UP Board Class 12 Hindi General Question Paper 2025 (Code 302 HK) Available- Download Here with Solution PDF

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Shivam Yadav

Updated on - Nov 24, 2025

UP Board Class 12 Hindi General Question Paper 2025 PDF (Code 302 HK) is available for download here. The Mathematics exam was conducted on February 24, 2025 in the Evening Shift from 2:00 PM to 5:15 PM. The total marks for the theory paper are 100. Students reported the paper to be easy to moderate.

UP Board Class 12 Hindi General Question Paper 2025 (Code 302 HK) with Solutions

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UP Board Class 12 Hindi Question Paper with Solutions


Question 1:

‘अंधेर नगरी’ किस विधा की रचना है ?

  • (A) उपन्यास
  • (B) नाटक
  • (C) कहानी
  • (D) यात्रावृत्त
Correct Answer: (B) नाटक
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पद १: कृति और लेखक का परिचय।

'अंधेर नगरी' आधुनिक हिंदी साहित्य के जनक कहे जाने वाले भारतेन्दु हरिश्चंद्र की एक कालजयी रचना है। यह कृति अपनी व्यंग्यात्मक शैली और मनोरंजक कथावस्तु के कारण अत्यंत लोकप्रिय है।


पद २: साहित्यिक विधा का विश्लेषण।

इस रचना की संरचना संवादों और दृश्यों पर आधारित है, जिसे मंच पर प्रस्तुत करने के उद्देश्य से लिखा गया है। साहित्य की वह विधा जिसमें कथा को पात्रों के संवादों के माध्यम से अभिनय हेतु प्रस्तुत किया जाता है, 'नाटक' कहलाती है। 'अंधेर नगरी' विशेष रूप से एक 'प्रहसन' है, जो नाटक का ही एक प्रकार है जिसमें हास्य-व्यंग्य की प्रधानता होती है।


पद ३: निष्कर्ष।

चूंकि 'अंधेर नगरी' संवाद-आधारित, मंचीय प्रस्तुति के लिए लिखी गई एक व्यंग्यात्मक रचना है, इसलिए इसकी सही साहित्यिक विधा 'नाटक' है।
Quick Tip: प्रमुख रचनाओं का अध्ययन करते समय केवल लेखक का नाम ही नहीं, बल्कि उसकी विधा (नाटक, उपन्यास, कहानी, निबंध आदि) को भी याद रखना महत्वपूर्ण है। परीक्षाओं में विधा से संबंधित प्रश्न अक्सर पूछे जाते हैं।


Question 2:

हिन्दी की प्रथम कहानी किसे माना जाता है ?

  • (A) रानी केतकी की कहानी
  • (B) दुलाई वाली
  • (C) इन्दुमती
  • (D) ग्यारह वर्ष का समय
Correct Answer: (C) इन्दुमती
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पद १: सर्वमान्य मत का उल्लेख।

यद्यपि हिंदी की पहली कहानी को लेकर विद्वानों में कुछ मतभेद रहे हैं, तथापि आचार्य रामचंद्र शुक्ल द्वारा प्रवर्तित मत ही सर्वाधिक मान्य है। इस मत के अनुसार, किशोरीलाल गोस्वामी द्वारा रचित 'इन्दुमती' को हिंदी की प्रथम मौलिक कहानी होने का श्रेय दिया जाता है।


पद २: 'इन्दुमती' का परिचय।

'इन्दुमती' कहानी का प्रकाशन सन् 1900 में 'सरस्वती' पत्रिका में हुआ था। इसे कहानी-कला के तत्त्वों (कथावस्तु, पात्र, संवाद, उद्देश्य आदि) पर खरी उतरने वाली प्रारंभिक रचना माना जाता है।


पद ३: अन्य विकल्पों का स्थान।

'रानी केतकी की कहानी' में कहानी के आधुनिक तत्त्वों का अभाव है। 'दुलाई वाली' (1907) और 'ग्यारह वर्ष का समय' (1903) भी आरंभिक दौर की महत्वपूर्ण कहानियाँ हैं, लेकिन 'इन्दुमती' का प्रकाशन इनसे पहले हुआ था, जिस कारण इसे प्रथम होने का गौरव प्राप्त है।
Quick Tip: हिंदी साहित्य में 'प्रथम' रचनाओं (प्रथम कहानी, प्रथम उपन्यास, प्रथम महाकाव्य आदि) और उनके लेखकों की सूची बनाकर याद कर लें। यह परीक्षा की दृष्टि से एक अत्यंत महत्वपूर्ण तथ्य है।


Question 3:

‘भारतेन्दु युग’ की पत्रिका नहीं है

  • (A) आनंद कादम्बिनी
  • (B) ब्राह्मण
  • (C) सरस्वती
  • (D) हरिश्चन्द्र चन्द्रिका
Correct Answer: (C) सरस्वती
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पद १: भारतेन्दु युग की पत्रकारिता।

'भारतेन्दु युग' (लगभग 1868-1900) में हिंदी पत्रकारिता का अभूतपूर्व विकास हुआ। इस युग की पत्रिकाओं ने नवजागरण और राष्ट्रीय चेतना को बढ़ावा दिया। 'आनंद कादम्बिनी' (संपादक: बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'), 'ब्राह्मण' (संपादक: प्रतापनारायण मिश्र), और 'हरिश्चन्द्र चन्द्रिका' (संपादक: भारतेन्दु हरिश्चंद्र) – ये सभी इसी युग की महत्वपूर्ण पत्रिकाएँ हैं।


पद २: 'सरस्वती' पत्रिका का काल-निर्धारण।

'सरस्वती' पत्रिका का प्रकाशन इंडियन प्रेस, प्रयाग से सन् 1900 में आरम्भ हुआ। सन् 1900 से ही 'द्विवेदी युग' का आरंभ माना जाता है। सन् 1903 में आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी इसके संपादक बने और उन्होंने इस पत्रिका को उस युग की सबसे प्रभावशाली साहित्यिक पत्रिका बना दिया।


पद ३: निष्कर्ष।

चूंकि 'सरस्वती' का प्रकाशन 'द्विवेदी युग' के आरंभ में हुआ और यह उसी युग की प्रतिनिधि पत्रिका बनी, इसलिए यह 'भारतेन्दु युग' की पत्रिका नहीं है।
Quick Tip: भारतेन्दु युग और द्विवेदी युग की कम से कम 3-4 प्रमुख पत्रिकाओं और उनके संपादकों के नाम अवश्य याद रखें। 'सरस्वती' पत्रिका और आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी का संबंध विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।


Question 4:

‘क्षण बोले कण मुस्काए’ कृति के लेखक हैं

  • (A) प्रो० जी० सुन्दर रेड्डी
  • (B) हरिशंकर परसाई
  • (C) कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’
  • (D) ‘अज्ञेय’
Correct Answer: (C) कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’
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पद १: लेखक की पहचान।

'क्षण बोले कण मुस्काए' हिंदी के प्रसिद्ध और शैलीकार गद्य-लेखक कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ की एक महत्वपूर्ण कृति है।


पद २: लेखक की साहित्यिक शैली।

'प्रभाकर' जी अपनी काव्यात्मक और भावात्मक गद्य शैली के लिए जाने जाते हैं। वे साधारण क्षणों और घटनाओं में छिपे मानवीय और दार्शनिक अर्थों को उजागर करने में सिद्धहस्त थे। उनकी भाषा अत्यंत प्रवाहपूर्ण और हृदयस्पर्शी होती है।


पद ३: कृति की विधा।

'क्षण बोले कण मुस्काए' एक 'रिपोर्ताज' संग्रह है। रिपोर्ताज एक ऐसी गद्य विधा है जिसमें किसी घटना का आँखों देखा हाल साहित्यिक और कलात्मक ढंग से प्रस्तुत किया जाता है। प्रभाकर जी ने इस विधा को अपनी अनूठी शैली से समृद्ध किया।
Quick Tip: प्रमुख गद्य लेखकों की विधाओं के अनुसार उनकी दो-तीन प्रसिद्ध रचनाओं को याद करना परीक्षा में बहुत सहायक होता है, विशेषकर निबंध, संस्मरण और रिपोर्ताज विधाओं की रचनाओं को।


Question 5:

‘नीड़ का निर्माण फिर’ किसकी कृति है ?

  • (A) मुंशी प्रेमचन्द की
  • (B) बालकृष्ण भट्ट की
  • (C) हरिवंशराय ‘बच्चन’ की
  • (D) प्रताप नारायण मिश्र की
Correct Answer: (C) हरिवंशराय ‘बच्चन’ की
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Step 1: Understanding the Concept:

यह प्रश्न हिंदी साहित्य की एक प्रसिद्ध आत्मकथा और उसके लेखक की पहचान से संबंधित है।


Step 2: Detailed Explanation:

'नीड़ का निर्माण फिर' प्रसिद्ध कवि हरिवंशराय ‘बच्चन’ की आत्मकथा का दूसरा खंड है।

उनकी आत्मकथा चार खंडों में प्रकाशित हुई है, जो हिंदी साहित्य की एक अनुपम कृति मानी जाती है:

1. क्या भूलूँ क्या याद करूँ

2. नीड़ का निर्माण फिर

3. बसेरे से दूर

4. दशद्वार से सोपान तक


Step 3: Final Answer:

‘नीड़ का निर्माण फिर’ हरिवंशराय ‘बच्चन’ की कृति है। इसलिए, विकल्प (C) सही है।
Quick Tip: हिंदी साहित्य की प्रमुख आत्मकथाओं, जैसे- हरिवंशराय बच्चन की 'क्या भूलूँ क्या याद करूँ', महात्मा गाँधी की 'सत्य के प्रयोग' आदि के नाम अवश्य याद रखें।


Question 6:

‘अष्टयाम’ के रचयिता हैं

  • (A) गोकुलदास
  • (B) विट्ठल नाथ
  • (C) नाभादास
  • (D) वल्लभाचार्य
Correct Answer: (C) नाभादास
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Step 1: Understanding the Concept:

यह प्रश्न भक्तिकाल के साहित्य, विशेषकर ब्रजभाषा गद्य की एक प्रारंभिक कृति और उसके लेखक से संबंधित है।


Step 2: Detailed Explanation:

'अष्टयाम' के रचयिता स्वामी अग्रदास के शिष्य नाभादास हैं।

इस ग्रंथ में भगवान राम की दिनचर्या का वर्णन किया गया है।

नाभादास की एक और अत्यंत प्रसिद्ध रचना 'भक्तमाल' है, जिसमें उन्होंने लगभग दो सौ भक्तों के चरित्र का वर्णन किया है।

'अष्टयाम' ब्रजभाषा गद्य और पद्य दोनों में उपलब्ध है।


Step 3: Final Answer:

'अष्टयाम' के रचयिता नाभादास हैं। इसलिए, विकल्प (C) सही है।
Quick Tip: भक्तिकाल के प्रमुख कवियों के साथ-साथ 'भक्तमाल' और 'अष्टयाम' जैसी महत्वपूर्ण रचनाओं और उनके रचनाकारों को याद करना आवश्यक है, क्योंकि ये भक्तिकाल के इतिहास को समझने में सहायक हैं।


Question 7:

‘रसकलश’ कृति के रचयिता हैं

  • (A) जयशंकर प्रसाद
  • (B) सुमित्रानंदन पन्त
  • (C) महादेवी वर्मा
  • (D) अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’
Correct Answer: (D) अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’
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Step 1: Understanding the Concept:

यह प्रश्न द्विवेदी युग के एक प्रमुख कवि और उनकी कृति से संबंधित है।


Step 2: Detailed Explanation:

'रसकलश' द्विवेदी युग के प्रमुख कवि अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ द्वारा रचित एक रीति-ग्रंथ है।

यह ब्रजभाषा में लिखा गया है और इसमें रस, अलंकार आदि काव्यशास्त्रीय विषयों का विवेचन किया गया है।

'हरिऔध' जी मुख्य रूप से खड़ी बोली के कवि के रूप में जाने जाते हैं और 'प्रियप्रवास' खड़ी बोली का प्रथम महाकाव्य है, जिसके रचयिता वे ही हैं। 'रसकलश' उनकी ब्रजभाषा की रचना है।


Step 3: Final Answer:

‘रसकलश’ के रचयिता अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ हैं। इसलिए, विकल्प (D) सही है।
Quick Tip: 'हरिऔध' जी जैसे कवियों की खड़ी बोली ('प्रियप्रवास') और ब्रजभाषा ('रसकलश') दोनों की रचनाओं को याद रखें, क्योंकि यह उनकी भाषाई विविधता को दर्शाता है।


Question 8:

‘नीरजा’ रचना है

  • (A) भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की
  • (B) मैथिलीशरण गुप्त की
  • (C) महादेवी वर्मा की
  • (D) जयशंकर प्रसाद की
Correct Answer: (C) महादेवी वर्मा की
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Step 1: Understanding the Concept:

यह प्रश्न छायावादी युग की एक प्रमुख कवयित्री और उनकी रचना से संबंधित है।


Step 2: Detailed Explanation:

'नीरजा' छायावाद की प्रमुख स्तम्भ महादेवी वर्मा का तीसरा काव्य-संग्रह है।

इस कृति के लिए उन्हें 1934 में 'सक्सेरिया पुरस्कार' से सम्मानित किया गया था।

महादेवी वर्मा के अन्य प्रमुख काव्य-संग्रह हैं - 'नीहार', 'रश्मि', 'सान्ध्यगीत' और 'दीपशिखा'। इन चारों के गीतों का संग्रह 'यामा' नाम से प्रकाशित हुआ, जिस पर उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला।


Step 3: Final Answer:

'नीरजा' महादेवी वर्मा की रचना है। इसलिए, विकल्प (C) सही है।
Quick Tip: छायावाद के चार स्तंभों - प्रसाद, पंत, निराला और महादेवी वर्मा - की सभी प्रमुख काव्य-कृतियों के नाम कंठस्थ कर लें। यह परीक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।


Question 9:

‘साहित्य लहरी’ के रचयिता हैं

  • (A) तुलसीदास
  • (B) जगन्नाथ दास ‘रत्नाकर’
  • (C) महादेवी वर्मा
  • (D) सूरदास
Correct Answer: (D) सूरदास
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Step 1: Understanding the Concept:

यह प्रश्न भक्तिकाल की कृष्ण-भक्ति शाखा के एक प्रमुख कवि और उनकी रचना से संबंधित है।


Step 2: Detailed Explanation:

'साहित्य लहरी' भक्तिकाल की सगुण काव्यधारा के कृष्ण-भक्ति शाखा के प्रतिनिधि कवि सूरदास की रचना है।

इसमें 118 दृष्टिकूट पद हैं, जिनमें मुख्यतः राधा-कृष्ण की लीलाओं का वर्णन है।

सूरदास की तीन रचनाएँ प्रामाणिक मानी जाती हैं - 'सूरसागर', 'सूरसारावली' और 'साहित्य लहरी'।

उन्हें 'वात्सल्य रस का सम्राट' भी कहा जाता है।


Step 3: Final Answer:

