UP Board Class 12 Hindi General Question Paper with Answer Key (February 16, Code 302 ZJ)

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Shivam Yadav

Educational Content Expert | Updated on - Oct 3, 2025

UP Board Class 12 Hindi General Question Paper with Answer Key Code 302 ZJ is available for download. The exam was conducted by the Uttar Pradesh Madhyamik Shiksha Parishad (UPMSP) on February 16, 2023 in Afternoon Session 2 PM to 5:15 PM. The medium of paper was Hindi. In terms of difficulty level, UP Board Class 12 Hindi General paper was Easy. The question paper comprised a total of 14 questions.

UP Board Class 12 Hindi General (Code 302 ZJ) Question Paper with Answer Key (February 16)

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Question 1:

‘भाषा योगवाशिष्ठ’ के लेखक हैं:

  • (A) मुंशी सदासुख लाल
  • (B) लल्लू लाल
  • (C) रामप्रसाद निरंजनी
  • (D) स्वामी दयानन्द सरस्वती
Correct Answer: (B) लल्लू लाल
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Step 1: Understanding the context.

‘भाषा योगवाशिष्ठ’ संस्कृत के महान ग्रंथ ‘योगवाशिष्ठ’ का हिंदी रूपांतरण है। इसे हिंदी गद्य साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है।


Step 2: About the author.

लल्लू लाल हिंदी साहित्य के गद्यकार माने जाते हैं। उन्होंने ‘भाषा योगवाशिष्ठ’ का अनुवाद हिंदी गद्य में किया। उनकी यह कृति हिंदी गद्य के विकास में मील का पत्थर साबित हुई।


Step 3: Option Analysis.

- (A) मुंशी सदासुख लाल → यह गलत है, उन्होंने यह रचना नहीं की।

- (B) लल्लू लाल → सही उत्तर, लल्लू लाल ‘भाषा योगवाशिष्ठ’ के लेखक हैं।

- (C) रामप्रसाद निरंजनी → यह भी गलत है, यह रचना उनसे सम्बंधित नहीं है।

- (D) स्वामी दयानन्द सरस्वती → यह भी गलत है, वे आर्य समाज के संस्थापक थे, लेकिन इस रचना से उनका संबंध नहीं है।


Step 4: Conclusion.

स्पष्ट है कि ‘भाषा योगवाशिष्ठ’ के लेखक लल्लू लाल हैं।
Quick Tip: लल्लू लाल को हिंदी गद्य का जनक माना जाता है, उनकी प्रसिद्ध रचनाओं में ‘भाषा योगवाशिष्ठ’ और ‘प्रेमसागर’ प्रमुख हैं।


Question 2:

सदल मिश्र की रचना है:

  • (A) सत्यामृत प्रवाह
  • (B) नासिकेतोपाख्यान
  • (C) भारत सौभाग्य
  • (D) भूतनाथ
Correct Answer: (C) भारत सौभाग्य
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Step 1: Understanding the question.

सदल मिश्र हिंदी साहित्य के एक प्रसिद्ध कवि और लेखक थे। उनकी रचनाएँ मुख्यतः देशभक्ति और सामाजिक चेतना पर आधारित थीं।


Step 2: About the correct work.

‘भारत सौभाग्य’ सदल मिश्र की प्रसिद्ध रचना है। इसमें भारत की महानता, संस्कृति और राष्ट्रप्रेम का भाव प्रकट किया गया है।


Step 3: Option Analysis.

- (A) सत्यामृत प्रवाह → यह रचना सदल मिश्र की नहीं है।

- (B) नासिकेतोपाख्यान → यह भी उनकी रचना नहीं है।

- (C) भारत सौभाग्य → सही उत्तर, यह सदल मिश्र की रचना है।

- (D) भूतनाथ → यह भी उनकी रचना नहीं है।


Step 4: Conclusion.

स्पष्ट है कि ‘भारत सौभाग्य’ सदल मिश्र की रचना है।
Quick Tip: सदल मिश्र अपनी रचना ‘भारत सौभाग्य’ के लिए प्रसिद्ध हैं, जिसमें राष्ट्रभक्ति की भावना प्रमुख रूप से दिखाई देती है।


Question 3:

‘चन्द्रकान्ता सन्तति’ कृति की विधि है:

  • (A) निबन्ध
  • (B) नाटक
  • (C) कहानी
  • (D) उपन्यास
Correct Answer: (D) उपन्यास
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Step 1: About the work.

‘चन्द्रकान्ता सन्तति’ हिंदी साहित्य की एक अत्यंत प्रसिद्ध रचना है। इसे देवकीनंदन खत्री ने लिखा था।


Step 2: Understanding the form.

यह रचना एक उपन्यास है और इसे तिलिस्मी उपन्यास की श्रेणी में रखा जाता है। इसमें रोमांच और रहस्य का अद्भुत संयोग है।


Step 3: Option Analysis.

- (A) निबन्ध → गलत उत्तर, यह निबन्ध नहीं है।

- (B) नाटक → यह भी गलत है, नाटक नहीं है।

- (C) कहानी → केवल कहानी नहीं, बल्कि विस्तृत उपन्यास है।

- (D) उपन्यास → सही उत्तर, ‘चन्द्रकान्ता सन्तति’ एक उपन्यास है।


Step 4: Conclusion.

अतः सही उत्तर है (D) उपन्यास।
Quick Tip: देवकीनंदन खत्री को हिंदी उपन्यास साहित्य का पितामह कहा जाता है।


Question 4:

बालकृष्ण भट्ट सम्पादक थे:

  • (A) इन्दुमती के
  • (B) परीक्षा गुरु के
  • (C) हिन्दी प्रदीप के
  • (D) साहित्य सहचर के
Correct Answer: (C) हिन्दी प्रदीप के
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Step 1: About the personality.

बालकृष्ण भट्ट हिंदी साहित्य के एक प्रमुख लेखक, आलोचक और पत्रकार थे।


Step 2: Editorial contribution.

वे ‘हिन्दी प्रदीप’ पत्रिका के संपादक थे। यह पत्रिका हिंदी गद्य और साहित्यिक पत्रकारिता के विकास में बहुत महत्वपूर्ण रही।


Step 3: Option Analysis.

- (A) इन्दुमती के → यह गलत है।

- (B) परीक्षा गुरु के → यह गलत है, इसे श्रीनिवास दास ने लिखा था।

- (C) हिन्दी प्रदीप के → सही उत्तर, बालकृष्ण भट्ट इसके संपादक थे।

- (D) साहित्य सहचर के → यह भी गलत विकल्प है।


Step 4: Conclusion.

स्पष्ट है कि बालकृष्ण भट्ट ‘हिन्दी प्रदीप’ पत्रिका के संपादक थे।
Quick Tip: ‘हिन्दी प्रदीप’ पत्रिका हिंदी गद्य और पत्रकारिता की प्रगति में मील का पत्थर मानी जाती है।


Question 5:

वासुदेवशरण अग्रवाल की रचना है:

  • (A) बाणभट्ट की आत्मकथा
  • (B) वार्धारा
  • (C) साहित्य और समाज
  • (D) शेखर : एक जीवनी
Correct Answer: (C) साहित्य और समाज
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Step 1: About the author.

वासुदेवशरण अग्रवाल हिंदी साहित्य और संस्कृति के गहरे अध्येता थे। उनकी रचनाओं में साहित्यिक और सामाजिक पक्ष का सुंदर समन्वय मिलता है।


Step 2: Identification of the work.

‘साहित्य और समाज’ उनकी प्रमुख कृति है, जिसमें उन्होंने साहित्य और समाज के आपसी संबंध को स्पष्ट किया है।


Step 3: Option Analysis.

- (A) बाणभट्ट की आत्मकथा → यह हरिवंश राय बच्चन की आत्मकथात्मक कृति है, अग्रवाल की नहीं।

- (B) वार्धारा → यह रचना उनसे सम्बंधित नहीं है।

- (C) साहित्य और समाज → सही उत्तर, यह वासुदेवशरण अग्रवाल की रचना है।

- (D) शेखर: एक जीवनी → यह प्रसिद्ध उपन्यास अज्ञेय की कृति है।


Step 4: Conclusion.

अतः स्पष्ट है कि सही उत्तर (C) साहित्य और समाज है।
Quick Tip: वासुदेवशरण अग्रवाल की ‘साहित्य और समाज’ कृति में साहित्य और समाज का गहरा संबंध प्रस्तुत किया गया है।


Question 6:

‘कितनी नावों में कितनी बार’ काव्यकृति है:

  • (A) गिरिजाकुमार माथुर की
  • (B) नागार्जुन की
  • (C) सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ की
  • (D) हरिवंशराय बच्चन की
Correct Answer: (C) सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ की
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Step 1: Understanding the work.

‘कितनी नावों में कितनी बार’ आधुनिक हिंदी साहित्य की एक महत्वपूर्ण काव्यकृति है।


Step 2: About the author.

यह कृति सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ की है। अज्ञेय प्रयोगवादी और नयी कविता के प्रमुख कवि रहे हैं।


Step 3: Option Analysis.

- (A) गिरिजाकुमार माथुर → वे नयी कविता के कवि थे, लेकिन यह कृति उनकी नहीं है।

- (B) नागार्जुन → वे जनकवि थे, उनकी शैली अलग है।

- (C) अज्ञेय → सही उत्तर, यह कृति अज्ञेय की है।

- (D) हरिवंशराय बच्चन → वे ‘मधुशाला’ के लिए प्रसिद्ध हैं, यह कृति उनकी नहीं है।


Step 4: Conclusion.

अतः सही उत्तर है (C) अज्ञेय।
Quick Tip: अज्ञेय की ‘कितनी नावों में कितनी बार’ नयी कविता की एक महत्वपूर्ण कृति मानी जाती है।


Question 7:

छायावाद की प्रमुख विशेषता है:

  • (A) प्रकृति का उद्दीपन-रूप में वर्णन
  • (B) सौन्दर्य एवं प्रेम
  • (C) इतिवृत्तात्मकता
  • (D) श्रृंगारिक भावना का पूर्णतः अभाव
Correct Answer: (B) सौन्दर्य एवं प्रेम
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Step 1: Understanding Chhayavad.

छायावाद हिंदी साहित्य का एक प्रमुख काव्य आंदोलन था जो मुख्यतः 1918 से 1936 तक सक्रिय रहा। इसमें काव्य में आत्मकेंद्रित भावनाओं, प्रकृति, प्रेम और सौन्दर्य को प्रमुख स्थान दिया गया।


Step 2: Identifying the main feature.

छायावाद की प्रमुख विशेषता सौन्दर्य एवं प्रेम की अभिव्यक्ति मानी जाती है।


Step 3: Option Analysis.

- (A) प्रकृति का उद्दीपन-रूप में वर्णन → यह आंशिक रूप से सही है लेकिन यह छायावाद की प्रमुख विशेषता नहीं है।

- (B) सौन्दर्य एवं प्रेम → सही उत्तर, क्योंकि छायावाद का मूल स्वर ही सौन्दर्य और प्रेम की भावनाओं पर आधारित है।

- (C) इतिवृत्तात्मकता → यह प्राचीन और शास्त्रीय काव्य की विशेषता है, छायावाद की नहीं।

- (D) श्रृंगारिक भावना का अभाव → यह गलत है क्योंकि छायावाद में प्रेम और सौन्दर्य की अभिव्यक्ति भरपूर है।


Step 4: Conclusion.

अतः सही उत्तर है (B) सौन्दर्य एवं प्रेम।
Quick Tip: छायावाद को हिंदी कविता का ‘स्वर्ण युग’ कहा जाता है, जिसमें सौन्दर्य और प्रेम की भावना प्रबल रही।


Question 8:

‘दूसरा सप्तक’ का प्रकाशन वर्ष है:

  • (A) 1943 ई०
  • (B) 1950 ई०
  • (C) 1951 ई०
  • (D) 1956 ई०
Correct Answer: (B) 1950 ई०
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Step 1: Understanding the work.

‘सप्तक’ काव्य-संग्रहों की शृंखला प्रयोगवाद और नयी कविता की परंपरा का आधार मानी जाती है।


Step 2: About ‘दूसरा सप्तक’.

‘दूसरा सप्तक’ का प्रकाशन 1950 ई० में हुआ। इसमें सात कवियों की रचनाएँ संकलित थीं।


Step 3: Option Analysis.

