UP Board Class 12 Hindi General Question Paper 2025 (Code 302 HM) Available- Download Here with Solution PDF

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Shivam Yadav

Updated on - Nov 24, 2025

UP Board Class 12 Hindi General Question Paper 2025 PDF (Code 302 HM) is available for download here. The Mathematics exam was conducted on February 24, 2025 in the Evening Shift from 2:00 PM to 5:15 PM. The total marks for the theory paper are 100. Students reported the paper to be easy to moderate.

UP Board Class 12 Hindi General Question Paper 2025 (Code 302 HM) with Solutions

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UP Board Class 12 Hindi Question Paper with Solutions


Question 1:

‘चंद छंद बरनन की महिमा’ के लेखक हैं

  • (A) सदल मिश्र
  • (B) लल्लूलाल
  • (C) गंग
  • (D) रामप्रसाद ‘निरंजनी’
Correct Answer: (C) गंग
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पद १: कृति का ऐतिहासिक संदर्भ।

'चंद छंद बरनन की महिमा' हिंदी गद्य के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। यह रचना मुगल सम्राट अकबर के शासनकाल की मानी जाती है। यह उन दुर्लभ प्रारंभिक कृतियों में से एक है जिसमें खड़ी बोली गद्य का स्वरूप देखने को मिलता है।


पद २: लेखक का परिचय।

इस कृति के रचनाकार कवि 'गंग' थे, जो सम्राट अकबर के दरबारी कवियों में से एक थे। वे अपनी हाजिरजवाबी और निर्भीक काव्य-शैली के लिए प्रसिद्ध थे। यद्यपि वे मुख्य रूप से एक कवि थे, तथापि उनकी यह गद्य रचना हिंदी गद्य के विकास के अध्ययन में एक महत्वपूर्ण साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत की जाती है।


पद ३: साहित्यिक महत्व।

आचार्य रामचंद्र शुक्ल जैसे प्रमुख साहित्य-इतिहासकारों ने इस रचना को इसके गद्य-स्वरूप के कारण विशेष महत्व दिया है। यह कृति दर्शाती है कि 19वीं शताब्दी से बहुत पहले भी खड़ी बोली में गद्य लिखने का प्रयास किया जा रहा था।


पद ४: निष्कर्ष।

अतः, अकबर के दरबारी कवि 'गंग' ही 'चंद छंद बरनन की महिमा' के लेखक हैं।
Quick Tip: खड़ी बोली गद्य के चार प्रारंभिक उन्नायकों (लल्लूलाल, सदल मिश्र, इंशा अल्ला खाँ, सदासुख लाल) और उनकी रचनाओं को याद रखना बहुत महत्वपूर्ण है। साथ ही, 'चंद छंद बरनन की महिमा' को प्रथम गद्य रचना मानने के तथ्य को भी ध्यान में रखें।


Question 2:

वर्तमान युग में हिन्दी गद्य की प्रमुख भाषा है

  • (A) भोजपुरी
  • (B) ब्रजभाषा
  • (C) खड़ीबोली
  • (D) अवधी
Correct Answer: (C) खड़ीबोली
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पद १: भाषा का ऐतिहासिक विकास।

हिंदी साहित्य के मध्यकाल (भक्तिकाल और रीतिकाल) में काव्य-रचना के लिए ब्रजभाषा और अवधी प्रमुख भाषाएँ थीं। उस समय गद्य का विकास बहुत सीमित था।


पद २: आधुनिक युग और गद्य की आवश्यकता।

19वीं शताब्दी में जब भारत में आधुनिक युग का सूत्रपात हुआ, तो पत्रकारिता, शिक्षा, और प्रशासनिक कार्यों के लिए एक मानक गद्य भाषा की आवश्यकता महसूस हुई। इस आवश्यकता की पूर्ति के लिए दिल्ली-मेरठ क्षेत्र में बोली जाने वाली 'खड़ी बोली' को आधार बनाया गया।


पद ३: खड़ी बोली का मानकीकरण।

फोर्ट विलियम कॉलेज के भाषा-मुंशियों, भारतेंदु हरिश्चंद्र और विशेष रूप से आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी ने 'सरस्वती' पत्रिका के माध्यम से खड़ी बोली को व्याकरण की दृष्टि से परिमार्जित और मानकीकृत किया। उनके प्रयासों के फलस्वरूप यह पूरे हिंदी क्षेत्र में गद्य की सर्वमान्य भाषा बन गई।


पद ४: वर्तमान स्थिति।

आज साहित्य, शिक्षा, संचार और प्रशासन, सभी क्षेत्रों में गद्य के लिए जिस हिंदी का प्रयोग होता है, वह इसी मानकीकृत खड़ी बोली का विकसित रूप है। इसलिए, वर्तमान युग में हिंदी गद्य की प्रमुख भाषा 'खड़ीबोली' है।
Quick Tip: याद रखें कि मध्यकालीन काव्य की प्रमुख भाषाएँ ब्रजभाषा (सूरदास) और अवधी (तुलसीदास) थीं, जबकि आधुनिक गद्य की मानक भाषा खड़ीबोली है।


Question 3:

‘ज्ञानोदय’ पत्रिका के सम्पादक हैं

  • (A) ‘अज्ञेय’
  • (B) माखनलाल चतुर्वेदी
  • (C) धर्मवीर भारती
  • (D) कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’
Correct Answer: (D) कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’
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Step 1: Understanding the Concept:

यह प्रश्न हिंदी की एक प्रसिद्ध साहित्यिक पत्रिका और उसके संपादक से संबंधित है।


Step 2: Detailed Explanation:

'ज्ञानोदय' पत्रिका का संपादन प्रसिद्ध साहित्यकार कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ ने किया था।

यह पत्रिका भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा प्रकाशित की जाती थी और इसने समकालीन साहित्य को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

अन्य विकल्प:

(A) ‘अज्ञेय’ ने 'प्रतीक' और 'दिनमान' जैसी पत्रिकाओं का संपादन किया।

(C) धर्मवीर भारती 'धर्मयुग' के संपादक थे।


Step 3: Final Answer:

'ज्ञानोदय’ पत्रिका के सम्पादक कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ थे। इसलिए, विकल्प (D) सही है।
Quick Tip: हिंदी साहित्य के इतिहास में पत्रिकाओं का बहुत महत्व है। प्रमुख पत्रिकाओं जैसे 'सरस्वती', 'हंस', 'धर्मयुग', 'प्रतीक' और उनके संपादकों के नाम की एक सूची बनाकर याद करना परीक्षा के लिए उपयोगी है।


Question 4:

आधुनिक हिन्दी एकांकी के जनक माने जाते हैं

  • (A) लक्ष्मीनारायण मिश्र
  • (B) रामकुमार वर्मा
  • (C) उदयशंकर भट्ट
  • (D) विष्णु प्रभाकर
Correct Answer: (B) रामकुमार वर्मा
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Step 1: Understanding the Concept:

यह प्रश्न हिंदी साहित्य में 'एकांकी' (one-act play) विधा के प्रवर्तक से संबंधित है।


Step 2: Detailed Explanation:

डॉ. रामकुमार वर्मा को आधुनिक हिंदी एकांकी का जनक माना जाता है।

उनके एकांकी 'बादल की मृत्यु' (1930) को कई विद्वान हिंदी का प्रथम एकांकी मानते हैं।

उन्होंने ऐतिहासिक, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक विषयों पर अनेक सफल एकांकी लिखे, जैसे 'पृथ्वीराज की आँखें', 'रेशमी टाई', 'चारुमित्रा' आदि। उन्होंने एकांकी विधा को एक नया शिल्प और नई दिशा प्रदान की।


Step 3: Final Answer:

आधुनिक हिन्दी एकांकी के जनक डॉ. रामकुमार वर्मा माने जाते हैं। इसलिए, विकल्प (B) सही है।
Quick Tip: जिस प्रकार जयशंकर प्रसाद को हिंदी नाटक का सम्राट माना जाता है, उसी प्रकार डॉ. रामकुमार वर्मा को हिंदी एकांकी का जनक माना जाता है। इन तथ्यों को याद रखें।


Question 5:

हरिशंकर परसाई एक ख्यातिलब्ध लेखक हैं

  • (A) ‘यात्रावृत्त’ के
  • (B) समीक्षा के
  • (C) ‘जीवनी-साहित्य’ के
  • (D) व्यंग्य विधा के
Correct Answer: (D) व्यंग्य विधा के
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Step 1: Understanding the Concept:

यह प्रश्न प्रसिद्ध लेखक हरिशंकर परसाई की साहित्यिक विधा की पहचान से संबंधित है।


Step 2: Detailed Explanation:

हरिशंकर परसाई हिंदी साहित्य के सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण व्यंग्यकार हैं।

उन्होंने व्यंग्य को एक गंभीर साहित्यिक विधा के रूप में स्थापित किया और सामाजिक, राजनीतिक तथा धार्मिक पाखंडों पर अपनी रचनाओं के माध्यम से तीखा प्रहार किया।

उनकी प्रसिद्ध व्यंग्य रचनाओं में 'विकलांग श्रद्धा का दौर', 'सदाचार का तावीज', 'भूत के पाँव पीछे' आदि शामिल हैं।


Step 3: Final Answer:

हरिशंकर परसाई एक ख्यातिलब्ध लेखक व्यंग्य विधा के हैं। इसलिए, विकल्प (D) सही है।
Quick Tip: हिंदी साहित्य में जब भी 'व्यंग्य' विधा की बात हो, तो हरिशंकर परसाई का नाम सबसे पहले आता है। उन्हें 'व्यंग्य-सम्राट' भी कहा जा सकता है।


Question 6:

‘निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल’ यह काव्य पंक्ति है

  • (A) अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ की
  • (B) भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की
  • (C) मैथिलीशरण गुप्त की
  • (D) सोहनलाल द्विवेदी की
Correct Answer: (B) भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की
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Step 1: Understanding the Concept:

यह प्रश्न हिंदी साहित्य की एक प्रसिद्ध काव्य पंक्ति और उसके रचयिता की पहचान से संबंधित है।


Step 2: Detailed Explanation:

यह प्रसिद्ध पंक्ति आधुनिक हिंदी साहित्य के जनक भारतेन्दु हरिश्चंद्र की है।

पूरी पंक्ति इस प्रकार है: "निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल। बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।।"

इसके माध्यम से भारतेन्दु जी ने अपनी भाषा यानी हिंदी के महत्व पर बल दिया और कहा कि सभी प्रकार की उन्नति का आधार अपनी भाषा की उन्नति ही है।


Step 3: Final Answer:

यह काव्य पंक्ति भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की है। इसलिए, विकल्प (B) सही है।
Quick Tip: भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, महावीर प्रसाद द्विवेदी जैसे युगप्रवर्तक लेखकों के प्रसिद्ध कथनों और पंक्तियों को विशेष रूप से याद रखें। ये अक्सर परीक्षाओं में पूछे जाते हैं।


Question 7:

‘तारसप्तक’ के कवियों को ‘राहों के अन्वेषी’ किसने कहा है ?

  • (A) धर्मवीर भारती ने
  • (B) नामवर सिंह ने
  • (C) प्रभाकर माचवे ने
  • (D) सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ ने
Correct Answer: (D) सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ ने
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Step 1: Understanding the Concept:

यह प्रश्न आधुनिक हिंदी कविता के 'प्रयोगवाद' और 'तार सप्तक' से संबंधित एक महत्वपूर्ण कथन के बारे में है।


Step 2: Detailed Explanation:

'तार सप्तक' (1943) का संपादन सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ ने किया था।

इसकी भूमिका में 'अज्ञेय' ने इसमें शामिल सात कवियों को 'राहों के अन्वेषी' कहा था।

उनका कहना था कि ये कवि किसी मंजिल पर पहुँचे हुए नहीं हैं, बल्कि नई राहों की खोज करने वाले हैं। यहीं से 'प्रयोगवाद' की शुरुआत मानी जाती है।


Step 3: Final Answer:

‘तारसप्तक’ के कवियों को ‘राहों के अन्वेषी’ सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ ने कहा है। इसलिए, विकल्प (D) सही है।
Quick Tip: 'तार सप्तक' के संपादक 'अज्ञेय' का नाम और 'राहों के अन्वेषी' कथन को एक साथ जोड़कर याद रखें। यह प्रयोगवादी कविता को समझने की कुंजी है।


Question 8:

अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ की रचना है

  • (A) ‘भारतभारती’
  • (B) ‘वैदेही वनवास’
  • (C) ‘उर्वशी’
  • (D) ‘गुंजन’
Correct Answer: (B) ‘वैदेही वनवास’
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Step 1: Understanding the Concept:

यह प्रश्न द्विवेदी युग के एक प्रमुख कवि अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ की रचना की पहचान से संबंधित है।


Step 2: Detailed Explanation:

(A) ‘भारतभारती’ - मैथिलीशरण गुप्त की रचना है।

(B) ‘वैदेही वनवास’ - अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ द्वारा रचित एक प्रबंध काव्य है, जिसमें सीता के वनवास की कथा का मार्मिक वर्णन है। उनकी एक और प्रसिद्ध रचना खड़ी बोली का प्रथम महाकाव्य 'प्रियप्रवास' है।

(C) ‘उर्वशी’ - रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की प्रसिद्ध रचना है।

(D) ‘गुंजन’ - सुमित्रानन्दन पन्त की रचना है।


Step 3: Final Answer:

दिए गए विकल्पों में से ‘वैदेही वनवास’ अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ की रचना है। इसलिए, विकल्प (B) सही है।
Quick Tip: द्विवेदी युग के दो प्रमुख कवियों - मैथिलीशरण गुप्त ('भारत-भारती', 'साकेत') और अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध' ('प्रियप्रवास', 'वैदेही वनवास') की प्रमुख रचनाओं को हमेशा याद रखें।


Question 9:

निम्न में से कौन प्रगतिवादी कवि नहीं हैं ?

