए।
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Step 1: खंडकाव्य की राष्ट्रीयता.
‘मुक्ति’ खंडकाव्य में राष्ट्रीयता की भावना स्पष्ट रूप से प्रदर्शित होती है। इसमें समाज के सभी वर्गों को एकजुट होकर देश की तरक्की के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा दी गई है। खंडकाव्य में राष्ट्रीय एकता और स्वतंत्रता का संदेश दिया गया है।
Step 2: सशक्तिकरण की भावना.
खंडकाव्य में सशक्तिकरण का अभिप्राय है आत्मनिर्भरता और अपने अधिकारों की पहचान। यह खंडकाव्य महिलाओं और कमजोर वर्गों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करता है और उन्हें अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा देता है।
Step 3: निष्कर्ष.
‘मुक्ति’ खंडकाव्य न केवल व्यक्तिगत मुक्ति की बात करता है, बल्कि यह समाज के सभी वर्गों के सशक्तिकरण और राष्ट्रीय एकता का संदेश भी देता है।
Final Answer: \[ \boxed{'मुक्ति' खंडकाव्य राष्ट्रीयता और सशक्तिकरण की भावना को प्रसारित करता है, जो समाज के सभी वर्गों के संघर्ष और एकता को चित्रित करता है।} \] Quick Tip: ‘राष्ट्रीयता’ और ‘सशक्तिकरण’ पर विचार करते समय खंडकाव्य के पात्रों की भूमिका और उनकी आंतरिक स्थिति का विश्लेषण करें।
'न्यायपदी' खंडकाव्य की प्रमुख घटनाओं को जोड़ें।
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Step 1: 'न्यायपदी' खंडकाव्य का परिचय.
‘न्यायपदी’ खंडकाव्य एक सामाजिक और न्यायिक दृष्टिकोण से विकसित काव्य है, जिसमें न्याय के सिद्धांतों और मनुष्यों के बीच संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता को प्रमुखता से प्रस्तुत किया गया है।
Step 2: प्रमुख घटनाओं का विवरण.
- घटना 1: खंडकाव्य की शुरुआत में न्याय और अधिकारों की बातें होती हैं, जहां पात्रों के बीच विचार-विमर्श होता है।
- घटना 2: इसके बाद विभिन्न पात्रों के माध्यम से यह दिखाया गया है कि न्याय का किस प्रकार उपयोग किया जाता है।
- घटना 3: अंत में न्याय की अवधारणा और उसका सही ढंग से पालन कर समाज में समानता का सृजन करने की कोशिश की जाती है।
Step 3: निष्कर्ष.
‘न्यायपदी’ खंडकाव्य में घटनाओं का माध्यम न्याय के सिद्धांतों को समाज के बीच व्याख्यायित करने के लिए किया गया है। हर घटना एक नई सीख देती है कि समाज में कानून और न्याय का पालन करना कितना महत्वपूर्ण है।
Final Answer: \[ \boxed{'न्यायपदी' खंडकाव्य में न्याय के सिद्धांतों को स्थापित करने और समाज में समानता लाने के लिए प्रमुख घटनाओं का चित्रण किया गया है।} \] Quick Tip: खंडकाव्य की प्रमुख घटनाओं पर विचार करते समय, हर घटना को संबंधित सामाजिक और न्यायिक संदर्भ में समझें।
‘न्यायपदी’ खंडकाव्य के आधार पर 'सर्वदृष्टि' के चित्र की विशेषताएँ बताइए।
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Step 1: 'सर्वदृष्टि' का परिचय.
‘सर्वदृष्टि’ का अर्थ है सब कुछ देखना और समझना। यह खंडकाव्य में व्यक्ति के सभी दृष्टिकोणों को एक साथ प्रस्तुत करने का प्रयास है, ताकि समाज में न्याय के विभिन्न पहलुओं का संतुलन स्थापित किया जा सके।
Step 2: 'सर्वदृष्टि' के चित्र की विशेषताएँ.
- विशेषता 1: ‘सर्वदृष्टि’ में न्याय के सभी पहलुओं को एक साथ समाहित किया जाता है।
- विशेषता 2: इसमें एक समान दृष्टिकोण से समाज के हर व्यक्ति को समान अधिकार दिए जाते हैं।
- विशेषता 3: यह चित्र समाज के विभाजन और भेदभाव को समाप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होता है।
Step 3: निष्कर्ष.