'साहित्य लहरी’ के रचयिता सूरदास हैं। इसलिए, विकल्प (D) सही है।
Quick Tip: भक्तिकाल के प्रमुख कवियों जैसे सूरदास, तुलसीदास, कबीरदास और जायसी की 2-3 प्रमुख रचनाओं के नाम हमेशा याद रखें।


Question 10:

‘परिमल’ के रचनाकार हैं

  • (A) जयशंकर प्रसाद
  • (B) ‘अज्ञेय’
  • (C) सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’
  • (D) गजानन माधव ‘मुक्तिबोध’
Correct Answer: (C) सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’
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Step 1: Understanding the Concept:

यह प्रश्न छायावादी युग के एक प्रमुख कवि और उनकी रचना से संबंधित है।


Step 2: Detailed Explanation:

'परिमल' छायावादी कवि सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ का एक प्रसिद्ध काव्य-संग्रह है।

'निराला' छायावाद के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं और उन्हें 'महाप्राण' भी कहा जाता है।

'परिमल' की भूमिका में उन्होंने छंदों के बंधन को तोड़ने की बात कही थी, जिससे वे 'मुक्त छंद' के प्रवर्तक भी माने जाते हैं।

उनकी अन्य प्रसिद्ध रचनाओं में 'अनामिका', 'गीतिका', 'कुकुरमुत्ता' और 'राम की शक्तिपूजा' शामिल हैं।


Step 3: Final Answer:

‘परिमल’ के रचनाकार सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ हैं। इसलिए, विकल्प (C) सही है।
Quick Tip: सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' को उनकी क्रांतिकारी सोच और 'मुक्त छंद' के प्रयोग के लिए जाना जाता है। उनकी रचनाओं 'जूही की कली' और 'कुकुरमुत्ता' का उल्लेख अक्सर उनकी विद्रोही प्रवृत्ति के संदर्भ में किया जाता है।


Question 11:

गाँवों और जंगलों में स्वच्छ जनम लेनेवाले लोककथाओं में ताँत्रों के नीचे विकसित लोककथाओं में संस्कृति का अहम भंडार भरा हुआ है, जहाँ से आनंद की भरपूर मात्रा प्राप्त हो सकती है। राष्ट्रीय संस्कृति के परिष्चय काल में उन सबका स्वागत करने की आवश्यकता है।

पूर्वजों ने चरित और धर्म-ज्ञान, साहित्य, कला और संस्कृति के क्षेत्र में जो कुछ भी प्रचारित किया है, उस सारे विस्तार को हम गौड़ के साथ धारन करते हैं, और उसके तेज को अपने भव्य जीवन में साधुत, देखना चाहते हैं! यही वह संवेदन का स्वाभाविक प्रकृति है जहाँ अत्यन्त वर्तमान के लिए भार रूप नहीं है, जहाँ भूल वर्तमान को कभी रोक नहीं चाहती, वरं अपने बढ़ामें पुत्र करके उस आगे बढ़ना चाहता है, उस राषट का हम स्वागत करते हैं।

उपर्युक्त गद्यांश का संदर्भ लिखिए।

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Step 1: Understanding the Question:

इस प्रश्न में दिए गए गद्यांश का सन्दर्भ लिखने के लिए कहा गया है। सन्दर्भ में पाठ का शीर्षक और उसके लेखक का नाम बताना होता है।


Step 2: Detailed Explanation:

यह गद्यांश प्रसिद्ध निबंधकार एवं भारतीय संस्कृति के अध्येता डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल द्वारा लिखित निबंध 'राष्ट्र का स्वरूप' से उद्धृत है।

इस पाठ में लेखक ने राष्ट्र के तीन प्रमुख अंगों - भूमि, जन और संस्कृति - का विस्तृत विवेचन किया है। प्रस्तुत गद्यांश 'संस्कृति' नामक अंग से संबंधित है।

अतः, इसका सन्दर्भ इस प्रकार लिखा जाएगा:

सन्दर्भ: प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल द्वारा लिखित 'राष्ट्र का स्वरूप' नामक निबंध से लिया गया है।


Step 3: Final Answer:

यह गद्यांश डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल द्वारा रचित 'राष्ट्र का स्वरूप' नामक पाठ से लिया गया है।
Quick Tip: परीक्षा में सन्दर्भ लिखते समय, पाठ के शीर्षक को एकल उद्धरण चिह्न (' ') में और लेखक के नाम को स्पष्ट रूप से लिखें। यदि संभव हो, तो लेखक की साहित्यिक विधा (जैसे- निबंधकार, कहानीकार) का भी उल्लेख करें, इससे उत्तर अधिक प्रभावशाली बनता है।


Question 12:

रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।

(रेखांकित अंश: जहाँ अतीत वर्तमान के लिए भार रूप नहीं है, जहाँ भूत वर्तमान को जकड़ नहीं रखना चाहता, वरन् अपने वरदान से पुष्ट करके उसे आगे बढ़ाना चाहता है, उस राष्ट्र का हम स्वागत करते हैं।)

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Step 1: Understanding the Question:

इस प्रश्न में गद्यांश के रेखांकित अंश का भावार्थ अपने शब्दों में स्पष्ट करने के लिए कहा गया है।


Step 2: Detailed Explanation:

व्याख्या: लेखक के अनुसार, किसी भी राष्ट्र की उन्नति तभी संभव है जब वह अपने अतीत और वर्तमान के बीच एक स्वस्थ संतुलन स्थापित करता है। रेखांकित अंश में लेखक कहते हैं कि एक प्रगतिशील राष्ट्र वह है जहाँ अतीत को वर्तमान पर बोझ नहीं माना जाता। अर्थात्, हम अपनी प्राचीन परम्पराओं और रूढ़ियों से इतने भी न बंध जाएं कि वर्तमान की प्रगति ही रुक जाए।

लेखक आगे स्पष्ट करते हैं कि अतीत का कार्य वर्तमान को जकड़ना या रोकना नहीं, बल्कि उसे अपने अनुभवों और ज्ञान रूपी वरदान से शक्ति प्रदान कर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना होना चाहिए। हमें अपने पूर्वजों के ज्ञान, कला और संस्कृति से प्रेरणा लेकर वर्तमान को और भी समृद्ध बनाना चाहिए। लेखक ऐसे ही राष्ट्र को एक आदर्श राष्ट्र मानते हैं और उसका स्वागत करते हैं।


Step 3: Final Answer:

रेखांकित अंश का आशय यह है कि एक आदर्श राष्ट्र वह है जो अपने अतीत से प्रेरणा लेकर, न कि उसके बोझ तले दबकर, अपने वर्तमान को सुदृढ़ बनाता है और भविष्य की ओर अग्रसर होता है।
Quick Tip: रेखांकित अंश की व्याख्या करते समय, केवल पंक्तियों का सरलार्थ न लिखें। बल्कि, लेखक के गूढ़ भावों और विचारों को अपने शब्दों में विस्तार दें। व्याख्या में मौलिकता और स्पष्टता होनी चाहिए।


Question 13:

संस्कृति के वाहक और संरक्षक के रूप में किसका उदाहरण दिया गया है ?

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Step 1: Understanding the Question:

प्रश्न में यह पूछा गया है कि गद्यांश में संस्कृति को आगे बढ़ाने और उसे सहेजकर रखने का उदाहरण किसे बताया गया है।


Step 2: Explanation from the Passage:

गद्यांश की पहली पंक्ति में स्पष्ट रूप से लिखा है: "गाँवों और जंगलों में स्वच्छन्द जन्म लेनेवाले लोकगीतों में तारों के नीचे विकसित लोककथाओं में संस्कृति का अमित भंडार भरा हुआ है..."

इससे स्पष्ट होता है कि लोकगीत और लोककथाएँ ही संस्कृति के सच्चे वाहक और संरक्षक हैं।


Step 3: Final Answer:

गद्यांश के अनुसार, संस्कृति के वाहक और संरक्षक के रूप में गाँवों और जंगलों में जन्म लेने वाले लोकगीतों और लोककथाओं का उदाहरण दिया गया है।
Quick Tip: गद्यांश पर आधारित प्रश्नों का उत्तर देते समय, उत्तर सीधे गद्यांश से ही खोजना चाहिए। प्रश्न के की-वर्ड्स (जैसे- 'संस्कृति', 'वाहक', 'संरक्षक') को गद्यांश में ढूंढें, आपको सही पंक्ति मिल जाएगी।


Question 14:

लेखक के मतानुसार राष्ट्र की धरोहर क्या है ?

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Step 1: Understanding the Question:

इस प्रश्न में पूछा गया है कि लेखक के अनुसार किसी राष्ट्र की वास्तविक विरासत या धरोहर क्या है।


Step 2: Explanation from the Passage:

गद्यांश की दूसरी अनुच्छेद की पहली पंक्ति में इसका सीधा उत्तर दिया गया है: "पूर्वजों ने चरित्र और धर्म-विज्ञान, साहित्य, कला और संस्कृति के क्षेत्र में जो कुछ भी पराक्रम किया है, उस सारे विस्तार को हम गौरव के साथ धारण करते हैं..."

यही पराक्रम और विस्तार राष्ट्र की धरोहर है।


Step 3: Final Answer:

लेखक के मतानुसार, हमारे पूर्वजों ने चरित्र, धर्म-विज्ञान, साहित्य, कला और संस्कृति के क्षेत्र में जो महान कार्य किए हैं, वही सब राष्ट्र की धरोहर हैं।
Quick Tip: इस प्रकार के तथ्यात्मक प्रश्नों का उत्तर हमेशा संक्षिप्त और सटीक होना चाहिए। गद्यांश में दी गई जानकारी को ही अपने उत्तर का आधार बनाएं और अनावश्यक विस्तार से बचें।


Question 15:

एक राष्ट्र की उन्नति कब संभव है ?

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Step 1: Understanding the Question:

प्रश्न में यह पूछा गया है कि किसी राष्ट्र की प्रगति और विकास के लिए क्या आवश्यक है।


Step 2: Explanation from the Passage:

गद्यांश के रेखांकित अंश में इस प्रश्न का उत्तर छिपा है। एक राष्ट्र की उन्नति तब संभव है जब उसके नागरिक अपने अतीत को बोझ न समझें, बल्कि उससे प्रेरणा लेकर वर्तमान को और शक्तिशाली बनाएं।

अर्थात्, जब कोई राष्ट्र अपने अतीत के गौरवशाली ज्ञान और अनुभवों (वरदान) का उपयोग वर्तमान को पुष्ट करने और भविष्य में आगे बढ़ने के लिए करता है, तभी उसकी उन्नति संभव है।


Step 3: Final Answer:

गद्यांश के अनुसार, एक राष्ट्र की उन्नति तब संभव है जब वह अपने अतीत को वर्तमान के लिए भार न बनने दे, बल्कि अतीत से प्राप्त ज्ञान और अनुभवों के वरदान से वर्तमान को मजबूत बनाकर भविष्य की ओर आगे बढ़े।
Quick Tip: भावात्मक प्रश्नों का उत्तर देते समय, गद्यांश के मूल संदेश को समझें। यहाँ मूल संदेश अतीत और वर्तमान के बीच संतुलन का है, यही उन्नति का आधार है।


Question 16:

नवनीकरण कितना ही प्रारंभ कार्य क्यों न हुआ हो उस प्रक्रिया में यह भूलना नहीं चाहिए कि भाषा का मुख्य कार्य सुखद अभिव्यक्ति है। यदि सुखदता और निरंतरता से कोई भी भाषा द्विन्तीय रहे तो वह भाषा विकसित तक जीवित नहीं रह सकती। नए शब्दों के निर्माण में भी यही बात सोचनी चाहिए। इस संदर्भ में यह भी याद रखना चाहिए कि हम प्रवाहों से मुक्त होकर उस शब्द की मूल आत्मा तथा सार्थकता पर उसका विचार करें! अंग्रेजी भाषा शास्त्रों की भाषा रही है और वह दासता की निशानी है - ऐसा सोचकर यदि हम नए शब्दों का निर्माण करने में लग जाएं, तो नुकसान हमारा ही होगा, अंग्रेजी का नहीं! उर्दू में भी कुछ ऐसी ही फासते हैं शब्दों को जो इस्लाम धर्म को भिप्प करने वाली है, हिंदी वाले त्यागमां आर्में करें, तो हिंदी भाषा सह्ह भाषा न होकर एक कदम बनावटें बनने।

पाठ का शीर्षक एवं लेखक का नाम लिखिए।

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Step 1: Understanding the Question:

इस प्रश्न में दिए गए गद्यांश के पाठ का शीर्षक और उसके लेखक का नाम लिखने के लिए कहा गया है।


Step 2: Identifying the Text:

यह गद्यांश भाषा में नवीनता, स्पष्टता और पूर्वाग्रहों से मुक्ति की बात करता है। यह शैली और विषय-वस्तु प्रसिद्ध विचारक और निबंधकार प्रोफेसर जी. सुन्दर रेड्डी के वैचारिक निबंध 'भाषा और आधुनिकता' से मेल खाती है।

पाठ का शीर्षक: भाषा और आधुनिकता

लेखक का नाम: प्रो. जी. सुन्दर रेड्डी


Step 3: Final Answer:

प्रस्तुत गद्यांश के पाठ का शीर्षक 'भाषा और आधुनिकता' है और इसके लेखक प्रो. जी. सुन्दर रेड्डी हैं।
Quick Tip: परीक्षा में गद्य के पाठों का सन्दर्भ लिखने का अभ्यास अवश्य करें। इसके लिए अपनी पाठ्य-पुस्तक के सभी पाठों के शीर्षक और उनके लेखकों के नाम की एक सूची बना लें और उसे नियमित रूप से दोहराएँ।


Question 17:

रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
यदि सुखदता और निरंतरता से कोई भी भाषा द्विन्तीय रहे तो वह भाषा विकसित तक जीवित नहीं रह सकती। नए शब्दों के निर्माण में भी यही बात सोचनी चाहिए।
(रेखांकित अंश: नये शब्दों के निर्माण में भी यही बात सोचनी चाहिए। इस संदर्भ में यह भी याद रखना चाहिए कि हम पूर्वाग्रहों से मुक्त होकर उस शब्द की मूल आत्मा तथा सार्थकता पर उन्मुक्त विचार कर सकें।)

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Step 1: Understanding the Question:

इस प्रश्न में गद्यांश के रेखांकित अंश का भावार्थ अपने शब्दों में स्पष्ट करने के लिए कहा गया है।


Step 2: Detailed Explanation:

व्याख्या: लेखक प्रो. जी. सुन्दर रेड्डी कहते हैं कि भाषा में नए शब्दों का निर्माण करते समय हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि उनका मुख्य उद्देश्य भावों को स्पष्ट रूप से व्यक्त करना है। इसी संदर्भ में लेखक यह भी कहते हैं कि हमें किसी भी प्रकार के पूर्वाग्रह, अर्थात् पहले से बने-बनाए विचारों या दुराग्रहों (जैसे कोई शब्द किसी विशेष भाषा या धर्म का है) से मुक्त होना चाहिए। हमें किसी शब्द को केवल इसलिए नहीं अपनाना या छोड़ना चाहिए कि वह किसी विदेशी भाषा से आया है। बल्कि, हमें स्वतंत्र होकर उस शब्द के मूल अर्थ (मूल आत्मा) और उसकी उपयोगिता (सार्थकता) पर विचार करना चाहिए। यदि कोई शब्द भावों को व्यक्त करने में समर्थ है तो उसे अपना लेना चाहिए।


Step 3: Final Answer:

रेखांकित अंश का आशय यह है कि नए शब्दों को गढ़ते या अपनाते समय हमें किसी भी प्रकार के भेदभाव या पूर्वाग्रह को त्यागकर, केवल शब्द के वास्तविक अर्थ और उसकी उपयोगिता के आधार पर ही उसे भाषा में स्थान देना चाहिए।
Quick Tip: व्याख्या करते समय, केवल शाब्दिक अर्थ न लिखें। अंश के पीछे छिपे लेखक के दृष्टिकोण और मंतव्य को भी स्पष्ट करने का प्रयास करें। अपने उत्तर को सरल और स्पष्ट भाषा में लिखें।


Question 18:

कौन सी भाषा चिरकाल तक जीवित नहीं रह सकेगी ?