- (A) 1943 ई० → यह ‘तार सप्तक’ का प्रकाशन वर्ष है, न कि ‘दूसरा सप्तक’ का।

- (B) 1950 ई० → सही उत्तर, ‘दूसरा सप्तक’ इसी वर्ष प्रकाशित हुआ।

- (C) 1951 ई० → यह गलत है।

- (D) 1956 ई० → यह भी गलत है।


Step 4: Conclusion.

स्पष्ट है कि ‘दूसरा सप्तक’ का प्रकाशन वर्ष 1950 ई० है।
Quick Tip: ‘सप्तक’ श्रृंखला ने हिंदी में प्रयोगवाद और नयी कविता को स्थापित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।


Question 9:

हिन्दी का प्रथम महाकाव्य माना जाता है:

  • (A) पद्मावत
  • (B) रामचरितमानस
  • (C) साकेत
  • (D) पृथ्वीराज रासो
Correct Answer: (D) पृथ्वीराज रासो
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Step 1: Understanding the context.

हिंदी का प्रथम महाकाव्य पृथ्वीराज रासो को माना जाता है। इसके रचयिता कवि चंदबरदाई थे।


Step 2: About the work.

‘पृथ्वीराज रासो’ में पृथ्वीराज चौहान के शौर्य और पराक्रम का वर्णन है। इसे हिंदी साहित्य का प्रथम महाकाव्य कहा गया है।


Step 3: Option Analysis.

- (A) पद्मावत → यह जायसी की रचना है, महाकाव्य नहीं।

- (B) रामचरितमानस → यह गोस्वामी तुलसीदास की महान रचना है, लेकिन हिंदी का प्रथम महाकाव्य नहीं माना जाता।

- (C) साकेत → यह मैथिलीशरण गुप्त की कृति है।

- (D) पृथ्वीराज रासो → सही उत्तर, इसे हिंदी का प्रथम महाकाव्य माना गया है।


Step 4: Conclusion.

स्पष्ट है कि हिंदी का प्रथम महाकाव्य ‘पृथ्वीराज रासो’ है।
Quick Tip: कवि चंदबरदाई की रचना ‘पृथ्वीराज रासो’ हिंदी का प्रथम महाकाव्य है।


Question 10:

मैथिलीशरण गुप्त की काव्यकृति है:

  • (A) प्रेमाम्बुप्रवाह
  • (B) त्रिपथगा
  • (C) लहर
  • (D) ग्राम्या
Correct Answer: (C) लहर
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Step 1: About the poet.

मैथिलीशरण गुप्त राष्ट्रीय काव्यधारा के प्रमुख कवि माने जाते हैं। उन्हें ‘राष्ट्रकवि’ की उपाधि दी गई थी।


Step 2: About the correct work.

‘लहर’ मैथिलीशरण गुप्त की काव्यकृति है जिसमें राष्ट्रप्रेम और सामाजिक चेतना की अभिव्यक्ति मिलती है।


Step 3: Option Analysis.

- (A) प्रेमाम्बुप्रवाह → यह अन्य कवि की रचना है।

- (B) त्रिपथगा → यह भी उनकी कृति नहीं है।

- (C) लहर → सही उत्तर, यह मैथिलीशरण गुप्त की काव्यकृति है।

- (D) ग्राम्या → यह रचना भी उनसे सम्बंधित नहीं है।


Step 4: Conclusion.

अतः सही उत्तर है (C) लहर।
Quick Tip: मैथिलीशरण गुप्त को ‘राष्ट्रकवि’ कहा जाता है और उनकी प्रमुख कृतियाँ ‘भारत-भारती’, ‘साकेत’, और ‘लहर’ हैं।


दिये गये गद्यांश पर आधारित निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:  

मातृभूमि पर निवास करने वाले मनुष्य राष्ट्र का दूसरा अङ्ग है। पृथ्वी हो और मनुष्य न हो तो राष्ट्र की कल्पना असम्भव है। पृथ्वी और जन दोनों के समन्वय से ही राष्ट्र का स्वरूप सम्पन्नित होता है। जन के कारण ही पृथ्वी मातृभूमि को संज्ञा प्राप्त करती है। पृथ्वी माता है और जन सच्चे अर्थों में पृथ्वी के पुत्र हैं।  
 

Question 11:

उपयुक्त गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।

Correct Answer:
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Step 1: गद्यांश की पहचान।

इस गद्यांश में राष्ट्र की संकल्पना को जन और पृथ्वी के परस्पर संबंध से जोड़ा गया है।

यह बताया गया है कि मातृभूमि पर निवास करने वाले मनुष्य ही राष्ट्र का दूसरा अंग हैं।

पृथ्वी और मनुष्य के बिना राष्ट्र की कल्पना असंभव है।

पृथ्वी माता है और जन उसके सच्चे अर्थों में पुत्र कहे गए हैं।


Step 2: पाठ की पहचान।

यह गद्यांश 'भारत माता' नामक पाठ से लिया गया है।

इसमें राष्ट्र के स्वरूप की व्याख्या करते हुए पृथ्वी और जन दोनों की समान महत्ता को प्रस्तुत किया गया है।


Step 3: लेखक की पहचान।

इस पाठ के लेखक 'जयशंकर प्रसाद' हैं।

वे हिंदी साहित्य के महान कवि, नाटककार और गद्यकार माने जाते हैं।

उनकी रचनाओं में राष्ट्रीय भावना और मानवतावादी दृष्टिकोण स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।


Step 4: निष्कर्ष।

अतः इस गद्यांश का पाठ 'भारत माता' है और इसके लेखक 'जयशंकर प्रसाद' हैं।
Quick Tip: गद्यांश से पाठ और लेखक की पहचान करने के लिए उसमें निहित मुख्य विचार (जैसे राष्ट्र, मातृभूमि, जन और पृथ्वी का संबंध) पर ध्यान दें।


Question 12:

रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।

Correct Answer:
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Step 1: अंश की पहचान।

दिए गए अंश में लेखक ने गहरी भावनाओं और विचारों को व्यक्त किया है। यह अंश विषय की मूल भावना को प्रकट करता है और इसमें छिपे हुए संदेश को समझना आवश्यक है।


Step 2: आशय की व्याख्या।

इस अंश के माध्यम से यह स्पष्ट किया गया है कि लेखक पाठक को किसी विशेष विचार, अनुभव या मूल्य की ओर प्रेरित करना चाहता है। अंश में प्रयुक्त शब्द और भावार्थ मुख्य संदेश को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करते हैं।


Step 3: पाठ से संबंध।

अंश संपूर्ण पाठ की केंद्रीय भावना से जुड़ा हुआ है। यह लेखक के दृष्टिकोण, विचारधारा और लेखन-शैली का प्रतीक है।


Step 4: निष्कर्ष।

अतः रेखांकित अंश का आशय यही है कि यह पूरे पाठ की आत्मा और मुख्य उद्देश्य को पाठक तक पहुँचाने का कार्य करता है।
Quick Tip: रेखांकित अंश की व्याख्या करते समय उसमें छिपे भाव, उद्देश्य और संदर्भ पर ध्यान देना चाहिए।


Question 13:

राष्ट्र की कल्पना कब असम्भव है?

Correct Answer:
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Step 1: प्रश्न का आशय समझना।

यह प्रश्न इस तथ्य पर आधारित है कि राष्ट्र केवल भौगोलिक क्षेत्र या सीमाओं से नहीं बनता, बल्कि उसमें रहने वाले लोगों की एकता, सहयोग और सामूहिक पहचान से राष्ट्र का निर्माण होता है।


Step 2: राष्ट्र की कल्पना का आधार।

जब किसी राष्ट्र के नागरिकों में आपसी सद्भाव, भाईचारा और राष्ट्रीय चेतना का अभाव होता है, तब राष्ट्र की कल्पना सम्भव नहीं हो सकती।


Step 3: निष्कर्ष।

अतः राष्ट्र की कल्पना तब असम्भव है जब उसके नागरिकों में एकता, सहयोग और राष्ट्रीय भावना का अभाव हो।
Quick Tip: राष्ट्र की कल्पना केवल भौगोलिक क्षेत्र से नहीं, बल्कि नागरिकों की सामूहिक एकता और राष्ट्रीय चेतना से सम्भव होती है।


Question 14:

पृथ्वी और जन दोनों मिलकर क्या बनाते हैं?

Correct Answer:
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Step 1: प्रश्न का विश्लेषण।

यह प्रश्न गद्यांश के उस भाग से संबंधित है, जिसमें पृथ्वी और जन दोनों के संबंध को स्पष्ट किया गया है।


Step 2: गद्यांश की व्याख्या।

गद्यांश में बताया गया है कि पृथ्वी और जन दोनों के सम्मिलन से ही राष्ट्र का स्वरूप सम्पन्न होता है।


Step 3: निष्कर्ष।

अतः पृथ्वी और जन मिलकर राष्ट्र का निर्माण करते हैं।
Quick Tip: जब प्रश्न "दोनों मिलकर क्या बनाते हैं" जैसा हो, तो गद्यांश में प्रयुक्त संयुक्त शब्दों (जैसे राष्ट्र) पर विशेष ध्यान दें।


Question 15:

पृथ्वी कब मातृभूमि को संज्ञा प्राप्त करती है?

Correct Answer:
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Step 1: प्रश्न का विश्लेषण।

यह प्रश्न गद्यांश के उस अंश से संबंधित है, जिसमें पृथ्वी को मातृभूमि की संज्ञा देने का कारण स्पष्ट किया गया है।


Step 2: गद्यांश की व्याख्या।

गद्यांश के अनुसार, जन के कारण ही पृथ्वी मातृभूमि कहलाती है। यदि जन न हों, तो पृथ्वी केवल भूमि रह जाएगी।


Step 3: निष्कर्ष।

अतः पृथ्वी को मातृभूमि की संज्ञा तब प्राप्त होती है, जब उस पर जन का निवास होता है।
Quick Tip: "कब" से जुड़े प्रश्नों में समय या शर्त पर ध्यान देना आवश्यक है, जैसे यहाँ – जन के होने पर ही पृथ्वी मातृभूमि कहलाती है।


अथवा

अशोक का वृक्ष जितना भी मनोहर हो, जितना भी रहस्यमय हो, जितना भी अलंकारमय हो, परन्तु है। यह उस विशाल साम्राज्य सभ्यता की परिष्कृत रुचि का ही प्रतीक, जो साधारण प्रजा के परिश्रमों पर पली तिथि, उसके रक्त संसार कणों को खाकर बड़ी हुई थी और लाखों करोड़ों की अपेक्षा से जो समृद्ध हुई थी। वे सामन्त उधड़ गए और दिनोत्सव की धूमधाम भी मिट गई।  

Question 16:

उपयुक्त गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।

Correct Answer:
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Step 1: गद्यांश की पहचान।

इस गद्यांश में अशोक के वृक्ष का उल्लेख करते हुए सभ्यता और संस्कृति के विकास तथा उसके पतन का वर्णन किया गया है।

यहाँ यह बताया गया है कि किसी भी सभ्यता की चमक-दमक और वैभव सामान्य प्रजा के श्रम और बलिदान पर आधारित होती है।

लेकिन समय के साथ उसका वैभव नष्ट हो जाता है और इतिहास की धूमधाम मिट जाती है।


Step 2: पाठ की पहचान।

यह गद्यांश 'भारतीय संस्कृति' नामक पाठ से लिया गया है।

इसमें सभ्यता, संस्कृति और जन-जीवन के आपसी संबंधों पर प्रकाश डाला गया है।


Step 3: लेखक की पहचान।

इस पाठ के लेखक 'महादेवी वर्मा' हैं।

वे हिंदी साहित्य की प्रमुख लेखिका और छायावादी युग की स्तंभ कवयित्री मानी जाती हैं।

उन्होंने गद्य और पद्य दोनों में भारतीय संस्कृति और समाज की गहरी व्याख्या की है।


Step 4: निष्कर्ष।

अतः इस गद्यांश का पाठ 'भारतीय संस्कृति' है और इसके लेखक 'महादेवी वर्मा' हैं।
Quick Tip: लेखक की पहचान करने के लिए गद्यांश की विषयवस्तु (जैसे सभ्यता, संस्कृति, श्रम, वैभव और पतन) पर विशेष ध्यान देना चाहिए।


Question 17:

रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।

Correct Answer:
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Step 1: रेखांकित अंश की पहचान।

रेखांकित अंश है – "जो साधारण प्रजा के परिश्रमों पर पली थी, उसके रक्त संसार कणों को खाकर बड़ी हुई थी और लाखों करोड़ों की अपेक्षा से जो समृद्ध हुई थी।"


Step 2: व्याख्या।

इस अंश का तात्पर्य है कि सामंतवादी सभ्यता और वैभव सामान्य प्रजा के कठिन परिश्रम और उनके रक्त-पसीने की कमाई पर टिका हुआ था।

प्रजा ने अपने श्रम और बलिदान से शासकों के ऐश्वर्य को बढ़ाया, परन्तु इसका वास्तविक लाभ आम जन को नहीं मिला।


Step 3: निष्कर्ष।

अतः यह अंश शोषण-प्रधान सामंती व्यवस्था की ओर संकेत करता है, जहाँ जनता के श्रम और त्याग पर साम्राज्य की समृद्धि आधारित थी।
Quick Tip: रेखांकित अंश की व्याख्या करते समय उसके गहरे अर्थ और लेखक की मंशा पर विशेष ध्यान देना चाहिए।


Question 18:

सामन्त सभ्यता को परिष्कृत रुचि का प्रतीक क्यों कहा गया है?

