The Maharashtra Board 2024 Class 12th Sanskrit (33-J-823) Question Paper PDF is now available for download. The Maharashtra State Board of Secondary and Higher Secondary Education (MSBSHSE) conducted the Class 12 Sanskrit examination for a total duration of 3 hours, and the question paper carries a total of 80 marks.
Candidates can use the link below to download the Maharashtra Board Class 12th Sanskrit (33-J-823) Question Paper with detailed solutions.
Maharashtra Board Class 12 Sanskrit (33-J-823) Question Paper 2024 with Answer Key
| Maharashtra Class 12 2024 Sanskrit Question Paper With Answer Key | Check Solution |
प्र. २ (अ) चित्र दृष्ट्वा व्यावहारिक सूचना: संस्कृतभाषायां लिखत।
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N/A Quick Tip: चित्राणां विश्लेषणं कृत्वा उचितं संस्कृतवाक्यं लेखनं भाषायाः अध्ययनाय साहाय्यं करिष्यति।
प्र. २ (ब) व्यावहारिकवृत्तिसंकेत: शब्द द्वयं उवाच-स्तंती लिखता (इति तं ४)
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उत्तर:
| नाट्यम् | वाद्यम् | कला |
|---|---|---|
| नाट्य | ताळ | चित्रकला |
| कर्णप्रियम् | संगीत | शिल्पकला |
| वाचन | वाद्य | नृत्यकला |
(i) उत्तं कारणं वित्ता बक्यं पुनर्लिखितं।
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N/A Quick Tip: संस्कृत वाक्यलेखनासाठी व्याकरणाचे अभ्यास आवश्यक आहे।
(ii) उत्तं शब्दं दत्त्वा चतुःकां पुरयेत।
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N/A Quick Tip: संस्कृत वाक्यलेखन सुस्पष्ट आणि शुद्ध असावा यासाठी नियमित अभ्यास आवश्यक आहे।
(iii) पूर्णवाक्यं उत्तरं लिख।
का वस्तु: किं वर्गिण?
चिन्तनीया हि विपदामादेव प्रतिक्रिया।
न कृत्स्नं खलु प्रदेये बहिनां गृहं।
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N/A Quick Tip: संस्कृत वाक्यलेखनासाठी व्याकरणाचे अभ्यास आवश्यक आहे।
प्र. २ (ii)
पृच्छकरणं। प्रवाहि चालं पूरितं।
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N/A Quick Tip: कथाः संस्कृत शब्दकोशाचं समग्र अभ्यास करा।
(i) पूर्णवाक्येन उत्तरं लिखत।
कः: हींीकृतम्?
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N/A Quick Tip: \textbf{संस्कृत में प्रश्न पूछने के लिए 'कः', 'किम्', 'कस्य' जैसे शब्दों का प्रयोग किया जाता है।}
(ii) वाक्यं पुनर्लिखित्वा सत्यम् / असत्यम् लिखत।
यमुना शहरस्य मूर्तिः स्थिता।
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N/A Quick Tip: \textbf{संस्कृत में वाक्य सत्य/असत्य जांचने के लिए संज्ञा और विशेषणों की सही पहचान आवश्यक है।}
(iii) उचितं शब्दं चित्वा चतुर्कोणं पूरयत।
अश्लेषवदनः: प्रत्युत्तरं ददाति — ___
कस्यां लोहिततलोपमस्य चरणो हंसः: कुतो मानसात्।
किं तज्ञासि सुवर्णपृष्ठबानानाम्: सुभाषितानिभम्।
रत्नानां निचयः प्रवालभणगो वैडूर्यरौहः: क्वचित्।
शाकुक्ता अपि सन्ति? नैव च बकसाकंर्ष हींीकृतम्॥ २॥
अक्का कुपति तात मूर्तिं विगृह्य गङ्गेयमुपसर्जय।
विन्दु रषपुष्क का गानिशम् चिरं मूर्तिं स्थिताया वद॥
कोपोपशोषाशायाशब्देन: प्रत्युत्तरं ददाति।
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N/A Quick Tip: संस्कृत में रिक्त स्थान भरने के लिए व्याकरणिक नियमों और प्रसंग को ध्यान में रखना आवश्यक है।
(i) नामस्थाने सर्वनाम प्रयोग्यं वाक्यं पुनर्लिखत।
मानसे सुभाषितानिभम् अभः। अस्ति। (तद्)