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Step 1: Understanding the Question:

प्रश्न में यह पूछा गया है कि किस प्रकार की भाषा लंबे समय तक जीवित नहीं रह सकती।


Step 2: Explanation from the Passage:

गद्यांश की दूसरी पंक्ति में इसका स्पष्ट उत्तर दिया गया है: "यदि सुस्पष्टता और निर्दिष्टता से कोई भी भाषा वंचित रहे तो वह भाषा चिरकाल तक जीवित नहीं रह सकेगी।"

इसका अर्थ है कि जिस भाषा में अपने भावों को साफ़-साफ़ और सटीक ढंग से कहने की क्षमता नहीं होती, वह भाषा धीरे-धीरे समाप्त हो जाती है।


Step 3: Final Answer:

गद्यांश के अनुसार, जो भाषा सुस्पष्टता (स्पष्टता) और निर्दिष्टता (सटीकता) से रहित होती है, वह चिरकाल तक जीवित नहीं रह सकेगी।
Quick Tip: गद्यांश पर आधारित प्रश्नों के उत्तर अक्सर गद्यांश की पंक्तियों में सीधे मिल जाते हैं। प्रश्न को ध्यान से पढ़ें और संबंधित शब्दों को गद्यांश में खोजने का प्रयास करें।


Question 19:

अंग्रेजी भाषा किसकी निशानी है ?

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Step 1: Understanding the Question:

इस प्रश्न में पूछा गया है कि गद्यांश में अंग्रेजी भाषा को किसकी निशानी बताया गया है।


Step 2: Explanation from the Passage:

गद्यांश में लेखक एक विशेष प्रकार की सोच का उल्लेख करते हुए कहते हैं: "अंग्रेजी भाषा शासकों की भाषा रही और वह दासता की निशानी है..."

यहाँ लेखक इस विचार का खंडन करते हैं, लेकिन प्रश्न के अनुसार अंग्रेजी भाषा को 'शासकों की भाषा' और 'दासता की निशानी' कहा गया है।


Step 3: Final Answer:

गद्यांश के अनुसार, अंग्रेजी भाषा शासकों की भाषा और दासता की निशानी है।
Quick Tip: उत्तर लिखते समय, गद्यांश में दी गई जानकारी को ही आधार बनाएं। भले ही लेखक उस विचार से सहमत न हों, लेकिन प्रश्न में जो पूछा गया है, उसका उत्तर गद्यांश के अनुसार ही देना चाहिए।


Question 20:

‘निर्दिष्टता’ और ‘सुस्पष्टता’ का अर्थ लिखिए।

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Step 1: Understanding the Question:

प्रश्न में 'निर्दिष्टता' और 'सुस्पष्टता' इन दो शब्दों का अर्थ बताने के लिए कहा गया है।


Step 2: Meaning of the Words:

(i) निर्दिष्टता: इस शब्द का अर्थ है - 'निश्चित अर्थ की ओर संकेत करने की शक्ति', 'सटीकता' या 'Precision'। यह किसी बात को बिल्कुल स्पष्ट और निश्चित रूप से कहने का गुण है।

(ii) सुस्पष्टता: इस शब्द का अर्थ है - 'बहुत अधिक स्पष्ट होने का भाव', 'साफ़-साफ़ होना' या 'Clarity'। यह किसी बात के आसानी से समझ में आ जाने का गुण है।


Step 3: Final Answer:

दिए गए शब्दों के अर्थ निम्नलिखित हैं:

निर्दिष्टता = सटीकता / निश्चित अर्थ बताने की शक्ति

सुस्पष्टता = अच्छी तरह से स्पष्ट होने का भाव / साफ़-साफ़ होना
Quick Tip: अपनी शब्दावली को मजबूत करने के लिए, पाठ पढ़ते समय कठिन शब्दों को रेखांकित करें और उनके अर्थ को शब्दकोश में देखें। यह न केवल ऐसे प्रश्नों को हल करने में मदद करेगा बल्कि आपके लेखन को भी सुधारेगा।


Question 21:

दिये गये पदांश पर आधारित निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
लज्जाशील पथिक महिला जो कहीं दृष्टि आये
होने देना विकृत बसना तो न तू सुंदरी को।
जो थोड़ी भी श्रमित वह हो गोद ले शांति खोना
होठों की भी कमल मुख की स्तनताओं मिटाना
ज्यों ही तेरा भवन् तज तू स्वर्ग आगे बढ़ेगी
शोभावाली सुखद कितनी मंडु कुञ्जे मिलोगी
प्यारी छाया मधुर स्वर से मोह लेंगे तुझे वे
तो भी मेरा दुख लख वहाँ जा न विश्राम लेना

प्रस्तुत पद्यांश के कवि एवं पाठ के शीर्षक का उल्लेख कीजिए।

प्रस्तुत पद्यांश के कवि अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध' जी हैं और पाठ का शीर्षक 'पवन-दूतिका' है।
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Step 1: Understanding the Concept:

यह प्रश्न दिए गए काव्य अंश के रचयिता (कवि) और उसके स्रोत (पाठ का शीर्षक) की पहचान करने के लिए है। यह हिंदी काव्य साहित्य के ज्ञान पर आधारित है।


Step 2: Detailed Explanation:

- कवि: प्रस्तुत पंक्तियाँ द्विवेदी युग के प्रमुख कवि अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध' द्वारा रचित हैं। [2, 4, 8]

- पाठ का शीर्षक: ये पंक्तियाँ उनके महाकाव्य 'प्रियप्रवास' के एक अंश 'पवन-दूतिका' से ली गई हैं, जो कक्षा 12 की हिंदी पाठ्यपुस्तक में संकलित है। [1, 9]

- 'प्रियप्रवास' को खड़ी बोली हिंदी का प्रथम महाकाव्य माना जाता है। इस काव्य में राधा के पारंपरिक रूप से हटकर एक समाज-सेवी और विश्व-कल्याण की भावना रखने वाली नायिका के रूप में चित्रित किया गया है।


Step 3: Final Answer:

अतः, दिए गए पद्यांश के कवि का नाम अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध' और पाठ का शीर्षक 'पवन-दूतिका' है।
Quick Tip: परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए, कवि का पूरा नाम (उपनाम सहित) और पाठ के शीर्षक को सही ढंग से लिखना महत्वपूर्ण है। यदि आपको महाकाव्य या संग्रह का नाम पता हो तो उसका उल्लेख करने से आपके उत्तर का स्तर और भी बढ़ जाता है।


Question 22:

बैठी थी अचल तथापि असंख्य तरंगा,
वह सिंहि अब थी हाहा ! गोमुखी गंगा।

“हाँ, जानकर भी मैंने न भरत को जाना,
सब सुन लो, तुमने स्वयं अभी यह माना।
यह सच है तो फिर लौट चलो घर भैया,
अपराधिन मैं हूँ तात, तुम्हारी मैया।”

उपर्युक्त पद्यांश का प्रसंग लिखिए।

प्रस्तुत पद्यांश में, श्रीकृष्ण के विरह में व्याकुल राधा पवन को अपनी दूतिका बनाकर मथुरा भेज रही हैं। वे पवन को समझा रही हैं कि मार्ग में मिलने वाले दुःखी और थके हुए लोगों के प्रति उसे कैसा व्यवहार करना चाहिए। [1]
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Step 1: Understanding the Concept:

प्रसंग का अर्थ है वह संदर्भ या परिस्थिति जिसमें कोई बात कही गई हो। इस प्रश्न में पद्यांश का प्रसंग लिखने का अर्थ है यह बताना कि ये पंक्तियाँ किस स्थिति में और किस उद्देश्य से कही गई हैं।


Step 2: Detailed Explanation:

- श्रीकृष्ण मथुरा चले गए हैं और राधा उनके वियोग में बहुत दुःखी हैं। [5]

- राधा अपने मन की व्यथा श्रीकृष्ण तक पहुँचाने के लिए पवन को अपनी दूतिका के रूप में चुनती हैं। [7]

- प्रस्तुत पद्यांश उस समय का है जब राधा पवन को मथुरा का मार्ग समझा रही हैं।

- अपने दुःख में डूबे होने के बावजूद, राधा का मन दूसरों के प्रति करुणा से भरा है। [3] वे पवन को निर्देश देती हैं कि यदि मार्ग में कोई थकी-हारी और लज्जाशील स्त्री मिले, तो उसे कष्ट देने के बजाय उसकी थकान कोमलता से दूर करे। यह राधा के लोक-सेवी और दयालु चरित्र को दर्शाता है। [1]


Step 3: Final Answer:

अतः, प्रसंग यह है कि विरहिणी राधा, पवन को दूत बनाकर कृष्ण के पास भेजते समय, उसे मार्ग में मिलने वाले पथिकों, विशेषकर एक लज्जाशील स्त्री, के प्रति सहानुभूति और सहायता का व्यवहार करने का निर्देश दे रही हैं।
Quick Tip: प्रसंग लिखते समय, मुख्य पात्रों (राधा, कृष्ण, पवन), उनकी मानसिक स्थिति (विरह, दुःख) और कथन के उद्देश्य (संदेश भेजना, मार्गनिर्देशन) को स्पष्ट रूप से शामिल करना चाहिए। इससे प्रसंग पूर्ण और प्रभावशाली बनता है।


Question 23:

रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए। (रेखांकित अंश: "होने देना विकृत वसना तो न तू सुंदरी को जो थोड़ी भी श्रमित वह हो गोद ले श्रांति खोना होंठों की औ कमल मुख की म्लानतायें मिटाना")

रेखांकित अंश में राधा पवन से कहती हैं कि यदि मार्ग में कोई लज्जाशील स्त्री दिखाई दे तो तुम अपने वेग से उसके वस्त्रों को अस्त-व्यस्त मत करना। यदि वह थकी हुई हो, तो उसे अपनी गोद में लेकर (अर्थात् उसे धीरे-से स्पर्श करके) उसकी थकान दूर कर देना और उसके सूखे होंठों तथा कमल जैसे मुरझाए हुए मुख की मलिनता को मिटा देना। [9]
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Step 1: Understanding the Concept:

इस प्रश्न में दिए गए काव्य की कुछ पंक्तियों का विस्तृत अर्थ स्पष्ट करना है। व्याख्या करते समय शब्दों के शाब्दिक अर्थ के साथ-साथ उनके भावार्थ को भी समझाना होता है।


Step 2: Detailed Explanation:

- होने देना विकृत वसना तो न तू सुंदरी को: राधा पवन को निर्देश देती हैं कि हे पवन! यदि मार्ग में कोई लाजवंती (लज्जाशील) स्त्री मिले, तो तुम अपनी चंचलता या वेग से उसके वस्त्रों को उड़ाकर अस्त-व्यस्त मत कर देना, जिससे उसे शर्मिंदगी का सामना करना पड़े। [3]

- जो थोड़ी भी श्रमित वह हो गोद ले श्रांति खोना: यदि वह स्त्री थोड़ी भी थकी हुई प्रतीत हो, तो तुम उसे अपनी गोद में ले लेना। यहाँ 'गोद में लेने' का भाव है कि तुम उसे चारों ओर से घेरकर, अपनी शीतल और कोमल स्पर्श से उसकी थकान (श्रांति) को दूर कर देना। [11]

- होंठों की औ कमल मुख की म्लानतायें मिटाना: थकान के कारण उसके होंठ सूख गए होंगे और उसका कमल जैसा सुंदर मुख मुरझा गया होगा। तुम अपने शीतल स्पर्श से उसके होंठों और मुख की मलिनता (म्लानता) को दूर करके उसे ताजगी प्रदान करना। [1]


Step 3: Final Answer:

इस प्रकार, राधा पवन को एक संवेदनशील और परोपकारी सखी के रूप में व्यवहार करने का निर्देश देती हैं, जो नारी की मर्यादा और पीड़ा का सम्मान करती है।
Quick Tip: व्याख्या करते समय, कठिन शब्दों के सरल अर्थ लिखें (जैसे विकृत-वसना = वस्त्र अस्त-व्यस्त करना, श्रमित = थकी हुई, श्रांति = थकान, म्लानता = मलिनता/उदासी)। काव्य की भाषा को सरल गद्य में परिवर्तित करें और उसमें निहित भाव को स्पष्ट करें।


Question 24:

राधा पवन दूतिका से राह में मिलनेवाले पथिकों से कैसा व्यवहार करने को कहती है?

Correct Answer: राधा पवन दूतिका से राह में मिलने वाले पथिकों के साथ परोपकारी, दयापूर्ण और विनम्र व्यवहार करने को कहती हैं। वे चाहती हैं कि पवन किसी को कष्ट न पहुँचाए, बल्कि उनकी थकान और दुःख को दूर करने में सहायता करे। [3]
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Step 1: Understanding the Concept:

यह प्रश्न पूरे पद्यांश के मूल भाव पर आधारित है, जिसमें राधा के पवन को दिए गए निर्देशों के बारे में पूछा गया है।


Step 2: Detailed Explanation:

- प्रस्तुत पद्यांश में राधा पवन को एक लज्जाशील महिला पथिक का उदाहरण देकर समझाती हैं कि उसे बहुत संवेदनशीलता से व्यवहार करना है। [3]

- वह कहती हैं कि यदि कोई थका हुआ पथिक दिखे, तो उसके पास जाकर अपने शीतल स्पर्श से उसकी थकान को मिटा देना। [1]

- किसी भी स्त्री की मर्यादा का ध्यान रखना और उसके वस्त्रों को अस्त-व्यस्त न करना। [9]

- यदि कोई किसान स्त्री खेत में थकी हुई दिखे, तो बादलों को लाकर उसकी छाया से उसकी गर्मी और थकान को दूर करना। [13, 16]

- समग्र रूप से, राधा पवन को एक लोक-सेविका की तरह आचरण करने की प्रेरणा देती हैं, जो दूसरों के दुःख को अपना दुःख समझकर उसे दूर करने का प्रयास करे।


Step 3: Final Answer:

अतः, राधा पवन दूतिका को राह में मिलने वाले पथिकों के प्रति सहानुभूति, सम्मान और सहायता का व्यवहार करने को कहती हैं, ताकि उनकी यात्रा सुखद हो सके।
Quick Tip: इस तरह के प्रश्नों का उत्तर देते समय, पद्यांश में दिए गए विशिष्ट उदाहरणों (जैसे लज्जाशील महिला, थका हुआ किसान) का उल्लेख करें। इससे आपका उत्तर अधिक प्रामाणिक और विस्तृत होगा।


Question 25:

लज्जाशीला महिला के लिए राधा ने क्या कहा?