  • (A) नागार्जुन
  • (B) केदारनाथ अग्रवाल
  • (C) त्रिलोचन
  • (D) गिरिजाकुमार माथुर
Correct Answer: (D) गिरिजाकुमार माथुर
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Step 1: Understanding the Concept:

यह प्रश्न हिंदी साहित्य के 'प्रगतिवाद' युग के कवियों की पहचान से संबंधित है।


Step 2: Detailed Explanation:

नागार्जुन, केदारनाथ अग्रवाल और त्रिलोचन को प्रगतिवादी काव्यधारा के 'वृहत्त्रयी' (तीन सबसे बड़े कवि) के रूप में जाना जाता है। ये तीनों प्रगतिवाद के प्रमुख स्तंभ हैं।

गिरिजाकुमार माथुर 'तार सप्तक' के कवि हैं और उनका संबंध मुख्य रूप से 'प्रयोगवाद' से है। उनकी कविता में रोमानियत और बौद्धिकता का मिश्रण मिलता है, जो प्रगतिवादी काव्यधारा से भिन्न है।


Step 3: Final Answer:

गिरिजाकुमार माथुर प्रगतिवादी कवि नहीं हैं, वे प्रयोगवादी कवि हैं। इसलिए, विकल्प (D) सही है।
Quick Tip: प्रगतिवाद के तीन प्रमुख कवियों - नागार्जुन, केदारनाथ अग्रवाल और त्रिलोचन - के नाम अवश्य याद रखें। यह आपको प्रगतिवाद से संबंधित प्रश्नों को हल करने में बहुत मदद करेगा।


Question 10:

प्रकृति के सुकुमार कवि हैं

  • (A) सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’
  • (B) महादेवी वर्मा
  • (C) सुमित्रानन्दन पन्त
  • (D) जयशंकर प्रसाद
Correct Answer: (C) सुमित्रानन्दन पन्त
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Step 1: Understanding the Concept:

यह प्रश्न हिंदी साहित्य में एक प्रसिद्ध उपाधि और उससे संबंधित कवि की पहचान के बारे में है।


Step 2: Detailed Explanation:

सुमित्रानन्दन पन्त को 'प्रकृति का सुकुमार कवि' कहा जाता है।

इसका कारण यह है कि उन्होंने अपनी कविताओं में प्रकृति के कोमल, सुंदर और मनोहारी रूपों का अत्यंत सूक्ष्म और सजीव चित्रण किया है।

पंत जी छायावाद के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं और प्रकृति-चित्रण उनकी कविता का मुख्य विषय रहा है।


Step 3: Final Answer:

प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानन्दन पन्त हैं। इसलिए, विकल्प (C) सही है।
Quick Tip: छायावाद के प्रमुख कवियों की उपाधियाँ याद रखें: प्रसाद को 'कलाधर', पंत को 'प्रकृति का सुकुमार कवि', निराला को 'महाप्राण' और महादेवी वर्मा को 'आधुनिक युग की मीरा' कहा जाता है।


Question 11:

दिये गये गद्यांश पर आधारित निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :              

भाषा स्वयं संस्कृति का एक अटूट अंग है। संस्कृति परंपरा से निर्गत होने पर भी परिवर्तनशील और गतिशील है।
उसकी गति विज्ञान की प्रगति के साथ जोड़ी जाती है। वैज्ञानिक आविष्कारों के प्रभाव के कारण उत्पन्न नयी
सांस्कृतिक हलचलों को शब्दात्मक रूप देने के लिये–भाषा के परंपरागत प्रयोग पर्याप्त नहीं हैं। इसके लिए नये
प्रयोगों की, नयी भाव-योजनाओं को व्यक्त करने के लिए नये शब्दों की खोज की महती आवश्यकता है।

पाठ का शीर्षक एवं लेखक का नाम लिखिए।

Correct Answer:
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Step 1: Understanding the Question:

इस प्रश्न में दिए गए गद्यांश के पाठ का शीर्षक और उसके लेखक का नाम लिखने के लिए कहा गया है।


Step 2: Identifying the Text:

यह गद्यांश भाषा और संस्कृति के संबंध, भाषा की गतिशीलता और वैज्ञानिक प्रगति के साथ नए शब्दों की आवश्यकता पर बल देता है। यह विषय-वस्तु और शैली प्रसिद्ध विचारक और निबंधकार प्रोफेसर जी. सुन्दर रेड्डी के वैचारिक निबंध 'भाषा और आधुनिकता' से मेल खाती है।

पाठ का शीर्षक: भाषा और आधुनिकता

लेखक का नाम: प्रो. जी. सुन्दर रेड्डी


Step 3: Final Answer:

प्रस्तुत गद्यांश के पाठ का शीर्षक 'भाषा और आधुनिकता' है और इसके लेखक प्रो. जी. सुन्दर रेड्डी हैं।
Quick Tip: परीक्षा में गद्य के पाठों का सन्दर्भ लिखने का अभ्यास अवश्य करें। इसके लिए अपनी पाठ्य-पुस्तक के सभी पाठों के शीर्षक और उनके लेखकों के नाम की एक सूची बना लें और उसे नियमित रूप से दोहराएँ।


Question 12:

रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।

(रेखांकित अंश: उसकी गति विज्ञान की प्रगति के साथ जोड़ी जाती है।)

Correct Answer:
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Step 1: Understanding the Question:

इस प्रश्न में गद्यांश के रेखांकित अंश का भावार्थ अपने शब्दों में स्पष्ट करने के लिए कहा गया है।


Step 2: Detailed Explanation:

व्याख्या: लेखक प्रो. जी. सुन्दर रेड्डी इस पंक्ति में भाषा की गतिशीलता को स्पष्ट कर रहे हैं। वे कहते हैं कि भाषा एक बहती हुई नदी के समान है, जो रुकती नहीं है। उसकी गति (विकास) विज्ञान की प्रगति के साथ जुड़ी हुई है। इसका अर्थ है कि जैसे-जैसे विज्ञान प्रगति करता है, नए-नए आविष्कार होते हैं, और नई-नई खोजें होती हैं, वैसे-वैसे उन नई अवधारणाओं को व्यक्त करने के लिए भाषा को भी नए शब्दों और अभिव्यक्तियों की आवश्यकता पड़ती है। इस प्रकार, विज्ञान का विकास भाषा के विकास को भी गति प्रदान करता है।


Step 3: Final Answer:

रेखांकित अंश का आशय यह है कि भाषा का विकास विज्ञान की प्रगति पर निर्भर करता है; जैसे-जैसे विज्ञान आगे बढ़ता है, भाषा भी नए शब्दों और प्रयोगों को अपनाकर आगे बढ़ती है।
Quick Tip: व्याख्या करते समय, केवल शाब्दिक अर्थ न लिखें। अंश के पीछे छिपे लेखक के दृष्टिकोण और मंतव्य को भी स्पष्ट करने का प्रयास करें। अपने उत्तर को सरल और स्पष्ट भाषा में लिखें।


Question 13:

‘उद्भूत’ और ‘परंपरागत’ शब्दों के अर्थ लिखिए।

Correct Answer:
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Step 1: Understanding the Question:

प्रश्न में 'उद्भूत' और 'परंपरागत' इन दो शब्दों का अर्थ बताने के लिए कहा गया है।


Step 2: Meaning of the Words:

(i) उद्भूत: इस शब्द का अर्थ है - 'उत्पन्न हुआ', 'प्रकट हुआ' या 'पैदा हुआ'। (Originated/Emerged)

(ii) परंपरागत: इस शब्द का अर्थ है - 'परंपरा से चला आ रहा', 'रीति-रिवाज के अनुसार' या 'रूढ़िगत'। (Traditional)


Step 3: Final Answer:

उद्भूत = उत्पन्न हुआ

परंपरागत = परंपरा से चला आ रहा
Quick Tip: अपनी शब्दावली को मजबूत करने के लिए, पाठ पढ़ते समय कठिन शब्दों को रेखांकित करें और उनके अर्थ को शब्दकोश में देखें। यह न केवल ऐसे प्रश्नों को हल करने में मदद करेगा बल्कि आपके लेखन को भी सुधारेगा।


Question 14:

भाषा परिवर्तनशील क्यों है ?

Correct Answer:
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Step 1: Understanding the Question:

इस प्रश्न में पूछा गया है कि गद्यांश के अनुसार, भाषा में बदलाव क्यों होता रहता है।


Step 2: Explanation from the Passage:

गद्यांश के अनुसार, भाषा संस्कृति का अंग है और संस्कृति स्वयं परिवर्तनशील और गतिशील है। भाषा की गति विज्ञान की प्रगति के साथ जुड़ी है। वैज्ञानिक आविष्कारों के प्रभाव से समाज में नई-नई सांस्कृतिक हलचलें उत्पन्न होती हैं। इन नए भावों और विचारों को व्यक्त करने के लिए भाषा को भी बदलना पड़ता है और नए शब्दों की खोज करनी पड़ती है। इसीलिए भाषा परिवर्तनशील है।


Step 3: Final Answer:

गद्यांश के अनुसार, भाषा इसलिए परिवर्तनशील है क्योंकि वह संस्कृति का एक गतिशील अंग है और वैज्ञानिक प्रगति के साथ उत्पन्न होने वाले नए भावों और विचारों को व्यक्त करने के लिए उसे निरंतर बदलना पड़ता है।
Quick Tip: 'क्यों?' वाले प्रश्नों का उत्तर देते समय, गद्यांश में दिए गए कारण और प्रभाव के संबंध को पहचानें। यहाँ वैज्ञानिक प्रगति (कारण) भाषा में परिवर्तन (प्रभाव) लाती है।


Question 15:

प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने किस बात पर बल दिया है ?

Correct Answer:
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Step 1: Understanding the Question:

प्रश्न में यह पूछा गया है कि गद्यांश का केंद्रीय विचार या मुख्य संदेश क्या है।


Step 2: Explanation from the Passage:

प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने इस बात पर बल दिया है कि भाषा स्थिर नहीं होती, बल्कि वह संस्कृति और विज्ञान की प्रगति के साथ निरंतर विकसित और परिवर्तित होती रहती है। लेखक ने यह भी स्पष्ट किया है कि समाज में आने वाले नए परिवर्तनों और भावों को व्यक्त करने के लिए भाषा में नए प्रयोगों और नए शब्दों को अपनाना अत्यंत आवश्यक है। परंपरागत प्रयोग हमेशा पर्याप्त नहीं होते।


Step 3: Final Answer:

प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने भाषा की गतिशीलता और समय के साथ नए शब्दों एवं प्रयोगों को अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया है, ताकि भाषा समाज की बदलती जरूरतों को पूरा कर सके।
Quick Tip: गद्यांश के केंद्रीय भाव को समझने के लिए, यह देखें कि लेखक अपनी बात को सिद्ध करने के लिए क्या-क्या तर्क दे रहा है। यहाँ लेखक के सभी तर्क भाषा की गतिशीलता और नवीनता की आवश्यकता पर केंद्रित हैं।


Question 16:

मातृभूमि पर निवास करनेवाले मनुष्य राष्ट्र का दूसरा अंग हैं। पृथ्वी हो और मनुष्य न हो, तो राष्ट्र की कल्पना 
असंभव है। पृथ्वी और जन दोनों के सम्मिलन से ही राष्ट्र का स्वरूप संपादित होता है। जन के कारण ही पृथ्वी 
मातृभूमि की सजा प्राप्त करती है। पृथ्वी माता है और जन सच्चे अर्थों में पृथ्वी का पुत्र है – (माता भूमिः पुत्रोऽहं 
पृथिव्याः)। – भूमि माता है, मैं उसका पुत्र हूँ। जन के हृदय में इस सूत्र का अनुभव ही राष्ट्रीयता की कुंजी है। 
इसी भावना से राष्ट्र-निर्माण के अंकुर उत्पन्न होते हैं।

प्रस्तुत गद्यांश के पाठ एवं लेखक का नाम लिखिए ।

Correct Answer:
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Step 1: Understanding the Concept:

यह प्रश्न दिए गए गद्यांश के स्रोत की पहचान करने के लिए है। इसमें पाठ का शीर्षक और उसके लेखक का नाम बताना आवश्यक है।


Step 2: Detailed Explanation:

दिए गए गद्यांश की भाषा-शैली, विषय-वस्तु और प्रमुख वाक्य (जैसे "माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्याः") हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध निबंधकार डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल की रचनाओं की ओर संकेत करते हैं।

यह अंश उनकी प्रसिद्ध रचना 'राष्ट्र का स्वरूप' से लिया गया है, जो कक्षा 12 की हिंदी पाठ्यपुस्तक में संकलित है।

इस निबंध में, लेखक ने राष्ट्र के तीन आवश्यक अंगों का वर्णन किया है: भूमि, जन (मनुष्य) और संस्कृति। प्रस्तुत गद्यांश राष्ट्र के दूसरे अंग 'जन' के महत्व पर प्रकाश डालता है।


Step 3: Final Answer:

अतः, प्रस्तुत गद्यांश के पाठ का नाम 'राष्ट्र का स्वरूप' और लेखक का नाम डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल है।
Quick Tip: परीक्षा में किसी भी गद्यांश का संदर्भ लिखते समय पाठ और लेखक का नाम स्पष्ट रूप से याद रखें। पूरे अंक प्राप्त करने के लिए नामों को सही ढंग से लिखना महत्वपूर्ण है।


Question 17:

रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए ।

Correct Answer:
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Step 1: Understanding the Concept:

इस प्रश्न में गद्यांश के एक विशिष्ट भाग का अर्थ स्पष्ट करने के लिए कहा गया है। यहाँ हम पहले दो वाक्यों का विश्लेषण करेंगे, जो राष्ट्र के निर्माण में भूमि और जन के संबंध को स्थापित करते हैं।


Step 2: Detailed Explanation:

प्रथम वाक्य: "मातृभूमि पर निवास करनेवाले मनुष्य राष्ट्र का दूसरा अंग हैं।"

लेखक यहाँ स्पष्ट करते हैं कि राष्ट्र केवल भूमि का एक टुकड़ा नहीं है। राष्ट्र का एक अनिवार्य घटक 'जन' अर्थात् उस भूमि पर रहने वाले लोग हैं। भूमि को पहला अंग माना गया है, और मनुष्यों को दूसरा।


द्वितीय वाक्य: "पृथ्वी हो और मनुष्य न हो, तो राष्ट्र की कल्पना असंभव है।"

इस वाक्य में लेखक अपने तर्क को और पुष्ट करते हैं। वे कहते हैं कि एक निर्जन भूमि को राष्ट्र नहीं कहा जा सकता। राष्ट्र की अवधारणा ही वहाँ रहने वाले लोगों से जीवंत होती है। लोगों के बिना भूमि केवल एक भौगोलिक इकाई है, एक राष्ट्र नहीं।


Step 3: Final Answer:

संक्षेप में, लेखक यह कहना चाहते हैं कि राष्ट्र के अस्तित्व के लिए भूमि और मनुष्य दोनों का होना अनिवार्य है। मनुष्य ही भूमि को एक जीवंत राष्ट्रीय इकाई का दर्जा देते हैं, और उनके बिना राष्ट्र की कल्पना करना व्यर्थ है।
Quick Tip: व्याख्या करते समय, केवल शाब्दिक अर्थ न लिखें। लेखक के मूल भाव को अपने शब्दों में समझाने का प्रयास करें। वाक्यों को सरल और स्पष्ट रखें।


Question 18:

राष्ट्र का दूसरा अंग क्या है ?