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N/A Quick Tip: संस्कृत में सर्वनाम (Pronouns) का प्रयोग वाक्य में संज्ञा के स्थान पर किया जाता है।
(ii) समानार्थकं कुरुत।
बकसाकंर्ष = ______ , ______ ।
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N/A Quick Tip: संस्कृत में समानार्थक शब्द (Synonyms) को पहचानने से भाषा समझने की क्षमता बढ़ती है।
(iii) विकटार्थं शब्दं लिखत।
(१) विद्युत् × ______
(२) दत्तवान् × ______
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N/A Quick Tip: संस्कृत में विलोम शब्द (Antonyms) पहचानने के लिए उपसर्ग एवं प्रत्यय का अध्ययन आवश्यक है।
पदांशं पठित्वा अन्वयपूर्वकं कुरुत अथवा माध्यमभाषया सरलार्थं लिखत।
विर्यासागरः स्वान्तवाचिबन्धे कस्तदुग्रो भवन्मार्गधाम्ना।
तितिक्षयोपास श्रमिक्कनाभिधानमार्गदिकालदिह पाण्डुरङ्कः॥ १॥
भगवतज्वलालभूदर्घनार्द्रंनुजुर्विर्भल - विहृतोऽति।
आयाभासमे प्रतिवर्षं क्षेत्रे समागतं पाण्डरीकं॥ २॥
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अन्वयः - श्रमः _____ स्वान्तवाचिबन्धे _____ कस्तदुग्रः।
_____ अनार्तिकालात् इह _____ तितिक्षति।
अत्र प्रतिवर्षं _____
तालमृदङ्गनादेः _____ इति प्रोक्तः गर्जन् _____ पाण्डरीकं _____ समागतं।
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N/A Quick Tip: संस्कृत गद्य को समझने के लिए अन्वय करना आवश्यक है, जिससे शब्दों का सही क्रम एवं अर्थ स्पष्ट होता है।
(i) पूर्णवाक्येन उत्तरं लिखत।
के अर्थप्रकाशकाः?
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N/A Quick Tip: संस्कृत में शब्द ज्ञान और उनका अर्थ स्पष्ट करने के लिए प्राचीन व्याकरण ग्रंथों का अध्ययन आवश्यक है।
(ii) वाक्यं पुनर्लिखित्वा सत्यम् / असत्यम् लिखत।
"लौकिक-वैदिक-संस्कृतशास्त्राणां निर्णयं कर्तुं शक्यते।"
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N/A Quick Tip: संस्कृत भाषा में विभिन्न स्तरों पर विभाजन किया जाता है – लौकिक, वैदिक, एवं शास्त्रीय संस्कृत।
(iii) रेखांकितं पदम् आधार्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत।
"निःशेषं शब्दानां निर्माणं इतिहासः कथयति।"
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N/A Quick Tip: संस्कृत में प्रश्न निर्माण करने के लिए उचित विभक्ति एवं कारक का प्रयोग आवश्यक होता है।
(i) रेखांकितं नामस्थाने 'तद्' सर्वनाम प्रयोग्यं वाक्यं पुनर्लिखत।
"शब्दानां मूलार्थप्रतिपादनम् एव भाषाया: वैशिष्ट्यम्।"
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N/A Quick Tip: संस्कृत में सर्वनाम (Pronouns) का प्रयोग संज्ञा के स्थान पर होता है और वाक्य में सही रूप का चयन आवश्यक है।
(ii) विशेषण-विशेष्याणां मेलं कुरुत।
'अ' ‘आ'
प्रतिज्ञाः इतिहासम्
निःशेषम् विषयः
निर्वचनम्
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N/A Quick Tip: संस्कृत में विशेषण (Adjective) और विशेष्य (Noun) को सही प्रकार से जोड़ने के लिए उनके लिंग, वचन, और कारक का मेल होना आवश्यक है।
(iii) तृतीयाविभक्त्यन्तपदे गद्यांशतः लिखत।
(१) ______ ।
(२) ______ ।
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N/A Quick Tip: संस्कृत में तृतीयाविभक्ति (Instrumental Case) को पहचानने के लिए क्रिया के साथ संबंध समझना आवश्यक होता है।
(२) पृथक्करणम्।
जालरेखाचित्रं पूरयत।
प्रभः
| कश्मीरी | तेलुगु |
| पंजाबी | उड़िया |
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N/A Quick Tip: संस्कृत शब्दों के विभिन्न भारतीय भाषाओं में प्रयोग को समझने से भाषा के विकास को समझने में सहायता मिलती है।