Correct Answer: लज्जाशीला महिला के लिए राधा ने पवन से कहा कि यदि रास्ते में कोई ऐसी स्त्री मिले, तो तुम अपने वेग से उसके वस्त्रों को उड़ाकर अस्त-व्यस्त मत करना। यदि वह थकी हुई हो तो उसे अपने शीतल स्पर्श से घेरकर उसकी थकान मिटा देना और उसके मुरझाए हुए कमल जैसे मुख को अपनी शीतलता से प्रफुल्लित कर देना।
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Step 1: Understanding the Concept:

यह प्रश्न पद्यांश के एक विशिष्ट भाग पर केंद्रित है और पूछता है कि राधा ने एक शर्मीली महिला यात्री के संबंध में पवन को क्या विशेष निर्देश दिए।


Step 2: Detailed Explanation:

पद्यांश की पंक्तियों "लज्जाशीला पथिक महिला जो कहीं दृष्टि आये। होने देना विकृत बसना तो न तू सुंदरी को।" के अनुसार, राधा ने पवन को स्पष्ट निर्देश दिए:

1. मर्यादा का सम्मान: सबसे पहले, उन्होंने पवन को चेताया कि वह उस स्त्री के वस्त्रों को न उड़ाए, जिससे उसकी मर्यादा भंग न हो।

2. थकान दूर करना: फिर, "जो थोड़ी भी श्रमित वह हो गोद ले श्रांति खोना" पंक्ति के माध्यम से कहा कि यदि वह थकी हुई हो, तो उसे अपने कोमल और शीतल स्पर्श से घेरकर उसकी थकान को दूर कर देना।

3. मुख की कांति लौटाना: अंत में, "होंठों की औ कमल मुख की म्लानतायें मिटाना" कहकर यह निर्देश दिया कि थकान से मुरझाए उसके चेहरे पर अपनी शीतलता से पुनः ताजगी और कांति ले आना।


Step 3: Final Answer:

इस प्रकार, राधा ने लज्जाशीला महिला के सम्मान, आराम और स्वास्थ्य की चिंता करते हुए पवन को एक बहुत ही संवेदनशील और सहायक व्यवहार करने के लिए कहा।
Quick Tip: जब प्रश्न किसी विशेष पात्र या स्थिति के बारे में हो, तो अपने उत्तर को केवल उसी जानकारी तक सीमित रखें जो पद्यांश में दी गई है। सीधे पंक्तियों से साक्ष्य प्रस्तुत करना आपके उत्तर को मजबूत बनाता है।


Question 26:

उपर्युक्त पद्यांश का सन्दर्भ लिखिए।

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Step 1: Understanding the Question:

इस प्रश्न में दिए गए पद्यांश का सन्दर्भ लिखने के लिए कहा गया है, जिसमें कवि का नाम और कविता का शीर्षक बताना होता है।


Step 2: Detailed Explanation:

यह पद्यांश राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त द्वारा रचित महाकाव्य 'साकेत' के आठवें सर्ग से हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित 'कैकेयी का अनुताप' नामक शीर्षक से उद्धृत है।

इन पंक्तियों में चित्रकूट की सभा में भरत के साथ आईं पश्चाताप-ग्रस्त कैकेयी के दुःख और ग्लानि का मार्मिक चित्रण किया गया है।

अतः, इसका सन्दर्भ इस प्रकार लिखा जाएगा:

सन्दर्भ: प्रस्तुत पद्यांश राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त द्वारा रचित महाकाव्य 'साकेत' से हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित 'कैकेयी का अनुताप' शीर्षक काव्यांश से लिया गया है।


Step 3: Final Answer:

यह पद्यांश मैथिलीशरण गुप्त द्वारा रचित 'साकेत' महाकाव्य के 'कैकेयी का अनुताप' अंश से लिया गया है।
Quick Tip: पद्य का सन्दर्भ लिखते समय, कवि के नाम, कविता के शीर्षक के साथ-साथ यदि संभव हो तो उस काव्य-संग्रह या महाकाव्य का नाम भी लिखें जहाँ से कविता ली गई है। 'राष्ट्रकवि' जैसी उपाधि का उल्लेख करने से उत्तर और भी प्रभावशाली बनता है।


Question 27:

‘गंगा’ शब्द के दो पर्यायवाची लिखिए।

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Step 1: Understanding the Question:

इस प्रश्न में 'गंगा' शब्द के दो पर्यायवाची शब्द लिखने के लिए कहा गया है।


Step 2: Identifying Synonyms:

'गंगा' नदी के कई पर्यायवाची शब्द हैं, जिनमें से प्रमुख हैं:


भागीरथी
देवनदी
सुरसरि
जाह्नवी
मंदाकिनी
त्रिपथगा


Step 3: Final Answer:

'गंगा' शब्द के दो पर्यायवाची हैं: भागीरथी और देवनदी।
Quick Tip: अपनी शब्द-संपदा को बढ़ाने के लिए प्रमुख संज्ञाओं, विशेषकर पौराणिक और प्राकृतिक नामों (जैसे- गंगा, सूर्य, कमल, बादल) के पर्यायवाची शब्दों का एक संग्रह बनाकर याद करें।


Question 28:

रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।

(रेखांकित अंश: वह सिही अब थी हहा ! गोमुखी गंगा ।)

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Step 1: Understanding the Question:

इस प्रश्न में पद्यांश की रेखांकित पंक्ति का भावार्थ एवं काव्य-सौंदर्य स्पष्ट करने के लिए कहा गया है।


Step 2: Detailed Explanation:

व्याख्या: इस पंक्ति में कवि मैथिलीशरण गुप्त ने पश्चाताप करती हुई कैकेयी के परिवर्तित ह्रदय का अद्भुत चित्र प्रस्तुत किया है। कवि कहते हैं कि जो कैकेयी पहले अपने हठ और क्रोध में सिंहनी (सिंही) के समान भयंकर और कठोर थी, हाय (हहा)! आज वही पश्चाताप की अग्नि में जलकर गोमुख से निकलने वाली पवित्र गंगा (गोमुखी गंगा) के समान शांत, निर्मल और पवित्र हो गई है।

यहाँ कवि ने कैकेयी के दो विपरीत स्वभावों की तुलना की है। 'सिंही' उसके पूर्व के क्रूर स्वभाव का प्रतीक है, जबकि 'गोमुखी गंगा' उसके वर्तमान पश्चाताप से शुद्ध हुए शांत और पवित्र मन का प्रतीक है। 'हहा' शब्द उनके इस परिवर्तन पर दुःख और आश्चर्य दोनों व्यक्त करता है।


Step 3: Final Answer:

रेखांकित अंश में कवि कहते हैं कि सिंहनी के समान क्रूर और कठोर स्वभाव वाली कैकेयी, आज अपने किये पर पश्चाताप करके गोमुख से निकली गंगा के समान ही शांत, शीतल और पवित्र हो गई है।
Quick Tip: रेखांकित अंश की व्याख्या करते समय, उसमें निहित अलंकार (यहाँ विरोधाभास और रूपक का सुंदर प्रयोग है) और विशेष शब्दों (जैसे- 'हहा') के भाव को स्पष्ट करने से उत्तर की गुणवत्ता बढ़ जाती है।


Question 29:

‘सिंही’ और ‘गोमुखी’ गंगा से क्या अभिप्राय है ?

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Step 1: Understanding the Question:

इस प्रश्न में 'सिंही' और 'गोमुखी गंगा' इन दो प्रतीकात्मक शब्दों का अभिप्राय पूछा गया है।


Step 2: Explanation of the Metaphors:

‘सिंही’: यहाँ 'सिंही' (सिंहनी) से अभिप्राय कैकेयी के उस क्रूर, कठोर, निर्दयी और हठी स्वभाव से है, जिसके वशीभूत होकर उन्होंने श्रीराम के लिए वनवास का वरदान माँगा था। यह उनके क्रोध और अविवेकपूर्ण आचरण का प्रतीक है।



‘गोमुखी गंगा’: यहाँ 'गोमुखी गंगा' से अभिप्राय कैकेयी के पश्चाताप से शुद्ध हुए मन से है। जिस प्रकार गोमुख से निकली गंगा अत्यंत निर्मल और पवित्र होती है, उसी प्रकार पश्चाताप की भावना ने कैकेयी के मन के समस्त कलुष को धोकर उसे शांत, शीतल और पवित्र बना दिया है। यह उनके परिवर्तित, शांत और निर्मल स्वभाव का प्रतीक है।


Step 3: Final Answer:

'सिंही' से अभिप्राय कैकेयी के पहले के क्रूर और कठोर स्वभाव से है, जबकि 'गोमुखी गंगा' से अभिप्राय उनके पश्चाताप के बाद के शांत, निर्मल और पवित्र स्वभाव से है।
Quick Tip: काव्य में प्रयुक्त प्रतीकों और उपमाओं का अर्थ समझने के लिए उनके स्वाभाविक गुणों पर ध्यान दें। सिंहनी अपने क्रोध और हिंसा के लिए जानी जाती है, जबकि गंगा अपनी पवित्रता और शीतलता के लिए।


Question 30:

उपर्युक्त पद्यांश में प्रयुक्त रस और उसका स्थायी भाव लिखिए।

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Step 1: Understanding the Question:

इस प्रश्न में पद्यांश में निहित रस और उसके स्थायी भाव को पहचानने के लिए कहा गया है।


Step 2: Analysis of the Emotion:

पद्यांश में कैकेयी अपने किये पर गहरा दुःख, ग्लानि और पश्चाताप व्यक्त कर रही हैं ("अपराधिन मैं हूँ तात, तुम्हारी मैया")। वे अपने पुत्र भरत को भी न समझ पाने का शोक प्रकट कर रही हैं। जहाँ किसी प्रियजन से बिछोह या अपने किसी कृत्य पर गहरा दुःख और शोक का भाव होता है, वहाँ करुण रस की निष्पत्ति होती है।

कुछ विद्वान् यहाँ कैकेयी के परिवर्तित हृदय और सांसारिक मोह से ऊपर उठकर सत्य को स्वीकार करने के भाव में 'शान्त रस' की झलक भी देख सकते हैं, परन्तु कैकेयी की आत्म-ग्लानि और पीड़ा की प्रधानता के कारण यहाँ करुण रस अधिक प्रबल है।


Step 3: Final Answer:

उपर्युक्त पद्यांश में मुख्य रूप से करुण रस है और इसका स्थायी भाव शोक है।
Quick Tip: रस की पहचान करने के लिए पद्यांश के केंद्रीय भाव को पकड़ें। यदि दुःख, शोक, पीड़ा या पश्चाताप का भाव प्रबल हो, तो वहाँ करुण रस होता है, जिसका स्थायी भाव 'शोक' है।


Question 31:

निम्नलिखित में से किसी एक लेखक का साहित्यिक परिचय देते हुए उनकी प्रमुख कृतियों का उल्लेख कीजिए : ( अधिकतम शब्द सीमा 80 शब्द )

कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’

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Step 1: साहित्यिक परिचय और रचनाएँ (Literary Introduction and Works):

कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ हिन्दी के एक प्रतिष्ठित पत्रकार, निबंधकार और स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने अपनी रचनाओं में मानवीय मूल्यों, राष्ट्रीय चेतना और सामाजिक सरोकारों को प्रमुखता दी। उनकी भाषा अत्यंत सरल, सजीव और प्रवाहपूर्ण है। एक सफल रिपोर्ताज लेखक के रूप में भी वे प्रसिद्ध हैं।

प्रमुख कृतियाँ: 'जिंदगी मुस्कुराई', 'माटी हो गई सोना', 'बाजे पायलिया के घुँघरू', 'दीप जले शंख बजे' तथा 'महके आँगन चहके द्वार'।
Quick Tip: साहित्यिक परिचय लिखते समय, लेखक की साहित्यिक विधा (निबंधकार, पत्रकार आदि), उनकी भाषा-शैली की विशेषताएँ और साहित्य में उनके योगदान का संक्षिप्त उल्लेख करें। रचनाओं को विधा के अनुसार वर्गीकृत करके लिखना अधिक प्रभावशाली होता है।


Question 32:

निम्नलिखित में से किसी एक लेखक का साहित्यिक परिचय देते हुए उनकी प्रमुख कृतियों का उल्लेख कीजिए : ( अधिकतम शब्द सीमा 80 शब्द )

हरिशंकर परसाई

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Step 1: साहित्यिक परिचय और रचनाएँ (Literary Introduction and Works):

हरिशंकर परसाई हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ व्यंग्यकारों में से एक हैं। उन्होंने व्यंग्य को एक स्वतंत्र विधा के रूप में स्थापित किया। अपनी रचनाओं के माध्यम से उन्होंने समाज और राजनीति में व्याप्त भ्रष्टाचार, पाखंड और विसंगतियों पर सीधा और तीखा प्रहार किया। उनकी भाषा सरल किन्तु व्यंग्यात्मक चोट करने में अत्यंत प्रभावी है।

प्रमुख रचनाएँ: 'रानी नागफनी की कहानी', 'तट की खोज', 'भूत के पाँव पीछे', 'सदाचार का तावीज' तथा 'विकलांग श्रद्धा का दौर'।
Quick Tip: जब किसी लेखक की पहचान किसी विशेष विधा (जैसे- व्यंग्य) से हो, तो साहित्यिक परिचय की शुरुआत उसी से करें। यह परीक्षक पर अच्छा प्रभाव डालता है और दिखाता है कि आप लेखक के मुख्य योगदान को समझते हैं।


Question 33:

निम्नलिखित में से किसी एक लेखक का साहित्यिक परिचय देते हुए उनकी प्रमुख कृतियों का उल्लेख कीजिए : ( अधिकतम शब्द सीमा 80 शब्द )

वासुदेवशरण अग्रवाल

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Step 1: साहित्यिक परिचय और रचनाएँ (Literary Introduction and Works):

डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल हिन्दी साहित्य के एक प्रकांड विद्वान्, निबंधकार तथा भारतीय संस्कृति, पुरातत्त्व और कला के मर्मज्ञ थे। उन्होंने अपने निबंधों में भारतीय संस्कृति और दर्शन का गहन एवं प्रामाणिक विवेचन प्रस्तुत किया है। उनकी भाषा संस्कृतनिष्ठ, परिमार्जित और विषय के अनुकूल है।