Correct Answer:
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Step 1: प्रश्न का विश्लेषण।

यह प्रश्न गद्यांश के उस अंश से संबंधित है, जहाँ सामन्त सभ्यता को परिष्कृत रुचि का प्रतीक कहा गया है।


Step 2: गद्यांश की व्याख्या।

सामन्त सभ्यता में विशाल महलों, राजसी उत्सवों और भव्य कलात्मक वस्तुओं का निर्माण किया गया।

ये सब परिष्कृत कला, सौंदर्यबोध और शाही ऐश्वर्य के प्रतीक माने जाते थे।

परन्तु यह सब कुछ सामान्य प्रजा के श्रम और बलिदान पर ही आधारित था।


Step 3: निष्कर्ष।

अतः सामन्त सभ्यता को परिष्कृत रुचि का प्रतीक कहा गया है क्योंकि इसमें भव्यता और सौंदर्य का प्रदर्शन तो था, परंतु उसकी जड़ें शोषण पर आधारित थीं।
Quick Tip: जब किसी सभ्यता को "प्रतीक" कहा जाता है, तो उसका संबंध उस सभ्यता की विशेषता (जैसे कला, ऐश्वर्य, वैभव) से होता है।


Question 19:

लाखों-करोड़ों की उपेक्षा से कौन समृद्ध हुई थी?

Correct Answer:
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Step 1: प्रश्न का विश्लेषण।

यह प्रश्न गद्यांश में उस भाग से संबंधित है, जहाँ सामन्ती सभ्यता के ऐश्वर्य और उसकी जड़ों पर चर्चा की गई है।


Step 2: गद्यांश की व्याख्या।

गद्यांश में बताया गया है कि सामन्ती सभ्यता और उसका वैभव साधारण प्रजा के श्रम और बलिदान की उपेक्षा पर टिका हुआ था।

प्रजा के दुख और कष्टों को अनदेखा कर शासकों की ऐश्वर्यपूर्ण सभ्यता का विस्तार हुआ।


Step 3: निष्कर्ष।

अतः लाखों-करोड़ों की उपेक्षा से सामन्ती सभ्यता समृद्ध हुई थी।
Quick Tip: गद्यांश में "उपेक्षा" और "समृद्धि" जैसे शब्द यह संकेत करते हैं कि शासक वर्ग की ऐश्वर्यपूर्ण सभ्यता जनता की बलि पर आधारित थी।


Question 20:

आज उस सामन्त सभ्यता की क्या स्थिति है?

Correct Answer:
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Step 1: प्रश्न का विश्लेषण।

यह प्रश्न गद्यांश के अंतिम भाग से संबंधित है, जिसमें सामन्ती सभ्यता के पतन का उल्लेख किया गया है।


Step 2: गद्यांश की व्याख्या।

गद्यांश में स्पष्ट किया गया है कि समय के साथ सामन्ती सभ्यता का वैभव नष्ट हो गया।

उसकी धूमधाम और शाही वैभव अब इतिहास की धूल में मिल चुका है।


Step 3: निष्कर्ष।

अतः आज उस सामन्त सभ्यता की स्थिति यह है कि वह नष्ट हो चुकी है और उसकी धूमधाम भी मिट गई है।
Quick Tip: ऐसे प्रश्नों में "आज की स्थिति" पूछी जाए तो गद्यांश के अंतिम निष्कर्ष वाले भाग को ध्यान से पढ़ना चाहिए।


दिये गये पद्यांश पर आधारित निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

निज जन्म-जनम से मुग्ध जीव यह मेरा- 
धिक्कार ! उसे था महार्थ ने घेरा- 
सौ बार धन्य यह एक लाल की माई,  
निज जननी ने है जना भरत-सा भाई   
पागल सी प्रभु के साथ सभा चिल्लाई,   
सौ बार धन्य वह एक लाल की माई ॥ 

Question 21:

उपयुक्त पद्यांश का सन्दर्भ लिखिए।

Correct Answer:
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Step 1: पद्यांश की पहचान।

इस पद्यांश में एक वीर सपूत की माता का उल्लेख है, जिसने अपने पुत्र को राष्ट्र और समाज के लिए बलिदान करने योग्य बनाया।

कवि ने उस माता की महानता का वर्णन किया है, जिसने पुत्र को देश सेवा और सत्य के मार्ग पर चलना सिखाया।


Step 2: सन्दर्भ।

यह पद्यांश कवि माखनलाल चतुर्वेदी की रचना ‘एक फूल की चाह’ से लिया गया है।

कवि यहाँ उस मातृशक्ति को नमन कर रहे हैं, जिसने वीर पुत्र को जन्म देकर भारतभूमि को गौरवान्वित किया।


Step 3: निष्कर्ष।

अतः इस पद्यांश का सन्दर्भ यह है कि कवि ने वीर पुत्र की माता के त्याग और महिमा का गुणगान किया है, और उसे सौ-सौ बार धन्य कहा है।
Quick Tip: सन्दर्भ लिखते समय पाठ, कवि और पद्यांश की मूल भावना का उल्लेख करना आवश्यक होता है।


Question 22:

रेखांकित अंश को व्याख्या कीजिए।

Correct Answer:
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Step 1: रेखांकित अंश की पहचान।

रेखांकित अंश है – "धिक्कार! उसे था महाआस्वार्थ ने घेरा।"

यह अंश कैकेयी की स्थिति और उसके मनोभावों को दर्शाता है।


Step 2: व्याख्या।

कैकेयी को यह एहसास हुआ कि स्वार्थ की भावना ने उसे घेर लिया है।

उसे समझ में आया कि उसने लोभवश राम जैसे श्रेष्ठ पुत्र को वनवास दिलवाया और अपने ही परिवार को दुखी किया।


Step 3: निष्कर्ष।

अतः इस अंश का आशय यह है कि कैकेयी अपने स्वार्थपूर्ण निर्णय पर लज्जित और पश्चातापग्रस्त है।
Quick Tip: रेखांकित अंश की व्याख्या करते समय उसके भाव और लेखक की मंशा पर ध्यान दें।


Question 23:

कैकेयी स्वयं को धिक्कारती हुई क्या कहती है?

Correct Answer:
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Step 1: प्रश्न का विश्लेषण।

यह प्रश्न कैकेयी के आत्मालाप और उसकी पश्चाताप भावना से संबंधित है।


Step 2: गद्य/पद्यांश की व्याख्या।

कैकेयी स्वयं को धिक्कारते हुए कहती है कि उसने लोभवश राम को वनवास दिलाकर घोर अपराध किया है।

वह स्वयं को महा स्वार्थिनी मानकर लज्जित और अपराधिनी अनुभव करती है।


Step 3: निष्कर्ष।

अतः कैकेयी स्वयं को धिक्कारते हुए अपने को महा स्वार्थिनी और अपराधिनी कहती है।
Quick Tip: "स्वयं को धिक्कारना" जैसे प्रश्न आत्मग्लानि और पश्चाताप से जुड़े होते हैं, इसलिए उत्तर में दोष-स्वीकार अवश्य लिखें।


Question 24:

कैकेयी के प्रायश्चित के उपरान्त श्रीराम उनसे क्या कहते हैं?

Correct Answer:
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Step 1: प्रश्न का विश्लेषण।

यह प्रश्न उस प्रसंग से संबंधित है, जहाँ कैकेयी अपने अपराध पर पश्चाताप करती है और श्रीराम से क्षमा माँगती है।


Step 2: गद्य/पद्यांश की व्याख्या।

प्रायश्चित करने के बाद श्रीराम कैकेयी को सांत्वना देते हैं।

वे कहते हैं कि माता होने के नाते कैकेयी दोषमुक्त हैं और उन्हें अपराधिनी नहीं माना जा सकता।

राम अपने सहज धर्म और विनम्र स्वभाव के कारण उन्हें क्षमा कर देते हैं।


Step 3: निष्कर्ष।

अतः कैकेयी के प्रायश्चित के उपरान्त श्रीराम उनसे कहते हैं कि वे अभी भी उनकी माता हैं और अपराधिनी नहीं हैं।
Quick Tip: रामकथा से जुड़े प्रश्नों में हमेशा श्रीराम की धर्मनिष्ठा और करुणा पर ध्यान देना चाहिए।


Question 25:

प्रभु राम के साथ कैकेयी के अपराध का अपमार्जन करती हुई सभा क्या चिल्ला उठी?

Correct Answer:
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Step 1: प्रश्न का विश्लेषण।

यह प्रश्न उस प्रसंग से जुड़ा है, जब कैकेयी के अपराध का परिमार्जन श्रीराम की क्षमाशीलता से होता है और सभा उसकी प्रतिक्रिया देती है।


Step 2: गद्य/पद्यांश की व्याख्या।

जब राम ने कैकेयी को क्षमा कर दिया और उन्हें अपराधिनी नहीं माना, तो पूरी सभा हर्ष और भाव-विभोर होकर चिल्ला उठी।

सभा ने कैकेयी को धन्य माना, जिसने राम जैसे पुत्र को जन्म दिया और राम के धर्मशील स्वभाव को प्रकट किया।


Step 3: निष्कर्ष।

अतः सभा प्रभु राम की धर्मनिष्ठा और क्षमाशीलता देखकर चिल्ला उठी – "सौ बार धन्य वह एक लाल की माई।"
Quick Tip: जब सभा की प्रतिक्रिया पूछी जाए तो ध्यान रखें कि यह सामूहिक भावनाओं और प्रसन्नता का प्रतीक होती है।


दिये गये पद्यांश पर आधारित निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

आज की दुनिया विचित्र नवीन, 
प्रकृति पर सर्वत्र है विजयी पुरुष आसीन।   
हैं बँधे नर के करों में वारि, विद्युत, भाप,   
हुक्म पर चढ़ता-उतरता है पवन का ताप। 
है नहीं बाकी कहीं व्यवधान, 
लाँघ सकता नर सरित, गिरि, सिन्धु एक समान। 

Question 26:

उपयुक्त पद्यांश का सन्दर्भ लिखिए।

Correct Answer:
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Step 1: पद्यांश की पहचान।

इस पद्यांश में आधुनिक युग के विज्ञान और तकनीकी उपलब्धियों का वर्णन किया गया है।

कवि ने यह दर्शाया है कि मनुष्य ने प्रकृति की शक्तियों को अपने वश में कर लिया है।

पवन, विद्युत, भाप आदि अब मनुष्य के आदेश पर कार्य करते हैं और प्राकृतिक बाधाएँ भी उसके सामने तुच्छ हो गई हैं।


Step 2: सन्दर्भ।

यह पद्यांश ‘श्रेय मानव’ नामक पाठ से लिया गया है।

इसमें कवि ने आधुनिक विज्ञान की उपलब्धियों के माध्यम से मानव की शक्ति और सामर्थ्य को प्रकट किया है।


Step 3: निष्कर्ष।

अतः इस पद्यांश का सन्दर्भ यह है कि कवि मनुष्य की बुद्धि, विवेक और विज्ञान के माध्यम से अर्जित विजय की महत्ता को व्यक्त कर रहा है।
Quick Tip: सन्दर्भ लिखते समय हमेशा पाठ का नाम और उसमें व्यक्त मुख्य विचार (जैसे विज्ञान, मानव शक्ति, प्रकृति पर विजय) का उल्लेख करना चाहिए।


Question 27:

रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।

Correct Answer:
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Step 1: रेखांकित अंश की पहचान।

रेखांकित अंश है – "आज की दुनिया विचित्र नवीन।"

यह अंश आधुनिक युग के स्वरूप और उसकी नवीनता पर प्रकाश डालता है।


Step 2: व्याख्या।

कवि कहता है कि आज की दुनिया बिल्कुल नई और विचित्र हो गई है।

विज्ञान और तकनीकी प्रगति ने मानव जीवन को पूरी तरह बदल दिया है।

अब मनुष्य ने प्रकृति की शक्तियों को अपने वश में कर लिया है और अपनी इच्छाओं के अनुसार उनका उपयोग कर रहा है।


Step 3: निष्कर्ष।

अतः इस अंश का आशय यह है कि आधुनिक युग विज्ञान और तकनीकी विकास के कारण बिल्कुल नवीन और आश्चर्यजनक हो गया है।
Quick Tip: रेखांकित अंश की व्याख्या करते समय उसका सीधा आशय और उसमें निहित भाव अवश्य स्पष्ट करें।


Question 28:

आज के मनुष्य ने किस पर विजय प्राप्त कर ली है?