(१) प्रशासनस्य द्वौ विभागौ।
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N/A Quick Tip: प्रशासन विभिन्न स्तरों पर विभाजित होता है, जिससे कार्यों को सुचारू रूप से संचालित किया जा सके।
(२) सूक्ष्मरीक्षामात्रः प्रदीपः।
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N/A Quick Tip: संस्कृत वाक्यों का सही अर्थ निकालने के लिए संदर्भ के अनुसार शब्दों का विश्लेषण आवश्यक होता है।
उच्चितं वाक्यांशं चित्वा वाक्यं पुनर्लिखत।
घटोत्कचः भीमं प्रसादं याचते, यतः _____।
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N/A Quick Tip: संस्कृत नाटकों में पात्रों के संवादों को ध्यान से पढ़कर उचित उत्तर चुनना आवश्यक होता है।
उचितं शब्दं चित्वा चतुर्कोणं पूरयत।
घटोत्कचस्य मातुः: आहारार्थम् आगतः। मातुः: _____।
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N/A Quick Tip: संस्कृत में रिक्त स्थान भरने के लिए सही पद का चयन करना आवश्यक होता है, जिससे वाक्य का अर्थ स्पष्ट हो।
पूर्णवाक्येन उत्तरं लिखत।
पितृहत्यायां कोऽपराधी?
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N/A Quick Tip: संस्कृत नाटकों में संवादों का अध्ययन करके संदर्भ के अनुसार उत्तर देना आवश्यक होता है।
नाट्यांशातः ह्वस्वर्थक-धातुसाधित-अव्यय चित्वत।
(१) _____
(२) _____
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N/A Quick Tip: संस्कृत में शब्दों को उनकी उत्पत्ति और व्याकरणिक संरचना के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है, जैसे कि धातुसाधित, अव्यय, और संज्ञा।
समानार्थकं कुरुत।
अनुग्रहोत्कर्षम् = _____ , _____।
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N/A Quick Tip: संस्कृत में समानार्थक शब्द (Synonyms) को जानने से शब्दकोश की शक्ति बढ़ती है और साहित्यिक समझ में सुधार होता है।
विपर्यर्थकं शब्दं लिखत।
(१) अनृतम् × _____।
(२) अयत् × _____।
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N/A Quick Tip: संस्कृत में विपर्यर्थक (Antonyms) शब्दों को पहचानने के लिए उपसर्गों और धातुओं की पहचान करना आवश्यक होता है।
उचितं कारणं चित्वा वाक्यं पुनर्लिखत।
शाण्डिल्यः पण्डितजनस्य भाषाभारस्यं संज्ञाम्, यतः _____।
(अ) सः ज्ञातव्यः।
(आ) सः पिञ्जलव्यः।
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N/A Quick Tip: संस्कृत में वाक्य पुनर्निर्माण हेतु उचित शब्द चयन आवश्यक होता है, जिससे वाक्य का सही अर्थ स्पष्ट हो।
वाक्यं पुनर्लिखित्वा सत्यम् / असत्यम् लिखत।
"अध्ययनेन अत्यासक्तिः भवति।"
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N/A Quick Tip: संस्कृत में सत्य / असत्य पहचानने के लिए व्याकरणिक संदर्भ एवं प्रसंग को ध्यान में रखना आवश्यक होता है।
रेखांकितं पदम् आधार्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत।
आवा शिक्षार्थं एव गच्छाव।
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N/A Quick Tip: संस्कृत में प्रश्न निर्माण हेतु उचित प्रश्नवाचक शब्दों का प्रयोग आवश्यक होता है, जैसे - \textbf{किं, कः, कुत्र, कथम्}।
संवाद को ध्यानपूर्वक पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखत।
शाण्डिल्यः - भोः, क्षुधा मां याचते। अस्माकं गेहे अन्नान्नस्य अतीव चुभ्रिता।
परिव्राजकः - न भोक्तव्यम्। आगच्छ, अध्ययनकाले इदानीम्।
शाण्डिल्यः - असमर्थः अध्ययनं, पिपासोऽहं गच्छामि।
(१) शाण्डिल्यः किं याचते?