‘सर्वदृष्टि’ का चित्र खंडकाव्य में न्याय, समानता, और हर एक व्यक्ति के अधिकारों को एक समग्र दृष्टि से प्रस्तुत करता है, जो समाज में समरसता का संदेश देता है।
Final Answer: \[ \boxed{'सर्वदृष्टि' में समग्र दृष्टिकोण से समाज में समानता, न्याय और अधिकारों का चित्रण किया गया है।} \] Quick Tip: सर्वदृष्टि का विचार करते समय प्रत्येक पात्र और उनके दृष्टिकोण को एकजुट रूप से समझें, ताकि सामाजिक न्याय की गहरी समझ बने।
भव्योड्यम् भारतदेशः। यत्र समुद्रः जनगणमनःसाक्षी, गम्भीरभावोद्वाहिनी, शब्दार्थवेदि-प्रसारिणी सुरसरिती। विद्याभ्यां निखिललोकं धात्रिभ्यः अमृतं दायिनी। बाल्येभ्यः राष्ट्रभक्तिं सृजमानं च वदति। इयमेव भाषा संस्कृतभाषायाः लोके श्रिया अधिका अस्ति। अस्माकं पुराण-महाभारत-रामायण-सहितं प्रबन्धं, बन्धुत्वं ददाति, सर्व उपनिषदः, उपदेशप्रदायिनी। अन्यानि च महाकाव्यानि-नाटकाश्च अस्यां एव भाषायां लिखितानि सन्ति। इयमेव भाषा सर्वशास्त्राभिव्यञ्जनायाः जननी। अस्मिन्नेव भाषाललितविनोदः।
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N/A Quick Tip: अनुवाद करते समय ध्यान रखें कि भाषा का भाव अनुवादित रूप में स्पष्ट और सहज रहे। केवल शब्दार्थ ही नहीं, बल्कि वाक्य का सार पकड़ना चाहिए।
महापुरुषाः लोकिनः प्रलोभनैः बुद्ध्या निश्चलसिद्धान्तं कृत्वा प्रस्थिता। देशसेवायां तत्तेयं युधा उच्चस्थायालस्य परीक्षां स्थातुं नाशक्नुवन्। पण्डितं नेहरूः, लाललाजपतिरायः अपि च अन्ये राष्ट्रपुरुषाः। सह सोढुं देशस्य स्वतंत्रतासंग्रामस्य कठिनाईः।
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N/A Quick Tip: ऐतिहासिक या राष्ट्रभक्ति से जुड़े गद्यांश का अनुवाद करते समय भावात्मकता को बनाए रखना अनिवार्य है। इससे अनुवाद अधिक प्रभावशाली बनता है।
निम्नलिखित श्लोकों का हिन्दी में सन्दर्भ-सहित अनुवाद कीजिए :
(1)
पश्य रूपाणि सौम्यत्रे वनान्तां पुष्पशालिनाम् ।
सुगन्धानि च पुष्पाणि वर्षतोयस्युचावह ।।
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N/A Quick Tip: प्रकृति-वर्णन से जुड़े श्लोकों का अनुवाद करते समय चित्रात्मकता और भावपूर्ण भाषा का प्रयोग करें।
(2)
वज्रादपि कठोराणि मृदूनि कुसुमादपि ।
लोकाचाराणां चेतांसि को नु विज्ञातुमर्हति ।।
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N/A Quick Tip: नैतिकता या जीवन-दर्शन से जुड़े श्लोकों का अनुवाद करते समय गहराई और विचारपूर्णता बनाए रखें।
निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर संस्कृत में दीजिए।
(क) संस्कृतस्य प्रभुताः ऋषयः आसन् ?
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\underline{उत्तरः :
संस्कृतस्य प्रभुताः महर्षयः व्यासः, वाल्मीकि, कात्यायनः, पतञ्जलिः च आसन्।
Step 1: प्रश्न को समझें — संस्कृत भाषा के प्रमुख ऋषि कौन थे?