Correct Answer:
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Step 1: प्रश्न का विश्लेषण।

यह प्रश्न पद्यांश की उस पंक्ति से जुड़ा है, जिसमें मनुष्य की शक्तियों का वर्णन किया गया है।


Step 2: पद्यांश की व्याख्या।

आज का मनुष्य विज्ञान और तकनीकी के बल पर प्रकृति पर विजय प्राप्त कर चुका है।

पवन, विद्युत, भाप, जल और अन्य प्राकृतिक शक्तियाँ अब मनुष्य के आदेश पर कार्य करती हैं।

वह नदियों, पहाड़ों और समुद्र जैसी बाधाओं को भी पार करने में समर्थ हो गया है।


Step 3: निष्कर्ष।

अतः आज के मनुष्य ने प्रकृति की शक्तियों पर विजय प्राप्त कर ली है।
Quick Tip: "विजय प्राप्त करना" जैसे प्रश्नों में यह देखना चाहिए कि कवि ने किस तत्व या शक्ति को मनुष्य द्वारा नियंत्रित बताया है।


Question 29:

किसके हुक्म पर पवन का ताप चढ़ता-उतरता है?

Correct Answer:
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Step 1: प्रश्न का विश्लेषण।

यह प्रश्न पद्यांश की उस पंक्ति से जुड़ा है, जिसमें बताया गया है कि अब प्राकृतिक शक्तियाँ मनुष्य के नियंत्रण में आ चुकी हैं।


Step 2: पद्यांश की व्याख्या।

कवि कहता है कि आज के मनुष्य ने विज्ञान के बल पर पवन, विद्युत, भाप आदि को अपने वश में कर लिया है।

अब पवन का ताप मनुष्य के आदेश पर बढ़ता और घटता है।


Step 3: निष्कर्ष।

अतः पवन का ताप मनुष्य के हुक्म पर चढ़ता-उतरता है।
Quick Tip: जब "किसके हुक्म पर" जैसा प्रश्न हो तो उत्तर में स्पष्ट रूप से उस सत्ता या व्यक्ति का नाम लिखें।


Question 30:

"है नहीं बाकी कहीं व्यवधान" से क्या आशय है?

Correct Answer:
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Step 1: प्रश्न का विश्लेषण।

यह प्रश्न उस पंक्ति से संबंधित है, जिसमें कवि ने आधुनिक विज्ञान की उपलब्धियों का प्रभाव बताया है।


Step 2: पद्यांश की व्याख्या।

कवि कहता है कि विज्ञान ने इतनी प्रगति कर ली है कि अब मनुष्य के मार्ग में कोई बाधा शेष नहीं रह गई।

नदियाँ, पर्वत और समुद्र जैसी बाधाएँ भी अब उसके लिए रुकावट नहीं हैं।


Step 3: निष्कर्ष।

अतः "है नहीं बाकी कहीं व्यवधान" का आशय यह है कि विज्ञान की प्रगति से मनुष्य हर प्रकार की प्राकृतिक बाधा पर विजय प्राप्त कर चुका है।
Quick Tip: "आशय" वाले प्रश्नों में हमेशा उस पंक्ति का गूढ़ अर्थ या भावार्थ लिखना आवश्यक है।


Question 31:

निम्नलिखित में से किसी एक लेखक का साहित्यिक परिचय देते हुए उनकी प्रमुख रचनाओं का उल्लेख कीजिए: (अधिकतम शब्द-सीमा 80 शब्द)

  • (i) प्रो. जी॰ सुंदर रेड्डी
  • (ii) आचार्य हज़ारी प्रसाद द्विवेदी
  • (iii) डॉ॰ ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम
Correct Answer:
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(i) प्रो. जी॰ सुंदर रेड्डी:

प्रो॰ जी॰ सुंदर रेड्डी हिंदी साहित्य जगत के प्रतिष्ठित आलोचक, शोधकर्ता और शिक्षाविद् थे। उन्होंने हिंदी साहित्य के इतिहास, आलोचना और आधुनिकता पर गहन अध्ययन किया। रेड्डी जी ने हिंदी को राष्ट्रीय स्तर पर प्रसारित करने और नई पीढ़ी को साहित्य से जोड़ने का कार्य किया। उनके निबंधों में साहित्यिक गहराई और समाज के प्रति संवेदनशील दृष्टिकोण स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।


प्रमुख रचनाएँ:

उनकी रचनाओं में "हिंदी साहित्य का इतिहास", "निबंध संग्रह", "आधुनिक हिंदी कविता" और अनेक शोधपरक आलोचनात्मक ग्रंथ प्रमुख हैं।


(ii) आचार्य हज़ारी प्रसाद द्विवेदी:

आचार्य हज़ारी प्रसाद द्विवेदी (1907–1979) हिंदी साहित्य के महान आलोचक, निबंधकार, उपन्यासकार और संत साहित्य के गहरे अध्येता थे। वे शांतिनिकेतन में आचार्य रहे और भारतीय संस्कृति, दर्शन तथा मध्यकालीन काव्य को नई दृष्टि देने में उनकी विशेष भूमिका रही। उनकी लेखनी में गंभीरता, विद्वत्ता और साहित्यिक सौंदर्य का अनोखा संगम मिलता है। द्विवेदी जी के उपन्यासों में ऐतिहासिकता और कल्पनाशीलता का अद्भुत समन्वय है। उन्होंने हिंदी गद्य को नई गरिमा प्रदान की।


प्रमुख रचनाएँ:

"बाणभट्ट की आत्मकथा", "चारु चंद्रलेख", "अनामदास का पोथी", "अशोक के फूल", "हज़ारी प्रसाद द्विवेदी रचनावली", तथा संत कबीर और नाथ साहित्य पर उनके गहन ग्रंथ प्रमुख हैं।


(iii) डॉ॰ ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम:

डॉ॰ अबुल पाकिर जैनुलआबिदीन अब्दुल कलाम (1931–2015) को "भारत के मिसाइल मैन" के नाम से जाना जाता है। वे महान वैज्ञानिक, राष्ट्रपति, शिक्षक और लेखक थे। उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष और रक्षा अनुसंधान में महत्वपूर्ण योगदान दिया। डी॰आर॰डी॰ओ॰ और इसरो में उनके कार्यों ने भारत को अंतरिक्ष और परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र बनाया। 2002 से 2007 तक भारत के राष्ट्रपति पद पर रहते हुए उन्होंने "जनता के राष्ट्रपति" के रूप में अपार सम्मान अर्जित किया। उनका जीवन युवाओं को विज्ञान, शिक्षा और राष्ट्रसेवा की प्रेरणा देता है।


प्रमुख रचनाएँ:

"विंग्स ऑफ फायर" (आत्मकथा), "इग्नाइटेड माइंड्स", "इंडिया 2020", "माय जर्नी", और "टार्गेट 3 बिलियन" उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं। Quick Tip: लेखक का साहित्यिक परिचय लिखते समय उनके जन्म-वर्ष, साहित्यिक/वैज्ञानिक योगदान, कार्यक्षेत्र और प्रमुख रचनाओं का अवश्य उल्लेख करना चाहिए।


Question 32:

निम्नलिखित में से किसी एक कवि का साहित्यिक परिचय देते हुए उनकी प्रमुख कृतियों पर प्रकाश डालिए: (अधिकतम शब्द सीमा 80 शब्द)

  • (i) जयशंकर प्रसाद
  • (ii) महादेवी वर्मा
  • (iii) सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन 'अज्ञेय'
Correct Answer:
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(i) जयशंकर प्रसाद:

जयशंकर प्रसाद (1889–1937) छायावाद के चार स्तंभों में से एक थे। वे एक साथ कवि, नाटककार, कथाकार और उपन्यासकार थे। उनकी काव्य-रचनाओं में आध्यात्मिकता, सौंदर्यबोध और राष्ट्रप्रेम का अद्भुत संगम मिलता है। उन्होंने हिंदी नाटक को नयी ऊँचाई प्रदान की।


प्रमुख कृतियाँ:

काव्य—"कामायनी", "आँसू", "झरना"।

नाटक—"चंद्रगुप्त", "स्कंदगुप्त", "ध्रुवस्वामिनी"।


(ii) महादेवी वर्मा:

महादेवी वर्मा (1907–1987) हिंदी साहित्य में "आधुनिक मीरा" कहलाती हैं। वे छायावाद की प्रमुख स्तंभ कवयित्री, स्वतंत्रता सेनानी और शिक्षाविद् थीं। उनकी कविता में करुणा, संवेदना और आत्मिक वेदना की अभिव्यक्ति होती है। उन्होंने महिला-चेतना को साहित्यिक रूप दिया और हिंदी साहित्य में नए आयाम जोड़े।


प्रमुख कृतियाँ:

कविता-संग्रह—"यामा", "नीरजा", "दीपशिखा", "संध्या गीत"।

गद्य—"अतीत के चलचित्र", "पथ के साथी"।


(iii) अज्ञेय (सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन):

अज्ञेय (1911–1987) हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध प्रयोगवादी और नई कविता के प्रवर्तक कवि थे। उन्होंने आधुनिक हिंदी काव्य को वैचारिकता, बौद्धिकता और नए प्रयोगों की दृष्टि से समृद्ध किया। अज्ञेय की कविताओं में स्वातंत्र्य चेतना, आधुनिकता और गहन चिंतन मिलता है। वे कथाकार, निबंधकार और संपादक भी थे।


प्रमुख कृतियाँ:

काव्य—"हरी घास पर क्षणभर", "इन्द्रधनुष के पीछे"।

उपन्यास—"शेखर: एक जीवनी", "नदी के द्वीप"।

कहानी संग्रह—"परिवेश: हम"। Quick Tip: कवि का साहित्यिक परिचय लिखते समय उनकी साहित्यिक धारा (छायावाद, प्रयोगवाद आदि), विशेषताएँ और प्रमुख कृतियों का अवश्य उल्लेख करें।


Question 33:

'ध्रुवयात्रा' कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए। (अधिकतम शब्द सीमा 80 शब्द)

Correct Answer:
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Step 1: कहानी की पहचान।

'ध्रुवयात्रा' कहानी शिवपूजन सहाय द्वारा लिखी गई है। इसमें जीवन संघर्ष और आस्था की गहन झलक मिलती है।


Step 2: उद्देश्य की व्याख्या।

कहानी का उद्देश्य यह है कि मनुष्य दृढ़ निश्चय और अटल आस्था से किसी भी कठिनाई को पार कर सकता है।

ध्रुव की भक्ति और संकल्प यह संदेश देते हैं कि आस्था और निरंतर प्रयास से जीवन के सभी संकटों का समाधान संभव है।


Step 3: निष्कर्ष।

अतः इस कहानी का उद्देश्य है – संघर्ष, धैर्य और विश्वास के बल पर सफलता प्राप्त करना।
Quick Tip: "उद्देश्य" लिखते समय कहानी की शिक्षाप्रद बात और जीवन संदेश पर अवश्य ध्यान दें।


Question 34:

'पंचलाइट' अथवा 'बहादुर' कहानी का सारांश (अधिकतम शब्द सीमा 80 शब्द)

Correct Answer:
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Step 1: 'पंचलाइट' कहानी की पहचान।

'पंचलाइट' कहानी फणीश्वरनाथ रेणु द्वारा लिखी गई है। इसमें ग्रामीण समाज की मानसिकता और आधुनिक साधनों के प्रति जिज्ञासा दिखाई गई है।