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N/A Quick Tip: संस्कृत नाटकों में संवादों को ध्यान से पढ़कर पात्रों की भूमिका एवं संदेश को समझना आवश्यक होता है।
क्रमेण योजयित्वा वाक्यानि पुनर्लिखत।
(अ) (१) वस्त्रसेवायाः उद्यानगमनम्।
(२) परिव्राजकस्य शाण्डिल्यस्य च उद्यानप्रवेशः।
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N/A Quick Tip: संस्कृत वाक्य निर्माण में क्रमशः उपवाक्यों को जोड़ने के लिए उचित क्रिया और विभक्ति प्रयोग आवश्यक होता है।
गणिकादर्शनं शाण्डिल्यस्य आनन्दः।
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N/A Quick Tip: संस्कृत में कर्ता, कर्म और क्रिया के सही मेल से वाक्य अर्थ स्पष्ट होता है।
परिव्राजकस्य योगचिन्तनविषये आदेशः।
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N/A Quick Tip: संस्कृत वाक्यों में आदेश या उपदेश देने के लिए कर्तृवाच्य और कर्मवाच्य प्रयोग महत्वपूर्ण होता है।
न च गुरुनियोगाः विचारकर्षणाः।
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N/A Quick Tip: संस्कृत में निषेधार्थक वाक्यों को पहचानने के लिए 'न' या 'मा' का प्रयोग किया जाता है।
त्वमेव सूक्ष्मधारो भूत्वा लोकनाट्यं प्रदर्शय।
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N/A Quick Tip: संस्कृत में आदेशात्मक वाक्य 'लोट् लकार' का प्रयोग करके बनाए जाते हैं।
प्रश्न ५. उचित विकल्पं चित्वा वाक्यं पुनर्लिखत। (१० तः ८)
१. _____ सुवर्णकालः इति उच्यते।
(मौर्यकालः, कुषाणकालः, गुप्तकालः)
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N/A Quick Tip: संस्कृत में ऐतिहासिक संदर्भों में "गुप्तकाल" को सुवर्णकाल कहा जाता है क्योंकि इस काल में कला, संस्कृति और विज्ञान का उत्कर्ष हुआ।
शक-क्षत्र-कुषाणादयः _____।
(राजवंशाः, महापुरुषाः, गणराज्याः)
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N/A Quick Tip: संस्कृत में ऐतिहासिक राजवंशों के संदर्भ में "शक, क्षत्र, कुषाण" को प्रमुख राजवंश माना जाता है।
अरक्कोर-महिद्र-समूहः _____ देशे वर्तते।
(कम्बोडिया, बाली, श्रीलंका)
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N/A Quick Tip: संस्कृत में प्राचीन भौगोलिक स्थानों के नाम कई बार संस्कृत शब्दों के आधार पर बनते हैं, जैसे "अरक्कोर" कम्बोडिया में प्रसिद्ध मंदिर समूह है।
सङ्ग्रहणं, सुव्याकरणं, वाचनं, मुद्रणं, स्पष्टीकरणं, तथैव संरक्षणम् इत्येते विषयाः _____ अन्तर्भूताः।
(मूर्तिशास्त्रे, हस्तलिखितग्रन्थशास्त्रे, स्थापत्यशास्त्रे)
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N/A Quick Tip: हस्तलिखित ग्रंथों का अध्ययन, संपादन और संरक्षण संस्कृत साहित्य अध्ययन का महत्वपूर्ण भाग है।
_____ वाचनार्थं लिपिशास्त्रस्य ज्ञानम् आवश्यकम्।
(लिपिज्ञानं, चित्राणां, मूर्तीनां)
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N/A Quick Tip: संस्कृत में लिपियों का ज्ञान आवश्यक होता है ताकि प्राचीन ग्रंथों को पढ़ा और समझा जा सके।
संस्कृतनाट्यस्य मूलं _____ तथा यज्ञविधिषु दृश्यते।
(वैदिकसंहिता, उपनिषदः, वेदाङ्गानि)
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N/A Quick Tip: संस्कृत नाट्यशास्त्र का मूल वैदिक संहिताओं में निहित है, जहाँ यज्ञों में नाटकीय प्रस्तुति के प्रारंभिक रूप मिलते हैं।
महात्मानिवृत्तिः अवश्यं च _____ क्रियते स्म।
(कृतककलहः, कृतकसंवादः, कृतकनाटकः)