Step 2: संस्कृत साहित्य से जुड़े महर्षियों के नाम लिखें।
Step 3: पूर्ण वाक्य संस्कृत में बनाएँ।
% Quicktip
\begin{quicktipbox
संस्कृत उत्तर देते समय वाक्य संरचना और विभक्ति पर ध्यान दें।
\end{quicktipbox Quick Tip: संस्कृत उत्तर देते समय वाक्य संरचना और विभक्ति पर ध्यान दें।
(ख) भोजस्य सभायां कः कविः प्राभातवर्णनं उपदिशत् ?
View Solution
\underline{उत्तरः :
भोजस्य सभायां कालिदासः कविः प्राभातवर्णनं उपदिशत्।
Step 1: प्रश्न में कवि का नाम पहचानें।
Step 2: सही कर्ता-क्रिया-वाक्य बनाएं।
Step 3: उत्तर संस्कृत भाषा में पूर्ण लिखें।
% Quicktip
\begin{quicktipbox
कवि-सम्बन्धी प्रश्नों में कर्ता और क्रिया दोनों स्पष्ट लिखना चाहिए।
\end{quicktipbox Quick Tip: कवि-सम्बन्धी प्रश्नों में कर्ता और क्रिया दोनों स्पष्ट लिखना चाहिए।
(ग) खलस्य विद्या किमर्थं भवति ?
View Solution
\underline{उत्तरः :
खलस्य विद्या विवादाय, न तु विनयाय भवति।
Step 1: प्रश्न पूछ रहा है कि खलजन की विद्या का अर्थ क्या होता है।
Step 2: संस्कृत साहित्य का प्रसिद्ध वाक्य प्रयोग करें।
Step 3: उत्तर को स्पष्ट रूप में लिखें।
% Quicktip
\begin{quicktipbox
खलजन की विद्या सदैव तर्क और विवाद के लिए होती है, विनम्रता के लिए नहीं — इस भाव को स्पष्ट करना जरूरी है।
\end{quicktipbox Quick Tip: खलजन की विद्या सदैव तर्क और विवाद के लिए होती है, विनम्रता के लिए नहीं — इस भाव को स्पष्ट करना जरूरी है।
(घ) शिक्षायाः क्षेत्रे श्रीमालवीयः किमकरोत् ?
View Solution
\underline{उत्तरः :
शिक्षायाः क्षेत्रे श्रीमालवीयः महान् योगदानं कृतवान्। तेन वाराणस्यां विश्वविद्यालयः स्थाप्यते स्म।
Step 1: प्रश्न समझें — श्री मालवीय का शिक्षाक्षेत्र में योगदान।
Step 2: वाराणसी विश्वविद्यालय की स्थापना का उल्लेख करें।
Step 3: संस्कृत वाक्य में उत्तर लिखें।
% Quicktip
\begin{quicktipbox
ऐतिहासिक व्यक्तियों से सम्बंधित प्रश्नों में उनके योगदान को संक्षेप में और स्पष्टता से लिखना चाहिए।
\end{quicktipbox Quick Tip: ऐतिहासिक व्यक्तियों से सम्बंधित प्रश्नों में उनके योगदान को संक्षेप में और स्पष्टता से लिखना चाहिए।
(क) ‘वीर’ अथवा ‘शान्त’ रस की परिभाषा सोदाहरण लिखिए।
View Solution
\underline{परिभाषा (वीर रस):
जब किसी काव्य में साहस, पराक्रम, युद्ध और परिश्रम का चित्रण किया जाता है, तब वहाँ वीर रस की उत्पत्ति होती है।
\underline{उदाहरण:
“रणभेरी की गर्जना से धरा कम्पायमान हो उठी।”
\underline{परिभाषा (शान्त रस):
जहाँ किसी काव्य में वैराग्य, शांति और आत्मसंतोष का वर्णन किया जाता है, वहाँ शान्त रस की उत्पत्ति होती है।
\underline{उदाहरण:
“सबै भूमि गोपाल की, सबै वन उपवन सो।”
% Quicktip
\begin{quicktipbox
रस की परिभाषा देते समय स्थायीभाव और उसके भावों का ध्यान रखें।
\end{quicktipbox Quick Tip: रस की परिभाषा देते समय स्थायीभाव और उसके भावों का ध्यान रखें।
(ख) ‘उपमा’ अथवा ‘रूपक’ अलंकार की परिभाषा लिखकर उदाहरण प्रस्तुत कीजिए।
View Solution
\underline{परिभाषा (उपमा अलंकार):