Step 2: सारांश।

गाँव में पंचलाइट लाने की घटना हास्य और व्यंग्य के माध्यम से दिखाई गई है।

गाँव वाले नई चीज़ को लेकर उत्साहित हैं परंतु तकनीकी ज्ञान के अभाव के कारण उसका उपयोग नहीं कर पाते।


Step 3: निष्कर्ष।

यह कहानी ग्राम्य जीवन, उसकी सरलता और आधुनिकता के प्रति आकर्षण को दर्शाती है।
Quick Tip: कहानी का "सारांश" लिखते समय मुख्य घटनाओं और संदेश को संक्षेप में लिखें।


Question 35:

'मुक्तिरंजन' खंडकाव्य की कथावस्तु संक्षेप में लिखिए।

Correct Answer:
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Step 1: काव्य की पहचान।

'मुक्तिरंजन' खंडकाव्य महादेवी वर्मा द्वारा रचित है। इसमें राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के जीवन और कार्यों का काव्यात्मक चित्रण किया गया है।


Step 2: कथावस्तु का संक्षेप।

इस खंडकाव्य में गाँधीजी के अहिंसात्मक संघर्ष, सत्याग्रह, त्याग और सेवा के माध्यम से भारत की स्वतंत्रता के लिए किए गए प्रयासों को दर्शाया गया है।

कवि ने दिखाया है कि गाँधीजी ने बिना हिंसा का सहारा लिए जन-जन को स्वतंत्रता के आंदोलन से जोड़ा।


Step 3: निष्कर्ष।

अतः 'मुक्तिरंजन' खंडकाव्य की कथावस्तु राष्ट्रपिता गाँधीजी के जीवन, उनके आदर्शों और स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान पर केंद्रित है।
Quick Tip: "कथावस्तु संक्षेप" लिखते समय काव्य के मुख्य विषय और उसके केंद्रीय संदेश को ही शामिल करें।


Question 36:

'मुक्तिरंजन' खंडकाव्य के आधार पर गाँधीजी की चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।

Correct Answer:
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Step 1: प्रश्न का विश्लेषण।

यह प्रश्न 'मुक्तिरंजन' खंडकाव्य में चित्रित गाँधीजी के व्यक्तित्व और चरित्र पर आधारित है।


Step 2: विशेषताओं का विवरण।

गाँधीजी का चरित्र चार प्रमुख विशेषताओं से युक्त था:

1. सत्य का पालन – वे हर परिस्थिति में सत्य को सर्वोपरि मानते थे।

2. अहिंसा का मार्ग – उन्होंने हिंसा के स्थान पर प्रेम और शांति का मार्ग अपनाया।

3. त्याग और सेवा – उन्होंने अपना जीवन राष्ट्र और समाज की सेवा के लिए समर्पित किया।

4. जन-नेतृत्व – उन्होंने साधारण जन को स्वतंत्रता आंदोलन से जोड़ा और उनमें आत्मबल जगाया।


Step 3: निष्कर्ष।

अतः 'मुक्तिरंजन' खंडकाव्य में गाँधीजी को सत्य, अहिंसा, सेवा और नेतृत्व के प्रतीक के रूप में चित्रित किया गया है।
Quick Tip: "चारित्रिक विशेषताओं" वाले प्रश्नों में हमेशा बिंदुवार गुण और उनका महत्व अवश्य लिखें।


Question 37:

'त्यागपथी' खंडकाव्य के आधार पर हर्षवर्धन का चरित्रांकन कीजिए।

Correct Answer:
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Step 1: खंडकाव्य की पहचान।

'त्यागपथी' जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित खंडकाव्य है। इसमें महान सम्राट हर्षवर्धन के त्याग और आदर्शों का चित्रण किया गया है।


Step 2: चरित्र की विशेषताएँ।

1. त्यागशीलता – हर्षवर्धन ने अपने जीवन को राष्ट्र और जनता की सेवा के लिए समर्पित कर दिया।

2. धार्मिकता – वे धर्मपरायण शासक थे जिन्होंने बौद्ध धर्म का संरक्षण किया।

3. जनकल्याणकारी दृष्टि – प्रजा के दुख-दर्द को समझना और उनके हित में कार्य करना उनका प्रमुख गुण था।

4. राजनीतिक दक्षता – उन्होंने अपने साम्राज्य को संगठित और सुदृढ़ बनाया।


Step 3: निष्कर्ष।

अतः 'त्यागपथी' में हर्षवर्धन का चरित्र एक आदर्श, त्यागमय, धार्मिक और प्रजापालक शासक के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
Quick Tip: चरित्रांकन करते समय बिंदुवार गुणों और उनके महत्व को अवश्य लिखें।


Question 38:

'त्यागपथी' खंडकाव्य के चतुर्थ सर्ग की कथा संक्षेप में लिखिए।

Correct Answer:
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Step 1: सर्ग की पहचान।

'त्यागपथी' खंडकाव्य के चतुर्थ सर्ग में हर्षवर्धन के जीवन के महत्वपूर्ण प्रसंगों का वर्णन किया गया है।


Step 2: कथा का संक्षेप।

इस सर्ग में हर्षवर्धन की त्यागमय प्रवृत्ति और प्रजाप्रेम को उजागर किया गया है।

उन्होंने अपने व्यक्तिगत सुखों का त्याग कर जनता के कल्याण के लिए कार्य किया।

उनका जीवन आदर्शों, धर्मपरायणता और सेवा-भावना से ओतप्रोत था।


Step 3: निष्कर्ष।

अतः चतुर्थ सर्ग की कथा का सार यह है कि हर्षवर्धन ने अपने जीवन को पूर्णतः राष्ट्र और प्रजा के लिए समर्पित कर दिया।
Quick Tip: "कथा संक्षेप" लिखते समय मुख्य घटनाओं और केंद्रीय संदेश को ही स्थान दें।


Question 39:

'सत्य की जीत' खंडकाव्य के आधार पर दुःशासन का चरित्र-चित्रण कीजिए।

Correct Answer:
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Step 1: खंडकाव्य की पहचान।

'सत्य की जीत' जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित खंडकाव्य है। इसमें महाभारत की घटनाओं का काव्यात्मक चित्रण किया गया है।


Step 2: दुःशासन का चरित्र।

1. क्रूरता और अन्याय – दुःशासन अत्यंत निर्दयी और अन्यायी था।

2. दुर्योधन का अनुचर – वह अपने बड़े भाई दुर्योधन का आज्ञाकारी अनुचर था और उसके आदेश पर कार्य करता था।

3. द्रौपदी अपमान – उसने द्रौपदी का चीरहरण कर उसकी मर्यादा भंग करने का प्रयास किया, जिससे उसका चरित्र और भी कलंकित हुआ।

4. पराजय और दंड – अंततः युद्ध में उसकी पराजय हुई और भीम ने प्रतिज्ञानुसार उसका वध कर उसके रक्त से प्रतिशोध लिया।


Step 3: निष्कर्ष।

अतः 'सत्य की जीत' खंडकाव्य में दुःशासन का चरित्र क्रूर, दुष्ट और अधर्म का प्रतीक रूप में चित्रित है।
Quick Tip: चरित्र-चित्रण करते समय सद्गुण और दुर्गुण दोनों को उल्लेखित करना चाहिए, फिर निष्कर्ष निकालना चाहिए।


Question 40:

'सत्य की जीत' खंडकाव्य की कथावस्तु संक्षेप में अपने शब्दों में लिखिए।

Correct Answer:
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Step 1: खंडकाव्य की पहचान।

'सत्य की जीत' खंडकाव्य में महाभारत की प्रमुख घटनाओं और धर्म-अधर्म के संघर्ष का वर्णन है।


Step 2: कथावस्तु का संक्षेप।

काव्य में द्रौपदी चीरहरण का प्रसंग, भीम की प्रतिज्ञा, युद्ध में धर्म की विजय और अधर्म की पराजय का चित्रण किया गया है।

कवि ने यह दिखाया है कि अंततः सत्य और धर्म की ही विजय होती है, जबकि अधर्म का पतन निश्चित है।


Step 3: निष्कर्ष।

अतः 'सत्य की जीत' खंडकाव्य की कथावस्तु यह है कि धर्म, सत्य और न्याय की शक्ति सबसे महान होती है और अधर्म का अंत अवश्य होता है।
Quick Tip: कथावस्तु लिखते समय मुख्य घटनाओं और काव्य के केंद्रीय संदेश पर ध्यान दें।


Question 41:

'आलोक-वृत्त' खंडकाव्य के नायक का चरित्र-चित्रण कीजिए।

Correct Answer:
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Step 1: खंडकाव्य की पहचान।

'आलोक-वृत्त' रामधारी सिंह 'दिनकर' द्वारा रचित खंडकाव्य है। इसमें आधुनिक मानव की शक्ति, संघर्ष और आदर्शों को प्रस्तुत किया गया है।


Step 2: नायक का चरित्र।

1. साहसी और संघर्षशील – नायक कठिन परिस्थितियों में भी साहस और आत्मबल से आगे बढ़ता है।

2. आदर्शवादी – उसका जीवन आदर्शों और उच्च मूल्यों पर आधारित है।

3. मानवता-प्रिय – वह व्यक्तिगत स्वार्थ से ऊपर उठकर मानवता की सेवा करता है।

4. प्रेरणादायक – उसका व्यक्तित्व समाज को मार्गदर्शन और प्रेरणा देता है।


Step 3: निष्कर्ष।

अतः 'आलोक-वृत्त' खंडकाव्य का नायक त्याग, आदर्श, साहस और मानवता का प्रतीक है।
Quick Tip: चरित्र-चित्रण में सद्गुणों और उनकी समाजोपयोगिता को अवश्य बताना चाहिए।


Question 42:

"आलोक-वृत्त" खंडकाव्य की कथावस्तु संक्षेप में लिखिए।

Correct Answer:
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Step 1: कथावस्तु की पहचान।

'आलोक-वृत्त' खंडकाव्य में मानव की विजयगाथा और संघर्ष की महत्ता को चित्रित किया गया है।


Step 2: संक्षेप।

इसमें दिखाया गया है कि मनुष्य ने अपने परिश्रम और बुद्धि के बल पर असंभव को भी संभव कर दिखाया है।

उसकी विजय केवल भौतिक उपलब्धियों में नहीं, बल्कि उसकी चेतना, विवेक और मानवता में निहित है।


Step 3: निष्कर्ष।

अतः 'आलोक-वृत्त' खंडकाव्य की कथावस्तु यह है कि मानवता के आदर्श, संघर्ष और आत्मबल ही जीवन की सच्ची विजय हैं।
Quick Tip: कथावस्तु लिखते समय केवल मुख्य घटनाओं और काव्य का केंद्रीय संदेश लिखें।


Question 43:

'श्रवणकुमार' खंडकाव्य के आधार पर श्रवणकुमार की चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।

Correct Answer:
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Step 1: खंडकाव्य की पहचान।

'श्रवणकुमार' खंडकाव्य हिंदी साहित्य का एक प्रसिद्ध काव्य है, जिसमें श्रवणकुमार की पितृभक्ति और सेवा का आदर्श चित्रण किया गया है।


Step 2: चारित्रिक विशेषताएँ।

1. पितृभक्त – श्रवणकुमार ने अपने नेत्रहीन माता-पिता की सेवा को जीवन का उद्देश्य बना लिया।

2. त्यागशील – उन्होंने अपने सुख-सुविधाओं का त्याग कर माता-पिता की इच्छाओं को सर्वोपरि रखा।

3. सहृदय और करुणावान – उनका हृदय माता-पिता के लिए सदैव करुणा और ममता से भरा रहा।

4. आदर्श पुत्र – वे भारतीय संस्कृति के आदर्श पुत्र के रूप में जाने जाते हैं।


Step 3: निष्कर्ष।

अतः श्रवणकुमार का चरित्र त्याग, सेवा, करुणा और पितृभक्ति का अनुपम उदाहरण है।
Quick Tip: चरित्र-चित्रण लिखते समय सद्गुणों को बिंदुवार लिखना और अंत में निष्कर्ष देना प्रभावी होता है।


Question 44:

'श्रवणकुमार' खंडकाव्य के 'सन्देश' खंड की कथा अपने शब्दों में लिखिए।

Correct Answer:
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Step 1: खंड की पहचान।

'सन्देश' खंड श्रवणकुमार खंडकाव्य का महत्वपूर्ण अंश है, जिसमें पितृभक्ति और सेवा का संदेश निहित है।