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N/A Quick Tip: संस्कृत साहित्य में "कृतकनाटक" शब्द का प्रयोग किसी घटना को नाटकीय रूप से प्रस्तुत करने के लिए किया जाता है।
"नाटके नाम कः? चाक्षुषः कृतुः" इति _____ वर्णयति।
(कालिदासः, भासः, माधः)
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N/A Quick Tip: संस्कृत साहित्य में भासः प्रसिद्ध नाटककार हैं, जिनके नाटकों में चाक्षुष प्रभाव का उल्लेख मिलता है।
नाट्येतरः सर्वे साहित्यप्रकाराः केवलं _____ भवति।
(श्रव्यः, मनोरञ्जकः, दृश्यः)
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N/A Quick Tip: संस्कृत साहित्य में नाट्यकला को 'दृश्य' एवं अन्य साहित्यिक विधाओं को 'श्रव्य' माना जाता है।
_____ उत्तररामचरिते रामायणस्य कथा एव परिवर्तिता।
(भवभूतिना, पाणिनिना, कालिदासेन)
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N/A Quick Tip: संस्कृत साहित्य में भवभूति ने 'उत्तररामचरित' नामक नाटक लिखा, जिसमें रामायण की कथा को एक नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया गया है।
प्रश्न ६. अवबोधनं कृत्वा पठन्तु। (३ तः २)
मङ्गषुताः - उचितान शब्दान चित्वा रिक्त स्थानानि पूरयित्वा विशेषवर्णनं पुनर्लिखत।
‘बाल-डिक्सन’ नाम्ना निर्माणसंविधाय चित्रस्य पुनः प्रस्तुति: इत्यत्र। मुस्कान, शिक्षा, स्वराः, अभिनय, पूजाः, इत्यादयः। पात्रः: अफ्रिकाखण्डे वनप्रदेशे निवसन्ति। कौशलम् कृतं तेषां संबंधः अत्र वर्णितः।
अनुप्राणनवेतुरे कौशलम् कौशलं तु मौलिकमेव। किन्तु, पार्श्ववेदकानाम् अपि राज्यस्य अतीव महत्त्वपूर्णं भवति। यतः तेषां तन्त्राणां माध्यमे रक्षकः कथायाः आस्वादनं।
आङ्गलभाषायामे सैथ-चोडरिक तथैव जेम्स-अर्ल-जोनस इति द्वौ पार्श्ववेदकः। अस्य चित्रस्य हिन्दीसंस्करणे तु निर्माणसंविधाय अभिनेता शाहरुखखानः च। तस्य पुत्रः आर्यनखानः च पार्श्ववेदनं कृतवान। एतदपि अस्य चित्रस्य भारते लोकप्रियतात्व कारणम्।
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N/A
निमन्त्रणपत्रिका: आयोजनं संस्कृतभाषया तुलान्तलेखनं कुरुत।
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N/A Quick Tip: संस्कृत निमन्त्रणपत्रिका लेखन में परंपरागत शिष्टाचार का ध्यान रखते हुए विनम्र भाषा का प्रयोग करना आवश्यक होता है।
भारतविज्ञा।
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N/A Quick Tip: भारत के विज्ञान और इतिहास से संबंधित प्रमुख विषयों को समझकर निबंध अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है।
परोपकारः।
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N/A Quick Tip: निबंध में उपमाओं और उदाहरणों का प्रयोग करने से भाषा अधिक प्रभावशाली बनती है।
मम प्रिय अभिनेता।
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N/A Quick Tip: किसी व्यक्ति के विषय में लिखते समय उनके गुण, उपलब्धियाँ और समाज पर प्रभाव को उजागर करना आवश्यक होता है।
नामतालिका पूरयत। (८ तः ६)
| क्र. | नाम | प्रातिपदिकम् | अन्तः | लिङ्गम् | विभक्तिः | वचनम् |
|---|---|---|---|---|---|---|
| १ | वासः | वासस् | --- | नपुंसकलिङ्गम् | प्रथमा | --- |
| २ | बभूः | --- | उकारान्तः | स्त्रीलिङ्गम् | द्वितीया | --- |
| ३ | सरस्वती | --- | ईकारान्तः | स्त्रीलिङ्गम् | --- | एकवचनम् |
| ४ | हनुमान् | --- | मतुप्रत्ययान्तः | --- | प्रथमा | एकवचनम् |