जब किसी वस्तु की तुलना किसी दूसरी वस्तु से ‘जैसे’, ‘समान’, ‘प्रायः’ आदि शब्दों के द्वारा की जाती है, तो उपमा अलंकार होता है।
\underline{उदाहरण:
“वह शेर के समान वीर है।”
\underline{परिभाषा (रूपक अलंकार):
जब किसी वस्तु का रूप दूसरी वस्तु में पूर्णतया आरोपित कर दिया जाता है, तो रूपक अलंकार होता है।
\underline{उदाहरण:
“तुम मेरे जीवन के दीपक हो।”
% Quicktip
\begin{quicktipbox
अलंकारों की परिभाषा में प्रयुक्त शब्द (जैसे ‘जैसे’, ‘समान’) पर ध्यान देने से सही पहचान आसान होती है।
\end{quicktipbox Quick Tip: अलंकारों की परिभाषा में प्रयुक्त शब्द (जैसे ‘जैसे’, ‘समान’) पर ध्यान देने से सही पहचान आसान होती है।
(ग) ‘सवैया’ अथवा ‘छप्पय’ की परिभाषा लिखकर उदाहरण प्रस्तुत कीजिए।
View Solution
\underline{परिभाषा (सवैया छन्द):
सवैया छन्द में चार पंक्तियाँ होती हैं और प्रत्येक पंक्ति में निश्चित मात्रा की गणना रहती है। इसमें विशेष प्रकार की लय और गति होती है।
\underline{उदाहरण:
“होइ है सोई जो राम रचि राखा, को करि तर्क बढ़ावै।”
\underline{परिभाषा (छप्पय छन्द):
छप्पय छन्द में छह पंक्तियाँ होती हैं। इसका प्रयोग वीरगाथाओं और ऐतिहासिक वर्णनों में होता है।
\underline{उदाहरण:
“देवहि बिनउ सगरहित समाजू। छप्पय छन्द तेहि करउ आजू॥”
% Quicktip
\begin{quicktipbox
छन्दों की परिभाषा देते समय पंक्तियों की संख्या और मात्राओं की गणना स्पष्ट रूप से लिखें।
\end{quicktipbox Quick Tip: छन्दों की परिभाषा देते समय पंक्तियों की संख्या और मात्राओं की गणना स्पष्ट रूप से लिखें।
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर निबंध लिखिए :
(क) ग्रामीण रोजगार योजनाएँ
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ग्रामीण रोजगार योजनाएँ
\underline{निबंध:
भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहाँ की अधिकांश जनसंख्या गाँवों में रहती है। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की समस्या बहुत गंभीर है। इस समस्या को हल करने के लिए सरकार ने अनेक योजनाएँ चलाईं। मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) इसका प्रमुख उदाहरण है। इससे ग्रामीणों को 100 दिन का रोजगार मिलता है। इन योजनाओं से गाँवों का विकास होता है और पलायन की समस्या भी कम होती है।
Step 1: भूमिका में भारत की ग्रामीण स्थिति का उल्लेख करें।
Step 2: योजनाओं का संक्षिप्त वर्णन करें।
Step 3: योजनाओं के लाभ और निष्कर्ष लिखें।
% Quicktip
\begin{quicktipbox
निबंध लिखते समय भूमिका, मुख्य विषय और निष्कर्ष का क्रम बनाए रखें।
\end{quicktipbox Quick Tip: निबंध लिखते समय भूमिका, मुख्य विषय और निष्कर्ष का क्रम बनाए रखें।
(ख) वर्तमान में युवा की दशा और दिशा
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वर्तमान में युवा की दशा और दिशा
\underline{निबंध:
युवा किसी भी राष्ट्र की शक्ति होते हैं। वर्तमान समय में अनेक युवा तकनीक, विज्ञान और खेलों में उत्कृष्ट कार्य कर रहे हैं। परन्तु कुछ युवा नशाखोरी और बेरोजगारी की समस्याओं में फँस जाते हैं। शिक्षा और संस्कार द्वारा युवाओं को सही दिशा दी जा सकती है। यदि युवा सही मार्ग पर चलें तो राष्ट्र प्रगति के पथ पर आगे बढ़ेगा।