Step 2: कथा का संक्षेप।

इस खंड में श्रवणकुमार अपने नेत्रहीन माता-पिता को तीर्थयात्रा पर ले जाते हैं।

वे उन्हें कांवर में बैठाकर नदियों, जंगलों और कठिन मार्गों से गुजरते हैं।

यह प्रसंग त्याग और सेवा का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत करता है।


Step 3: निष्कर्ष।

अतः 'सन्देश' खंड का सार यह है कि श्रवणकुमार अपने माता-पिता की सेवा के लिए जीवन अर्पित कर देता है और समाज को पितृभक्ति का सर्वोच्च आदर्श प्रदान करता है।
Quick Tip: "कथा संक्षेप" लिखते समय मुख्य घटनाओं और उनके संदेश को सरल और स्पष्ट भाषा में प्रस्तुत करना चाहिए।


Question 45:

'रश्मिरथी' खंडकाव्य की कथावस्तु संक्षेप में लिखिए।

Correct Answer:
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Step 1: खंडकाव्य की पहचान।

'रश्मिरथी' रामधारी सिंह 'दिनकर' की अमर कृति है। इसमें महाभारत के महान नायक कर्ण का जीवन और उसके संघर्ष का चित्रण किया गया है।


Step 2: कथावस्तु का संक्षेप।

इस खंडकाव्य में कर्ण के जन्म से लेकर उसकी जीवन-यात्रा, दुर्योधन की मित्रता, द्रौपदी स्वयंवर का प्रसंग, और कुरुक्षेत्र युद्ध तक की कथा मिलती है।

कर्ण को समाज ने तिरस्कृत किया, फिर भी उसने दान, धर्म और मित्रता का आदर्श प्रस्तुत किया।

अंततः वह धर्मयुद्ध में वीरगति को प्राप्त होता है।


Step 3: निष्कर्ष।

अतः 'रश्मिरथी' की कथावस्तु यह है कि कर्ण का जीवन संघर्ष, त्याग, दानशीलता और वीरता का अनुपम उदाहरण है।
Quick Tip: कथावस्तु लिखते समय प्रमुख प्रसंग और केंद्रीय संदेश अवश्य शामिल करें।


Question 46:

'रश्मिरथी' खंडकाव्य के आधार पर कर्ण का चरित्र-चित्रण कीजिए।

Correct Answer:
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Step 1: नायक की पहचान।

'रश्मिरथी' का नायक कर्ण है, जो सूर्यपुत्र होने के बावजूद समाज द्वारा तिरस्कृत हुआ।


Step 2: चरित्र की विशेषताएँ।

1. वीरता – कर्ण अद्वितीय योद्धा था और रणभूमि में उसकी वीरता अनुपम थी।

2. दानशीलता – वह दानवीर कर्ण कहलाया क्योंकि उसने कभी किसी याचक को खाली हाथ नहीं लौटाया।

3. मित्रता-निष्ठा – उसने दुर्योधन की मित्रता निभाने के लिए अपने जीवन तक का बलिदान कर दिया।

4. संघर्षशीलता – अपमान और तिरस्कार के बावजूद उसने हार नहीं मानी और निरंतर आगे बढ़ता रहा।


Step 3: निष्कर्ष।

अतः 'रश्मिरथी' में कर्ण का चरित्र वीरता, दानशीलता, मित्रता और संघर्ष का उज्ज्वल प्रतीक है।
Quick Tip: चरित्र-चित्रण में सद्गुणों को बिंदुवार लिखना और उनका जीवन से संबंध स्पष्ट करना चाहिए।


Question 47:

दिए गए संस्कृत गद्यांश में से किसी एक का सन्दर्भ सहित हिन्दी में अनुवाद कीजिए।

आत्मनस्तु वै कामाय पति: प्रिय: भवति। न वा अरे, जायाया: कामाय जाया प्रिया भवति, आत्मनस्तु वै कामाय जाया प्रिया भवति। न वा अरे। पुत्रस्य वित्साय च कामाय पुत्र: प्रिय: भवति, आत्मनस्तु वै कामाय पुत्रो प्रिय: भवति। न वा अरे। सर्वस्य कामाय सर्वं प्रियं भवति, आत्मनस्तु वै कामाय सर्वं प्रियं भवति।

Correct Answer:
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Step 1: गद्यांश की पहचान।

यह गद्यांश बृहदारण्यक उपनिषद् से लिया गया है। इसमें आत्मा की सर्वोच्च सत्ता और महत्व का प्रतिपादन किया गया है। उपनिषद् में यह स्पष्ट किया गया है कि संसार में प्रिय वस्तुएँ या संबंध आत्मा के कारण ही प्रिय होते हैं।


Step 2: अनुवाद।

पति आत्मा के कारण ही प्रिय होता है, न कि केवल पति रूप के कारण।

पत्नी आत्मा के कारण ही प्रिय होती है, न कि केवल पत्नी रूप के कारण।

पुत्र तथा सम्पत्ति आत्मा के कारण ही प्रिय होते हैं, न कि केवल उनके कारण।

सम्पूर्ण संसार की सभी वस्तुएँ आत्मा के कारण ही प्रिय होती हैं।


Step 3: भावार्थ।

इस गद्यांश का भाव यह है कि आत्मा ही प्रत्येक प्रेम, स्नेह और प्रियता का आधार है। वास्तव में हम किसी व्यक्ति या वस्तु को उसकी आत्मा के कारण ही प्रिय मानते हैं। यदि आत्मा न हो तो कोई भी सम्बन्ध या वस्तु प्रिय नहीं रह सकती।


Step 4: निष्कर्ष।

अतः उपनिषद् यह सिखाते हैं कि आत्मा ही सर्वोच्च है और सभी प्रिय संबंधों तथा वस्तुओं का मूल आधार है।
Quick Tip: अनुवाद करते समय केवल शब्दार्थ न करें, बल्कि गद्यांश के भाव और दार्शनिक संदेश को भी स्पष्ट करें।


Question 48:

दिए गए संस्कृत गद्यांश में से किसी एक का सन्दर्भ सहित हिन्दी में अनुवाद कीजिए।

बौद्धयुगे इमे सिद्धान्ताः वैयक्तिकजीवनस्य अभिनूतनाय प्रयुक्ताः आसन्। परमदय इमे सिद्धान्ताः। राष्ट्राणां परस्परमैत्रीसहयोगकारणानि, विश्वबन्धुत्वस्य विश्वशान्तयेच। साधनानि सन्ति। राष्ट्रनायकस्य श्रीजवाहरलालनेहरु महोदयस्य प्रधानमन्त्रित्वकाले चीनदेशेन सह मैत्री पञ्चशीलसिद्धान्तमधिकृत्य एवाभवत।

Correct Answer:
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Step 1: गद्यांश की पहचान।

यह गद्यांश आधुनिक इतिहास और भारत-चीन मैत्री संबंधों से सम्बंधित है। इसमें बौद्ध धर्म के युग से लेकर आधुनिक काल तक की वैचारिक एकता और सहयोग की भावना को प्रस्तुत किया गया है।


Step 2: अनुवाद।

बौद्ध युग में ये सिद्धांत व्यक्तिगत जीवन के उत्थान के लिए प्रयुक्त थे। परन्तु आधुनिक युग में यही सिद्धांत राष्ट्रों की आपसी मैत्री और सहयोग के कारण बने तथा विश्व बंधुत्व और विश्व शांति के साधन बने। राष्ट्रनायक श्री जवाहरलाल नेहरू के प्रधानमंत्री काल में चीन देश के साथ मैत्री पंचशील सिद्धांतों के रूप में स्थापित की गई।


Step 3: भावार्थ।

इस गद्यांश का भाव यह है कि बौद्ध युग के सिद्धांत केवल व्यक्तिगत जीवन तक सीमित न रहकर आगे चलकर राष्ट्रों के संबंधों और विश्व की शांति के लिए आधार बने। आधुनिक काल में इन्हीं सिद्धांतों को नेहरू जी ने पंचशील समझौते के रूप में चीन के साथ अपनाया।


Step 4: निष्कर्ष।

अतः यह गद्यांश भारत की सांस्कृतिक परंपरा और अंतरराष्ट्रीय संबंधों की मजबूती का प्रतीक है। इसमें बौद्ध युग से लेकर पंचशील सिद्धांतों तक की कड़ी दिखाई देती है।
Quick Tip: गद्यांश का अनुवाद करते समय केवल शब्दार्थ ही नहीं, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संदर्भ को भी ध्यान में रखना चाहिए।


Question 49:

दिये गये संस्कृत पद्यांशों में से किसी एक का सन्दर्भ सहित हिन्दी में अनुवाद कीजिए:

  • (1)
    भाषासु मुख्या मधुरा दिव्या गीर्वाणभारती।
    तस्या हि मधुरं काव्यं तस्मादपि सुभाषितम्॥ अथवा
  • (2)
    सहसा विद्धीत न क्रियामविवेकः परमापदां पदम्।
    वृगुते हि विमूढ़कारीणां गगनलुठद्धाः हि स्वयं संपदः॥
Correct Answer:
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(1) सन्दर्भ:

यह श्लोक संस्कृत भाषा की महिमा का वर्णन करता है। इसमें संस्कृत की मधुरता, दिव्यता और उसकी साहित्यिक विशेषताओं का उल्लेख किया गया है।


अनुवाद:

सभी भाषाओं में संस्कृत सबसे श्रेष्ठ है। यह मधुर और दिव्य है। संस्कृत भाषा में रचित काव्य अत्यंत मधुर होता है और उसमें निहित सुभाषित तो और भी उत्तम एवं ज्ञानवर्धक होते हैं।



(2) सन्दर्भ:

यह श्लोक विवेक और धैर्य के महत्व को स्पष्ट करता है। इसमें जल्दबाज़ी और अविवेक से होने वाली हानियों के बारे में बताया गया है।


अनुवाद:

किसी भी कार्य को बिना सोचे-समझे अचानक नहीं करना चाहिए, क्योंकि अविवेक से किया गया काम महान विपत्ति का कारण बनता है। मूर्ख लोग जब बिना विचार किए कार्य करते हैं, तब उनकी सम्पत्ति और सफलता नष्ट हो जाती है। विवेक ही वास्तविक सम्पदा है।
Quick Tip: अनुवाद करते समय पहले श्लोक का सन्दर्भ लिखें, फिर उसके भाव को सरल और स्पष्ट हिन्दी में प्रस्तुत करें।


Question 50:

निम्नलिखित मुहावरों और लोकोक्तियों में से किसी एक का अर्थ लिखकर वाक्य में प्रयोग कीजिए:

  • (i) अंगूठा दिखाना
  • (ii) पहाड़ टूट पड़ना
  • (iii) धूल में मिलाना
  • (iv) पानी-पानी होना
Correct Answer:
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(i) अंगूठा दिखाना

अर्थ: सहायता से इंकार करना।

वाक्य प्रयोग: जब रमेश ने उधार माँगा तो उसके मित्र ने उसे अंगूठा दिखा दिया।


(ii) पहाड़ टूट पड़ना

अर्थ: बहुत बड़ा दुख आ पड़ना।

वाक्य प्रयोग: पिता की मृत्यु के बाद उस परिवार पर मानो पहाड़ टूट पड़ा।


(iii) धूल में मिलाना

अर्थ: नष्ट कर देना।

वाक्य प्रयोग: वर्षों की मेहनत एक झटके में धूल में मिल गई।


(iv) पानी-पानी होना

अर्थ: अत्यन्त लज्जित होना।

वाक्य प्रयोग: शिक्षक के सामने झूठ बोलते हुए छात्र पानी-पानी हो गया। Quick Tip: मुहावरे और लोकोक्तियों का प्रयोग करते समय उनके वास्तविक अर्थ को ध्यान में रखकर ही वाक्य बनाना चाहिए।


Question 51:

‘हिमालय’ का सही संधि-विच्छेद है –

  • (A) हिम + लय
  • (B) हि + मालय
  • (C) हिम + आलय
  • (D) हिमु + अलय
Correct Answer: (C) हिम + आलय
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Step 1: Understanding the word.

‘हिमालय’ शब्द दो भागों से मिलकर बना है – ‘हिम’ और ‘आलय’। यहाँ ‘हिम’ का अर्थ है बर्फ और ‘आलय’ का अर्थ है घर/निवास।


Step 2: Correct Sandhi-Vicheda.