Correct Answer:
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Step 1: Understanding the Concept:

यह प्रश्न सीधे गद्यांश में दी गई जानकारी पर आधारित है। इसका उत्तर गद्यांश की पहली पंक्ति में ही स्पष्ट रूप से दिया गया है।


Step 2: Detailed Explanation:

गद्यांश का आरंभ ही इस वाक्य से होता है: "मातृभूमि पर निवास करनेवाले मनुष्य राष्ट्र का दूसरा अंग हैं।"

यह वाक्य सीधे तौर पर प्रश्न का उत्तर देता है। लेखक राष्ट्र के तीन अंगों (भूमि, जन, और संस्कृति) में से 'जन' को दूसरा महत्वपूर्ण अंग बताते हैं।


Step 3: Final Answer:

अतः, राष्ट्र का दूसरा अंग उस पर रहने वाले मनुष्य हैं।
Quick Tip: इस प्रकार के तथ्यात्मक प्रश्नों का उत्तर अक्सर गद्यांश की शुरुआती या अंतिम पंक्तियों में मिल जाता है। उत्तर लिखते समय गद्यांश के शब्दों का ही प्रयोग करें।


Question 19:

राष्ट्र की कल्पना कब असंभव है ?

Correct Answer:
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Step 1: Understanding the Concept:

यह प्रश्न भी गद्यांश में दी गई सीधी जानकारी पर आधारित है। यह पूछता है कि किस परिस्थिति में एक राष्ट्र का अस्तित्व संभव नहीं है।


Step 2: Detailed Explanation:

गद्यांश का दूसरा वाक्य है: "पृथ्वी हो और मनुष्य न हो, तो राष्ट्र की कल्पना असंभव है।"

यह वाक्य स्पष्ट रूप से बताता है कि राष्ट्र के लिए भूमि और जन दोनों की उपस्थिति अनिवार्य है। यदि इनमें से कोई एक, विशेषकर 'जन', अनुपस्थित हो, तो राष्ट्र का विचार ही निरर्थक हो जाता है।


Step 3: Final Answer:

अतः, जब भूमि तो हो लेकिन उस पर निवास करने के लिए मनुष्य न हों, तब राष्ट्र की कल्पना असंभव हो जाती है।
Quick Tip: प्रश्न में "कब", "क्या", "क्यों" जैसे शब्दों पर ध्यान दें। यह आपको गद्यांश में सटीक जानकारी खोजने में मदद करेगा।


Question 20:

राष्ट्रीयता की कुंजी क्या है ?

Correct Answer:
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Step 1: Understanding the Concept:

यह प्रश्न राष्ट्रीयता के मूल भाव या सार के बारे में पूछता है, जैसा कि गद्यांश में वर्णित है।


Step 2: Detailed Explanation:

गद्यांश में कहा गया है: "पृथ्वी माता है और जन सच्चे अर्थों में पृथ्वी का पुत्र है - (माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्याः ।) - भूमि माता है, मैं उसका पुत्र हूँ। जन के हृदय में इस सूत्र का अनुभव ही राष्ट्रीयता की कुंजी है।"

इसका अर्थ है कि जब लोग भूमि को केवल एक निर्जीव टुकड़ा न मानकर उसे अपनी माता के समान समझते हैं और स्वयं को उसकी संतान मानते हैं, तो यही भावना उनके दिलों में राष्ट्रीयता को जन्म देती है।

यह माता-पुत्र का संबंध ही वह आधार है जिससे राष्ट्र-निर्माण के विचार उत्पन्न होते हैं।


Step 3: Final Answer:

अतः, राष्ट्रीयता की कुंजी भूमि को माता और स्वयं को उसका पुत्र समझने की भावना का हृदय में अनुभव करना है।
Quick Tip: गद्यांश में दिए गए उद्धरणों या विशेष सूत्रों पर ध्यान दें। अक्सर महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर उन्हीं में छिपे होते हैं, जैसा कि यहाँ "माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्याः" सूत्र में है।


Question 21:

दिये गये पद्यांश पर आधारित निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :

“क्या कर सकती थी, मेरी मंथा दासी,
मेरा ही मन रह सका न निज विश्वासी।
जल पंजर-गत अब अरे अधीर, अभागे,
वे ज्वलित भाव थे स्वयं तुझी में जागे।।”

उपर्युक्त पद्यांश का शीर्षक और कवि का नाम लिखिए।

Correct Answer:
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Step 1: Understanding the Concept:

यह प्रश्न दिए गए काव्य-अंश के स्रोत की पहचान करने के लिए है, जिसमें शीर्षक और कवि का नाम बताना है।


Step 2: Detailed Explanation:

प्रस्तुत पंक्तियाँ प्रसिद्ध राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त द्वारा रचित महाकाव्य 'साकेत' के आठवें सर्ग से ली गई हैं।

इस अंश का प्रसंग 'कैकेयी का अनुताप' है, जिसमें कैकेयी अपने किए पर पश्चाताप करती हैं और स्वयं को दोषी मानती हैं।

भाषा-शैली और भाव-भूमि के आधार पर यह स्पष्ट है कि यह रचना द्विवेदी युग के प्रमुख कवि मैथिलीशरण गुप्त की है।


Step 3: Final Answer:

अतः, पद्यांश का शीर्षक 'कैकेयी का अनुताप' और कवि का नाम 'मैथिलीशरण गुप्त' है।
Quick Tip: प्रमुख कवियों की प्रसिद्ध रचनाओं और उनके काव्यों के महत्वपूर्ण अंशों को याद रखना इस तरह के प्रश्नों के लिए बहुत सहायक होता है। 'साकेत' और 'कैकेयी का अनुताप' हिंदी साहित्य में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।


Question 22:

रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।

Correct Answer:
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Step 1: Understanding the Concept:

इस प्रश्न में रेखांकित पंक्तियों "क्या कर सकती थी, मरी मंथरा दासी, मेरा ही मन रह सका न निज विश्वासी।" का भावार्थ स्पष्ट करना है।


Step 2: Detailed Explanation:

प्रथम पंक्ति: "क्या कर सकती थी, मरी मंथरा दासी,"

यहाँ कैकेयी मंथरा को दोषमुक्त करते हुए कहती हैं कि वह तो एक सामान्य दासी थी। उसके भड़काने का कोई प्रभाव न होता यदि मेरे मन में खोट न होती।


द्वितीय पंक्ति: "मेरा ही मन रह सका न निज विश्वासी।"

कैकेयी आत्मग्लानि से भरकर स्वीकार करती हैं कि اصل दोष उनके अपने मन का था। उनका मन स्वयं के नियंत्रण में नहीं रहा और उसने अपने ही विवेक पर विश्वास नहीं किया। मन की अस्थिरता और अविश्वास के कारण ही यह अनर्थ हुआ।


Step 3: Final Answer:

संक्षेप में, कैकेयी सारा दोष अपने अस्थिर और अविश्वासी मन को देती हैं और मंथरा को केवल एक निमित्त मात्र मानती हैं। यह उनके गहरे पश्चाताप को दर्शाता है।
Quick Tip: काव्य की व्याख्या करते समय, शब्दों के शाब्दिक अर्थ के साथ-साथ उनके लाक्षणिक और भावनात्मक अर्थ को भी समझना महत्वपूर्ण है। प्रसंग के अनुसार पात्र की मनोदशा का वर्णन करने से व्याख्या अधिक प्रभावशाली होती है।


Question 23:

'पंजर-गत' और 'ज्वलित' शब्दों के अर्थ लिखिए।

Correct Answer:
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Step 1: Understanding the Concept:

इस प्रश्न में दिए गए दो शब्दों का अर्थ स्पष्ट करना है।


Step 2: Detailed Explanation:

पंजर-गत: यह शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है - 'पंजर' (पिंजड़ा) और 'गत' (गया हुआ, स्थित)। यहाँ शरीर की तुलना एक पिंजड़े से की गई है, जिसके भीतर मन स्थित है। अतः, 'पंजर-गत' का अर्थ है 'शरीर रूपी पिंजड़े में स्थित'।


ज्वलित: इस शब्द का शाब्दिक अर्थ है 'जला हुआ' या 'प्रज्वलित'। कविता के संदर्भ में, इसका प्रयोग 'ईर्ष्या, क्रोध और द्वेष जैसे तीव्र और जलाने वाले भावों' के लिए किया गया है।


Step 3: Final Answer:

अतः, 'पंजर-गत' का अर्थ है 'शरीर के भीतर' और 'ज्वलित' का अर्थ है 'ईर्ष्या से जलते हुए' या 'प्रज्वलित'।
Quick Tip: काव्य में शब्दों के अर्थ उनके प्रसंग के अनुसार बदलते हैं। हमेशा कविता के भाव के अनुरूप ही शब्दों का अर्थ लिखें, न कि केवल उनका कोषगत (dictionary) अर्थ।


Question 24:

कैकेयी अपने अन्तर्मन को 'अधीर' और 'अभागा' मानकर क्या कहती है ?

Correct Answer:
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Step 1: Understanding the Concept:

यह प्रश्न पद्यांश की अंतिम दो पंक्तियों के आधार पर कैकेयी की अपने मन के प्रति भावनाओं को समझने पर केंद्रित है।


Step 2: Detailed Explanation:

पंक्तियाँ हैं: "जल पंजर-गत अब अरे अधीर, अभागे, वे ज्वलित भाव थे स्वयं तुझी में जागे।"

यहाँ कैकेयी स्वयं से संवाद कर रही हैं।

'अधीर' और 'अभागा': वह अपने मन को अधीर इसलिए कहती हैं क्योंकि उसने धैर्य खोकर अनुचित वरदान मांग लिए। अभागा इसलिए कहती हैं क्योंकि उसके इस कार्य ने उसे संसार में अपयश और दुःख का भागी बना दिया।

क्या कहती हैं?: वह अपने मन को संबोधित करते हुए कहती हैं कि जो ईर्ष्या और जलन के भाव थे, वे किसी और ने नहीं, बल्कि तूने स्वयं अपने भीतर उत्पन्न किए थे। इसलिए अब तू ही इस शरीर रूपी पिंजड़े में पश्चाताप की आग में जल।


Step 3: Final Answer:

अतः, कैकेयी अपने मन को ही समस्त अनर्थ का कारण मानती हैं और उसे उसके कर्मों का फल भोगने के लिए कहती हैं।
Quick Tip: कविता में 'संबोधन' शैली को पहचानें। जब कोई पात्र स्वयं से, किसी निर्जीव वस्तु से, या किसी अनुपस्थित व्यक्ति से बात करता है, तो उसे समझना व्याख्या के लिए महत्वपूर्ण होता है।


Question 25:

'जल पंजर-गत अब अरे अधीर अभागे' पंक्ति में प्रयुक्त अलंकार का नामोल्लेख कीजिए।

Correct Answer:
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Step 1: Understanding the Concept:

इस प्रश्न में दी गई काव्य पंक्ति में प्रयुक्त अलंकारों (Figures of Speech) की पहचान करनी है।


Step 2: Detailed Explanation:

आइए पंक्ति का विश्लेषण करें: "जल पंजर-गत अब अरे अधीर अभागे"

1. रूपक अलंकार (Metaphor): यहाँ 'पंजर-गत' का अर्थ है 'पिंजड़े में स्थित'। कवि ने शरीर की तुलना पिंजड़े से की है, लेकिन वाचक शब्द (जैसे- सा, सम) का प्रयोग नहीं किया है। यहाँ उपमेय 'शरीर' पर उपमान 'पंजर' का अभेद आरोप है। अतः यहाँ रूपक अलंकार है।

2. अनुप्रास अलंकार (Alliteration): पंक्ति में 'अधीर' और 'अभागे' शब्दों में 'अ' वर्ण की एक से अधिक बार आवृत्ति हुई है, इसलिए यहाँ अनुप्रास अलंकार है।

3. संबोधन अलंकार (Apostrophe): कैकेयी अपने 'अन्तर्मन' को 'अरे अधीर अभागे' कहकर सीधे संबोधित कर रही हैं, जो कि एक अमूर्त इकाई है। इसलिए यहाँ संबोधन अलंकार भी है।


Step 3: Final Answer:

अतः, इस पंक्ति में प्रमुख रूप से रूपक, अनुप्रास और संबोधन अलंकार का प्रयोग हुआ है।
Quick Tip: एक ही काव्य पंक्ति में एक से अधिक अलंकार हो सकते हैं। परीक्षा में, यदि किसी एक का उल्लेख करने के लिए कहा जाए, तो सबसे स्पष्ट और प्रमुख अलंकार का उल्लेख करें। यदि संभव हो, तो सभी पहचान में आने वाले अलंकारों का उल्लेख करना बेहतर होता है।