Step 1: भूमिका में युवाओं का महत्व लिखें।
Step 2: सकारात्मक और नकारात्मक दशा पर चर्चा करें।
Step 3: निष्कर्ष में दिशा सुधार का सुझाव दें।
% Quicktip
\begin{quicktipbox
युवाओं से संबंधित निबंध में आदर्श और जिम्मेदारी दोनों का उल्लेख करें।
\end{quicktipbox Quick Tip: युवाओं से संबंधित निबंध में आदर्श और जिम्मेदारी दोनों का उल्लेख करें।
(ग) प्रजातंत्र में राजनीतिक दलों का महत्व
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प्रजातंत्र में राजनीतिक दलों का महत्व
\underline{निबंध:
प्रजातंत्र में राजनीतिक दल अत्यंत आवश्यक हैं। ये जनता और सरकार के बीच सेतु का कार्य करते हैं। राजनीतिक दल चुनावों में भाग लेते हैं और जनता की समस्याएँ उठाते हैं। यदि ये दल ईमानदारी से कार्य करें तो प्रजातंत्र मजबूत होता है। लेकिन यदि भ्रष्टाचार बढ़े तो अव्यवस्था फैलती है। अतः लोकतंत्र की सफलता राजनीतिक दलों की कार्यप्रणाली पर निर्भर करती है।
Step 1: प्रजातंत्र और दलों की भूमिका बताएँ।
Step 2: उनके लाभ और दोष समझाएँ।
Step 3: सुधार की आवश्यकता पर निष्कर्ष दें।
% Quicktip
\begin{quicktipbox
राजनीति सम्बन्धी निबंध में लोकतांत्रिक मूल्यों और दलों की भूमिका पर ध्यान दें।
\end{quicktipbox Quick Tip: राजनीति सम्बन्धी निबंध में लोकतांत्रिक मूल्यों और दलों की भूमिका पर ध्यान दें।
(घ) मेरा प्रिय कवि
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N/A Quick Tip: कवि सम्बन्धी निबंध में रचनाएँ और समाज पर प्रभाव अवश्य लिखें।
निम्नलिखित शब्दों का संधि–विच्छेद कीजिए और सही विकल्प चुनिए।
(क) ‘भातुकः’ का संधि–विच्छेद है –
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‘‘भातुकः’’ शब्द ‘‘भोः’’ और ‘‘अकः’’ से मिलकर बना है। यहाँ विसर्ग संधि है, जिससे ‘‘भातुकः’’ रूप बनता है।
\[ \boxed{अर्थ – सेवक अथवा भक्त।} \]
% Quicktip
\begin{quicktipbox
‘‘भोः + अकः = भातुकः’’ में विसर्ग संधि होती है।
\end{quicktipbox Quick Tip: ‘‘भोः + अकः = भातुकः’’ में विसर्ग संधि होती है।
(A) प्रतिदिनम्
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N/A
(B) पीतकफलम्
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N/A
(C) पीताम्बरः
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विग्रह – पीतः अम्बरः यस्य सः = पीताम्बरः।
यहाँ वस्त्र (अम्बर) का विशेषण (पीत) है। \[ \boxed{समास भेद – कर्मधारय समास} \]
% Quicktip
\begin{quicktipbox
समास पहचानने के लिए – विग्रह कीजिए, फिर देखें कि क्या अव्यय जुड़ा है (अव्ययीभाव), या विशेषण-विशेष्य (कर्मधारय), या षष्ठी विभक्ति (तत्पुरुष)।
\end{quicktipbox Quick Tip: समास पहचानने के लिए – विग्रह कीजिए, फिर देखें कि क्या अव्यय जुड़ा है (अव्ययीभाव), या विशेषण-विशेष्य (कर्मधारय), या षष्ठी विभक्ति (तत्पुरुष)।
निम्नलिखित में से किसी एक शब्द के धातु तथा प्रत्यय का नाम लिखिए :
(A) करणीयः
(B) पीतवा