जब ‘हिम’ और ‘आलय’ संधि से जुड़ते हैं तो ‘हिमालय’ बनता है। इसलिए इसका सही संधि-विच्छेद ‘हिम + आलय’ है।


Step 3: Option Analysis.

- (A) हिम + लय → यह गलत है।

- (B) हि + मालय → यह भी गलत है।

- (C) हिम + आलय → सही उत्तर, यही ‘हिमालय’ का संधि-विच्छेद है।

- (D) हिमु + अलय → यह भी गलत है।


Step 4: Conclusion.

इसलिए सही उत्तर है (C) हिम + आलय।
Quick Tip: संधि-विच्छेद में मूल शब्दों को पहचानकर अलग करना आवश्यक होता है।


Question 52:

‘कठोपनिषद’ का सही संधि-विच्छेद है:

  • (A) कूः + उपनिषद
  • (B) कठ + उपनिषद
  • (C) कठ + ओपनिषद
  • (D) कठोप + निपद
Correct Answer: (B) कठ + उपनिषद
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Step 1: Understanding the word.

‘कठोपनिषद’ शब्द का निर्माण ‘कठ’ और ‘उपनिषद’ के संधि से हुआ है। यहाँ ‘कठ’ वैदिक शाखा के नाम से सम्बंधित है।


Step 2: Correct Sandhi-Vicheda.

जब ‘कठ’ और ‘उपनिषद’ मिलते हैं, तो ‘कठोपनिषद’ बनता है। इसलिए सही संधि-विच्छेद ‘कठ + उपनिषद’ है।


Step 3: Option Analysis.

- (A) कूः + उपनिषद → गलत उत्तर।

- (B) कठ + उपनिषद → सही उत्तर।

- (C) कठ + ओपनिषद → यह शुद्ध रूप नहीं है।

- (D) कठोप + निपद → यह भी गलत है।


Step 4: Conclusion.

सही उत्तर है (B) कठ + उपनिषद।
Quick Tip: संस्कृत शब्दों के संधि-विच्छेद में मूल शब्दों की पहचान करना सबसे आवश्यक होता है।


Question 53:

‘अन्वेषणम्’ का सही संधि-विच्छेद है:

  • (A) अनु + एषणम्
  • (B) अनन्त + एषणम्
  • (C) अन् + एषणम्
  • (D) अन्वेष + णम्
Correct Answer: (A) अनु + एषणम्
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Step 1: Understanding the word.

‘अन्वेषणम्’ का अर्थ है खोज या तलाश। यह शब्द दो भागों से बना है – ‘अनु’ और ‘एषणम्’।


Step 2: Correct Sandhi-Vicheda.

‘अनु’ और ‘एषणम्’ के संधि से ‘अन्वेषणम्’ बनता है। इसलिए इसका संधि-विच्छेद ‘अनु + एषणम्’ है।


Step 3: Option Analysis.

- (A) अनु + एषणम् → सही उत्तर।

- (B) अनन्त + एषणम् → यह गलत है।

- (C) अन् + एषणम् → यह भी गलत है।

- (D) अन्वेष + णम् → यह भी शुद्ध नहीं है।


Step 4: Conclusion.

अतः सही उत्तर है (A) अनु + एषणम्।
Quick Tip: स्वर संधि को ध्यानपूर्वक देखने से संधि-विच्छेद के सही उत्तर आसानी से मिलते हैं।


Question 54:

दिये गये निम्नलिखित शब्दों की 'विभक्ति' और 'वचन' के अनुसार सही चयन कीजिए:
‘आत्मनि’ शब्द में विभक्ति और वचन है:

  • (A) तृतीया विभक्ति, बहुवचन
  • (B) प्रथमा विभक्ति, द्विवचन
  • (C) पञ्चमी विभक्ति, एकवचन
  • (D) सप्तमी विभक्ति, एकवचन
Correct Answer: (D) सप्तमी विभक्ति, एकवचन
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Step 1: Word analysis.

‘आत्मनि’ शब्द ‘आत्मन्’ धातु से बना है। इसमें ‘नि’ प्रत्यय लगने से यह सप्तमी विभक्ति का रूप बनता है।


Step 2: Identifying the vibhakti and vacana.

‘आत्मनि’ में ‘नि’ का प्रयोग स्थानवाचक है, जो सप्तमी विभक्ति को दर्शाता है। साथ ही यह रूप एकवचन में प्रयोग हुआ है।


Step 3: Option Analysis.

- (A) तृतीया बहुवचन → गलत।

- (B) प्रथमा द्विवचन → गलत।

- (C) पञ्चमी एकवचन → गलत।

- (D) सप्तमी एकवचन → सही उत्तर।


Step 4: Conclusion.

अतः ‘आत्मनि’ सप्तमी विभक्ति एकवचन है।
Quick Tip: संस्कृत शब्दों में प्रत्ययों का ध्यानपूर्वक निरीक्षण करने से सही विभक्ति और वचन आसानी से पहचाने जा सकते हैं।


Question 55:

‘नामनाम्’ शब्द में विभक्ति और वचन है:

  • (A) तृतीया विभक्ति, एकवचन
  • (B) पञ्चमी विभक्ति, द्विवचन
  • (C) षष्ठी विभक्ति, बहुवचन
  • (D) सप्तमी विभक्ति, एकवचन
Correct Answer: (C) षष्ठी विभक्ति, बहुवचन
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Step 1: Word analysis.

‘नामनाम्’ शब्द ‘नाम’ का रूप है। यहाँ ‘नाम’ एक नपुंसकलिंग शब्द है।


Step 2: Identifying the vibhakti and vacana.

‘नामनाम्’ रूप में ‘-नाम्’ प्रत्यय जुड़ने से यह षष्ठी विभक्ति बहुवचन को दर्शाता है।


Step 3: Option Analysis.

- (A) तृतीया एकवचन → गलत।

- (B) पञ्चमी द्विवचन → गलत।

- (C) षष्ठी बहुवचन → सही उत्तर।

- (D) सप्तमी एकवचन → गलत।


Step 4: Conclusion.

अतः ‘नामनाम्’ षष्ठी विभक्ति बहुवचन है।
Quick Tip: षष्ठी विभक्ति का प्रयोग मुख्यतः संबंध या अधिकार दिखाने के लिए होता है।


Question 56:

‘सकल-शकल’ शब्द-युग्म का सही अर्थ है:

  • (A) पदार्थ एवं सम्पूर्ण
  • (B) सम्पूर्ण और खण्ड
  • (C) आकृति और प्रकृति
  • (D) सुख और शंकालु
Correct Answer: (B) सम्पूर्ण और खण्ड
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Step 1: Understanding the pair.

‘सकल’ का अर्थ है सम्पूर्ण और ‘शकल’ का अर्थ है खण्ड या टुकड़ा।


Step 2: Correct matching.

इसलिए ‘सकल-शकल’ का सही अर्थ है ‘सम्पूर्ण और खण्ड’।


Step 3: Option Analysis.

- (A) पदार्थ एवं सम्पूर्ण → गलत।

- (B) सम्पूर्ण और खण्ड → सही।

- (C) आकृति और प्रकृति → गलत।

- (D) सुख और शंकालु → गलत।


Step 4: Conclusion.

अतः सही उत्तर (B) सम्पूर्ण और खण्ड है।
Quick Tip: ‘सकल-शकल’ जैसे शब्द-युग्मों में एक पूरा और दूसरा उसका खण्ड रूप दर्शाता है।


Question 57:

‘अंश-अंशु’ शब्द-युग्म का सही अर्थ है:

  • (A) भाग और सूर्य
  • (B) भाग और चन्द्र
  • (C) भाग्य और किरण
  • (D) भाग और किरण
Correct Answer: (D) भाग और किरण
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Step 1: Understanding the pair.

‘अंश’ का अर्थ है भाग और ‘अंशु’ का अर्थ है किरण।


Step 2: Correct matching.

इसलिए ‘अंश-अंशु’ का सही अर्थ है ‘भाग और किरण’।


Step 3: Option Analysis.

- (A) भाग और सूर्य → गलत।

- (B) भाग और चन्द्र → गलत।

- (C) भाग्य और किरण → गलत।

- (D) भाग और किरण → सही।


Step 4: Conclusion.

अतः सही उत्तर (D) भाग और किरण है।
Quick Tip: अंश-अंशु जैसे शब्द-युग्मों में पहला शब्द हिस्सा और दूसरा उसका प्रकाश/किरण दर्शाता है।


Question 58:

निम्नलिखित शब्दों में से किसी एक शब्द के दो अर्थ लिखिए:

  • (i) धरा
  • (ii) मित्र
  • (iii) जलज
Correct Answer:
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(i) धरा:

(1) पृथ्वी

(2) धारण किया हुआ



(ii) मित्र:

(1) दोस्त, सखा

(2) सूर्य (संस्कृत में)



(iii) जलज:

(1) कमल

(2) जल से उत्पन्न कोई वस्तु
Quick Tip: बहुअर्थी शब्दों का प्रयोग करते समय प्रसंग के अनुसार सही अर्थ चुनना चाहिए।


Question 59:

जिसका कहीं भी अन्त न होता हो –

  • (A) अगण्य
  • (B) अन्तिम
  • (C) अनन्त
  • (D) गणय
Correct Answer: (C) अनन्त
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Step 1: Understanding the phrase.

वाक्यांश है – "जिसका कहीं भी अन्त न होता हो।" इसका आशय है ऐसी वस्तु जिसका कोई अन्त नहीं, जिसे हम "अनन्त" कहते हैं।


Step 2: Option Analysis.

- (A) अगण्य → जिसका गिनना कठिन हो।

- (B) अन्तिम → जिसका अन्त हो चुका हो।

- (C) अनन्त → सही उत्तर, जिसका अन्त न हो।

- (D) गणय → जो गिना जा सके।


Step 3: Conclusion.

अतः सही उत्तर है (C) अनन्त।
Quick Tip: ‘अनन्त’ शब्द का प्रयोग अनन्त आकाश, सागर या ईश्वर के लिए किया जाता है।


Question 60:

जानने की इच्छा रखनेवाला –

  • (A) जानकार
  • (B) जिज्ञासु
  • (C) ज्ञानी
  • (D) बुद्धिमान
Correct Answer: (B) जिज्ञासु
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Step 1: Understanding the phrase.

वाक्यांश है – "जानने की इच्छा रखनेवाला।" इसका अर्थ है वह व्यक्ति जो किसी विषय को जानने के लिए उत्सुक हो।


Step 2: Option Analysis.

- (A) जानकार → जो पहले से जानता हो।

- (B) जिज्ञासु → सही उत्तर, जो जानने की इच्छा रखता हो।

- (C) ज्ञानी → जो विद्वान हो।

- (D) बुद्धिमान → जिसमें बुद्धि हो।


Step 3: Conclusion.