प्रमुख कृतियाँ: 'पृथ्वी-पुत्र', 'कल्पवृक्ष', 'भारत की एकता', 'माता भूमि' (निबंध-संग्रह) तथा 'पाणिनीकालीन भारतवर्ष' (शोध-ग्रंथ)।
Quick Tip: वासुदेवशरण अग्रवाल जैसे विद्वान् लेखक का परिचय देते समय, उनके ज्ञान के क्षेत्र (पुरातत्त्व, भारतीय संस्कृति) का उल्लेख करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि यही उनके लेखन का आधार है।


Question 34:

निम्नलिखित में से किसी एक कवि का साहित्यिक परिचय देते हुए उनकी प्रमुख रचनाओं का उल्लेख कीजिए : ( अधिकतम शब्द सीमा 80 शब्द )

अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’

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Step 1: साहित्यिक परिचय और रचनाएँ (Literary Introduction and Works):

अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ द्विवेदी युग के प्रतिनिधि कवि और लेखक हैं। वे खड़ी बोली और ब्रजभाषा दोनों में समान अधिकार से काव्य-रचना करते थे। उन्हें खड़ी बोली हिन्दी का प्रथम महाकाव्य 'प्रियप्रवास' लिखने का श्रेय प्राप्त है। उनके काव्य में लोक-सेवा, मानवीय संवेदना और प्रकृति-चित्रण की प्रधानता है।

प्रमुख रचनाएँ: 'प्रियप्रवास', 'वैदेही वनवास' (महाकाव्य), 'रसकलश' (रीति-ग्रंथ), 'चुभते चौपदे' और 'चोखे चौपदे'।
Quick Tip: 'हरिऔध' जी का परिचय देते समय 'प्रियप्रवास' को खड़ी बोली का प्रथम महाकाव्य बताना न भूलें। यह हिंदी साहित्य के इतिहास का एक महत्वपूर्ण तथ्य है और उनके महत्व को रेखांकित करता है।


Question 35:

निम्नलिखित में से किसी एक कवि का साहित्यिक परिचय देते हुए उनकी प्रमुख रचनाओं का उल्लेख कीजिए : ( अधिकतम शब्द सीमा 80 शब्द )

मैथिलीशरण गुप्त

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Step 1: साहित्यिक परिचय और रचनाएँ (Literary Introduction and Works):

राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त द्विवेदी युग के सर्वाधिक लोकप्रिय कवि थे। उन्होंने अपनी रचनाओं में भारतीय संस्कृति, राष्ट्रीयता और मानवीय मूल्यों को प्रमुखता दी। उनकी रचना 'भारत-भारती' ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान राष्ट्रीय चेतना जगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने खड़ी बोली को काव्य-भाषा के रूप में स्थापित करने में अतुलनीय योगदान दिया।

प्रमुख रचनाएँ: 'साकेत', 'यशोधरा' (महाकाव्य), 'भारत-भारती', 'पंचवटी' और 'जयद्रथ वध' (खण्डकाव्य)।
Quick Tip: मैथिलीशरण गुप्त का परिचय देते समय उन्हें 'राष्ट्रकवि' की उपाधि से संबोधित करें और उनकी कालजयी रचना 'भारत-भारती' का उल्लेख अवश्य करें, जिसने उन्हें यह सम्मान दिलाया।


Question 36:

निम्नलिखित में से किसी एक कवि का साहित्यिक परिचय देते हुए उनकी प्रमुख रचनाओं का उल्लेख कीजिए : ( अधिकतम शब्द सीमा 80 शब्द )

जयशंकर प्रसाद

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Step 1: साहित्यिक परिचय और रचनाएँ (Literary Introduction and Works):

जयशंकर प्रसाद छायावाद के प्रवर्तक, उन्नायक एवं प्रतिनिधि कवि हैं। वे एक बहुमुखी प्रतिभा संपन्न साहित्यकार थे, जिन्होंने कविता के अतिरिक्त नाटक, उपन्यास और कहानी में भी उत्कृष्ट रचनाएँ कीं। उनके काव्य में प्रेम, सौन्दर्य, प्रकृति, करुणा और दार्शनिकता के भावों की प्रमुखता है। उनकी भाषा शुद्ध, साहित्यिक, संस्कृतनिष्ठ खड़ी बोली है।

प्रमुख रचनाएँ: 'कामायनी' (महाकाव्य), 'आँसू', 'लहर', 'झरना' (काव्य), 'चन्द्रगुप्त', 'स्कन्दगुप्त' (नाटक)।
Quick Tip: जयशंकर प्रसाद का परिचय देते समय उन्हें 'छायावाद के प्रवर्तक' के रूप में उल्लेखित करना अनिवार्य है। उनके महाकाव्य 'कामायनी' को छायावाद की सर्वश्रेष्ठ कृति माना जाता है, इसका उल्लेख अवश्य करें।


Question 37:

‘बहादुर’ कहानी का उद्देश्य पर प्रकाश डालिए : ( अधिकतम शब्द सीमा 80 शब्द )

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Step 1: कहानी का उद्देश्य (Objective of the Story):

अमरकांत द्वारा रचित 'बहादुर' कहानी का मुख्य उद्देश्य मध्यमवर्गीय समाज के खोखलेपन, दिखावे की प्रवृत्ति और मानवीय संवेदनाओं की शून्यता को उजागर करना है। लेखक यह दिखाना चाहते हैं कि लोग अपनी झूठी शान और सुविधा के लिए नौकर रखते हैं, लेकिन उनके प्रति स्नेह और सम्मान का भाव नहीं रखते। कहानी निम्न वर्ग के प्रति सहानुभूति जगाती है और वर्ग-भेद मिटाने का संदेश देती है। यह कहानी हमें सिखाती है कि हमें हर इंसान के साथ, चाहे वह गरीब हो या अमीर, मानवीयता का व्यवहार करना चाहिए।
Quick Tip: किसी कहानी का उद्देश्य लिखते समय, केवल कथानक का वर्णन न करें। बल्कि यह बताएं कि लेखक उस कथानक के माध्यम से किन सामाजिक समस्याओं या मानवीय मूल्यों को उजागर करना चाहता है। 'बहादुर' कहानी का केंद्रीय भाव वर्ग-संघर्ष और मानवीय संवेदना है।


Question 38:

‘पंचलाइट’ कहानी का उद्देश्य पर प्रकाश डालिए : ( अधिकतम शब्द सीमा 80 शब्द )

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Step 1: कहानी का उद्देश्य (Objective of the Story):

फणीश्वरनाथ 'रेणु' द्वारा रचित 'पंचलाइट' एक आंचलिक कहानी है, जिसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण समाज की अशिक्षा, रूढ़ियों और जातिगत भेदभाव पर व्यंग्य करना है। लेखक यह दर्शाना चाहते हैं कि आवश्यकता पड़ने पर बड़े-बड़े जातिगत बंधन और मान्यताएँ भी टूट जाती हैं। कहानी यह संदेश देती है कि व्यक्ति की पहचान उसकी जाति से नहीं, बल्कि उसके गुण और काबिलियत से होनी चाहिए। गोधन के माध्यम से लेखक ने यह स्थापित किया है कि व्यक्ति का हुनर समाज के लिए कितना महत्वपूर्ण हो सकता है।
Quick Tip: 'पंचलाइट' जैसी आंचलिक कहानियों का उद्देश्य लिखते समय, ग्रामीण परिवेश, उनकी समस्याओं (अशिक्षा, जातिवाद) और उनकी सरलता का उल्लेख करना आवश्यक है। कहानी का संदेश सकारात्मक है कि कैसे एक व्यक्ति का गुण पूरे समुदाय के सम्मान को बचाता है।


Question 39:

‘ध्रुवयात्री’ कहानी का वर्णन संक्षेप में कीजिए । ( अधिकतम शब्द सीमा 80 शब्द )

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Step 1: कहानी का सारांश (Summary of the Story):

'ध्रुवयात्री' जैनेन्द्र कुमार द्वारा रचित एक मनोवैज्ञानिक कहानी है। इसके मुख्य पात्र राजा रिपुदमन बहादुर हैं, जो उत्तरी ध्रुव पर विजय प्राप्त करके लौटे हैं। वे उर्मिला नामक युवती से प्रेम करते हैं और उनका एक बच्चा भी है, लेकिन वे सामाजिक भय से उसे अपना नहीं पाते। इसी मानसिक द्वंद्व से बचने के लिए वे दक्षिणी ध्रुव की यात्रा पर जाने का निश्चय करते हैं। कहानी प्रेम और कर्तव्य के बीच फंसे एक व्यक्ति के अंतर्द्वंद्व और जीवन की जटिलताओं से उसके पलायन को दर्शाती है।
Quick Tip: कहानी का सार लिखते समय, घटनाओं को क्रमबद्ध रूप में लिखें। कहानी के प्रमुख पात्रों और उनके चरित्र की मुख्य विशेषताओं (यहाँ रिपुदमन का अंतर्द्वंद्व) का उल्लेख करें। अंत में कहानी के मूल भाव को एक या दो वाक्यों में स्पष्ट करें।


Question 40:

‘श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य के नायक की विशेषतायें अपने शब्दों में लिखिए।

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Step 1: नायक की विशेषताएँ (Characteristics of the Hero):

'श्रवणकुमार' खण्डकाव्य के नायक श्रवणकुमार मातृ-पितृ भक्ति के अद्वितीय प्रतीक हैं। वे अपने नेत्रहीन माता-पिता की एकमात्र आशा हैं और उनकी हर आज्ञा का पालन करते हैं। उनका स्वभाव अत्यंत सरल, संतोषी और विनम्र है। वे सत्यवादी और क्षमाशील हैं; मृत्यु के क्षण में भी वे राजा दशरथ को क्षमा कर देते हैं। उनका चरित्र त्याग, सेवा और कर्तव्यनिष्ठा को दर्शाता है।
Quick Tip: किसी पात्र की सबसे प्रमुख विशेषता (जैसे श्रवणकुमार की मातृ-पितृ भक्ति) को अपने उत्तर का आधार बनाएं और फिर अन्य गुणों का उल्लेख करें। इससे उत्तर केंद्रित और प्रभावी लगता है।


Question 41:

‘श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य के ‘आखेट’ सर्ग की कथा संक्षेप में लिखिए।

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Step 1: सर्ग की कथा (Story of the Canto):

'श्रवणकुमार' खण्डकाव्य के 'आखेट' सर्ग का आरम्भ अयोध्या के मनोहारी वर्णन से होता है। इसी सर्ग में राजा दशरथ शिकार करने के उद्देश्य से वन में जाते हैं। शाम के समय जब वे सरयू नदी के किनारे छिपे थे, उन्हें जल में पात्र डूबने की ध्वनि सुनाई देती है। वे इसे किसी जंगली हाथी की ध्वनि समझकर शब्दभेदी बाण चला देते हैं। बाण लगते ही उन्हें एक मानवीय चीत्कार सुनाई देती है, जिसे सुनकर राजा दशरथ अत्यंत चिंतित और व्याकुल हो उठते हैं।
Quick Tip: जब किसी खण्डकाव्य के विशेष सर्ग (अध्याय) के बारे में पूछा जाए, तो अपना उत्तर केवल उसी सर्ग की घटनाओं तक सीमित रखें। पूरी कहानी लिखने से बचें।


Question 42:

‘रश्मिरथी’ खण्डकाव्य के नायक की चारित्रिक विशेषतायें लिखिए।

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Step 1: नायक की विशेषताएँ (Characteristics of the Hero):

'रश्मिरथी' के नायक कर्ण एक महान योद्धा, सच्चे मित्र और अद्वितीय दानवीर हैं। वे सामाजिक तिरस्कार सहकर भी अपने पौरुष के बल पर श्रेष्ठता अर्जित करते हैं। दुर्योधन के प्रति उनकी मित्रता अटूट है। वे अपने स्वाभिमान से कोई समझौता नहीं करते। श्रीकृष्ण के प्रलोभनों को ठुकराकर वे मित्र-धर्म निभाते हैं। अपना कवच-कुण्डल दान देकर वे 'दानवीर कर्ण' कहलाते हैं। उनका चरित्र त्याग, वीरता और मित्रता का प्रतीक है।
Quick Tip: चरित्र-चित्रण करते समय, पात्र के गुणों को शीर्षकों (जैसे- महान योद्धा, दानवीर) में विभाजित करके उनके बारे में एक-एक पंक्ति लिखना उत्तर को अधिक व्यवस्थित और प्रभावशाली बनाता है।


Question 43:

‘रश्मिरथी’ खण्डकाव्य की कथावस्तु अपनी भाषा में लिखिए।

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Step 1: कथावस्तु (Plot):

'रश्मिरथी' की कथा महाभारत के वीर योद्धा कर्ण के जीवन पर आधारित है। इसमें कर्ण के जन्म से लेकर वीरगति तक की प्रमुख घटनाओं का वर्णन है। सूत-पुत्र होने के कारण समाज द्वारा अपमानित कर्ण को दुर्योधन सम्मान देता है, जिससे कर्ण उसका अनन्य मित्र बन जाता है। श्रीकृष्ण के समझाने पर भी वह मित्र-धर्म निभाने के लिए पांडव पक्ष में जाने से इनकार कर देता है। अंत में, वह अपना कवच-कुण्डल दान कर महाभारत के युद्ध में वीरतापूर्वक लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त होता है।
Quick Tip: कथावस्तु लिखते समय कहानी की मुख्य घटनाओं को क्रम से प्रस्तुत करें। अनावश्यक विस्तार से बचें और शब्द-सीमा का ध्यान रखते हुए केवल सारगर्भित बातें ही लिखें।


Question 44:

‘मुक्तियज्ञ’ खण्डकाव्य के नायक का चरित्र-चित्रण कीजिये।

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Step 1: नायक का चरित्र-चित्रण (Character Sketch of the Hero):

'मुक्तियज्ञ' के नायक महात्मा गाँधी एक अलौकिक महापुरुष हैं, जिनमें मानवीय गुणों का समावेश है। वे सत्य, प्रेम और अहिंसा के प्रबल समर्थक हैं तथा इन्हीं शस्त्रों से ब्रिटिश शासन का सामना करते हैं। वे समाज से छुआछूत जैसी बुराई को समाप्त करने के लिए कृतसंकल्प हैं और दलितों का उद्धार करते हैं। वे हिन्दू-मुस्लिम एकता के पक्षधर हैं और एक दृढ़-निश्चयी नेता के रूप में भारत को स्वतंत्रता दिलाते हैं।
Quick Tip: गाँधीजी जैसे महान व्यक्तित्व का चरित्र-चित्रण करते समय, उनके मानवीय और नैतिक गुणों (जैसे- सत्य, अहिंसा, दलितोद्धार) पर विशेष ध्यान दें, क्योंकि खण्डकाव्य में इन्हीं गुणों को प्रमुखता दी गई है।