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N/A Quick Tip: संस्कृत संज्ञाओं की विभक्तियों और लिंगभेद को सही तरीके से समझकर रूपों का अभ्यास करने से संज्ञा प्रयोग में सहायता मिलती है।
समासतालिका पूरयत। (८ तः ६)
| क्र. | समस्तपदम् | समासविधयः | समासनाम |
|---|---|---|---|
| १ | स्तुतिकृता | ----------- | कर्मधारयः |
| २ | ----------- | अनिलेन सह | सह बहुव्रीहिः |
| ३ | स्त्रीपुरुषः | ----------- | इतरेतर द्वन्द्वः |
| ४ | ----------- | न कृष्णः | नञ् तत्पुरुषः |
| ५ | ----------- | अर्थः हीनः | तृतीय तत्पुरुषः |
| ६ | प्रकृतिस्थः | प्रकृत्या स्थितं इति | ----------- |
| ७ | ----------- | सुखं विहितानि | प्राति तत्पुरुषः |
| ८ | प्रतिदिनम् | दिने दिने | ----------- |
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N/A Quick Tip: संस्कृत समासों को पहचानने और सही नाम देने के लिए पहले उनका विभक्ति प्रयोग समझना आवश्यक होता है।
मङ्गषुताः: तदृशताः-कृत्वानां विवक्षा उचितस्थानं लिखत। (८ तः ६)
| तदृशताः | कृत्वानः |
|---|---|
| वासः | कर्मधारयः |
| बभूः | कर्तृत्वम् |
| सरस्वती | उपकारः |
| हनुमान् | भक्तिपंथः |
(विकल्पः: भाषा:, प्रयत्नम्, वैशिष्ट्यम्, धार्तराष्ट्रः, आचारः, मानवः, प्राणी, स्तुतिः)
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N/A Quick Tip: संस्कृत में तदृश और कृत्वान का प्रयोग विशेषण-विशेष्य संबंध को स्पष्ट करने के लिए किया जाता है।
समानार्थकशब्दं लिखत। (८ तः ६)
अग्निः - ज्वाला |
माजारः - सारः |
कुञ्जलः - शंखः |
हिरण्यम् - स्वर्णम् |
शुकनः - पारदः |
सहस्राक्षः - सहस्रपदः |
अश्वः - घोडः |
पली - कांस्यं |
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N/A Quick Tip: संस्कृत में समानार्थक शब्दों को समझने के लिए उनके प्रयोग और संदर्भ को ध्यानपूर्वक देखना चाहिए।
सूचनासारं पर्यवर्तितं कुरु। (५ तः ३)
गन्धः: ______ गायति। ( 'गां' स्थानं 'गायति' प्रवृत्तं बाकं पुनर्लिखत् )
विनायकः: विवर समवसितं बहिः निर्मिम्ये यते च। ( पूर्वकान्तवाक्यं धारणीकरितं अन्यं योजयता )
प्रशासनकाला: ______ अतीव समयं सति। ( लक्षद्वारे पर्यवर्तितं )
नट: ______ वर्तते। ( 'नट' स्थानं 'नटन' प्रवृत्तं बाकं पुनर्लिखत् )
न कृपणं युञ्जते प्रवृत्तं बहिनं गृहं। ( सत्यं - सर्वानि स्तनं निवासस्मा )
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N/A Quick Tip: संस्कृत में संधि के नियमों का पालन करते हुए शब्दों को जोड़ने से वाक्य अर्थपूर्ण और व्याकरणिक दृष्टि से सही बनते हैं।
अंति प्रतिनिवेद्यं प्राप्तं काले अन्यवाणि इत्यानि।
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N/A
सम्प्रति भारत: युवकानां देश: इति ज्ञायते।
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N/A Quick Tip: "सम्प्रति" शब्दः वर्तमानकालस्य अवस्थां सूचयति। यः वाक्ये वर्तमानकालं प्रकटयति, सः प्रत्युत्थानशीलता दर्शयति।
बुद्धिमान् मनुष्य: स्थानं न परित्यजेत्।
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N/A
को खेते चक्रं?
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N/A
भरतं ताम्रकं महानं नृप: आसीत्।
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N/A
त्वं देवं नत्वा तव कार्यं कुर्व।
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N/A Quick Tip: संस्कृत वाक्यां में क्रिया तथा कार्य की दिशा स्पष्ट करने के लिए सही शब्द प्रयोग अत्यन्त आवश्यक होता है।



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