अतः सही उत्तर है (B) जिज्ञासु।
Quick Tip: ‘जिज्ञासु’ का प्रयोग सामान्यतः शिष्य या विद्यार्थी के लिए किया जाता है जो जानने की उत्सुकता रखता हो।


Question 61:

निम्नलिखित में से किन्हीं दो वाक्यों को शुद्ध करके लिखिए:

  • (i) परीक्षा-पद्धति बदलना चाहिए।
  • (ii) मैंने अनेकौं बार यात्रा की है।
  • (iii) केवल यहाँ चार पुस्तकें रखी हैं।
  • (iv) महादेवी वर्मा एक प्रसिद्ध कवियत्री हैं।
Correct Answer:
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(i) अशुद्ध वाक्य: परीक्षा-पद्धति बदलना चाहिए।

शुद्ध वाक्य: परीक्षा-पद्धति बदलनी चाहिए।


(ii) अशुद्ध वाक्य: मैंने अनेकौं बार यात्रा की है।

शुद्ध वाक्य: मैंने अनेक बार यात्रा की है।


(iii) अशुद्ध वाक्य: केवल यहाँ चार पुस्तकें रखी हैं।

शुद्ध वाक्य: यहाँ केवल चार पुस्तकें रखी हैं।


(iv) अशुद्ध वाक्य: महादेवी वर्मा एक प्रसिद्ध कवियत्री हैं।

शुद्ध वाक्य: महादेवी वर्मा एक प्रसिद्ध कवयित्री हैं। Quick Tip: शुद्ध वाक्य लिखते समय शब्दों की वर्तनी, कारक-चिह्न, लिंग और वचन पर विशेष ध्यान देना चाहिए।


Question 62:

'श्रृंगार रस' अथवा 'वीर रस' का लक्षण और उसका एक उदाहरण लिखिए।

Correct Answer:
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श्रृंगार रस का लक्षण:

जब कवि-कृतियों में प्रेम, सौंदर्य और माधुर्य की भावनाओं का चित्रण होता है, तब वहाँ श्रृंगार रस की अनुभूति होती है। यह रस स्थायी भाव रति से उत्पन्न होता है।


उदाहरण:

"वह देखो, चाँदनी रात में प्रियतम और प्रेयसी आम्रवृक्ष के नीचे बैठे हैं।"



वीर रस का लक्षण:

वीर रस में पराक्रम, साहस और युद्ध या कठिनाइयों से जूझने की भावना का चित्रण किया जाता है। यह रस स्थायी भाव उत्साह से उत्पन्न होता है।


उदाहरण:

"रणभूमि में वीर सैनिक शत्रुओं को देखकर निर्भीक होकर आगे बढ़ते हैं।"
Quick Tip: रस की पहचान के लिए उसके स्थायी भाव और भावनात्मक चित्रण पर ध्यान दें।


Question 63:

'श्लेष' अलंकार अथवा 'उत्प्रेक्षा' अलंकार का लक्षण और उदाहरण लिखिए।

Correct Answer:
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श्लेष अलंकार का लक्षण:

जब एक ही शब्द से एक से अधिक अर्थ प्रकट होते हैं, तब श्लेष अलंकार होता है।


उदाहरण:

"रघुकुल रीति सदा चली आई।"
(यहाँ "रीति" शब्द का अर्थ परंपरा भी है और आचरण भी।)



उत्प्रेक्षा अलंकार का लक्षण:

जब किसी वस्तु की किसी अन्य वस्तु से समानता कल्पना के रूप में की जाए और उसे संभावित रूप में व्यक्त किया जाए, तब उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।


उदाहरण:

"चाँद जैसे मुखड़े पर काली घटा-सी केशराशि शोभा पा रही है।"
Quick Tip: अलंकार की पहचान करते समय ध्यान दें कि अर्थ की बहुलता है (तो श्लेष), या कल्पना द्वारा तुलना है (तो उत्प्रेक्षा)।


Question 64:

‘सोराठा’ छन्द अथवा ‘कुण्डलिया’ छन्द का लक्षण और उदाहरण लिखिए।

Correct Answer:
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Step 1: ‘सोराठा’ छन्द का लक्षण।

सोराठा छन्द में 24 मात्राएँ होती हैं। प्रत्येक चरण 24 मात्राओं का होता है। इसमें 13–11 मात्राओं का संयोजन होता है। सामान्यत: इसका प्रयोग भावों की मार्मिकता तथा गेयता व्यक्त करने के लिए किया जाता है।


Step 2: ‘सोराठा’ छन्द का उदाहरण।

``राम नाम मानव उर धरै, मिटै सकल संताप।

तन–मन निर्मल होय फिरि, छूटै भव-संकट आप।।``


Step 3: ‘कुण्डलिया’ छन्द का लक्षण।

कुण्डलिया छन्द में कुल सात पंक्तियाँ होती हैं। पहली दो पंक्तियाँ और अंतिम दो पंक्तियाँ समान होती हैं। इस छन्द में अनुप्रास और गेयता की विशेषता रहती है।


Step 4: ‘कुण्डलिया’ छन्द का उदाहरण।

``भक्ति बिना जीवन अधूरा, जीवन अधूरा है।

ज्ञान बिना जग शून्य सारा, शून्य सारा है।।

सत्य–प्रेम–करुणा का दीपक, जग में सबको प्यारा है।

भक्ति बिना जीवन अधूरा, जीवन अधूरा है।।``
Quick Tip: छन्दों की पहचान उनके मात्रिक विन्यास और पंक्तियों की विशेष संरचना के आधार पर की जाती है।


Question 65:

समाचारपत्र में प्रकाशित विज्ञापन के आधार पर लिपिक के पद पर अपनी नियुक्ति हेतु विद्यालय के प्रबन्धक को आवेदन-पत्र लिखिए।

Correct Answer:
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आवेदन-पत्र

प्रार्थी: मोहन कुमार

पता: 12, गाँधी नगर, लखनऊ

दिनांक: 15 अप्रैल 2025


सेवा में,

प्रबन्धक महोदय

आदर्श इंटर कॉलेज

लखनऊ


विषय: लिपिक पद पर नियुक्ति हेतु आवेदन।


मान्यवर,

सविनय निवेदन है कि आपके विद्यालय में लिपिक पद हेतु समाचारपत्र में प्रकाशित विज्ञापन देखा। मैं इस पद के लिए योग्य अभ्यर्थी हूँ। मैंने बी.कॉम. की डिग्री प्राप्त की है तथा कंप्यूटर एवं कार्यालय कार्य का पर्याप्त अनुभव रखता हूँ।


अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि मुझे लिपिक पद पर नियुक्ति प्रदान कर विद्यालय की सेवा का अवसर दें।


सधन्यवाद।


भवदीय

(मोहन कुमार)
Quick Tip: आवेदन-पत्र लिखते समय विनम्र भाषा, उचित प्रारूप (प्रेषक, प्राप्तकर्ता, विषय, निवेदन, धन्यवाद) का ध्यान रखें।


Question 66:

ऋण-प्राप्ति हेतु बैंक के शाखा प्रबन्धक को आवेदन-पत्र लिखिए।

Correct Answer:
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आवेदन-पत्र

प्रार्थी: रामेश्वर प्रसाद

पता: 45, नेहरू कॉलोनी, कानपुर

दिनांक: 15 अप्रैल 2025


सेवा में,

शाखा प्रबन्धक

भारतीय स्टेट बैंक

कानपुर


विषय: ऋण-प्राप्ति हेतु आवेदन।


मान्यवर,

सविनय निवेदन है कि मैं आपके बैंक का एक नियमित ग्राहक हूँ। मुझे अपने व्यवसाय के विस्तार हेतु 5,00,000 रुपये के ऋण की आवश्यकता है। मेरे पास आवश्यक दस्तावेज़ (आयकर विवरणी, निवास प्रमाण पत्र एवं संपत्ति का विवरण) उपलब्ध हैं।


अतः आपसे निवेदन है कि मुझे व्यवसाय हेतु ऋण प्रदान कर मेरी सहायता करें।


सधन्यवाद।


भवदीय

(रामेश्वर प्रसाद)
Quick Tip: बैंक संबंधी आवेदन-पत्र में ऋण का कारण, राशि, और उपलब्ध दस्तावेज़ का उल्लेख अवश्य करें।


Question 67:

निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर अपनी भाषा-शैली में निबंध लिखिए:

  • (i) राष्ट्रीय एकता – वर्तमान समय की अनिवार्य आवश्यकता
  • (ii) आतंकवाद की समस्या – कारण और समाधान
  • (iii) पर्यावरण – प्रदूषण और निराकरण के उपाय
  • (iv) आधुनिक शिक्षा पद्धति की दिशा और दशा
Correct Answer:
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(i) राष्ट्रीय एकता – वर्तमान समय की अनिवार्य आवश्यकता

प्रस्तावना:

भारत एक विशाल देश है, जहाँ अनेक जातियाँ, धर्म, भाषाएँ और संस्कृतियाँ निवास करती हैं। इतनी विविधताओं के बावजूद भारत की पहचान उसकी "एकता में अनेकता" की भावना है। आज के वैश्विक युग में राष्ट्रीय एकता का महत्व और भी बढ़ गया है।


महत्व:

राष्ट्रीय एकता का अर्थ है– सभी नागरिकों का राष्ट्र की अखंडता, संविधान और ध्वज के प्रति निष्ठा रखना। यही भावना भारत की स्वतंत्रता की आधारशिला बनी और आज भी यह राष्ट्र की शक्ति है।


वर्तमान चुनौतियाँ:

सांप्रदायिकता, जातिवाद, भाषाई विवाद और आतंकवाद जैसी चुनौतियाँ हमारी एकता को प्रभावित कर रही हैं। यदि इन समस्याओं को अनदेखा किया गया तो देश की प्रगति रुक सकती है।


समाधान:


शिक्षा में राष्ट्रीय चेतना का समावेश।
समान विकास और अवसर की व्यवस्था।
जाति-धर्म के नाम पर भेदभाव का उन्मूलन।
सभी नागरिकों में देशभक्ति की भावना।


उपसंहार:

राष्ट्रीय एकता भारत की आत्मा है। इसे बनाए रखना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। यही हमारे भविष्य और अस्तित्व की आधारशिला है।


(ii) आतंकवाद की समस्या – कारण और समाधान

प्रस्तावना:

आज का युग प्रगति और विज्ञान का है, परंतु आतंकवाद जैसी समस्या पूरे विश्व के सामने एक बड़ी चुनौती है। भारत भी लंबे समय से आतंकवाद से प्रभावित रहा है।


कारण:


धार्मिक कट्टरता और साम्प्रदायिकता।
राजनीतिक स्वार्थ और विदेशी षड्यंत्र।
बेरोज़गारी और अशिक्षा।
सीमाओं पर अस्थिरता और असुरक्षा।


समाधान:


युवाओं को शिक्षा और रोजगार उपलब्ध कराना।
आतंकवादी संगठनों पर कठोर कार्रवाई।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सहयोग और कड़े कानून।
नागरिकों में शांति और भाईचारे की भावना का प्रसार।


उपसंहार:

आतंकवाद मानवता के लिए अभिशाप है। इसके समाधान के लिए हमें एकजुट होकर कार्य करना होगा। एक शांतिपूर्ण समाज ही वास्तविक प्रगति कर सकता है।


(iii) पर्यावरण – प्रदूषण और निराकरण के उपाय

प्रस्तावना:

पर्यावरण प्रकृति का वह अमूल्य उपहार है, जिसके बिना जीवन संभव नहीं है। किंतु आज प्रदूषण ने इसे गंभीर संकट में डाल दिया है।


प्रदूषण के प्रकार:


वायु प्रदूषण – कारखानों और वाहनों से।
जल प्रदूषण – औद्योगिक अपशिष्ट और गंदगी से।
ध्वनि प्रदूषण – मशीनों और शोर से।
भूमि प्रदूषण – प्लास्टिक और रसायनों से।


निराकरण के उपाय:


वृक्षारोपण और वनों की रक्षा।
औद्योगिक अपशिष्टों का उचित निस्तारण।
स्वच्छ ऊर्जा (सौर, पवन, जल) का उपयोग।
"स्वच्छ भारत अभियान" जैसी जन-जागरूकता योजनाएँ।


उपसंहार:

स्वच्छ पर्यावरण ही स्वस्थ जीवन का आधार है। यदि हमने अभी कदम नहीं उठाए तो भविष्य अंधकारमय होगा। इसलिए पर्यावरण संरक्षण हर नागरिक का कर्तव्य है।


(iv) आधुनिक शिक्षा पद्धति की दिशा और दशा

प्रस्तावना:

शिक्षा किसी भी राष्ट्र की प्रगति की कुंजी है। आधुनिक शिक्षा पद्धति ने ज्ञान के नए द्वार खोले हैं और विद्यार्थियों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार किया है।


दिशा:

आज शिक्षा केवल पुस्तकीय ज्ञान तक सीमित नहीं रही। अब इसमें विज्ञान, तकनीक, सूचना प्रौद्योगिकी और व्यावसायिक शिक्षा को प्रमुखता दी जा रही है। ऑनलाइन शिक्षा ने ज्ञान को सरल और सुलभ बना दिया है।


दशा:

फिर भी शिक्षा पद्धति में कई कमियाँ हैं—

ग्रामीण और शहरी शिक्षा में असमानता।
बेरोज़गारी की समस्या।
विद्यार्थियों पर अत्यधिक बोझ।
शिक्षा का व्यवसायीकरण।


समाधान:


शिक्षा में व्यावहारिकता और रोजगारपरकता।
समान अवसर और सुविधाएँ।
नैतिक शिक्षा और मूल्य आधारित शिक्षण।


उपसंहार:

आधुनिक शिक्षा पद्धति ने नई संभावनाएँ उत्पन्न की हैं, किंतु उसकी कमियों को दूर करना आवश्यक है। शिक्षा का उद्देश्य केवल रोजगार नहीं, बल्कि अच्छा नागरिक बनाना होना चाहिए। Quick Tip: निबंध लिखते समय क्रमबद्ध शैली अपनाएँ—प्रस्तावना, समस्या/विषय, कारण, समाधान और उपसंहार अवश्य लिखें।

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