Question 45:

‘मुक्तियज्ञ’ खण्डकाव्य के आधार पर ‘नमक आन्दोलन’ की कथावस्तु लिखिए।

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Step 1: कथावस्तु (Plot):

'मुक्तियज्ञ' खण्डकाव्य में 'नमक आन्दोलन' की घटना का महत्वपूर्ण स्थान है। ब्रिटिश सरकार द्वारा नमक पर कर लगाने के विरोध में महात्मा गाँधी ने इस अन्यायपूर्ण कानून को तोड़ने का निश्चय किया। उन्होंने साबरमती आश्रम से अपने अनुयायियों के साथ दाण्डी तक की प्रसिद्ध पदयात्रा की। यह यात्रा 24 दिनों में पूरी हुई। दाण्डी पहुँचकर उन्होंने समुद्र के जल से नमक बनाकर ब्रिटिश कानून को भंग किया। इस आन्दोलन ने पूरे देश में स्वतंत्रता की ज्वाला को और तीव्र कर दिया।
Quick Tip: जब किसी विशेष घटना या आंदोलन के बारे में पूछा जाए, तो अपना उत्तर उसी घटना पर केंद्रित रखें। 'नमक आंदोलन' के संदर्भ में दांडी यात्रा एक महत्वपूर्ण बिंदु है, इसका उल्लेख अवश्य करें।


Question 46:

‘त्यागपथी’ खण्डकाव्य के आधार पर हर्षवर्धन का चरित्र-चित्रण कीजिये।

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Step 1: नायक का चरित्र-चित्रण (Character Sketch of the Hero):

'त्यागपथी' के नायक सम्राट हर्षवर्धन एक आदर्श शासक, महान योद्धा और त्यागी पुरुष हैं। वे एक आदर्श पुत्र और अपनी बहन राज्यश्री से असीम स्नेह करने वाले भाई हैं। वे दृढ़-निश्चयी और कर्तव्यनिष्ठ हैं, जो कठिन परिस्थितियों में भी धैर्य नहीं खोते। उनका सम्पूर्ण जीवन त्याग, बलिदान और राष्ट्र-सेवा को समर्पित है। वे अपनी प्रजा के सुख-दुःख का ध्यान रखने वाले एक प्रजावत्सल राजा हैं। उनका चरित्र भारतीय संस्कृति के आदर्शों का प्रतीक है।
Quick Tip: किसी ऐतिहासिक पात्र का चरित्र-चित्रण करते समय, खण्डकाव्य में वर्णित घटनाओं के उदाहरण देकर उनके गुणों को प्रमाणित करना आपके उत्तर को अधिक विश्वसनीय बनाता है।


Question 47:

‘त्यागपथी’ खण्डकाव्य की कथावस्तु संक्षेप में लिखिए।

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Step 1: कथावस्तु (Plot):

'त्यागपथी' की कथा कन्नौज के सम्राट हर्षवर्धन के जीवन पर आधारित है। कहानी उनके पिता की मृत्यु, भाई राज्यवर्धन की हत्या और बहन राज्यश्री के अपहरण से आरम्भ होती है। हर्षवर्धन कठिन परिस्थितियों में शासन संभालते हैं और अपनी बहन को खोजकर कन्नौज का राज्य भी संभालते हैं। वे एक विशाल साम्राज्य की स्थापना करते हैं और अपने जीवन में त्याग और कर्तव्यनिष्ठा का सर्वोच्च आदर्श प्रस्तुत करते हैं। वे प्रत्येक पाँच वर्ष में प्रयाग में अपना सर्वस्व दान कर देते हैं।
Quick Tip: 'त्यागपथी' की कथावस्तु लिखते समय, हर्षवर्धन के जीवन के 'त्याग' वाले पक्ष को उजागर करें, जैसे राज्य का त्याग, सुखों का त्याग और अंत में सर्वस्व का त्याग। यही इस काव्य का मूल भाव है।


Question 48:

‘आलोकवृत्त’ का कथानक अपने शब्दों में लिखिए।

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Step 1: कथानक (Plot):

'आलोकवृत्त' खण्डकाव्य महात्मा गाँधी के सम्पूर्ण जीवन-वृत्त पर आधारित है। कथानक का प्रारम्भ गाँधीजी के जन्म से होता है। इसमें दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के विरुद्ध उनके सत्याग्रह के सफल प्रयोग को दिखाया गया है। भारत लौटकर वे स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व करते हैं। उनके द्वारा चलाए गए असहयोग आन्दोलन, नमक सत्याग्रह और भारत छोड़ो आन्दोलन जैसी घटनाओं का वर्णन है। अंत में, 1947 में भारत स्वतंत्र होता है और गाँधीजी के आदर्शों का प्रकाश-वृत्त चारों ओर फैल जाता है।
Quick Tip: 'आलोकवृत्त' का अर्थ है 'प्रकाश का घेरा'। कथानक लिखते समय यह दर्शाएँ कि किस प्रकार गाँधीजी के जीवन और उनके कार्यों ने पराधीनता के अंधकार को मिटाकर स्वतंत्रता का प्रकाश फैलाया।


Question 49:

‘आलोकवृत्त’ खण्डकाव्य के नायक की विशेषतायें लिखिए।

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Step 1: नायक की विशेषताएँ (Characteristics of the Hero):

'आलोकवृत्त' के नायक महात्मा गाँधी एक युगपुरुष हैं, जिन्होंने अपने असाधारण व्यक्तित्व से भारत को नई दिशा दी। वे सत्य और अहिंसा के पुजारी हैं और इन्हीं सिद्धांतों के बल पर उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य को झुका दिया। वे दृढ़-संकल्प वाले व्यक्ति हैं, जो एक बार निश्चय कर लेने पर पीछे नहीं हटते। वे केवल भारत ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण मानवता से प्रेम करने वाले विश्व-मानव हैं। उनका चरित्र त्याग, देश-प्रेम और मानवता का संदेश देता है।
Quick Tip: 'आलोकवृत्त' के नायक के रूप में गाँधीजी का चरित्र-चित्रण करते समय, उनके व्यक्तित्व के उन पहलुओं पर प्रकाश डालें जो सम्पूर्ण विश्व के लिए प्रेरणास्रोत हैं, क्योंकि 'आलोकवृत्त' केवल भारत तक सीमित नहीं, बल्कि एक वैश्विक प्रकाश का प्रतीक है।


Question 50:

‘सत्य की जीत’ खण्डकाव्य के आधार पर खण्डकाव्य की नायिका का चरित्र-चित्रण कीजिए।

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Step 1: नायिका का चरित्र-चित्रण (Character Sketch of the Heroine):

'सत्य की जीत' की नायिका द्रौपदी एक स्वाभिमानी, साहसी और विदुषी नारी हैं। वे सत्य और न्याय की प्रतीक हैं। भरी सभा में अपने अपमान का वे निर्भीकता से प्रतिकार करती हैं। वे अपनी तर्कपूर्ण वाणी से भीष्म, द्रोण जैसे गुरुजनों को निरुत्तर कर देती हैं। वे नारी के सम्मान के लिए संघर्ष करती हैं और किसी भी परिस्थिति में अन्याय के समक्ष झुकती नहीं हैं। उनका चरित्र नारी-शक्ति और आत्म-सम्मान का एक ज्वलंत उदाहरण है।
Quick Tip: द्रौपदी जैसे प्रखर और मुखर पात्र का चरित्र-चित्रण करते समय उनकी वाक्पटुता, तार्किकता और साहस जैसी विशेषताओं पर विशेष बल देना चाहिए, क्योंकि यही खण्डकाव्य में उनके चरित्र का मूल आधार है।


Question 51:

‘सत्य की जीत’ के आधार पर ‘द्रौपदी चीरहरण’ के कथानक का उल्लेख कीजिए।

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Step 1: कथानक (Plot):

'सत्य की जीत' की कथावस्तु महाभारत के द्यूत-प्रसंग पर आधारित है। कौरवों द्वारा आयोजित द्यूत-क्रीड़ा में युधिष्ठिर अपना सब कुछ हारने के बाद द्रौपदी को भी दाँव पर लगाकर हार जाते हैं। दुःशासन भरी सभा में द्रौपदी का चीरहरण करके उसे अपमानित करने का प्रयास करता है। इसके विरोध में द्रौपदी सभासदों से न्याय की माँग करती है और धर्म-अधर्म पर तर्कपूर्ण प्रश्न उठाती है। उसके तर्कों और सत्य के तेज के आगे सभी मौन हो जाते हैं। अंत में, द्रौपदी के सत्य और सतीत्व की ही जीत होती है।
Quick Tip: कथावस्तु लिखते समय यह स्पष्ट करें कि कहानी का केंद्रीय संघर्ष क्या है। 'सत्य की जीत' में केंद्रीय संघर्ष द्रौपदी का अपने सम्मान के लिए और धर्म की स्थापना के लिए किया गया तार्किक और नैतिक संघर्ष है।


Question 52:

दिये गये संस्कृत गद्यांशों में से किसी एक का ससन्दर्भ हिन्दी में अनुवाद कीजिए :

धन्योऽयं भारतदेशः यत्र समुल्लसति जनमानसपावनी, भव्यभावोद्भाविनी, शब्द-सन्दोह-प्रसविनी सुरभारती । विद्यमानेषु निखिलेष्वपि वाङ्मयेषु अस्याः वाङ्मयं सर्वश्रेष्ठं सुसम्पन्नं च वर्तते । इयमेव भाषा संस्कृतनाम्नापि लोके प्रथिता अस्ति ।

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Step 1: सन्दर्भ (Context):

प्रस्तुत संस्कृत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक के 'संस्कृत दिग्दर्शिका' खण्ड में संकलित 'संस्कृतभाषायाः महत्त्वम्' नामक पाठ से उद्धृत है।


Step 2: हिन्दी अनुवाद (Hindi Translation):

यह भारत देश धन्य है, जहाँ जन-मानस को पवित्र करने वाली, श्रेष्ठ भावों को उत्पन्न करने वाली और शब्द-समूहों को जन्म देने वाली देववाणी (संस्कृत) सुशोभित है। वर्तमान में उपलब्ध सम्पूर्ण साहित्यों में इसका साहित्य सर्वश्रेष्ठ और सुसम्पन्न है। यही भाषा संसार में 'संस्कृत' नाम से भी प्रसिद्ध है।
Quick Tip: अनुवाद करते समय संस्कृत के प्रत्येक शब्द के अर्थ को ध्यान में रखकर वाक्य का भावार्थ स्पष्ट करें। 'सुरभारती' का अर्थ 'देववाणी' या 'संस्कृत' होता है। सन्दर्भ में पाठ का नाम सही-सही लिखना अनिवार्य है।


Question 53:

दिये गये संस्कृत गद्यांशों में से किसी एक का ससन्दर्भ हिन्दी में अनुवाद कीजिए :

हंसराजः आत्मनः चित्तरुचितं स्वामिकम् आगत्य वृणुयात् इति दुहितरमादिदेश । सा शकुनिसंघे अवलोकयन्ती मणिग्रीवं चित्र प्रेषणं मयूरं दृष्ट्वा ‘अयं मे स्वामिको भवतु’ इत्यभाषत् । मयूरः अद्यापि तावन्मे बलं न पश्यसि इति अति गर्वेण लज्जां त्यक्त्वा तावन्महतः शकुनिसंघस्य मध्ये पक्षौ प्रसार्य नर्तितुमारब्धवान् नृत्यन् चाप्रतिच्छन्नोऽभूत् । सुवर्णराजहंसः लज्जितः–अस्य नैव ह्रीः अस्ति न बर्हाणां समुत्थाने लज्जा । नास्मै गतत्रपाय स्वदुहितरं दास्यामि’ इत्यकथयत् ।

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Step 1: सन्दर्भ (Context):

प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक के 'संस्कृत दिग्दर्शिका' खण्ड के 'जातक-कथा' नामक पाठ के 'नृत्य-जातकम्' अंश से लिया गया है।


Step 2: हिन्दी अनुवाद (Hindi Translation):

हंसराज ने अपनी पुत्री को आदेश दिया कि वह आकर अपने मनपसंद स्वामी का वरण करे। उसने पक्षियों के समूह पर दृष्टि डालते हुए, मणि के समान गर्दन वाले, रंग-बिरंगे पंखों वाले मोर को देखकर कहा, "यह मेरा स्वामी हो।" मोर ने कहा, "तुम अभी भी मेरा बल नहीं देखती हो?" और अत्यंत गर्व के साथ लज्जा को त्यागकर उस विशाल पक्षी-समूह के बीच अपने पंख फैलाकर नाचना आरम्भ कर दिया, और नाचते हुए वह नग्न हो गया। स्वर्ण राजहंस ने लज्जित होकर कहा, "इसे न तो संकोच है और न ही पंखों को उठाने में लज्जा। मैं इस निर्लज्ज को अपनी पुत्री नहीं दूँगा।"
Quick Tip: जातक कथाओं का अनुवाद करते समय कहानी के प्रवाह और पात्रों के संवादों को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करें। कहानी के अंत में निहित शिक्षा को समझने का प्रयास करें, जो यहाँ गर्व और निर्लज्जता के दुष्परिणाम को दर्शाती है।


Question 54:

दिये गये पद्यांशों में से किसी एक का ससन्दर्भ हिन्दी में अनुवाद कीजिए :

काव्य-शास्त्र-विनोदेन कालो गच्छति धीमताम् ।

व्यसनेन च मूर्खाणां निद्रया कलहेन वा ।।

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Step 1: सन्दर्भ (Context):

प्रस्तुत श्लोक हमारी पाठ्य-पुस्तक के 'संस्कृत दिग्दर्शिका' खण्ड में संकलित 'सुभाषितरत्नानि' नामक पाठ से उद्धृत है।


Step 2: हिन्दी अनुवाद (Hindi Translation):

बुद्धिमान् लोगों का समय काव्य और शास्त्रों की चर्चा के आनंद में व्यतीत होता है, जबकि मूर्खों का समय बुरी आदतों (व्यसन), सोने अथवा लड़ाई-झगड़े में व्यतीत होता है।
Quick Tip: श्लोक का अनुवाद करते समय दोनों पंक्तियों के तुलनात्मक भाव को स्पष्ट करें। यहाँ बुद्धिमान और मूर्ख के समय बिताने के तरीकों के बीच का अंतर बताया गया है, जो श्लोक का मुख्य संदेश है।


Question 55:

दिये गये पद्यांशों में से किसी एक का ससन्दर्भ हिन्दी में अनुवाद कीजिए :

भाषासु मुख्या मधुरा दिव्या गीर्वाणभारती ।

तस्या हि मधुरं काव्यं तस्मादपि सुभाषितम् ।।

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Step 1: सन्दर्भ (Context):

प्रस्तुत श्लोक हमारी पाठ्य-पुस्तक के 'संस्कृत दिग्दर्शिका' खण्ड में संकलित 'सुभाषितरत्नानि' नामक पाठ से लिया गया है।


Step 2: हिन्दी अनुवाद (Hindi Translation):