Question 26:

सामने टिकते नहीं वनराज, पर्वत डोलते हैं,
काँपता है कुंडली मारे समय का व्याल,
मेरी बाँह में मार्त्त, गरुड़, गजराज का बल है।
मर्त्य मानव की विजय का तूर्त हूँ मैं,
उर्वशी! अपने समय का सूर्य हूँ मैं।

प्रस्तुत पद्यांश की कविता का शीर्षक और कवि के नाम का उल्लेख कीजिए।

Correct Answer:
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Step 1: Understanding the Concept:

यह प्रश्न दिए गए काव्य-अंश के स्रोत की पहचान करने के लिए है, जिसमें कविता के शीर्षक और उसके रचयिता का नाम बताना है।


Step 2: Detailed Explanation:

प्रस्तुत पद्यांश की भाषा ओजपूर्ण है और इसमें वीरता एवं आत्मगौरव का भाव है। पंक्तियों में 'उर्वशी' का प्रत्यक्ष संबोधन है।

यह शैली और विषय-वस्तु राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' के प्रसिद्ध गीति-नाट्य 'उर्वशी' की ओर स्पष्ट संकेत करते हैं।

पाठ्यपुस्तक में यह अंश 'पुरुरवा' शीर्षक के अंतर्गत संकलित है, जो 'उर्वशी' महाकाव्य का ही एक भाग है।


Step 3: Final Answer:

अतः, इस पद्यांश का शीर्षक 'पुरुरवा' है और इसके कवि 'रामधारी सिंह दिनकर' हैं।
Quick Tip: कविताओं के शीर्षक और कवियों के नाम याद रखना अनिवार्य है। 'दिनकर' अपनी ओजस्वी और वीर रस से पूर्ण रचनाओं के लिए जाने जाते हैं, जो इस पद्यांश को पहचानने में एक महत्वपूर्ण संकेत है।


Question 27:

रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।

Correct Answer:
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Step 1: Understanding the Concept:

इस प्रश्न में रेखांकित पंक्तियों "मर्त्य मानव की विजय का तूर्य हूँ मैं, उर्वशी ! अपने समय का सूर्य हूँ मैं।" का भावार्थ स्पष्ट करना है।


Step 2: Detailed Explanation:

प्रथम पंक्ति: "मर्त्य मानव की विजय का तूर्य हूँ मैं,"

यहाँ 'मर्त्य मानव' का अर्थ है नश्वर मनुष्य और 'तूर्य' का अर्थ है विजय की घोषणा करने वाला वाद्ययंत्र (बिगुल)। पुरुरवा कहते हैं कि मैं अपनी शक्ति और पराक्रम से यह सिद्ध करता हूँ कि नश्वर मनुष्य भी असीम सफलता प्राप्त कर सकता है। मैं मानव-जाति के गौरव और विजय का प्रतीक हूँ।


द्वितीय पंक्ति: "उर्वशी ! अपने समय का सूर्य हूँ मैं।"

यहाँ पुरुरवा अपनी तुलना 'सूर्य' से करते हैं। जिस प्रकार सूर्य अपने तेज से संपूर्ण जगत को प्रकाशित और संचालित करता है, उसी प्रकार मैं भी अपने युग का केंद्र हूँ, सर्वाधिक शक्तिशाली और कीर्तिमान हूँ। यह उनके अहंकार और आत्म-विश्वास को दर्शाता है।


Step 3: Final Answer:

संक्षेप में, पुरुरवा स्वयं को मानव-जाति की विजय का प्रतीक और अपने युग का सबसे महान एवं शक्तिशाली पुरुष बताते हैं।
Quick Tip: व्याख्या करते समय काव्य में प्रयुक्त प्रतीकों और रूपकों (जैसे तूर्य, सूर्य) का अर्थ स्पष्ट करना आवश्यक है। इससे व्याख्या गहरी और प्रभावशाली बनती है।


Question 28:

राजा पुरुरवा किससे अपने मन की स्थिति का वर्णन कर रहे हैं ?

Correct Answer:
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Step 1: Understanding the Concept:

यह प्रश्न पद्यांश में हो रहे संवाद के पात्रों की पहचान पर आधारित है, विशेषकर यह कि वक्ता (पुरुरवा) किससे बात कर रहा है।


Step 2: Detailed Explanation:

पद्यांश की अंतिम पंक्ति में स्पष्ट रूप से "उर्वशी !" कहकर संबोधन किया गया है।

"मर्त्य मानव की विजय का तूर्य हूँ मैं, \underline{उर्वशी ! अपने समय का सूर्य हूँ मैं।"

यह सीधा संबोधन यह बताता है कि राजा पुरुरवा के कथन का श्रोता उर्वशी है। वे अपने पौरुष, बल और महत्व का बखान उर्वशी के समक्ष कर रहे हैं।


Step 3: Final Answer:

अतः, राजा पुरुरवा उर्वशी से अपने मन की स्थिति का वर्णन कर रहे हैं।
Quick Tip: कविता में प्रयुक्त संबोधनों पर विशेष ध्यान दें। ये अक्सर यह बताते हैं कि कविता किसे संबोधित की जा रही है, जो प्रसंग को समझने में मदद करता है।


Question 29:

प्रस्तुत पद्यांश में प्रयुक्त रस योजना का उल्लेख कीजिए।

Correct Answer:
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Step 1: Understanding the Concept:

यह प्रश्न पद्यांश में निहित मुख्य भाव या रस (aesthetic sentiment) की पहचान करने के लिए है।


Step 2: Detailed Explanation:

'रस' का निर्धारण कविता के स्थायी भाव से होता है। इस पद्यांश में राजा पुरुरवा अपने बल, पराक्रम और शौर्य का वर्णन कर रहे हैं।

पंक्तियों में सिंह (वनराज), पर्वत, गरुड़, गजराज जैसी शक्तिशाली सत्ताओं पर अपनी श्रेष्ठता का दावा किया गया है।

यह वर्णन पाठक या श्रोता के मन में 'उत्साह' नामक स्थायी भाव को जगाता है।

उत्साह स्थायी भाव 'वीर रस' का आधार है। अतः, यहाँ वीर रस की उत्कृष्ट व्यंजना हुई है।


Step 3: Final Answer:

अतः, पद्यांश में प्रयुक्त रस 'वीर रस' है।
Quick Tip: रस की पहचान के लिए कविता के मूल भाव को पकड़ें। यदि शौर्य, वीरता, उत्साह, या पराक्रम का वर्णन हो, तो वहाँ 'वीर रस' होता है। यदि शोक हो तो 'करुण रस', प्रेम हो तो 'श्रृंगार रस' होता है।


Question 30:

'काँपता है कुंडली मारे समय का व्याल' इसका आशय स्पष्ट कीजिए।

Correct Answer:
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Step 1: Understanding the Concept:

यह प्रश्न एक लाक्षणिक काव्य पंक्ति का अर्थ स्पष्ट करने के लिए है।


Step 2: Detailed Explanation:

आइए पंक्ति के शब्दों को समझें:

व्याल: इसका अर्थ है विशाल और भयंकर सर्प।
समय का व्याल: यहाँ समय (काल) को एक महासर्प के रूप में चित्रित किया गया है (रूपक अलंकार)। समय को सर्प इसलिए कहा गया है क्योंकि वह सब कुछ निगल जाता है और अत्यंत शक्तिशाली है।
कुंडली मारे: कुंडली मारकर बैठा हुआ साँप अपनी पूरी शक्ति के साथ आक्रमण के लिए तैयार मुद्रा में होता है, जो उसकी भयंकरता को और बढ़ाता है।

इस प्रकार, पंक्ति का अर्थ है कि सबसे शक्तिशाली और भयंकर, कुंडली मारकर बैठा हुआ काल रूपी सर्प भी मेरे सामने भय से काँपता है। यह पुरुरवा के अदम्य पौरुष और शक्ति की पराकाष्ठा को दिखाने के लिए एक अतिशयोक्तिपूर्ण कथन है।


Step 3: Final Answer:

अतः, इस पंक्ति का आशय यह है कि पुरुरवा का पराक्रम इतना अधिक है कि स्वयं अजेय माना जाने वाला काल भी उनके समक्ष नतमस्तक है और उनसे भयभीत रहता है।
Quick Tip: काव्य में प्रयुक्त रूपकों और प्रतीकों को समझना गहन अर्थ तक पहुँचने की कुंजी है। 'समय का व्याल' एक शक्तिशाली रूपक है जो समय की विनाशकारी शक्ति को दर्शाता है।


Question 31:

निम्नलिखित में से किसी एक लेखक का साहित्यिक परिचय देते हुए उनकी प्रमुख कृतियों का उल्लेख कीजिए : ( अधिकतम शब्द सीमा 80 शब्द)

i) हजारीप्रसाद द्विवेदी

ii) वासुदेवशरण अग्रवाल

iii) हरिशंकर परसाई ।

Correct Answer:
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(यहाँ हजारीप्रसाद द्विवेदी का साहित्यिक परिचय दिया गया है।)


Step 1: Understanding the Concept:

प्रश्न में दिए गए लेखकों में से किसी एक का साहित्यिक परिचय (उनकी लेखन शैली, साहित्य में स्थान, और योगदान) और उनकी कुछ प्रमुख रचनाओं का उल्लेख करना है। उत्तर 80 शब्दों की सीमा के भीतर होना चाहिए।




Step 2: Detailed Explanation:

हजारीप्रसाद द्विवेदी का साहित्यिक परिचय और प्रमुख कृतियाँ


आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी हिन्दी साहित्य के एक मौलिक निबंधकार, उत्कृष्ट समालोचक एवं सांस्कृतिक विचारधारा के प्रमुख उपन्यासकार थे। उनका साहित्य मानवतावादी दृष्टिकोण से ओत-प्रोत है। उन्होंने विश्व भारती और शांति निकेतन में हिन्दी विभाग का नेतृत्व किया। द्विवेदी जी को साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए 1957 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।


प्रमुख कृतियाँ:

निबंध संग्रह: अशोक के फूल, कुटज, विचार प्रवाह।

उपन्यास: बाणभट्ट की आत्मकथा, चारु चंद्रलेख, पुनर्नवा।

आलोचना: कबीर, सूर साहित्य, हिन्दी साहित्य की भूमिका।
Quick Tip: साहित्यिक परिचय लिखते समय, लेखक की साहित्यिक विधा (जैसे - निबंधकार, उपन्यासकार), उनकी शैली की विशेषता, और हिन्दी साहित्य में उनके योगदान का संक्षिप्त उल्लेख करें। साथ ही, 2-3 प्रसिद्ध रचनाओं के नाम याद रखें।


Question 32:

निम्नलिखित में से किसी एक कवि का साहित्यिक परिचय देते हुए उनकी प्रमुख रचनाओं का उल्लेख कीजिए : ( अधिकतम शब्द सीमा 80 शब्द)

i) सुमित्रानन्दन पन्त

ii) रामधारी सिंह 'दिनकर'

iii) मैथिलीशरण गुप्त ।

Correct Answer:
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(यहाँ रामधारी सिंह 'दिनकर' का साहित्यिक परिचय दिया गया है।)


Step 1: Understanding the Concept:

प्रश्न में दिए गए कवियों में से किसी एक का साहित्यिक परिचय (उनकी काव्य शैली, प्रमुख भाव, और महत्व) और उनकी प्रमुख काव्य रचनाओं के नाम लिखने हैं। उत्तर की शब्द सीमा 80 है।




Step 2: Detailed Explanation:

रामधारी सिंह 'दिनकर' का साहित्यिक परिचय और प्रमुख रचनाएँ


'राष्ट्रकवि' रामधारी सिंह 'दिनकर' हिन्दी काव्य जगत के एक प्रमुख कवि, लेखक और निबंधकार थे। वे वीर रस के श्रेष्ठ कवियों में गिने जाते हैं। उनकी कविताओं में एक ओर ओज, विद्रोह और क्रांति की पुकार है, तो दूसरी ओर कोमल शृंगारिक भावनाओं की अभिव्यक्ति भी है। उनकी प्रगतिवादी और मानवतावादी विचारधारा उनकी रचनाओं में स्पष्ट दिखती है। उन्हें 'उर्वशी' के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।


प्रमुख रचनाएँ:

काव्य: कुरुक्षेत्र, रश्मिरथी, उर्वशी, हुंकार, परशुराम की प्रतीक्षा।

गद्य: संस्कृति के चार अध्याय।
Quick Tip: कवियों का परिचय देते समय, उन्हें मिली उपाधियों (जैसे - राष्ट्रकवि) और पुरस्कारों (ज्ञानपीठ, साहित्य अकादमी) का उल्लेख करना उत्तर को प्रभावशाली बनाता है। उनकी काव्य धारा (जैसे - छायावादी, प्रगतिवादी) का भी उल्लेख करें।


Question 33:

'बहादुर' कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए। (अधिकतम शब्द सीमा 80 शब्द )

अथवा

'पंचलाइट' कहानी के उद्देश्य को अपने शब्दों में लिखिए । (अधिकतम शब्द सीमा 80 शब्द )

Correct Answer:
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(यहाँ 'बहादुर' कहानी का सारांश दिया गया है।)


Step 1: Understanding the Concept:

प्रश्न में अमरकांत द्वारा लिखित कहानी 'बहादुर' का सार (मुख्य कथानक) अपने शब्दों में लगभग 80 शब्दों में प्रस्तुत करना है। सारांश में कहानी के मुख्य पात्र, घटनाक्रम और मूल भाव का समावेश होना चाहिए।




Step 2: Detailed Explanation:

'बहादुर' कहानी का सारांश


'बहादुर' कहानी एक मध्यमवर्गीय परिवार में काम करने वाले एक पहाड़ी लड़के, दिल बहादुर की कहानी है। वह अपनी माँ के दुर्व्यवहार से तंग आकर घर से भाग जाता है और निर्मला के परिवार में घरेलू नौकर बन जाता है। प्रारंभ में, परिवार के सदस्य उससे बहुत स्नेह करते हैं, लेकिन धीरे-धीरे उनका व्यवहार कठोर हो जाता है। उसे गालियाँ और मार भी पड़ती है। अंत में, उस पर चोरी का झूठा आरोप लगाया जाता है, जिससे दुखी होकर वह बिना अपना वेतन लिए घर छोड़कर चला जाता है। उसके जाने के बाद परिवार को अपनी गलती का एहसास होता है और वे पश्चाताप करते हैं।
Quick Tip: सारांश लिखते समय कहानी के मुख्य पात्र और प्रमुख घटनाओं पर ध्यान केंद्रित करें। कहानी की शुरुआत, मध्य (समस्या) और अंत को संक्षेप में बताएं। कहानी से मिलने वाले संदेश या उसके मूल भाव को एक वाक्य में लिखने का प्रयास करें।


Question 34:

स्वपठित खण्डकाव्य के आधार पर किसी एक खण्ड के एक प्रश्न का उत्तर दें। ( अधिकतम शब्द सीमा 80 शब्द )





i) 'मुक्तियज्ञ' खण्डकाव्य के नायक कौन हैं ? उनका चारित्रिक विश्लेषण कीजिए।

Correct Answer:
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Step 1: Understanding the Concept:

यह प्रश्न 'मुक्तियज्ञ' खण्डकाव्य के नायक की पहचान करने और उनके चरित्र की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करने के लिए कहता है। इस खण्डकाव्य के नायक महात्मा गांधी हैं।




Step 2: Detailed Explanation:

'मुक्तियज्ञ' खण्डकाव्य के नायक महात्मा गांधी हैं। उनकी चारित्रिक विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

1. अद्वितीय व्यक्तित्व: गांधीजी एक महान नेता थे, जिनके एक आह्वान पर पूरा देश एकजुट हो जाता था।

2. सत्य और अहिंसा के पुजारी: उन्होंने सत्य और अहिंसा को अपना सबसे बड़ा शस्त्र बनाया और इसी के बल पर भारत को स्वतंत्रता दिलाई।

3. मानवता के समर्थक: वे जाति-पाति और रंगभेद के कट्टर विरोधी थे और सभी मनुष्यों को समान मानते थे।

4. दृढ़ निश्चयी: उन्होंने जो भी करने का निश्चय किया, उसे पूरा करके ही दम लिया, चाहे मार्ग में कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न आईं हों।
Quick Tip: चरित्र-चित्रण करते समय, नायक के गुणों को बिंदुओं में लिखना उत्तर को अधिक स्पष्ट और पठनीय बनाता है। प्रत्येक विशेषता के लिए एक संक्षिप्त वाक्य लिखें।


Question 35:

ii) 'सत्य की जीत' खण्डकाव्य के आधार पर युधिष्ठिर की चारित्रिक विशेषताएँ लिखिए।

Correct Answer:
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Step 1: Understanding the Concept:

इस प्रश्न में 'सत्य की जीत' खण्डकाव्य के परिप्रेक्ष्य में युधिष्ठिर के चरित्र की मुख्य विशेषताओं को रेखांकित करना है।




Step 2: Detailed Explanation:

'सत्य की जीत' खण्डकाव्य के आधार पर युधिष्ठिर की चारित्रिक विशेषताएँ इस प्रकार हैं:

1. सत्यवादी और धर्मात्मा: युधिष्ठिर धर्म और सत्य के प्रतीक हैं। वे कठिन से कठिन परिस्थिति में भी धर्म का मार्ग नहीं छोड़ते।

2. विनम्र और शीलवान: उनका स्वभाव अत्यंत विनम्र है। वे अपने बड़ों का आदर करते हैं और दुष्टों के प्रति भी कटु वचन नहीं बोलते।

3. क्षमाशील: युधिष्ठिर में क्षमा का अद्भुत गुण है। वे अपने अपमान और कष्टों के लिए भी दुर्योधन और दुःशासन को क्षमा करने का भाव रखते हैं।

4. आत्मग्लानि से युक्त: द्यूत-क्रीड़ा में सब कुछ हार जाने के बाद वे आत्मग्लानि से भर जाते हैं, जो उनके महान चरित्र को दर्शाता है।
Quick Tip: किसी पात्र की चारित्रिक विशेषताएँ बताते समय, केवल सकारात्मक गुणों का ही नहीं, बल्कि कहानी में दर्शाई गई उनकी कमजोरियों या मानवीय भूलों का भी संक्षिप्त उल्लेख करें, जैसे युधिष्ठिर का द्यूत-प्रेम।


Question 36:

iii) 'रश्मिरथी' खण्डकाव्य के आधार पर कृष्ण का चरित्र-चित्रण कीजिए।

Correct Answer:
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Step 1: Understanding the Concept:

यह प्रश्न 'रश्मिरथी' खण्डकाव्य में वर्णित भगवान कृष्ण के चरित्र का विश्लेषण करने के लिए कहता है, विशेष रूप से उनके कूटनीतिज्ञ और अलौकिक रूप का।




Step 2: Detailed Explanation:

'रश्मिरथी' में कृष्ण के चरित्र की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

1. महान कूटनीतिज्ञ: कृष्ण एक कुशल राजनीतिज्ञ हैं जो युद्ध को टालने के लिए पांडवों के शांति दूत बनकर कौरव सभा में जाते हैं।

2. न्याय और सत्य के पक्षधर: वे हमेशा धर्म और न्याय का समर्थन करते हैं। वे कर्ण को उसके जन्म का सत्य बताकर उसे पांडवों के पक्ष में लाने का प्रयास करते हैं।

3. निर्भीक और स्पष्टवादी: कृष्ण कौरव सभा में दुर्योधन के अहंकार और अन्याय के विरुद्ध निर्भीकता से अपनी बात रखते हैं।

4. अलौकिक शक्ति के स्वामी: जब दुर्योधन उन्हें बंदी बनाने का प्रयास करता है, तो वे अपना विराट रूप दिखाकर अपनी अलौकिक शक्ति का परिचय देते हैं।
Quick Tip: जब किसी पौराणिक पात्र का चरित्र-चित्रण करें, तो उनके मानवीय और दैवीय दोनों रूपों का उल्लेख करें। इससे उत्तर अधिक संतुलित और पूर्ण होता है।


Question 37:

v) 'हर्ष एक सच्चा त्यागपथी था।' उक्ति के आधार पर हर्षवर्धन का चरित्र-चित्रण कीजिए।

Correct Answer:
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Step 1: Understanding the Concept:

इस प्रश्न में यह सिद्ध करना है कि सम्राट हर्षवर्धन एक 'सच्चे त्यागपथी' (त्याग के मार्ग पर चलने वाले) थे और इसी आधार पर उनके चरित्र का वर्णन करना है।




Step 2: Detailed Explanation:

'त्यागपथी' खण्डकाव्य के आधार पर यह कथन सत्य है कि हर्ष एक सच्चे त्यागपथी थे। उनकी चारित्रिक विशेषताएँ हैं:

1. आदर्श शासक और प्रजापालक: हर्षवर्धन अपने भाई के राज्य को केवल एक धरोहर के रूप में स्वीकार करते हैं और प्रजा के कल्याण के लिए अपना सर्वस्व समर्पित कर देते हैं।

2. महान त्यागी और दानी: वे प्रत्येक पाँच वर्ष पर प्रयाग में 'महामोक्ष-परिषद्' का आयोजन कर अपना राजकोष और निजी आभूषण तक दान कर देते थे।

3. कर्तव्यनिष्ठ: अपने पिता की मृत्यु, भाई और बहनोई की हत्या के बाद भी, वे अपने व्यक्तिगत दुःख को भूलकर अपनी बहन राज्यश्री की रक्षा और प्रजा के प्रति अपने कर्तव्य का पालन करते हैं।
Quick Tip: जब किसी उक्ति या कथन के आधार पर चरित्र-चित्रण करना हो, तो अपने उत्तर के हर बिंदु को उस कथन से जोड़ने का प्रयास करें। यहाँ हर विशेषता को 'त्याग' के दृष्टिकोण से प्रस्तुत करें।


Question 38:

vi) 'श्रवणकुमार' खण्डकाव्य के आधार पर दशरथ का चरित्र-चित्रण कीजिए।

Correct Answer:
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Step 1: Understanding the Concept:

यह प्रश्न 'श्रवणकुमार' खण्डकाव्य की घटनाओं के आधार पर राजा दशरथ के चरित्र का विश्लेषण करने के लिए कहता है, विशेष रूप से श्रवणकुमार की मृत्यु के प्रसंग में।




Step 2: Detailed Explanation:

'श्रवणकुमार' खण्डकाव्य में राजा दशरथ का चरित्र एक आदर्श, किंतु मानवीय भूल करने वाले राजा के रूप में चित्रित है:

1. उत्तम शिकारी और शब्दभेदी बाण के ज्ञाता: वे एक कुशल धनुर्धर थे, लेकिन इसी कला के कारण उनसे अनजाने में श्रवणकुमार का वध हो जाता है।

2. संवेदनशील और पश्चातापी: अपनी भूल का ज्ञान होने पर वे अत्यंत दुखी और लज्जित होते हैं। वे श्रवणकुमार के माता-पिता से क्षमा माँगते हैं, जो उनकी संवेदनशीलता को दर्शाता है।

3. सत्यवादी और न्यायप्रिय: वे अपने अपराध को स्वीकार करते हैं और श्रवणकुमार के माता-पिता द्वारा दिए गए श्राप को बिना किसी प्रतिरोध के स्वीकार कर लेते हैं, जो उनके न्यायप्रिय होने का प्रमाण है।
Quick Tip: किसी पात्र के चरित्र-चित्रण में, घटनाएँ उनके चरित्र को कैसे उजागर करती हैं, यह बताना महत्वपूर्ण है। दशरथ के मामले में, श्रवणकुमार की मृत्यु की घटना उनके पश्चाताप और न्यायप्रियता जैसे गुणों को सामने लाती है।


Question 39:

दिये गये संस्कृत गद्यांशों में से किसी एक का ससन्दर्भ हिन्दी में अनुवाद कीजिये :

गद्यांश 1:

शिक्षयैव देशे समाजे च नवीनः प्रकाशः उदेति, अंतः श्रीमालवीयः वाराणस्यां काशीहिन्दूविश्वविद्यालयस्य संस्थापनमकरोत् । अस्य निर्माणाय अयं जनान् धनम् अयाचत् । जनस्य महत्यस्मिन् ज्ञानयज्ञे प्रभूतं धनमस्मै प्रयच्छन्, तेन निर्मितोऽयं विशालः विश्वविद्यालयः भारतीयानां दानशीलतायाः श्रीमालवीयस्य यशसः च प्रतिमूर्तिरिव विभाति ।

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Step 1: Understanding the Concept:

This question requires translating a given Sanskrit prose passage into Hindi and providing its context (सन्दर्भ). The passage talks about the establishment of the Kashi Hindu University (Banaras Hindu University) by Mahamana Malaviya.


Step 2: Detailed Explanation:

The translation can be broken down word by word and sentence by sentence:


शिक्षयैव देशे समाजे च नवीनः प्रकाशः उदेति

\textit{Translation: Through education alone (शिक्षया + एव), a new light (नवीनः प्रकाशः) arises (उदेति) in the country (देशे) and society (समाजे च).

अंतः श्रीमालवीयः वाराणस्यां काशीहिन्दूविश्वविद्यालयस्य संस्थापनमकरोत् ।

\textit{Translation: Therefore (अंतः), Shri Malaviya (श्रीमालवीयः) established (संस्थापनमकरोत्) the Kashi Hindu University (काशीहिन्दूविश्वविद्यालयस्य) in Varanasi (वाराणस्यां).

अस्य निर्माणाय अयं जनान् धनम् अयाचत् ।

\textit{Translation: For its construction (अस्य निर्माणाय), he (अयं) asked for money (धनम् अयाचत्) from the people (जनान्).

जनस्य महत्यस्मिन् ज्ञानयज्ञे प्रभूतं धनमस्मै प्रयच्छन्

\textit{Translation: The people (जनस्य) gave him (अस्मै) abundant wealth (प्रभूतं धनम्) in this great sacrifice of knowledge (महत्यस्मिन् ज्ञानयज्ञे).

तेन निर्मितोऽयं विशालः विश्वविद्यालयः भारतीयानां दानशीलतायाः श्रीमालवीयस्य यशसः च प्रतिमूर्तिरिव विभाति ।

\textit{Translation: This huge university (विशालः विश्वविद्यालयः) built by him (तेन निर्मितोऽयं) shines (विभाति) like an embodiment (प्रतिमूर्तिरिव) of the charity of Indians (भारतीयानां दानशीलतायाः) and of Shri Malaviya's fame (श्रीमालवीयस्य यशसः च).



Step 3: Final Answer:

Combining the sentences, we get the full translation as provided in the 'Correct Answer' section. The context is that this passage is from the chapter 'Mahamana Malaviya', which describes his life and contributions.
Quick Tip: For Sanskrit translation, first identify the subject (कर्ता), verb (क्रिया), and object (कर्म) in each sentence. Breaking down compound words (संधि-विच्छेद) can also simplify the meaning. Always try to identify the source text or chapter for the context (सन्दर्भ).