(C) मानवत्व
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(A) करणीयः
धातु – कृ (to do)
प्रत्यय – णीय (ल्युट्) प्रत्यय \[ \boxed{करणीयः = जो किया जाना चाहिए} \]
(B) पीतवा
धातु – पा (to drink)
प्रत्यय – क्त्वा प्रत्यय \[ \boxed{पीतवा = पीकर} \]
(C) मानवत्व
धातु – मन् (to think, मनन) से मानव शब्द
प्रत्यय – त्व प्रत्यय (भाववाचक) \[ \boxed{मानवत्व = मानव का भाव} \]
% Quicktip
\begin{quicktipbox
धातु और प्रत्यय पहचानने के लिए पहले मूल क्रिया (धातु) ढूँढें, फिर देखें कौन-सा प्रत्यय जुड़कर नया रूप बनाता है।
\end{quicktipbox Quick Tip: धातु और प्रत्यय पहचानने के लिए पहले मूल क्रिया (धातु) ढूँढें, फिर देखें कौन-सा प्रत्यय जुड़कर नया रूप बनाता है।
निम्नलिखित में से किसी एक शब्द का धातुरूप लिखिए :
(A) नीता
(B) गन्तारः
(C) लघुत्व
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(A) नीता
धातु – नी (to lead, ले जाना)
रूप – नीता (भूतकालिक कृदन्त, क्त प्रत्यय से बना) \[ \boxed{अर्थ – ले जाई गई} \]
(B) गन्तारः
धातु – गम् (to go, जाना)
रूप – गन्तारः (‘‘तृच्’’ प्रत्यय से बना कर्ता–वाचक) \[ \boxed{अर्थ – जानेवाला} \]
(C) लघुत्व
धातु – लघु (small, light – विशेषण रूप से बना आधार)
रूप – लघुत्व (‘‘त्व’’ प्रत्यय से भाववाचक संज्ञा) \[ \boxed{अर्थ – लघु होने की अवस्था} \]
% Quicktip
\begin{quicktipbox
धातु–रूप निकालते समय देखें शब्द किस प्रत्यय से बना है – क्त, तृच्, त्व आदि। इससे अर्थ भी स्वतः स्पष्ट हो जाएगा।
\end{quicktipbox Quick Tip: धातु–रूप निकालते समय देखें शब्द किस प्रत्यय से बना है – क्त, तृच्, त्व आदि। इससे अर्थ भी स्वतः स्पष्ट हो जाएगा।
"खगोंिक पत्रों में से किसी एक पत्र में प्राकृतिक तथा संस्कृत भाषा का प्रयोग करें।"
(A) विधालयंषिंद्ध : बढ़ा: सच्चि।
(B) मोक्ष: गृहात् अमच्छिति
(C) काव्यं श्रुतं कंम्भ।
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(A) विधालयंषिंद्ध : बढ़ा: सच्चि।
यह वाक्य का अर्थ स्पष्ट नहीं है, क्योंकि यह अत्यधिक असंगत शब्दों का मिश्रण है। संस्कृत में "विधालयंषिंद्ध" और "बढ़ा: सच्चि" जैसी कोई सुसंगतता नहीं है। इस प्रकार, यह वाक्य प्राकृतिक और संस्कृत दोनों भाषाओं के सही प्रयोग का उदाहरण नहीं देता।
(B) मोक्ष: गृहात् अमच्छिति
यह वाक्य भी संप्रेषण में कठिनाई उत्पन्न करता है। "मोक्ष" का अर्थ है मुक्ति या मोक्ष प्राप्ति, लेकिन "गृहात् अमच्छिति" में कोई स्पष्ट व्याख्या नहीं है। संस्कृत में इस प्रकार के शब्दों का सही उपयोग नहीं किया गया है।
(C) काव्यं श्रुतं कंम्भ।
यह वाक्य सही है। संस्कृत में "काव्यं श्रुतं" का अर्थ है "कविता सुनी गई है" और "कंम्भ" शब्द कविता या शेर के संदर्भ में सही अर्थ उत्पन्न करता है। यह वाक्य प्राकृतिक और संस्कृत भाषा के सही प्रयोग का आदर्श उदाहरण है। Quick Tip: संस्कृत वाक्य में उपयुक्त शब्दों का चयन और उनका सही प्रयोग जरूरी होता है, खासकर जब हम कविता और साहित्यिक शब्दों का उपयोग करते हैं।



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