भाषाओं में देववाणी संस्कृत मुख्य, मधुर और अलौकिक है। निश्चय ही, उसका काव्य मधुर है और उससे भी अधिक मधुर उसके सुभाषित (सुंदर वचन या सूक्तियाँ) हैं।
Quick Tip: अनुवाद करते समय शब्दों के क्रमबद्ध महत्व को दर्शाएं: पहले संस्कृत भाषा की महानता, फिर उसके काव्य की और अंत में उसके सुभाषितों की श्रेष्ठता। 'गीर्वाणभारती' का अर्थ 'देववाणी संस्कृत' है।


Question 56:

निम्नलिखित मुहावरों और लोकोक्तियों में से किसी एक का अर्थ लिखकर वाक्य में प्रयोग कीजिए :

का वर्षा जब कृषि सुखाने

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Step 1: अर्थ (Meaning):

इस लोकोक्ति का अर्थ है - समय निकल जाने पर सहायता मिलने का कोई लाभ नहीं होता।


Step 2: वाक्य प्रयोग (Usage in a sentence):

मरीज के मरने के बाद डॉक्टर साहब पहुँचे, अब उनके आने से क्या लाभ, यह तो वही बात हुई कि का वर्षा जब कृषि सुखाने।
Quick Tip: मुहावरे का वाक्य प्रयोग करते समय, वाक्य ऐसा बनाएं जिससे मुहावरे का अर्थ स्पष्ट हो जाए। वाक्य में मुहावरे का प्रयोग ज्यों का त्यों होना चाहिए, उसके अर्थ का नहीं।


Question 57:

निम्नलिखित मुहावरों और लोकोक्तियों में से किसी एक का अर्थ लिखकर वाक्य में प्रयोग कीजिए :

अधजल गगरी छलकत जाय

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Step 1: अर्थ (Meaning):

इस लोकोक्ति का अर्थ है - कम ज्ञान या कम गुण वाला व्यक्ति दिखावा अधिक करता है।


Step 2: वाक्य प्रयोग (Usage in a sentence):

रमेश ने अभी थोड़ी सी अंग्रेजी क्या सीख ली, वह हर किसी से अंग्रेजी में ही बात करने की कोशिश करता है, सच है अधजल गगरी छलकत जाय।
Quick Tip: लोकोक्ति का प्रयोग किसी स्थिति पर टिप्पणी करने या किसी व्यक्ति के व्यवहार को दर्शाने के लिए किया जाता है। यह एक पूर्ण वाक्य के रूप में होती है और इसमें जीवन का अनुभव छिपा होता है।


Question 58:

निम्नलिखित मुहावरों और लोकोक्तियों में से किसी एक का अर्थ लिखकर वाक्य में प्रयोग कीजिए :

आगे नाथ न पाछे पगहा

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Step 1: अर्थ (Meaning):

इस लोकोक्ति का अर्थ है - जिसका कोई न हो; पूर्ण रूप से बंधनमुक्त या अनियंत्रित व्यक्ति; पूर्णतया स्वतंत्र।


Step 2: वाक्य प्रयोग (Usage in a sentence):

माता-पिता की मृत्यु के बाद सोहन का तो आगे नाथ न पाछे पगहा वाली स्थिति हो गई है, उसे कोई रोकने-टोकने वाला ही नहीं है।
Quick Tip: इस लोकोक्ति का प्रयोग अक्सर ऐसे व्यक्ति के लिए किया जाता है जिस पर किसी का कोई नियंत्रण या जिम्मेदारी नहीं होती और वह अपनी मनमर्जी का मालिक होता है।


Question 59:

निम्नलिखित मुहावरों और लोकोक्तियों में से किसी एक का अर्थ लिखकर वाक्य में प्रयोग कीजिए :

अंत भला तो सब भला

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Step 1: अर्थ (Meaning):

इस लोकोक्ति का अर्थ है - यदि किसी कार्य का परिणाम अच्छा हो, तो उस कार्य के दौरान हुई कठिनाइयों और गलतियों को भुला दिया जाता है।


Step 2: वाक्य प्रयोग (Usage in a sentence):

परीक्षा की तैयारी में मुझे बहुत कठिनाई हुई, लेकिन जब मैं प्रथम श्रेणी में पास हो गया तो मेरी सारी थकान दूर हो गई, सच है अंत भला तो सब भला।
Quick Tip: लोकोक्ति एक पूरा वाक्य होती है और इसका प्रयोग किसी बात का समर्थन करने या निष्कर्ष निकालने के लिए किया जाता है। इसका प्रयोग अक्सर वाक्य के अंत में होता है।


Question 60:

व्यक्तिगत काव्य और विषयगत काव्य में क्या अंतर है ?

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Step 1: Understanding the Question:

इस प्रश्न में गद्यांश के आधार पर काव्य के दो प्रमुख रूपों- व्यक्तिगत काव्य और विषयगत काव्य- के बीच का अंतर पूछा गया है।


Step 2: Explanation from the Passage:

गद्यांश में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि, "व्यक्तिगत काव्य में स्वानुभूतियों का चित्रण होता है।" इसका अर्थ है कि व्यक्तिगत काव्य में कवि अपने निजी अनुभवों, भावनाओं और अनुभूतियों को व्यक्त करता है।

इसके विपरीत, विषयगत काव्य में कवि अपने व्यक्तिगत भावों से हटकर बाहरी जगत, सामाजिक घटनाओं या किसी अन्य विषय (वस्तु, व्यापार) पर आधारित रचना करता है।


Step 3: Final Answer:

गद्यांश के अनुसार, व्यक्तिगत काव्य और विषयगत काव्य में यह अंतर है कि व्यक्तिगत काव्य में कवि की अपनी निजी अनुभूतियों (स्वानुभूतियों) का चित्रण होता है, जबकि विषयगत काव्य में बाहरी विषयों या वस्तुओं का वर्णन प्रधान होता है।
Quick Tip: अपठित गद्यांश में जब दो चीजों के बीच अंतर पूछा जाए, तो दोनों की परिभाषाओं को गद्यांश में ढूंढें और उन्हें आमने-सामने रखकर तुलना करें। यदि एक की परिभाषा दी हो, तो दूसरे का अर्थ उसके विपरीत मानकर निकाला जा सकता है।


Question 61:

कवि मानव जीवन का चित्रांकन कब करता है ?

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Step 1: Understanding the Question:

इस प्रश्न में यह पूछा गया है कि गद्यांश के अनुसार, कवि किस समय या किस स्थिति में मानव जीवन का चित्रण करता है।


Step 2: Explanation from the Passage:

गद्यांश की तीसरी पंक्ति में इसका सीधा उत्तर दिया गया है: "कवि जब मानवीय अन्तःक्षेत्र का चित्रांकन करता है, तो परोक्ष रूप से वह मानव जीवन का ही चित्रांकन करता है।"

इसके अतिरिक्त, पहली पंक्ति में भी यह भाव निहित है कि जब कवि प्रकृति का चित्रण करता है, तब भी उसमें मानव जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों का प्रतिबिंब होता है।


Step 3: Final Answer:

गद्यांश के अनुसार, जब कवि मनुष्य के आंतरिक जगत (मानवीय अन्तःक्षेत्र) का चित्रण करता है, तब वह परोक्ष रूप से मानव जीवन का ही चित्रांकन करता है।
Quick Tip: गद्यांश पर आधारित प्रश्नों का उत्तर देते समय, उत्तर सीधे गद्यांश से ही खोजना चाहिए। प्रश्न के की-वर्ड्स (जैसे- 'कवि', 'मानव जीवन', 'चित्रांकन') को गद्यांश में ढूंढें, आपको सही पंक्ति मिल जाएगी।


Question 62:

काव्य क्या है ?

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Step 1: Understanding the Question:

इस प्रश्न में गद्यांश के आधार पर काव्य की परिभाषा पूछी गई है।


Step 2: Explanation from the Passage:

गद्यांश की चौथी पंक्ति में काव्य की एक स्पष्ट परिभाषा दी गई है: "काव्य मानव जीवन का चित्र है, जो आनंद, प्रेरणा और शक्ति का अजस्र स्रोत है।"

इसका अर्थ है कि काव्य मानव जीवन का प्रतिबिंब है और यह हमें आनंद, प्रेरणा और शक्ति प्रदान करता है।


Step 3: Final Answer:

गद्यांश के अनुसार, काव्य मानव जीवन का वह चित्र है, जो आनंद, प्रेरणा और शक्ति का कभी न समाप्त होने वाला (अजस्र) स्रोत है।
Quick Tip: 'क्या है?' जैसे परिभाषा-आधारित प्रश्नों का उत्तर गद्यांश में अक्सर सीधे तौर पर दिया होता है। उस पंक्ति को पहचानें और उसे अपने शब्दों में या यथावत प्रस्तुत करें।


Question 63:

विपत्तियों से सामना करने के लाभों को लिखिए।

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Step 1: Understanding the Question:

इस प्रश्न में गद्यांश के आधार पर यह पूछा गया है कि जीवन में कठिनाइयों और विपत्तियों का सामना करने से क्या-क्या लाभ होते हैं।


Step 2: Explanation from the Passage:

गद्यांश के अनुसार, विपत्तियों का सामना करने से निम्नलिखित लाभ होते हैं:


मनुष्य की सूझ-बूझ (समझने की शक्ति) बढ़ती है।
उसकी शक्तियाँ विकसित होती हैं।
विपरीत परिस्थितियाँ मनुष्य की सोई हुई शक्ति को जगाती हैं और उसकी दृढ़ता को बढ़ाती हैं।
विपत्तियाँ हमें सावधान और सजग बनाती हैं।


Step 3: Final Answer:

गद्यांश के अनुसार, विपत्तियों का सामना करने से मनुष्य की सूझ-बूझ और शक्तियाँ विकसित होती हैं, उसकी सोई हुई शक्ति जागृत होती है, दृढ़ता बढ़ती है तथा वह सावधान और सजग बनता है।
Quick Tip: "लाभ" या "परिणाम" से संबंधित प्रश्नों के उत्तर के लिए गद्यांश में उन वाक्यों को खोजें जहाँ किसी क्रिया के फलस्वरूप होने वाले सकारात्मक परिवर्तनों का उल्लेख हो।


Question 64:

जीवन में सफलता के लिये क्या आवश्यक है ?

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Step 1: Understanding the Question:

इस प्रश्न में गद्यांश के आधार पर यह पूछा गया है कि जीवन में सफल होने के लिए किन चीजों की आवश्यकता होती है।


Step 2: Explanation from the Passage:

गद्यांश में दो स्थानों पर सफलता के लिए आवश्यक बातों का उल्लेख है:

1. गद्यांश के अनुसार, जीवन में वे लोग सफल होते हैं जो प्रारंभ से ही विपत्तियों का सामना करते हैं और उनसे सबक सीखते हैं।

2. इसके अतिरिक्त, लेखक बताते हैं कि जीवन में आत्मबल, धैर्य, साहस, पुरुषार्थ, विवेक और ईश्वर का आश्रय हो तो हर परिस्थिति में विजय प्राप्त कर निरंतर प्रगति की जा सकती है, जो कि सफलता का ही पर्याय है।


Step 3: Final Answer:

गद्यांश के अनुसार, जीवन में सफलता के लिए प्रारंभ से ही विपत्तियों का सामना करना और उनसे सीखना आवश्यक है। साथ ही, आत्मबल, धैर्य, साहस, पुरुषार्थ, विवेक और ईश्वर में आस्था रखना भी सफलता के लिए अनिवार्य है।
Quick Tip: "क्या आवश्यक है?" जैसे प्रश्नों के उत्तर के लिए गद्यांश में दी गई शर्तों या गुणों की सूची पर ध्यान केंद्रित करें। अक्सर उत्तर एक से अधिक वाक्यों में फैला हो सकता है।


Question 65:

पूर्व के कुसंस्कार नष्ट करने के लिए क्या आवश्यक है ?

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Step 1: Understanding the Question:

इस प्रश्न में यह पूछा गया है कि पहले के बुरे संस्कारों या आदतों को समाप्त करने के लिए क्या करना आवश्यक है।


Step 2: Explanation from the Passage:

गद्यांश में इसका सीधा और स्पष्ट उत्तर दिया गया है: "पुरुषार्थ से पूर्व के कुसंस्कार नष्ट किए जा सकते हैं।"

इसका अर्थ है कि कठिन परिश्रम, उद्योग और अपने सत्कर्मों के द्वारा व्यक्ति अपनी पुरानी बुरी आदतों और संस्कारों को बदल सकता है।


Step 3: Final Answer:

गद्यांश के अनुसार, पूर्व के कुसंस्कारों को नष्ट करने के लिए पुरुषार्थ (कठिन परिश्रम और उद्यम) आवश्यक है।
Quick Tip: जब प्रश्न बहुत विशिष्ट हो, तो गद्यांश में उन्हीं शब्दों (जैसे- 'पूर्व के कुसंस्कार') को खोजने का प्रयास करें। उत्तर अक्सर उसी पंक्ति में या उसके आस-पास ही मिल जाता है।


Question 66:

निम्नलिखित शब्द-युग्मों का सही अर्थ चयन करके लिखिए :

यंत्रणा-मंत्रणा

  • (A) मशीनें और मंत्र की शक्ति
  • (B) जादू और मंत्र
  • (C) कष्ट देना और विचार विमर्श
  • (D) टोना और झाड़-फूँक
Correct Answer: (C) कष्ट देना और विचार विमर्श
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Step 1: Understanding the Words:

यह प्रश्न श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्दों पर आधारित है, जो सुनने में समान लगते हैं परन्तु उनके अर्थ भिन्न होते हैं।

यंत्रणा: इस शब्द का अर्थ 'पीड़ा', 'कष्ट' या 'यातना' (Torture/Agony) होता है।

मंत्रणा: इस शब्द का अर्थ 'सलाह', 'परामर्श' या 'विचार-विमर्श' (Consultation/Deliberation) होता है।


Step 2: Matching with Options:

दिए गए अर्थों के अनुसार, 'कष्ट देना' और 'विचार विमर्श' सही अर्थ हैं।

विकल्प (C) में यह अर्थ सही दिया गया है।


Step 3: Final Answer:

अतः, 'यंत्रणा-मंत्रणा' का सही अर्थ है 'कष्ट देना और विचार विमर्श'। विकल्प (C) सही है।
Quick Tip: शब्दों के मूल को समझने से अर्थ का अनुमान लगाया जा सकता है। 'यंत्रणा' शब्द 'यंत्र' से संबंधित पीड़ा को दर्शाता है, जबकि 'मंत्रणा' शब्द 'मंत्र' या गुप्त विचार-विमर्श से संबंधित है।


Question 67:

निम्नलिखित शब्द-युग्मों का सही अर्थ चयन करके लिखिए :

अनुसरण-अनुकरण

  • (A) पीछे रहना और बात करना
  • (B) पीछे चलना और नकल करना
  • (C) अनुसार और कार्य
  • (D) पीछे देखना और नकल करना
Correct Answer: (B) पीछे चलना और नकल करना
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Step 1: Understanding the Words:

यह प्रश्न भी समान लगने वाले भिन्नार्थक शब्दों पर आधारित है।

अनुसरण: इस शब्द का अर्थ है 'किसी के पीछे-पीछे चलना' या 'किसी के बताए मार्ग पर चलना' (To follow)।

अनुकरण: इस शब्द का अर्थ है 'नकल करना' या 'हू-ब-हू वैसा ही करना जैसा कोई दूसरा कर रहा है' (To imitate/copy)।


Step 2: Matching with Options:

दिए गए अर्थों के अनुसार, सही क्रम 'पीछे चलना' और 'नकल करना' है।

विकल्प (B) में यह क्रम सही दिया गया है।


Step 3: Final Answer:

अतः, 'अनुसरण-अनुकरण' का सही अर्थ है 'पीछे चलना और नकल करना'। विकल्प (B) सही है।
Quick Tip: 'अनुसरण' में किसी के आदर्शों या पथ पर चलने का भाव होता है, जो एक सकारात्मक क्रिया है। 'अनुकरण' में केवल बाहरी रूप की नकल का भाव होता है, जो सकारात्मक या नकारात्मक दोनों हो सकता है।


Question 68:

निम्नलिखित शब्दों में से किसी एक शब्द के दो सही अर्थ लिखिए :

(i) लक्ष्य
(ii) नाक
(iii) पक्ष
(iv) द्विज

Correct Answer:
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Step 1: Understanding the Question:

इस प्रश्न में दिए गए शब्दों में से किसी एक के दो अलग-अलग अर्थ (अनेकार्थी शब्द) लिखने हैं। यहाँ सभी के अर्थ दिए जा रहे हैं।


Step 2: Meanings of the Words:

(i) लक्ष्य:

1. उद्देश्य/निशाना (Aim/Target)

2. लाख (संख्या) (Lakh/100,000)



(ii) नाक:

1. शरीर का एक अंग (Nose)

2. प्रतिष्ठा/इज्जत (Prestige/Honor)



(iii) पक्ष:

1. पंख (Wing/Feather)

2. ओर/तरफ (Side)

3. पंद्रह दिनों का समूह (जैसे- कृष्ण पक्ष, शुक्ल पक्ष) (Fortnight)



(iv) द्विज: ('द्वि' = दो बार, 'ज' = जन्मा हुआ)

1. ब्राह्मण (जिसका दूसरा जन्म यज्ञोपवीत संस्कार से माना जाता है)

2. पक्षी (जो पहले अंडे के रूप में, फिर अंडे से बाहर जन्म लेता है)

3. दाँत (जो दो बार निकलते हैं - दूध के और स्थायी)
Quick Tip: अनेकार्थी शब्दों का ज्ञान भाषा की गहरी समझ के लिए आवश्यक है। शब्दों के यौगिक अर्थ (जैसे द्विज) को समझने से उनके अर्थों का अनुमान लगाना आसान हो जाता है।


Question 69:

निम्नलिखित वाक्यांशों के लिए एक एक सही शब्द का चयन करके लिखिए :

जो बूढ़ा न हो -

  • (A) स्वस्थ व्यक्ति
  • (B) अजर
  • (C) नौजवान
  • (D) कम उम्र का व्यक्ति
Correct Answer: (B) अजर
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N/A


Question 70:

जिसका जन्म न हुआ हो -

  • (A) पेट का बच्चा
  • (B) आजन्म
  • (C) अजन्मा
  • (D) अज
Correct Answer: (C) अजन्मा
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'जिसका जन्म न हुआ हो' वाक्यांश के लिए एक शब्द है अजन्मा (अ + जन्मा = जो जन्मा न हो)। यह शब्द अक्सर ईश्वर के लिए प्रयुक्त होता है।

अज भी इसका एक सही अर्थ है, परन्तु 'अजन्मा' अधिक प्रचलित और स्पष्ट है।

आजन्म का अर्थ 'जन्म से लेकर' होता है।

अतः, दिए गए विकल्पों में सबसे उपयुक्त विकल्प (C) है।
Quick Tip: वाक्यांश के लिए एक शब्द चुनते समय, शब्द की व्युत्पत्ति (उपसर्ग, प्रत्यय) पर ध्यान दें। 'अ' उपसर्ग अक्सर 'नहीं' का अर्थ देता है, जैसे - अजर (जो बूढ़ा न हो), अदृश्य (जो दिखाई न दे), अजन्मा (जिसका जन्म न हुआ हो)।


Question 71:

निम्नलिखित में से किन्हीं दो वाक्यों को शुद्ध करके लिखिए :

(i) समाचार पत्र मेज में रखा है ।

(ii) मैं इस लड़के को पढ़ाया हूँ ।

(iii) मैं आपके उज्वल भविष्य की कामना करता हूँ ।

(iv) कृपया पत्र लिखने की कृपा करें ।

Correct Answer:
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(i) अशुद्ध वाक्य: समाचार पत्र मेज में रखा है।

शुद्ध वाक्य: समाचार पत्र मेज पर रखा है।

(कारण: यहाँ स्थान के लिए 'पर' अधिकरण कारक का प्रयोग होगा, 'में' का नहीं।)



(ii) अशुद्ध वाक्य: मैं इस लड़के को पढ़ाया हूँ।

शुद्ध वाक्य: मैंने इस लड़के को पढ़ाया है।

(कारण: सकर्मक क्रिया के भूतकाल रूप के साथ कर्ता 'मैंने' का प्रयोग होता है, 'मैं' का नहीं।)



(iii) अशुद्ध वाक्य: मैं आपके उज्वल भविष्य की कामना करता हूँ।

शुद्ध वाक्य: मैं आपके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ।

(कारण: 'उज्ज्वल' की वर्तनी अशुद्ध है। इसमें दो आधे 'ज्' होते हैं।)



(iv) अशुद्ध वाक्य: कृपया पत्र लिखने की कृपा करें।

शुद्ध वाक्य: कृपया पत्र लिखें। या पत्र लिखने की कृपा करें।

(कारण: 'कृपया' और 'कृपा करें' का एक साथ प्रयोग अनावश्यक है। दोनों में से एक का ही प्रयोग करना चाहिए।)
Quick Tip: वाक्य शुद्धि के लिए वर्तनी, लिंग, वचन, कारक और पदक्रम के नियमों का ध्यान रखना आवश्यक है। 'कृपया' और 'कृपा करें' जैसी पुनरुक्ति संबंधी अशुद्धियों से बचें।


Question 72:

‘शृंगार’ रस का स्थायीभाव के साथ उदाहरण लिखिए।

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N/A


Question 73:

‘हास्य’ रस का स्थायीभाव के साथ उदाहरण लिखिए।

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Step 1: स्थायी भाव (Permanent Emotion):

हास्य रस का स्थायी भाव 'हास' है।


Step 2: लक्षण (Definition):

जब किसी व्यक्ति या वस्तु की विकृत वेशभूषा, वाणी, चेष्टा या आकार को देखकर हृदय में जो विनोदपूर्ण भाव उत्पन्न होता है, और जब यही 'हास' नामक स्थायी भाव, विभाव, अनुभाव और संचारी भावों से पुष्ट होता है, तब हास्य रस की निष्पत्ति होती है।


Step 3: उदाहरण (Example):

सीस पर गंगा हँसै, भुजनि भुजंगा हँसै,

हास ही को दंगा भयो, नंगा के विवाह में।


स्पष्टीकरण: यहाँ शिवजी की विचित्र वेशभूषा को देखकर हास का भाव उत्पन्न हो रहा है, अतः यहाँ हास्य रस है।
Quick Tip: रस का उत्तर लिखते समय स्थायी भाव का उल्लेख करना अनिवार्य है। उदाहरण के बाद यदि संभव हो तो एक पंक्ति में स्पष्टीकरण लिखने से उत्तर अधिक प्रभावी बनता है।


Question 74:

‘अनुप्रास’ अलंकार का लक्षण एवं उदाहरण लिखिए।

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N/A


Question 75:

‘यमक’ अलंकार का लक्षण एवं उदाहरण लिखिए।

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Step 1: लक्षण (Definition):

जब काव्य में कोई शब्द एक से अधिक बार आए और प्रत्येक बार उसका अर्थ भिन्न (अलग) हो, तो वहाँ यमक अलंकार होता है।


Step 2: उदाहरण (Example):

कनक कनक ते सौ गुनी, मादकता अधिकाय।

वा खाये बौराय जग, या पाये बौराय।।


स्पष्टीकरण:

यहाँ 'कनक' शब्द दो बार आया है। पहले 'कनक' का अर्थ 'सोना' है और दूसरे 'कनक' का अर्थ 'धतूरा' है। अतः यहाँ यमक अलंकार है।
Quick Tip: अनुप्रास और यमक में अंतर याद रखें: अनुप्रास में 'वर्ण' (अक्षर) की आवृत्ति होती है, जबकि यमक में 'शब्द' की आवृत्ति होती है और हर बार अर्थ अलग होता है।


Question 76:

‘दोहा’ छन्द का मात्रा सहित लक्षण एवं उदाहरण लिखिए।

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N/A


Question 77:

‘सोरठा’ छन्द का मात्रा सहित लक्षण एवं उदाहरण लिखिए।

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Step 1: लक्षण (Definition):

सोरठा एक अर्धसम मात्रिक छन्द है। यह दोहा छन्द का ठीक उल्टा होता है। इसके पहले और तीसरे (विषम) चरणों में 11-11 मात्राएँ तथा दूसरे और चौथे (सम) चरणों में 13-13 मात्राएँ होती हैं।


Step 2: उदाहरण (Example):

जेहि सुमिरत सिधि होइ, गन नायक करिबर बदन।

करहु अनुग्रह सोइ, बुद्धि रासि सुभ गुन सदन।।


मात्रा गणना:

जेहि सुमिरत सिधि होइ (2+1+1+1+1+1+1+1+2 = 11)

गन नायक करिबर बदन (1+1+2+1+1+1+1+1+1+1+1+1 = 13)
Quick Tip: छन्द का उदाहरण लिखते समय, मात्रा गणना को स्पष्ट रूप से दर्शाना बहुत महत्वपूर्ण है। लघु (।) के लिए 1 और गुरु (ऽ) के लिए 2 मात्रा गिनें।


Question 78:

निर्धन छात्र सहायता कोष से आर्थिक सहायता हेतु अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को एक आवेदन-पत्र लिखिए।

अथवा

बैंक के शाखा प्रबंधक को उच्च शिक्षा ग्रहण करने हेतु ऋण प्राप्ति के लिए एक प्रार्थना-पत्र लिखिए।

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(यहाँ पहले पत्र का प्रारूप दिया जा रहा है)


सेवा में,

श्रीमान प्रधानाचार्य जी,

[विद्यालय का नाम],

[शहर का नाम]।


विषय: निर्धन छात्र सहायता कोष से आर्थिक सहायता हेतु प्रार्थना-पत्र।


महोदय,

सविनय निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय में कक्षा 12 (वर्ग 'अ') का छात्र हूँ। मैं एक अत्यंत निर्धन परिवार से संबंध रखता हूँ। मेरे पिताजी एक छोटी सी दुकान पर काम करते हैं और उनकी मासिक आय बहुत कम है, जिससे परिवार का भरण-पोषण भी बड़ी कठिनाई से हो पाता है।


मैं अपनी कक्षा का एक मेधावी छात्र हूँ और सदैव प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होता आया हूँ। मेरी पढ़ने में गहरी रुचि है और मैं अपनी शिक्षा जारी रखना चाहता हूँ, परन्तु परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण मेरे लिए विद्यालय का शुल्क और पुस्तकों का व्यय वहन करना संभव नहीं हो पा रहा है।


अतः, आपसे विनम्र अनुरोध है कि कृपया मेरी पारिवारिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए मुझे विद्यालय के 'निर्धन छात्र सहायता कोष' से आर्थिक सहायता प्रदान करने की कृपा करें, ताकि मैं अपनी पढ़ाई जारी रख सकूँ। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि मैं परिश्रमपूर्वक अध्ययन करके विद्यालय का नाम रोशन करूँगा।


आपकी इस कृपा के लिए मैं आपका सदा आभारी रहूँगा।


सधन्यवाद।


आपका आज्ञाकारी शिष्य,

[आपका नाम]

कक्षा - 12 (अ)

अनुक्रमांक - [आपका रोल नंबर]

दिनांक: [आज की तारीख]
Quick Tip: पत्र लेखन में प्रारूप (format) का विशेष ध्यान रखें। विषय स्पष्ट और संक्षिप्त होना चाहिए। अपनी समस्या का विनम्रतापूर्वक उल्लेख करें और अंत में कृतज्ञता ज्ञापित करें।


Question 79:

निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर अपनी भाषा-शैली में निबन्ध लिखिए :

(i) नई शिक्षण व्यवस्था में कम्प्यूटर का योगदान

(ii) मेरा प्रिय कवि / लेखक

(iii) पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता

(iv) बेरोजगारी की समस्या और समाधान

(v) वृक्षारोपण का महत्त्व

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(यहाँ विषय (iv) 'बेरोजगारी की समस्या और समाधान' पर निबंध का प्रारूप दिया जा रहा है)


बेरोजगारी की समस्या और समाधान


प्रस्तावना: बेरोजगारी का अर्थ है किसी योग्य और काम करने के इच्छुक व्यक्ति को रोजगार का न मिलना। आज यह भारत के लिए एक गंभीर समस्या बन चुकी है, जो देश के आर्थिक और सामाजिक विकास में बाधक है।


बेरोजगारी के कारण: इसके प्रमुख कारण हैं - तीव्र जनसंख्या वृद्धि, दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली जिसमें व्यावसायिक शिक्षा का अभाव है, कुटीर उद्योगों का पतन, और कृषि का पिछड़ापन।


दुष्प्रभाव: बेरोजगारी से गरीबी और भुखमरी बढ़ती है। युवा वर्ग हताश होकर अपराध और नशे की ओर प्रवृत्त होता है, जिससे सामाजिक अशांति फैलती है।


समाधान के उपाय: जनसंख्या पर नियंत्रण करना, शिक्षा को रोजगारपरक बनाना, कौशल विकास (Skill Development) पर जोर देना, कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देना और युवाओं को स्वरोजगार (Start-ups) के लिए प्रोत्साहित करना इस समस्या के प्रमुख समाधान हैं।


उपसंहार: बेरोजगारी एक राष्ट्रीय चुनौती है। सरकार और समाज के सम्मिलित प्रयासों से ही इस पर विजय प्राप्त की जा सकती है। युवाओं को नौकरी खोजने के बजाय नौकरी देने वाला बनाने की सोच विकसित करनी होगी।
Quick Tip: निबंध लिखते समय उसे प्रस्तावना, मुख्य भाग (कारण, दुष्प्रभाव, समाधान), और उपसंहार जैसे भागों में विभाजित करें। मुख्य बिंदुओं को रेखांकित करने से निबंध अधिक प्रभावशाली लगता है।

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