Question 40:

गद्यांश 2:

याज्ञवल्क्य उवाच - न वा अरे मैत्रेयि ! पत्युः कामाय पतिः प्रियो भवति । आत्मनस्तु वै कामाय पतिः प्रियो भवति । न वा अरे, जायायाः कामाय जाया प्रिया भवति, आत्मनस्तु वै कामाय जाया प्रिया भवति । न वा अरे, पुत्रस्य वित्तस्य च कामाय पुत्रो वित्तं वा प्रियं भवति, आत्मनस्तु वै कामाय पुत्रो वित्तं वा प्रियं भवति । न वा अरे सर्वस्य कामाय सर्वं प्रियं भवति, आत्मनस्तु वै कामाय सर्वं प्रियं भवति ।

Correct Answer:
सन्दर्भ: प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक 'संस्कृत' के 'आत्मज्ञः एव सर्वज्ञः' नामक पाठ से उद्धृत है।
अनुवाद: याज्ञवल्क्य ने कहा - अरे मैत्रेयी! पति की कामना (इच्छा) के लिए पति प्रिय नहीं होता, बल्कि अपनी ही कामना के लिए पति प्रिय होता है। अरे! पत्नी की कामना के लिए पत्नी प्रिय नहीं होती, बल्कि अपनी ही कामना के लिए पत्नी प्रिय होती है। अरे! पुत्र और धन की कामना के लिए पुत्र या धन प्रिय नहीं होते, बल्कि अपनी ही कामना के लिए पुत्र या धन प्रिय होते हैं। अरे! सब की कामना के लिए सब प्रिय नहीं होते, बल्कि अपनी ही कामना के लिए सब प्रिय होते हैं।
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Step 1: Understanding the Concept:

This question requires translating a philosophical dialogue from Sanskrit to Hindi and providing its context. The passage is a famous excerpt where the sage Yajnavalkya explains the nature of love and attachment to his wife, Maitreyi.


Step 2: Detailed Explanation:

The passage has a repetitive structure, which makes it easier to understand once the core idea is grasped.


याज्ञवल्क्य उवाच - न वा अरे मैत्रेयि ! पत्युः कामाय पतिः प्रियो भवति ।

\textit{Translation: Yajnavalkya said (उवाच) - Oh Maitreyi (अरे मैत्रेयि)! A husband (पतिः) is not dear (न वा प्रियो भवति) for the sake of the husband's desire (पत्युः कामाय).

आत्मनस्तु वै कामाय पतिः प्रियो भवति ।

\textit{Translation: Indeed (वै), a husband is dear (पतिः प्रियो भवति) for the sake of one's own Self's desire (आत्मनस्तु कामाय).

The passage then repeats this same structure for wife (जाया), son and wealth (पुत्रस्य वित्तस्य च), and everything (सर्वस्य). The central theme is that all love and attachment in the world are ultimately for the sake of the 'Atman' or the Self.



Step 3: Final Answer:

The complete and structured translation is provided in the 'Correct Answer' section. The context is the chapter 'Atmagnah Eva Sarvagnah' (The Knower of the Self is the Knower of All), which explores deep philosophical concepts from the Upanishads.
Quick Tip: In philosophical texts, look for repeating patterns and key terms (like 'आत्मनः' here). Understanding the core message helps in translating the entire passage accurately, even if some individual words are difficult.


Question 41:

दिये गये पद्यांशों में से किसी एक का ससन्दर्भ हिन्दी में अनुवाद कीजिए :

पद्यांश 1:

काव्य-शास्त्र-विनोदेन कालो गच्छति धीमताम् ।।

व्यसनेन च मूर्खाणां निद्रया कलहेन वा ।।

Correct Answer:
सन्दर्भ: प्रस्तुत श्लोक हमारी पाठ्य-पुस्तक 'संस्कृत' के 'सुभाषित-रत्नानि' नामक पाठ से उद्धृत है।अनुवाद: बुद्धिमान लोगों का समय काव्य और शास्त्रों की चर्चा के आनंद में बीतता है, और मूर्खों का समय व्यसन (बुरी आदतों), नींद और लड़ाई-झगड़े में बीतता है।
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Step 1: Understanding the Concept:

This question asks for the translation and context of a Sanskrit verse (श्लोक). This particular verse is a 'Subhashita' (wise saying) that contrasts how wise people and fools spend their time.


Step 2: Detailed Explanation:

The verse is composed of two lines, each describing a different group of people.


काव्य-शास्त्र-विनोदेन कालो गच्छति धीमताम् ।।

\textit{Translation: The time (कालो) of the wise (धीमताम्) passes (गच्छति) in the enjoyment (विनोदेन) of poetry (काव्य) and scriptures (शास्त्र).

व्यसनेन च मूर्खाणां निद्रया कलहेन वा ।।

\textit{Translation: And (च) the time of the foolish (मूर्खाणां) passes in addiction (व्यसनेन), sleep (निद्रया), or quarrel (कलहेन वा). The verb 'गच्छति' (passes) is implied from the first line.



Step 3: Final Answer:

The combined translation forms the complete meaning as given in the 'Correct Answer' section. The context is the chapter 'Subhashita-Ratnani' (Gems of Wise Sayings), which is a collection of various moral and ethical verses.
Quick Tip: Many Sanskrit verses (Subhashitas) are concise and packed with meaning. Often, a verb or context from the first line is implied in the second. Look for such connections to understand the full meaning.


Question 42:

पद्यांश 2:

विरल विरलाः स्थूलास्ताराः कलाविवसज्जनाः

मन इव मुनेः सर्वत्रैव प्रसन्नमभून्नभः ।।

अपसरति च ध्वान्तं चिन्तात्सतामिवदुर्जनः

व्रजति च निशा क्षिप्रं लक्ष्मीरनुद्यमिनामिव ।।

Correct Answer:
सन्दर्भ: प्रस्तुत श्लोक हमारी पाठ्य-पुस्तक 'संस्कृत' के 'महामना मालवीयः' पाठ के बाद के खण्ड से उद्धृत हो सकता है या किसी अन्य पाठ से जिसमें प्रातःकाल का वर्णन हो। (इसका सन्दर्भ पाठ्यपुस्तक पर निर्भर करता है।)
अनुवाद: बड़े-बड़े तारे अब कहीं-कहीं ही दिखाई दे रहे हैं, जैसे कलियुग में सज्जन पुरुष। मुनि के मन की भाँति आकाश सब ओर से निर्मल हो गया है। सज्जनों के चित्त से दुर्जन की भाँति अन्धकार दूर हो रहा है और रात्रि तेज़ी से ऐसे भाग रही है जैसे उद्यमहीन (परिश्रम न करने वाले) व्यक्ति के पास से लक्ष्मी चली जाती है।
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Step 1: Understanding the Concept:

This verse uses a series of similes (उपमा अलंकार) to describe the approaching dawn. Each line compares a natural phenomenon with a human or moral situation.


Step 2: Detailed Explanation:

Let's analyze each simile:


विरल विरलाः स्थूलास्ताराः कलाविवसज्जनाः

\textit{Translation: The large stars (स्थूलास्ताराः) have become very sparse (विरल विरलाः), just like good people (सज्जनाः) in the Kali Yuga (कलाविव).

मन इव मुनेः सर्वत्रैव प्रसन्नमभून्नभः ।।

\textit{Translation: The sky (नभः) has become clear (प्रसन्नमभूत्) everywhere (सर्वत्रैव), like the mind (मन इव) of a sage (मुनेः).

अपसरति च ध्वान्तं चिन्तात्सतामिवदुर्जनः

\textit{Translation: And darkness (ध्वान्तं) is disappearing (अपसरति), just like a wicked person (दुर्जनः) from the thoughts (चिन्तात्) of the good (सतामिव).

व्रजति च निशा क्षिप्रं लक्ष्मीरनुद्यमिनामिव ।।

\textit{Translation: And the night (निशा) is quickly (क्षिप्रं) departing (व्रजति), just like wealth (लक्ष्मी) from the non-industrious (अनुद्यमिनामिव).



Step 3: Final Answer:

By combining these beautiful similes, we get the full descriptive translation of the dawn as provided in the 'Correct Answer' section.
Quick Tip: In Sanskrit poetry, identifying literary devices like simile (उपमा), marked by words like 'इव', is key to unlocking the deeper meaning and beauty of the verse.


Question 43:

निम्नलिखित मुहावरों और लोकोक्तियों में से किसी एक का अर्थ लिखकर वाक्य में प्रयोग कीजिए :

(i) नाक का बाल होना

(ii) टोपी उछालना

(iii) हाथ कंगन को आरसी क्या

(iv) पढ़े फारसी बेचें तेल

Correct Answer:
(i) नाक का बाल होना}
अर्थ: बहुत प्रिय होना या घनिष्ठ होना।
वाक्य प्रयोग: रमेश अपने अफसर का नाक का बाल बना हुआ है, इसलिए उसकी हर गलती माफ़ हो जाती है।
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Step 1: Understanding the Concept:

The question asks for the meaning and a sentence using one of the given Hindi idioms (मुहावरे) or proverbs (लोकोक्तियाँ). We will provide the solution for all four for comprehensive understanding.


Step 2: Detailed Explanation:


(i) नाक का बाल होना


Meaning: The literal meaning is 'to be a hair of the nose'. Figuratively, it means to be extremely dear or close to someone in power, to be a favorite.

Sentence: रमेश अपने अफसर का नाक का बाल बना हुआ है, इसलिए उसकी हर गलती माफ़ हो जाती है। (Ramesh has become a favorite of his officer, so his every mistake is forgiven.)



(ii) टोपी उछालना


Meaning: The literal meaning is 'to toss someone's hat'. Figuratively, it means to insult, disgrace, or dishonor someone publicly.

Sentence: भरी पंचायत में सरपंच ने जब मंत्री जी के भ्रष्टाचार का खुलासा किया, तो उनकी टोपी उछल गई। (When the Sarpanch revealed the minister's corruption in the full panchayat, he was publicly dishonored.)



(iii) हाथ कंगन को आरसी क्या


Meaning: This is a proverb, part of a larger saying "हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या". It means that which is evident or directly perceivable requires no proof. 'आरसी' means a mirror. The saying implies that you don't need a mirror to see a bangle on your own wrist.

Sentence: उसकी ईमानदारी सबके सामने है, हाथ कंगन को आरसी क्या। (His honesty is in front of everyone, the evident needs no proof.)



(iv) पढ़े फारसी बेचें तेल


Meaning: This proverb literally means 'Studied Persian, but selling oil'. It is used to describe a situation where a highly qualified or skilled person is forced to do a menial job that does not match their qualifications, often due to unemployment or misfortune.

Sentence: मोहन ने इंजीनियरिंग में टॉप किया था, पर नौकरी न मिलने के कारण आज वह एक दुकान चला रहा है। यह तो वही बात हुई, पढ़े फारसी बेचें तेल। (Mohan had topped in engineering, but due to not getting a job, he is running a shop today. This is a case of 'Padhe Farsi bechein tel'.)



Step 3: Final Answer:

The meaning and sentence for each idiom are provided above. An exam-taker would only need to answer one.
Quick Tip: When using an idiom in a sentence, ensure the sentence context clearly brings out the figurative meaning of the idiom, not the literal one. The sentence should be natural and make sense.


Question 44:

अपठित गद्यांश पर आधारित निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :

साहस और आत्म विश्वास के साथ जीना ही सच्चा जीवन है । साहसी व्यक्ति कभी भी अपना कर्म नहीं छोड़ता । एक बार असफल होने पर भी नयी उमंग, नये विश्वास व नये साहस से पुनःपुनरपि प्रयत्न करता है । ऐसे व्यक्ति के सामने पर्वत भी अपना सिर झुका लेते हैं और दुराशा उनके पास तक नहीं फटकती । ऐसे व्यक्ति ही अपने राष्ट्र व समाज के सच्चे अर्थों में नेता होते हैं। संसार का इतिहास ऐसे व्यक्तियों के कार्यकलापों से भरा पड़ा है । जिस देश में ऐसे कर्मवीर का जन्म हुआ, वह देश अपनी नींद से जाग उठा । जिस समाज में ऐसे व्यक्ति का प्रवेश हुआ, वह समाज उठ खड़ा हुआ । जिस दिशा में जन-नायक के पैर उठ गये, उसी दिशा में प्रकाश की किरण फूट पड़ी । हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी ऐसे ही कर्मवीर थे । हमारे लिए उनका यही सन्देश है, "फल की परवाह किये बिना अपना काम करते रहो, न कठिनाई से डरो, न बाधाओं से ।"


(i) उपर्युक्त गद्यांश का शीर्षक लिखिए ।

(ii) सच्चा जीवन किसे कहते हैं ?

(iii) कर्मवीर की क्या विशेषताएँ होती हैं ?

Correct Answer:
(i) शीर्षक: कर्मवीर का महत्व / सच्चा जीवन / साहस और आत्मविश्वास।
(ii) सच्चा जीवन:} साहस और आत्मविश्वास के साथ जीना ही सच्चा जीवन है।
(iii) कर्मवीर की विशेषताएँ:}
1. कर्मवीर कभी अपना कर्म नहीं छोड़ता।
2. वह असफल होने पर भी नए उत्साह और विश्वास से पुनः प्रयास करता है।
3. उसके सामने बड़ी-बड़ी बाधाएँ भी झुक जाती हैं और निराशा उसके पास नहीं आती।
4. वह अपने राष्ट्र और समाज का सच्चा नेता होता है।
5. वह कठिनाइयों और बाधाओं से नहीं डरता और फल की परवाह किए बिना अपना काम करता है।
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Step 1: Understanding the Questions:

The task is to answer three questions based on the provided Hindi unseen passage.

(i) Provide a suitable title for the passage.

(ii) Define 'true life' according to the passage.

(iii) List the characteristics of a 'कर्मवीर' (a person of action) as described in the passage.


Step 2: Detailed Explanation:

For (i) शीर्षक (Title):

The passage repeatedly emphasizes the qualities of courage, self-confidence, and relentless action ('कर्म'). Words like 'साहस', 'आत्म विश्वास', 'कर्मवीर', and 'सच्चा जीवन' are central to the theme. Therefore, titles like 'कर्मवीर का महत्व' (The Importance of a Karmveer), 'सच्चा जीवन' (True Life), or 'साहस और आत्मविश्वास' (Courage and Self-confidence) are all appropriate as they capture the main idea of the passage.


For (ii) सच्चा जीवन (True Life):

The answer is explicitly stated in the very first sentence of the passage:

"साहस और आत्म विश्वास के साथ जीना ही सच्चा जीवन है ।"

This directly translates to: "To live with courage and self-confidence is a true life."


For (iii) कर्मवीर की विशेषताएँ (Characteristics of a Karmveer):

The passage describes several qualities of a Karmveer. We can list them by extracting relevant sentences:


"साहसी व्यक्ति कभी भी अपना कर्म नहीं छोड़ता ।" (A courageous person never abandons their duty.)

"एक बार असफल होने पर भी नयी उमंग, नये विश्वास व नये साहस से पुनःपुनरपि प्रयत्न करता है ।" (Even after failing once, they try again with new enthusiasm, new faith, and new courage.)

"ऐसे व्यक्ति के सामने पर्वत भी अपना सिर झुका लेते हैं और दुराशा उनके पास तक नहीं फटकती ।" (Even mountains bow before such a person, and despair does not come near them.)

"ऐसे व्यक्ति ही अपने राष्ट्र व समाज के सच्चे अर्थों में नेता होते हैं।" (Such people are the true leaders of their nation and society.)

The final message from Mahatma Gandhi reinforces this: "फल की परवाह किये बिना अपना काम करते रहो, न कठिनाई से डरो, न बाधाओं से ।" (Keep doing your work without worrying about the result, neither fear difficulties nor obstacles.)



Step 3: Final Answer:

By consolidating the points found in Step 2, we arrive at the detailed answers provided in the 'Correct Answer' section.
Quick Tip: For unseen passage questions, always read the questions first. This helps you focus on finding specific information while you read the passage, saving time and improving accuracy. The answer to the 'title' question is usually found by identifying the central theme or the most repeated idea in the passage.


Question 45:

उड़नतस्तरी का अंग्रेजी पर्याय 'अनआइडेण्टीफाइड फ्लाइंग ऑब्जेक्ट' (यू०एफ०ओ०) है। ऐसा माना जाता है कि यह अति बुद्धिमान परग्रही जीव अर्थात् एलियन द्वारा निर्मित तस्तरी या डिस्कनुमा अत्याधुनिक तकनीक सम्पन्न ऐसी चीज़ है जिसका उपयोग अन्तरिक्ष यान के रूप में किया जाता है। यह अब तक जाँच का विषय बना हुआ है और वैज्ञानिकों के लिए एक अनसुलझा रहस्य है । "एलियंस का हमसे मिलना हमारे लिए अच्छा न हो सकेगा, जैसे कोलम्बस का अमेरिका की भूमि पर उतरना वहाँ के मूल निवासियों के लिए अच्छा न था ।" यह बात विश्वविख्यात वैज्ञानिक स्टीफन हाकिंग ने कही है । वर्ष 1954 में फ्लोरेन्स स्थित स्टेडियम में खेले जा रहे फुटबाल मैच के दौरान अचानक लोगों का ध्यान खेल से हटकर आकाश में तेजी से घूमती हुयी प्रकाशमान आवाज न करने वाली और गतिशील तश्तरीनुमा वस्तु पर गया, जो यू०एफ०ओ० था ।


(i) यू०एफ०ओ० का पूरा नाम क्या है ?

(ii) स्टीफन हाकिंग ने एलियंस के बारे में क्या कहा ?

(iii) एलियंस किन्हें कहा गया है ?

Correct Answer:
(i) यू०एफ०ओ० का पूरा नाम:} अनआइडेंटिफाइड फ्लाइंग ऑब्जेक्ट (Unidentified Flying Object).
(ii) स्टीफन हाकिंग ने कहा:} "एलियंस का हमसे मिलना हमारे लिए अच्छा न हो सकेगा, जैसे कोलम्बस का अमेरिका की भूमि पर उतरना वहाँ के मूल निवासियों के लिए अच्छा न था।"
(iii) एलियंस:} अति बुद्धिमान परग्रही जीवों को एलियंस कहा गया है।
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Step 1: Understanding the Questions:

The task is to answer three questions based on the second Hindi unseen passage about UFOs and aliens.

(i) What is the full name of UFO?

(ii) What did Stephen Hawking say about aliens?

(iii) Who are called 'aliens' according to the passage?


Step 2: Locating the Answers in the Passage:

All three questions are factual, and their answers can be directly located in the provided text.


For (i) यू०एफ०ओ० का पूरा नाम (Full name of UFO):

The first sentence of the passage provides the answer directly:

"उड़नतस्तरी का अंग्रेजी पर्याय 'अनआइडेण्टीफाइड फ्लाइंग ऑब्जेक्ट' (यू०एफ०ओ०) है।"


For (ii) स्टीफन हाकिंग ने क्या कहा (What Stephen Hawking said):

The passage contains a direct quote from Stephen Hawking, enclosed in quotation marks:

""एलियंस का हमसे मिलना हमारे लिए अच्छा न हो सकेगा, जैसे कोलम्बस का अमेरिका की भूमि पर उतरना वहाँ के मूल निवासियों के लिए अच्छा न था ।""


For (iii) एलियंस किन्हें कहा गया है (Who are aliens):

The second sentence of the passage defines aliens:

"यह अति बुद्धिमान परग्रही जीव अर्थात् एलियन द्वारा निर्मित..."

This clearly states that "अति बुद्धिमान परग्रही जीव" (extremely intelligent extraterrestrial beings) are called aliens.


Step 3: Final Answer:

By extracting the information located in Step 2, we can formulate the precise answers as shown in the 'Correct Answer' section.
Quick Tip: In reading comprehension, answers to 'what', 'who', 'where', and 'when' questions are often explicitly stated in the text. Scan the passage for keywords from the question (like 'यू०एफ०ओ०', 'स्टीफन हाकिंग', 'एलियन') to find the exact sentence containing the answer quickly.


Question 46:

निम्नलिखित शब्द-युग्मों का सही अर्थ चयन करके लिखिए :

(i) तरंग-तुरंग

(अ) हाथी और घोड़ा

(ब) लहर और घोड़ा

(स) घोड़ा और लहर

(द) तेज आवाज और धीमी आवाज

Correct Answer: (ब) लहर और घोड़ा
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Step 1: Understanding the Concept:

This question tests the knowledge of 'श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द' (homophones/paronyms), which are words that sound similar but have different meanings.


Step 2: Detailed Explanation:

We need to find the correct meanings for the words 'तरंग' and 'तुरंग'.

- तरंग (Tarang): This word means a 'wave' or 'ripple'. In Hindi, this is 'लहर'.

- तुरंग (Turang): This is a synonym for a 'horse'. In Hindi, this is 'घोड़ा'.

Therefore, the correct pair of meanings is 'लहर और घोड़ा'.


Step 3: Final Answer:

Matching our findings with the options, option (ब) correctly identifies 'तरंग' as 'लहर' and 'तुरंग' as 'घोड़ा'.
Quick Tip: To master homophones, create flashcards with the word pair on one side and their meanings on the other. Regular revision is key to avoiding confusion during exams.


Question 47:

(ii) कंकाल-कंगाल

(अ) मृत शरीर और पक्षी

(ब) अस्थि पंजर और निर्धन

(स) ढाँचा और गरीब

(द) हड्डी और कंगन

Correct Answer: (ब) अस्थि पंजर और निर्धन
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Step 1: Understanding the Concept:

This question again tests the knowledge of 'श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द' (homophones/paronyms).


Step 2: Detailed Explanation:

We need to find the correct meanings for the words 'कंकाल' and 'कंगाल'.

- कंकाल (Kankal): This word means a 'skeleton'. A precise Hindi term for this is 'अस्थि पंजर' (bone frame).

- कंगाल (Kangal): This word means 'destitute' or 'very poor'. The Hindi word for this is 'निर्धन'.

While 'ढाँचा और गरीब' (option स) is close, 'अस्थि पंजर और निर्धन' (option ब) provides more precise meanings.


Step 3: Final Answer:

Option (ब) provides the most accurate pair of meanings: 'अस्थि पंजर' for 'कंकाल' and 'निर्धन' for 'कंगाल'.
Quick Tip: Pay attention to the nuances in the options. Sometimes, one option may seem correct, but another might be more precise. For 'कंकाल', 'अस्थि पंजर' is a more specific term than 'ढाँचा' (structure).


Question 48:

निम्नलिखित शब्दों में से किसी एक शब्द के दो सही अर्थ लिखिए : (i) मंगल (ii) तात (iii) हेम (iv) शिलीमुख

Correct Answer:
(i) मंगल: शुभ, एक ग्रह (Mars)
(ii) तात: पिता, पुत्र, प्रिय
(iii) हेम: सोना, बर्फ
(iv) शिलीमुख:} बाण, भौंरा
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Step 1: Understanding the Concept:

This question tests the knowledge of 'अनेकार्थी शब्द' (polysemous words), which are words that have multiple meanings. The student needs to provide two meanings for any one of the given words.


Step 2: Detailed Explanation:

Let's list two meanings for each word:


(i) मंगल (Mangal): This word can mean 'auspicious' (शुभ) or refer to the planet 'Mars' (एक ग्रह). It can also mean 'welfare' (कल्याण) or 'Tuesday' (मंगलवार).

(ii) तात (Taat): This word is used in classical texts to mean 'father' (पिता). It can also be used affectionately for a 'son' (पुत्र) or any 'dear one' (प्रिय).

(iii) हेम (Hem): This is a synonym for 'gold' (सोना). It also means 'snow' or 'frost' (बर्फ).

(iv) शिलीमुख (Shilimukh): This word means an 'arrow' (बाण). It also refers to a 'bee' or 'bumblebee' (भौंरा).



Step 3: Final Answer:

Any pair from the list above for any of the words constitutes a correct answer. The provided correct answer gives a valid pair for each.
Quick Tip: Reading classical literature, poetry, and building a strong vocabulary are the best ways to learn polysemous words. When in doubt, try to recall contexts where you might have seen the word used differently.


Question 49:

निम्नलिखित वाक्यांशों के लिए एक सही शब्द का चयन करके लिखिए :

(i) किये गये उपकार मानने वाला

(अ) कृतघ्न

(ब) उपकारी

(स) कृतज्ञ

(द) धन्यवाद

Correct Answer: (स) कृतज्ञ
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Step 1: Understanding the Concept:

This question tests the ability to find 'one word for a phrase' (वाक्यांश के लिए एक शब्द).


Step 2: Detailed Explanation:

The phrase is "किये गये उपकार मानने वाला", which means "one who acknowledges or is grateful for a favor done".

- कृतघ्न: One who is \textit{not grateful for a favor. (उपकार न मानने वाला)

- उपकारी: One who \textit{does favors for others. (उपकार करने वाला)

- कृतज्ञ: One who \textit{is grateful for a favor. (उपकार मानने वाला)

- धन्यवाद: The act of thanking.

The correct word for the given phrase is 'कृतज्ञ'.


Step 3: Final Answer:

Based on the meanings, option (स) is the correct choice.
Quick Tip: Remember the key difference between कृतज्ञ (grateful) and कृतघ्न (ungrateful). They are antonyms and a common point of confusion in exams.


Question 50:

(ii) बहुत अधिक बोलने वाला

(अ) मितभाषी

(ब) अधिभाषी

(स) वाचाल

(द) बकवादी

Correct Answer: (स) वाचाल
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Step 1: Understanding the Concept:

This is another question on finding 'one word for a phrase'.


Step 2: Detailed Explanation:

The phrase is "बहुत अधिक बोलने वाला", which means "one who talks a lot".

- मितभाषी: One who speaks less; a person of few words. (कम बोलने वाला)

- अधिभाषी: This is not a standard word for this context.

- वाचाल: One who is talkative. This is the precise word for the phrase.

- बकवादी: A chatterbox; one who talks nonsense. This has a more negative connotation than 'वाचाल'.

The most appropriate and standard word is 'वाचाल'.


Step 3: Final Answer:

Based on the meanings, option (स) is the correct choice.
Quick Tip: While 'वाचाल' and 'बकवादी' both relate to talking a lot, 'वाचाल' is the neutral and standard term. 'बकवादी' implies pointless or nonsensical talk. Always choose the most precise option.


Question 51:

निम्नलिखित में से किन्हीं दो वाक्यों को शुद्ध करके लिखिए :

(i) प्रांजल, शिवाय और प्रवेक आएगा।

(ii) रमेश पुस्तक को पढ़ता है।

(iii) केवल एक प्रश्न मात्र का उत्तर देना है।

(iv) भारत में प्राथमिक शिक्षा निशुल्क है।

Correct Answer:
(i) शुद्ध वाक्य: प्रांजल, शिवाय और प्रवेक आएँगे।
(ii) शुद्ध वाक्य: रमेश पुस्तक पढ़ता है।
(iii) शुद्ध वाक्य: केवल एक प्रश्न का उत्तर देना है। (या) एक प्रश्न मात्र का उत्तर देना है।
(iv) शुद्ध वाक्य: भारत में प्राथमिक शिक्षा निःशुल्क है।
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Step 1: Understanding the Concept:

This question requires identifying and correcting grammatical and spelling errors in the given sentences (वाक्य शुद्धि).


Step 2: Detailed Explanation:


(i) प्रांजल, शिवाय और प्रवेक आएगा।

Error: The subject is plural (तीन लोग), but the verb 'आएगा' is singular.

Correction: The verb must be in the plural form, which is 'आएँगे'.

(ii) रमेश पुस्तक को पढ़ता है।

Error: In Hindi, for non-living direct objects in an active voice sentence, the postposition 'को' is generally not used.

Correction: Remove 'को' to make the sentence grammatically correct: "रमेश पुस्तक पढ़ता है।"

(iii) केवल एक प्रश्न मात्र का उत्तर देना है।

Error: The words 'केवल' (only) and 'मात्र' (only) are redundant as they convey the same meaning.

Correction: Use only one of them. "केवल एक प्रश्न का उत्तर देना है।" or "एक प्रश्न मात्र का उत्तर देना है।"

(iv) भारत में प्राथमिक शिक्षा निशुल्क है।

Error: This is a spelling error. The correct spelling uses a visarga (ः).

Correction: The correct word is 'निःशुल्क'.



Step 3: Final Answer:

The corrected sentences are provided in the 'Correct Answer' section based on the analysis above.
Quick Tip: Common errors in sentence correction include subject-verb agreement (कर्ता-क्रिया अन्विति), redundant words (पुनरुक्ति दोष), incorrect use of postpositions (कारक), and spelling mistakes. Check for these specific errors when you review a sentence.


Question 52:

(क) 'हास्य' रस अथवा 'शान्त' रस का लक्षण सहित एक उदाहरण लिखिए।

(ख) 'भ्रान्तिमान' अलंकार अथवा 'उपमा' अलंकार का लक्षण एवं एक उदाहरण लिखिए।

(ग) 'सोरठा' छन्द अथवा 'कुण्डलिया' छन्द का लक्षण एवं एक उदाहरण लिखिए।

Correct Answer:
(क) हास्य रस:
लक्षण: जब किसी व्यक्ति या वस्तु की विकृत वेशभूषा, वाणी, चेष्टा आदि से हृदय में हास का भाव उत्पन्न होता है, तो हास्य रस की निष्पत्ति होती है। इसका स्थायी भाव 'हास' है।
उदाहरण: बुरे समय को देखकर गंजे तू क्यों रोय। किसी भी हालत में तेरा बाल न बाँका होय॥
अथवा
शान्त रस:
लक्षण: जब संसार से वैराग्य होने पर तत्व ज्ञान की प्राप्ति होती है, तो हृदय में शान्ति का भाव उत्पन्न होता है, जिससे शान्त रस की निष्पत्ति होती है। इसका स्थायी भाव 'निर्वेद' है।
उदाहरण: जब मैं था तब हरि नहिं, अब हरि हैं मैं नाहिं। सब अँधियारा मिटि गया, जब दीपक देख्या माहिं॥
(ख) उपमा अलंकार:}
लक्षण: जहाँ किसी एक वस्तु या व्यक्ति की तुलना किसी दूसरी प्रसिद्ध वस्तु या व्यक्ति से उसके रूप, गुण, धर्म या प्रभाव के आधार पर की जाती है, वहाँ उपमा अलंकार होता है।
उदाहरण: पीपर पात सरिस मन डोला।
अथवा
भ्रान्तिमान अलंकार:
लक्षण: जब सादृश्य के कारण एक वस्तु में दूसरी वस्तु का भ्रम हो जाए, अर्थात् किसी एक वस्तु को भूल से दूसरी वस्तु समझ लिया जाए, तो भ्रान्तिमान अलंकार होता है।
उदाहरण: नाक का मोती अधर की कांति से, बीज दाड़िम का समझकर भ्रांति से।
(ग) सोरठा छन्द:
लक्षण: यह एक अर्धसम मात्रिक छंद है। इसके प्रथम और तृतीय चरण में 11-11 मात्राएँ तथा द्वितीय और चतुर्थ चरण में 13-13 मात्राएँ होती हैं। यह दोहे का उल्टा होता है।
उदाहरण: जो सुमिरत सिधि होइ, गन नायक करिबर बदन। करहु अनुग्रह सोइ, बुद्धि रासि सुभ गुन सदन॥
अथवा
कुण्डलिया छन्द:
लक्षण: यह एक विषम मात्रिक छंद है। इसमें छः चरण होते हैं। प्रत्येक चरण में 24 मात्राएँ होती हैं। यह एक दोहा और एक रोला के मेल से बनता है और जिस शब्द से प्रारम्भ होता है, उसी से इसका अन्त भी होता है।
उदाहरण: साईं बैर न कीजिये, गुरु, पंडित, कवि, यार। बेटा, बनिता, पौरिया, यज्ञ करावनहार॥
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Step 1: Understanding the Concept:

This question requires the definition (लक्षण) and an example (उदाहरण) for one option from each of the three categories: Ras (रस), Alankar (अलंकार), and Chhand (छन्द).


Step 2: Detailed Explanation:

(क) रस (Sentiment/Emotion):

- हास्य रस (Comic Sentiment): Its permanent mood (स्थायी भाव) is 'हास' (laughter). It is evoked by seeing or hearing something strange or misshapen in appearance, dress, or action. The provided example of a bald man being told not to worry because no "hair" (बाल) can be harmed is a perfect illustration.

- शान्त रस (Quiescent Sentiment): Its permanent mood is 'निर्वेद' (renunciation/tranquility). It arises from the knowledge of truth and detachment from the world. The example from Kabir beautifully expresses this: when 'I' (ego) was there, God wasn't; now God is there, and 'I' am not.


(ख) अलंकार (Figure of Speech):

- उपमा अलंकार (Simile): It involves a direct comparison between two different things, usually using words like 'सा', 'सम', 'सरिस' (like, as). In "पीपर पात सरिस मन डोला," the mind (मन) is compared to a peepal leaf (पीपर पात) using the word 'सरिस'.

- भ्रान्तिमान अलंकार (Illusion): It occurs when one thing is mistaken for another due to similarity. In the example, a parrot (शुक) mistakes the pearl on a nose for a pomegranate seed due to the red glow of the lips.


(ग) छन्द (Meter):

- सोरठा छन्द (Soratha Meter): It is a semi-symmetrical matrik chhand (based on syllable weight). It has 11 matras in the 1st and 3rd lines and 13 matras in the 2nd and 4th lines. It is the reverse of the 'Doha' meter.

- कुण्डलिया छन्द (Kundaliya Meter): It is a compound, asymmetrical meter formed by combining a Doha and a Rola. It has 6 lines, 24 matras per line, and a unique feature where the word that starts the chhand also ends it. The last part of the Doha is repeated as the first part of the Rola.


Step 3: Final Answer:

The definitions and examples provided in the 'Correct Answer' section are standard and accurate representations for each of the literary concepts. Answering one option from each sub-part (क, ख, ग) is sufficient.
Quick Tip: For questions on Ras, Alankar, and Chhand, it's crucial to memorize the definition and at least one classic, simple example for each. The examples are often the easiest way to secure full marks. Make sure the example you provide clearly illustrates the definition.


Question 53:

दैनिक समाचार पत्र में प्रकाशित विज्ञापन के आधार पर सम्बन्धित कॉलेज में 'कम्प्यूटर ऑपरेटर' के पद पर अपनी नियुक्ति हेतु उस कॉलेज के प्रबन्धक को आवेदन पत्र लिखिए जिसमें अपनी शैक्षिक योग्यता का भी उल्लेख कीजिए।

अथवा

अपने क्षेत्र के फर्जी राशन कार्डों की जाँच हेतु जिला पूर्ति अधिकारी को शिकायती पत्र लिखिए।

Correct Answer:
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कम्प्यूटर ऑपरेटर पद हेतु आवेदन पत्र



सेवा में,

प्रबन्धक महोदय,

[कॉलेज का नाम],

[शहर का नाम]।





दिनांक: [आज की तारीख]





विषय: कम्प्यूटर ऑपरेटर पद हेतु आवेदन पत्र।





महोदय,



सविनय निवेदन है कि [समाचार पत्र का नाम] में दिनांक [विज्ञापन की तारीख] को प्रकाशित आपके विज्ञापन के माध्यम से मुझे ज्ञात हुआ है कि आपके प्रतिष्ठित कॉलेज में कम्प्यूटर ऑपरेटर का पद रिक्त है। मैं इस पद के लिए एक योग्य उम्मीदवार हूँ और अपनी सेवाएँ प्रदान करने का इच्छुक हूँ।



मेरी शैक्षिक योग्यताएँ एवं अन्य विवरण इस प्रकार हैं:


हाई स्कूल: [बोर्ड का नाम], [वर्ष], [प्रतिशत]% अंक।
इंटरमीडिएट: [बोर्ड का नाम], [वर्ष], [प्रतिशत]% अंक।
कम्प्यूटर डिप्लोमा: 'डिप्लोमा इन कम्प्यूटर एप्लीकेशन' (DCA), [संस्थान का नाम], [वर्ष]।
टाइपिंग गति: हिन्दी में 40 शब्द प्रति मिनट तथा अंग्रेजी में 50 शब्द प्रति मिनट।
अन्य कौशल: एम.एस. ऑफिस, इन्टरनेट तथा कार्यालयी सॉफ्टवेयर का अच्छा ज्ञान है।



मैंने अपने सभी प्रमाण-पत्रों की स्वप्रमाणित प्रतियाँ इस आवेदन पत्र के साथ संलग्न कर दी हैं। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि यदि मुझे सेवा का अवसर प्रदान किया गया तो मैं पूरी लगन, निष्ठा और ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करूँगा।



धन्यवाद!





भवदीय,

[आपका नाम]

[आपका पता]

[मोबाइल नंबर]





Step 1: Understanding the Concept:

This question requires writing a formal letter. There are two options: an application letter (आवेदन पत्र) for a job, and a complaint letter (शिकायती पत्र) to a government official. A formal letter has a specific structure that must be followed.


Step 2: Key Structure of a Formal Letter:


प्रेषक का पता (Sender's Address): Your address (or 'परीक्षा भवन' for exams).

दिनांक (Date): The current date.

प्राप्तकर्ता का पद और पता (Receiver's Designation and Address): The person you are writing to.

विषय (Subject): A concise line stating the purpose of the letter.

संबोधन (Salutation): 'महोदय' or 'महोदया'.

पत्र का मुख्य भाग (Body of the Letter):

Introduction: State the purpose and reference (e.g., newspaper ad).
Details: Provide necessary information (qualifications for a job, details of the problem for a complaint).
Conclusion: Request action or consideration and express hope.

समापन (Closing): Use 'धन्यवाद' followed by 'भवदीय' or 'प्रार्थी'.

आपका नाम और पता (Your Name and Address): End with your details.



Step 3: Final Answer:

The model answer provided above for the job application follows this structure precisely. For the complaint letter, the body would change to describe the issue of fake ration cards and request an investigation, but the overall format would remain the same.
Quick Tip: In formal letters, keep the language polite, professional, and to the point. The subject line is very important as it gives the reader a quick idea of the letter's content. Always re-read your letter to check for grammatical errors and clarity.


Question 54:

निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर अपनी भाषा-शैली में निबन्ध लिखिए :

(i) वन रहेंगे, हम रहेंगे

(ii) ओलम्पिक खेल-2024 और भारत

(iii) विद्यालय के पठन-पाठन में इण्टरनेट का योगदान

(iv) प्राकृतिक आपदाएँ और उनका प्रबन्धन

(v) कबीर की प्रासंगिकता

Correct Answer:
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(An outline for the topic '(iii) विद्यालय के पठन-पाठन में इण्टरनेट का योगदान' is provided below)

निबन्ध की रूपरेखा



विषय: विद्यालय के पठन-पाठन में इण्टरनेट का योगदान



1. प्रस्तावना:


आधुनिक युग 'डिजिटल युग' और 'सूचना क्रांति का युग'।
शिक्षा के क्षेत्र पर इण्टरनेट का गहरा प्रभाव।
इण्टरनेट का परिचय - ज्ञान का विश्वव्यापी जाल।



2. शिक्षा में इण्टरनेट का सकारात्मक योगदान:


ज्ञान का असीम भंडार: किसी भी विषय पर तत्काल जानकारी की उपलब्धता।
ई-लर्निंग और ऑनलाइन कक्षाएँ: समय और स्थान की बाधा समाप्त।
दृश्य-श्रव्य सामग्री: वीडियो, एनीमेशन और चित्रों के माध्यम से सीखना अधिक रुचिकर और प्रभावी।
विश्वव्यापी जुड़ाव: छात्रों और शिक्षकों का वैश्विक समुदाय से संपर्क।
असाइनमेंट और प्रोजेक्ट कार्य में सहायता: शोध और जानकारी जुटाने में आसानी।



3. इण्टरनेट के नकारात्मक प्रभाव और चुनौतियाँ:


ध्यान का भटकाव: सोशल मीडिया और मनोरंजन वेबसाइटों का आकर्षण।
गलत सूचनाओं का प्रसार: अविश्वसनीय स्रोतों से प्राप्त जानकारी का खतरा।
साइबर-बुलिंग और सुरक्षा: छात्रों के लिए ऑनलाइन सुरक्षा एक बड़ी चिंता।
रचनात्मकता में कमी: तैयार जानकारी पर निर्भरता बढ़ने से मौलिक सोच में कमी।



4. संतुलित उपयोग की आवश्यकता:


शिक्षकों और अभिभावकों की निगरानी और मार्गदर्शन की भूमिका।
छात्रों में डिजिटल साक्षरता और नैतिक उपयोग की समझ विकसित करना।
उपयोग की समय-सीमा निर्धारित करना।



5. उपसंहार:


निष्कर्षतः इण्टरनेट शिक्षा के लिए एक शक्तिशाली दोधारी तलवार है।
इसका विवेकपूर्ण और अनुशासित उपयोग इसे एक वरदान बना सकता है।
भविष्य की शिक्षा प्रणाली इण्टरनेट के सही उपयोग पर ही निर्भर करेगी।





Step 1: Understanding the Concept:

This question requires writing a well-structured essay on one of the given topics. A good essay should have a clear introduction, a detailed body with multiple paragraphs, and a strong conclusion.


Step 2: Structuring the Essay:

The best approach is to first create an outline (रूपरेखा) for your chosen topic. This helps in organizing your thoughts and ensuring a logical flow. The standard structure is:


प्रस्तावना (Introduction): Introduce the topic, explain its relevance, and briefly state what the essay will cover. This should be engaging and set the tone.

विषय-विस्तार (Body): This is the main part of the essay, divided into several paragraphs. Each paragraph should focus on a specific aspect of the topic. For example, for the topic on the internet, you can have separate paragraphs for its advantages, disadvantages, and the need for balance. Use facts, examples, and logical arguments to support your points.

उपसंहार (Conclusion): Summarize the main points discussed in the body. Do not introduce new ideas here. End with a concluding thought, a suggestion, or a vision for the future related to the topic.



Step 3: Final Answer:

The model outline provided for the topic "विद्यालय के पठन-पाठन में इण्टरनेट का योगदान" demonstrates this structure. By following this outline, a student can write a comprehensive and well-organized essay covering all important aspects of the topic.
Quick Tip: Before you start writing an essay, spend 5-7 minutes creating a rough outline (रूपरेखा). This will save you time in the long run and prevent your essay from becoming disorganized. Use relevant quotes (if you remember any) and strong vocabulary to make your essay more impactful.

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